RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
आरिफ़ के साथ मेरा ये सिलसिला लगातार चलता रहा और आख़िर कार एक दिन अचानक इनायत मुझे लेने मेरे घर आ धमका. आरिफ़ ने उससे आँख चुराई और इसकी वजह शायद आप जानते हैं. मैं आख़िर कार वापस अपने ससुराल आ चुकी थी. आए हुए अभी मुझे दो ही दिन ही थे कि रात के खाने के बाद मेरी सास ने मुझे अपने पास बुलाया. इस वक़्त मेरी ननद साना भी वहाँ पर मौजूद थी.
मेरी सास अब पहले की तरहा तल्ख़ नही बल्कि काफ़ी नर्म पड़ चुकी थी शायद इस की वजह शौकत का खुश रहना था. कोई मा भला कैसे खुश रह सकती है अगर उसकी औलाद दुखी हो और ये सुख दुख हर मा और औलाद के बीच मे होता है चाहे इंसान हो या जानवर. मैं चुप चाप आकर उनके तख्त पर बैठ गयी. वो हमेशा इस बरामदे मे पड़े हुए तख्त पर बैठा करती थीं. ये घर पुराने तौर से बना हुया था इसमे कोई कमरा डाइनिंग के लिए नहीं था बल्कि किचन के नज़दीक पड़े बरामदे में ही एक बड़ा सा पुराना टेबल था जिसमे करीब 20 कुर्सिया आ सकती थीं और इस टेबल के पास ही उनका ये तख्त था. वो अक्सर खाना खाने के बाद पान खाया करती और कभी कभी वो बिना तंबाखू का पान मुझे भी दे दिया करती. ये शायद उनका मोहब्बत जतलाने का तरीका था. साना तो बिना पूछे ही पान लगा लिया करती थी खैर वो उनकी बेटी थी, बेटियो के लिए मा और बाप के क़ानून अलग होते हैं और बहू के लिए अलग. उन्होने इस मर्तबे भी मेरे लिए पान लगा कर दे दिया और मुझसे कहने लगी.
सास:"आरा अब मैं सोचती हूँ कि साना के हाथ भी पीले कर दूं, उसके लिए कई रिश्ते आते रहे हैं लेकिन ये कम्बख़्त अपनी पढ़ाई का बहाना कर दिया करती थी, अब इसकी पढ़ी पूरी हुई है और मैं चाहती हूँ कि उसके लिए कोई अच्छा सा घर तलाश करूँ"
साना:"अम्मी, ये क्या कह रही हो? मैने आप से कहा था ना कि मुझे आगे भी पढ़ना है, आप भी ना हमेशा भूल जाती हैं"
सास:"बस बस रहने दे, कितना पढ़ेगी और क्या करेगी तू आगे पढ़ कर, यही रोटी और चूल्हा तो देखना है ना आगे जाकर, बहुत हुई तेरी पढ़ाई, और मा बाप क्या तेरे सर पर सवार रहेंगे हमेशा, तेरे भाइयो का क्या भरोसा कल को हमारे मरने के बाद तुझे इस घर की नौकरानी बना ले तो?"
मुझे ये बात बड़ी बुरी लगी लेकिन मैने खामोशी ही बेहतर समझी
साना:"उफ्फ अम्मी आप ऐसी बातें क्यूँ करती हैं?"
सास:"तेरी मा हूँ इसलिए कह रही हूँ, तू नहीं जानती कि मा बाप के अलावा अपने बच्चो के बारे मे कोई इतना नहीं सोचता"
मैं:"जी सही कहा आपने"
सास:"आरा, तुम्हारी नज़र में है कोई इज़्ज़त दार घर, लड़का शरीफ, पढ़ा लिखा और खुद मुख़्तार होना चाहिए"
मैं:"जी अभी तो ज़हन में नही आ रहा लेकिन सोच कर बताउन्गि"
सास:"तुम्हारा भाई भी सुना है शादी करना चाहता है, क्यूँ?"
मैं:"मेरा भाई, जी हां वो ,,,पर, वो "
सास:"क्यूँ कोई और लड़की पसंद कर ली है तुम्हारे मा बाप ने?"
