RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
मैं:"उफ्फ आरिफ़ ये क्या है, इसको लंड कैसे कहा जा सकता है, ये तो किसी गधे के लंड जैसा है, इसको पा कर तो तुम्हारी बीवी की किस्मत ही बदल जाएगी"
आरिफ़:"तुम कितनी हसीन हो, क्या मैं तुमको छू सकता हूँ"
मैं:"छू क्या तुम चाहो तो मुझे चोद भी सकते हो"
आरिफ़:"किसने सिखाए तुमको ये सब लफ्ज़"
मैं:"ये सब जाने दो, पहले मेरे निपल्स चूसो"
आरिफ़ ने पहले मेरे बूब्स को खूब दबाया और फिर मेरे निपल्स को चूसने लगा ,मुझे ऐसा लगा कि मुझे जन्नत मिल गयी.
मैं:"उफफफ्फ़ हाआआआआआआआअ, सोइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई, आरिफ़ और चूसो, ना जाने कब से मैं तुम्हारे लिए बैठी हूँ हााआययययययययययी उफफफफफफफफफ्फ़ मर गयी मैं उफफफफफ्फ़"
वो पागलो की तरहा मेरे बूब्स चूस रहा था और मैं उसका लंबा लंड हिला रही थी वो मेरे हाथ लगते ही झाड़ गया.
आरिफ़:"देखा मैं इतना जल्दी झाड़ गया"
मैं:"घबराओ नही यार, तुम्हारे सामने पहली बार कोई नंगी लड़की थी इसलिए तुम झाड़ गये, ज़रा चेर पर बैठो, अभी तुमको फिर सख़्त करती हूँ"
जैसे ही वो चेर पर बैठा मैने उसका लंड मूह मे ले लिया और कुछ देर में उसका लंड फिर सख़्त हो गया, अब मैं लगातार उसका चूसे जा रही थी और वो अहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
की आवाज़ निकाल रहा था, वो मेरे बाल सहला रहा था, इस बार काफ़ी देरी मे वो झाड़ा, मैने उसके पानी की आखरी बूँद भी निगल ली. अब मैं और वो खड़े होकर एक दूसरे को किस कर रहे थे. अब मैं सोफे पर बैठ गयी और उसको अपनी चूत चाटने का इशारा किया वो बिना देर के मेरी टाँगो के बीच मे आ गया. मैने अपने पैर उसके खंधे पर रख दिए. वो एक भूके शेर की तरहा मेरी चूत चाट रहा था. अपने ही घर मे अपनी सगे भाई के आगे मैं अपनी टांगे फैला कर उससे अपनी चूत चटवा रही थी. मैं अब मज़े की सारी हद पार कर चुकी थी. आज काफ़ी दिनो बाद मुझे बेन्तेहा मज़ा आया. मैने झड़ने के बाद उसके सर को कस कर काफ़ी देर तक पकड़े रखा.
अब वो मेरे बगल मे बैठ कर मुझे अपनी बाहो मे जकड़े था.
कुछ देर इसी तरहा बैठने के बाद मैने उसको कहा कि वो मुझे चोदे.उसने पूछा कि कहीं मैं प्रेग्नेंट ना हो जाउ, लेकिन मैने उसको कहा कि मैं पिल्स पर हूँ.
मैं उसको बरामदे से अंदर कमरे मे ले आई थी.
मैं:"आरिफ़ आज तुम मेरी चूत मार कर अपनी सुहागरात की प्रेक्टिस करो"
आरिफ़:"मुझे यकीन नही होता कि मैं आज तुम्हारी चूत मार सकता हूँ"
मैं:"मेरे भाई,चोदो मुझे आज जी भर के"
मैं अब बिस्तर पर पीठ के बल लेटी थी और अपनी टाँगें फैला कर मैने उसको वेलकम किया. आरिफ़ का ये फर्स्ट टाइम था लेकिन जैसी ही उसने अपना लंड मेरी चूत से टच किया तो जैसे मेरे पूरे बदन मे आग लग गयी, उसके लंड की विड्त से ही मुझे अंदाज़ा हो गया कि मैं आज हो सकता है बर्दाश्त ना कर पाऊ.
