RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
मेरी सास ने अपनी आँखें हैरानी से बड़ी की
सास:"पता नही इन लोगो के शौक क्यूँ एक जैसे हैं"
मैं:"किनके शौक"
सास:"देखो आरा, तुम मेरी बच्ची जैसी हो और काफ़ी समझदार भी हो इसलिए मैं तुमको अपना दोस्त ही मानती
हूँ, इसलिए ये सब शेअर कर रही हूँ"
मैं:"आप बिना फिकर के मुझसे जो चाहे कह सकती हैं"
सास:"तुम्हारे ससुर को भी यहाँ बाल अच्छे लगते हैं"
मैं:"क्या आप लोग अब भी ,,,,,"
सास:"अब भी मतलब, सॉफ सॉफ कहो, डरो मत"
मैं:"मतलब अब भी आप लोग सेक्स करते हैं"
सास:"हां कभी कभी क्यूँ"
मैं:"नहीं ऐसे ही"
अब मेरी सास ने मेरे पैरो पर क्रीम लगाना शुरू कर दिया था और अब धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़
रही थीं.
सास:"तो क्या मैं तुमको इतनी बूढ़ी लगती हूँ"
मैं:"नहीं ऐसा नही है, आप तो साना की बड़ी बहेन जैसी लगती हैं"
ये सुनकर मेरी सास खिलखिला कर हंस पड़ी.
सास:"हां कुछ लोग यही कहते है, अच्छा तुम थोड़ा उस जगह को करीब करो"
उस जगह से उनका मतलब मेरी चूत था.
मैने वैसा ही किया
मैं:"आपसे एक सवाल पून्छो"
सास:"हां एक क्यूँ हज़ार पूछो"
मैं:"अगर आप मुझे दोस्त समझती हैं तो ये 'उस जगह' के बदले आपने इसका नाम क्यूँ नही लिया"
सास:"मैने सोचा कि शायद तुमको मेरा ये लफ्ज़ इतेमाल करना ठीक ना लगे"
मैं:"आप मेरे सामने बिल्कुल दोस्त की तरहा बात कर सकती हैं"
सास:"अच्छा ठीक है तो अपनी चूत को मेरे करीब लाओ तो ज़रा"
मैं:"अब ठीक है"
सास:"वैसे तुम्हारी चूत एक दम गुलाबी है"
मैं अब इस मौके को जाने नही देना चाहती थी इसलिए मैने उनको थोड़ा और फ्री करना चाहा
मैं:"क्यूँ, आपकी किस रंग की है"
सास:"आम औरतो की तरहा"
अब मेरी सास मेरी चूत पर क्रीम लगा रही थीं
मैं:"तो गुलाबी चूत होने से क्या फ़ायदा होता है"
सास:"मर्दो को ये ज़्यादा अच्छी लगती है"
मैं:"आपको कैसे पता"
सास:"जवानी के टाइम पर तुम्हारे ससुर बहुत सारी किताबें लाते थे जिसमे नंगी लड़कियो की तस्वीर
होती थीं, तब ही वो मुझे ऐसा कहते थे"
मुझे शॉक सा लगा लेकिन मैने ऐसा ज़ाहिर नही किया.
मैं:"हां मर्दो को नंगी लड़किया बड़ी पसंद आती हैं, शौकत भी नंगी लड़कियो की कई पुरानी बुक्स
लाते थे और इनायत को आज कल सीडी लेकर आते हैं"
नंगी लड़कियो की पुरानी बुक्स के जुमले को सुनकर मेरी सास सन्न सी रह गयी
सास:"क्या कहा पुरानी किताब, वही जिसके आख़िरी पन्ने पर एक लड़की अपनी गान्ड मरवा रही है"
मैं थोड़ा हैरान रह गयी ये अल्फ़ाज़ अपनी पर्दे वाली सास के मूह से सुन कर लेकिन कंट्रोल करते हुए बोली.
मैं:"हां क्यूँ, क्या वो आपकी किताब है"
सास:""हां लेकिन हम दोनो को पता ही नही चला कि वो किताब कोई और भी देखता है.
मैं:"आज कल तो ये आम बात है अम्मी,इनायत तो यही सब देख कर मुझे भी वही करवाते हैं"
सास:"अच्छा,नया खून है धीरे धीरे ठंडा हो जाएगा"
मैं:"मुझे नहीं लगता"
सास:"बुढ़ापा आते आते सब ठंडे हो जाते हैं"
मेरी सास ने क्रीम लगाने के बहाने मेरी चूत के अंदर उंगली कर दी, शायद ये ग़लती से हुआ हो लेकिन
मैने जान बूझ कर आहह की आवाज़ निकाली.