मैं:"नहीं ऐसा तो नहीं है लेकिन मुझे उनसे पूछना पड़ेगा"
सास:"तो ठीक है फोन मिला लो अभी, मैं खुद जी पूंछ लेती हूँ उन लोगो से"
मैं:"अभी तो सब सो गये होंगे, सुबह मैं ही फोन लगा दूँगी आप के लिए"
सास:"देखो मुझे तो ऐसा घर चाहिए जहाँ एक लौता लड़का हो, अच्छा इज़्ज़त वाला खानदान हो और लड़का सेहत मंद और अच्छा कमाता हो और तुम्हारे अब्बा की तो माशा अल्लाह 20 एकड़ ज़मीन भी तो है"
मैं:"हां वो तो है"
सास:"वैसे तो साना के लिए काफ़ी अच्छी जगह से रिश्ते आए लेकिन मुझे अपनी बेटी को दूर नहीं भेजना, और वो लोग मुझे कुछ लालची भी लगे, मेरी बेटी बहुत खूबसूरत है और बाकी तो तुम जानती ही हो"
मैं:"हां साना हर लिहाज़ से अच्छी है"
मेरी तरफ से अपनी तारीफ सुनकर साना के चेहरे पर ख़ुसी सी आ गयी और वो थोड़ी शरमा भी गयी. आरिफ़ मेरी तरहा लंबा और बहुत खूबसूरत था, उसकी बड़ी बड़ी आँखें और नीची नज़र अक्सर कई लड़कियो को भा जाती, लेकिन वो किसी लड़की के चक्कर मे कभी नही पड़ा. जहाँ तक मुझे मालूम है उसने किसी भी लड़की से कोई ताल्लुक नही कायम किया था.साना और उसकी जोड़ी के बारे में मैने जब सोचा तो मुझे अच्छा लगा लेकिन मुश्किल ये थी कि आरिफ़ को शबनम के बारे मे कह चुकी थी. मैने सोचा कि इनायत से इस बारे में ज़रा पूंछ लूँ इसलिए मैं सास के पास से उठकर अपने कमरे मे चली आई, इनायत अभी कोई बुक पढ़ रहा था और मुझे देखकर उसने अपनी बुक नीचे रख दी और मुझसे देखने लगा.मैं बिस्तर पर आ गयी और उससे बात करने लगी.
मैं:"सुनो, क्या हुआ तबस्सुम की बहेन के बारे में, तुमने बात की क्या?"
इनायत:"हां मेरी जान लेकिन उस की बात तय हो गयी है"
मैं:"अच्छी लड़कियो के रिश्ते तो रुकते ही नहीं हैं बिल्कुल, चलो किस्सा ख़तम"
इनायत:"क्यूँ क्या हुआ?"
मैं:"तुम्हारी मा साना के लिए आरिफ़ के बारे में बात करना चाहती थीं"
इनायत:"आरिफ़ के बारे में"
मैं:"क्यूँ, शॉक लगा क्या?"
इनायत:"नहीं वो तो सब ठीक है लेकिन मैं, वो ,,,"
मैं:"सॉफ सॉफ कहो क्या बात है"
इनायत:"सॉफ सॉफ बात शायद तुमको अच्छी ना लगे"
मैं:"कह कर तो देखो"
इनायत:"साना एक वर्जिन लड़की है और मैं चाहता हूँ कि उसका शौहर भी वर्जिन हो"
मैं:"ओह ओह सो माइ हॅज़्बेंड हॅज़ बिकम आ प्रूड हां"
इनायत:"देखो आरा हर लड़की का यही सपना होता है कि वो किसी एक से ही प्यार करे"
मैं:"तो इसका मतलब है कि सेक्स और वफ़ा एक दूसरे से रिलेटेड है और मैं किसी और की हूँ"
इनायत:"देखो मेरा मतलब ये नहीं है, मेरा सिर्फ़ इतने कहना है कि साना खुद अपना डिसिशन ले और हम किसी पर अपनी थिंकिंग को फोर्स नही कर सकते, क्या साना ये क़ुबूल कर लेगी कि उसका हज़्बेंड अपनी ही बहेन से सेक्षुयली आक्टिव है? ज़रा सोचो इस बारे में"
मैं:"और अगर वो ये सब जान कर भी आरिफ़ से राज़ी हो जाए तो"
इनायत:"तुम अब उसको मनिपुलेट मत करना वो अभी भी बच्ची है"
मैं:"इनायत मैं तुम्हारे खलयालात से कभी कभी शॉक हो जाती हूँ, तुम मेरे बारे में क्या सोचने लगे हो और साना कोई बच्ची नहीं है, मैने उससे अपने सेक्षुयल लाइफ के बारे मे डिसकस करती रहती हूँ"
इनायत:"देखो इतनी हाइपर मत हो, ज़रा आराम से सोचो कि क्या हम किसी पर अपने ख़यालात फोर्स कर सकते हैं, क्या किसी को ब्रेन वॉश करना वो भी अपने मफाद के लिए सही होगा"
मैं:"अच्छा तो जब तुमने मुझे अपने मफाद के लिए ब्रेन वॉश किया था तो वो ठीक था और आज जब तुम्हारी खुद की बहेन की बात आई तो जनाब तो राइटनेस के बारे में याद आ रहा है, थू है तुमपर इनायत, तुम भी एक मीन मर्द ही निकले आख़िर कार"
इनायत:"तुम मुझसे पहले से ही खफा हो और इस बात को उसी से जोड़ कर देख रही हो जो बिल्कुल ठीक नहीं है"
मैं:"अच्छा यार, आइ आम डन, मुझे इस बात पर और कोई डिस्कशन नहीं चाहिए, तुम्हारी बहेन इस प्लॅनेट पर कोई आख़िरी लड़की नहीं है"
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