आरिफ़ ने मेरी नज़रो मे देखा और इशारा पाकर एक झटके मे अंदर डाल दिया मेरी मूह से चीख निकल पड़ी.
मैं:"हाअयययययययययययययी मैं मर गाइिईईई उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह"
मेरी चीख सुनते ही आरिफ़ मे अपना लंड निकाल लिया और मेरी तरफ देखने लगा.
मैं:"निकाला क्यूना उफ़फ्फ़ धीरे से डालो धीरे धीरे तुम तो जान ही ले लोगे, वो तो मैं दो आदमियो का लंड अपनी चूत मे ले चुकी हूँ इसलिए मैं बर्दाश्त कर गयी"
आरिफ़:"दो आदमियो का लंड"
मैं:"अर्रे मेरा मतलब है, एक एक करके, पहले शौकत ने चोदा और फिर इनायत ने. लेकिन तुम्हारा लंड तो सबसे चौड़ा और लंबा है, इसलिए मेरे भाई धीरे धीरे चोदो अपनी बहना को"
आरिफ़:"ठीक है दर्द हो तो कह देना"
मैं:"साले चूतिए, इसी दर्द के लिए तो औरत तरसती है और तू कहता है कि बता देना, बहेन्चोद साला हहाहहाहा"
मेरे मूह से गालिया सुन कर आरिफ़ को थोड़ा बुरा लगा लेकिन मैने सिचुटेशन संभाल ली.
मैं:"यार तू बात ही ऐसी कहता है, अब तू भी ये शराफ़त ले लिबास उतार दे और मुझे मेरे ही अंदाज़ मे बात का जवाब दे, समझा"
आरिफ़:"हां साली कुतिया ये ले मेरा लॉडा अपनी चूत मे"
मैं:"हाअ, उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह ऐसे ही कर धीरे धीरे"
आरिफ़:"देख तुझे चोद चोद कर कैसे मैं तेरी चूत फाड़ देता हूँ"
मैं:"हां चोद ले बेटा, इसी बहाने कम से कम तुझमे कॉन्फिडेन्स तो आ गया, वरना साला शादी के नाम से भाग रहा था, मदर्चोद"
आरिफ़:"और तू भी तो साली बाथरूम में उंगली कर के मुझे उकसा रही थी, कुतिया आज अपने भाई के भी केला खा ले साली रंडी"
मैं:"ह्म्म्म साले चोद आज जी भर के और बना ले मुझे अपनी रखैल, साला मायके मे भी तो लंड की फेसिलिटी मिलनी चाहिए हाहाहाहहहः"
कुछ देर बाद आरिफ़ झाड़ गया था और हान्फते हुए मुझ पर गिर गया मैने भी उसको अपनी बाहों मे लपेट लिया.
मैं:"क्यूँ बेटा आरिफ़, अब तो काफ़ी देर मे झड़े, क्यूँ आ गया ना कॉन्फिडेन्स शादी का"
आरिफ़:"हां थॅंक्स, अगर तुम्हारी चूत ना मिलती तो कॉन्फिडेन्स कभी ना आता"
मैं:"तो कर लो शादी अब किस चीज़ की टेन्षन है"
आरिफ़:"लेकिन तुम्हारे जैसे बीवी कहाँ मिलेगी"
मैं:"मेरी जेठानी है ना तबस्सुम, उसकी सग़ी बहेन है, एक दम पटाखा है वो, तुमने देखा नही है उसको"
आरिफ़:"तुमको कैसे पता"
मैं:"तबस्सुम को नहाते हुए देखा है और उसकी सग़ी बहेन हू बहू उसकी फोटो कॉपी है"
आरिफ़:"तो बात चलाओ ना मेरी भी"
मैं:"ठीक है, अच्छा अब एक काम करो, मुझे डॉगी स्टाइल मे चोदो"
आरिफ़:"ठीक है तो पलट जाओ ज़रा"
हम शाम तक कई बार यही खेल खेलते रहे अब फिर जब अम्मा और बाबा लौट कर आए तो शाम को मैने अम्मा से कह दिया कि आरिफ़ शादी के लिए राज़ी है. घर मे ख़ुसी की लहेर दौड़ गयी लेकिन किसी को ये मालूम ना था कि इसके लिए मैने अपनी टाँगें अपने सगे भाई के आगे खोली हैं.
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