सास:"क्या ज़्यादा दुख रही है तुम्हारी चूत"
मैं:"हां कल इनायत ने आते ही आते मेरी चूत मे अपना मूसल जैसा लंड पेल दिया"
सास:"अच्छा"
मैं:"हां, मेरी चूत एकदम सूखी थी इसीलिए रगड़ लग कर छिल सी गयी है"
सास:"कुछ दिन मना करो, ठीक हो जाएगी"
मैं:"मना कैसे करूँ, ये मानते कब हैं"
सास:"तो आज तुम मेरे पास सो जाना"
मैं:"ठीक है लेकिन इनका क्या, जहाँ मौका मिला मुझे चोद दिया"
सास:"ऐसी भी क्या बेसब्री है उसको"
मैं:"मैं ही जानती हूँ कि इनायत का मूसल जैसा लंड मैं अपनी चूत मे कैसे लेती हूँ,
शौकत का तो पतला और लंबा था,मुझे उसकी आदत सी लग गयी थी"
सास:"ठीक हो जाएगा, तुमको आदत हो जाएगी"
मैं:"नही मुझसे तो सबर नहीं होता, गधे की तरहा भी किसी का लंड होता है"
सास:"मेरी बच्ची घोड़े की तरहा भी होता है"
मैं:"आपने किसका देखा है घोड़े की तरहा"
सास:"तुम्हारे ससुर का"
मैं:"ना मुमकिन, इनायत से मोटा किसी का नही हो सकता, इस बात पर तो मैं शर्त लगा सकती हूँ"
सास:"अब तुम्हे कैसे यकीन दिलाऊ, मेरी चूत अब एक दरवाज़ा बन गयी है तुम्हारे ससुर का लॉडा लेते लेते
हाहहाहाः हहीहहे"
मैं:"अच्छा, आप ने तो बहुत बर्दास्त किया है,मुझे लगता है कि अब ये क्रीम धो देनी चाहिए काफ़ी
टाइम हो गया है"
सास:"हां, काफ़ी टाइम हो गया है, रूको मैं पानी डालती हूँ"
सास मेरे पैरो पर और चूत पर पानी डाल कर मेरी क्रीम धो रही थीं धीरे धीरे सब बाल सॉफ
हो गये थे और मेरी चूत जगमग जगमग हो रही थी,मेरी सास की नज़र मेरी चूत पर ही थी,
मैं:"क्या हुआ अम्मी, ऐसे क्या देख रही हैं कुछ गड़बड़ है क्या"
सास:"नही बस ऐसे ही"
मुझपर पानी डालने की वजह से उनकी सलवार भी गीली हो चुकी थी और उनके पैर नज़र आ रहे थे. मैने
सोचा लोहा गरम है मार दूं हथौड़ा
मैं:"अर्रे आपके कपड़े गीले हो गये हैं, आप मुझे नहलाएगी तो और भीग जायेंगे, आप भी नहा लो
मेरे साथ"
सास:"नही , मैं बाद मे नहा लूँगी"
मैं:"अगर आप शरमा रही हैं तो कोई बात नही, मुझे लगा हम लोग दोस्त हैं इसलिए मैने कहा"
ये सुनते ही मेरी सास ने अपनी कमीज़ उतार दी और एक झटके से अपनी सलवार भी उतार दी, मेरे लिए
तो जैसे बिन मागे बरसात सी हो गयी,वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थीं और उनके जिस्म पर एक बाल
भी ना था, मैं उनकी टाँगो के बीच मे बैठी उनकी चूत देख रही थी और उनकी चूत से रिस्ता सफेद
पानी. वो पूरी तरहा एकदम सिड्यूस्ड हो चुकी थीं, मेरी नज़रें अपनी चूत पर देख कर उन्होने पूंछ
ही लिया
सास:"क्या देख रही हो"
मैं:"यही कि साना आपकी फोटो कॉपी है, क्या शानदार फिगर है आपका, आप अभी भी क़यामत लगती हैं"
सास:"हहाहहाहा अच्छा"
मैं:"हां, एकदम क़यामत हैं आप, आपकी चूत को देखकर तो मेरी चूत भी पानी छोड़ने वाली है"
सास:"क्यूँ ऐसे क्यूँ कह रही हो"
मैं:"ना जाने क्यूँ मुझे आपकी चूत देख कर सनसनी सी हो रही है, मैने कभी किसी बड़ी औरत की चूत
नही देखी, उफ्फ क्या चीज़ हैं आप"
सास:"अच्छा बस भी करो झूठी तारीफ़"
मैं:"अब मुझे समझ आया कि ससुरजी क्यूँ आज भी आपके दीवाने हैं, आप माल ही कुछ ऐसा हो"
सास:"माल तो तुम हो,जवान तो तुम हो"
मैं:"किसी जवान लड़के ने आपका जिस्म देख लिया तो वो आपका गुलाम हो जाए, मुझे लगता है कि मुझे अपने
आप को उंगली के ज़रिए हल्का करना पड़ेगा"
सास:"ऐसा क्या हो गया मुझे देख कर तुमको"
ये कहकर मैं खड़ी हो गयी और अपनी सास की चूत पर उंगली फिराने लगी, मेरी इस हरकत की उनको उम्मीद
तो ना थी लेकिन उन्होने मेरी उंगली हटाई नही और सीईईईईईईईईईई अहह की आवाज़ उनके मूह से निकल पड़ी
मैं उनके एकदम करीब आ गयी थी और मैने उनके सीने पर अपने दोनो हाथ रख लिए थे और उन्हे दबाने
लगी. उन्होने भी मुझे नही रोका और बदले में वो मेरे सीने को दबाने लगी.
मैने अपने होंठ उनके होंठ पर रख दिए और उसके होंठ चूसने लगी, अब उन्होने मुझे रोकना चाहा
सास:"आरा ये ठीक नही है"
मैं:"अब पीछे मत जायें, कुछ ग़लत नही है"
ये कहकर मैने फिर से उनके होंठ चूसना शुरू कर दिए, अब उनकी तरफ से कोई रुकावट नहीं थी और मैं
जल्दी जल्दी उनकी चूत में उंगली डाल रही थी. अब मैने उनके होंठ को छोड़ दिया और उनके निपल्स
को चूसने लगी, उनको जैसे 440 वोल्ट्स का झटका सा लगा और उनके मूह से ज़ोर से हाआआआआआआआआआययययययययी
उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़, मर गाइिईईईईईईईईई अहह.
मैं लगातार उनके निपल को चूस रही थी और उनकी चूत मे उंगली कर रही थी.
उनकी आँखो में हवस भर गयी थी और वो पूरी तरह मेरे क़ब्ज़े में थीं.
मैं उनको ज़मीन पर लेटने को कहा, वो ना चाहते हुए भी ज़मीन पर लेट गयीं, अब मैने उनकी टाँगो के
बीच मे आकर उनकी चूत को चाटने लगी और अपने हाथो से उनके निपल्स को दबाने लगी.
वो लगातार अपने बड़े बड़े चूतड़ उछाल उछाल कर अपनी चूत मेरे मूह मे दे रही थी.
कुछ देर तक यही चलता रहा और अचानक उनका जिस्म अकड़ गया और उन्होने मेरा सर ज़ोर से पकड़ कर अपनी
चूत पर रोक लिया.
अब वो झाड़ रही थी. मैने झट से अपने होंठ फिर से उनके मूह पर रख दिए, पहले तो उन्होने मना किया
लेकिन फिर वो चूसने लगीं और मेरे बालो मे हाथ फिराने लगी. हम कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे
फिर मैने उनके उपर से उठ कर अपनी चूत को सहलाने लगी. मुझे वो कुछ देर तक देखती रहीं जैसे
नशे मे हों और फिर उन्होने वो किया जिसका मुझे कोई अंदाज़ा ना था.
उन्होने मेरी चूत पर मूह रखकर उसे चाटना शुरू कर दिया.
ज़िंदगी में कितनी लड़किया अपनी चूत चटवाती हैं? और उनमे से कितनी अपनी सास से चटवाती हैं?
ये मेरी जीत थी, मैने सोच लिया था कि इनायत का लंड अब अपनी सग़ी बहेन और सग़ी मा की चूत मे भी जाएगा.
मैं जल्द ही झाड़ गयी और मेरी सास ने भी मेरी तरहा चाटने के बाद मुझे किस किया.
हम दोनो ने दूसरे को नहलाया लेकिन इस दौरान हममे कोई बात नही हुई.
मैं तो अपने कपड़े लेकर आई थी और मैने वो पहेन लिए लेकिन मेरी सास नंगी ही आँगन में आई
और अपने कमरे में जाकर कपड़े पहन कर वापस आई.
हम कुछ देर तक धूप मे अपने बाल सुखाते रहे और फिर दोपहर के खाने के लिए मर्द लोग घर पर आगये
इस दौरान मेरी सास पहले की तरह पर्दे वाली औरत की तरहा रही और उन्होने मुझसे आँख मिलाना
ठीक नही समझा. मुझे खाना खाने के बाद नींद आ गयी और शाम को जब आँख खुली तो फिर एक बार
साना मेरे सामने थी, मुझे लगा कि अब साना को भी शीसे मे उतारने का वक़्त आ गया है.
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