RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
रात तो खाने के बाद मैं और इनायत रूम मे थे. इनायत कोई न्यूसपेपर पढ़ रहे थे कि मैने अपनी नाइटी उतार दी और उनके राइट मे नंगी लेट गयी, इनायत ने मेरी तरफ देखा और चौंक से गये और बोल पड़े
इनायत:"आरा, ये क्या है, दरवाज़ा तो लॉक कर दो, कोई आ गया तो क्या होगा"
मैं:"कौन आ सकता है"
इनायत:"साना आ जाए, या अम्मी आ जायें या हो सकता है कि अब्बू ही आ जायें"
मैं:"तुम्हारे अब्बू सो रहे हैं और अगर साना या तुम्हारी अम्मी आएगी तो क्या फ़र्क पड़ता है, उन्होने तो मुझे पहले ही नंगा देखा है"
इनायत:"क्या बात है आज बहोत मूड मे हो"
मैं:"बहोत दिन हो गये हैं, तुम तो वापिस आकर अपनी बुक्स मे खो जाते हो,शौकत भी ताबू की चूत मे घुसा रहता है तो कौन मर्द बाकी है घर में?"
इनायत:"अच्छा मेरी जान मैं खुद दरवाज़ा बंद कर लेता हूँ"
शौकत ने दरवाज़ा बंद करते ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरी टाँगो के बीच मे आकर मेरी चूत चाटने लगा.
मैं:"बेटा अपनी अम्मी की चूत को प्यार से चॅटो और धीरे धीरे"
इनायत मेरी तरफ देखा फिर वो वापिस अपनी लंबी ज़बान से मेरी चूत चाटने मे लग गया और फिर मेरी तरफ देख कर बोला
:"अच्छा मेरी प्यारी अम्मी, आज मैं आपकी ऊट चाट कर अपनो खूब मज़ा दूँगा"
इनायत काफ़ी देर कर मेरी बुर से ज़बान रगड़ता रहा फिर वो मुझ पर आकर लेट गया और हम किस करने लगे. अब वो मेरी बुर मे अपना लौडा पेलने के लिए तैय्यार था. उसने धीरे से अपने मूसल मेरे अंदर घुसाया. उसका मूसल अंदर जाते ही मेरी चूत मे धँस जाता था और मैं कसमसा कर रह जाती.
मैं:"इनायत मैं कुछ दिनो से तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ लेकिन वादा करो कि तुम एक मर्द की तरहा नही एक इंसान की तरहा इस बात को सुनोगे"
इनायत ने धक्के लगाना शुरू कर दिया था और मेरी चूत मे हलचल शुरू हो गयी थी, वो दोनो हाथो से मेरी बड़े बड़े चुचियों
को मसल रहा था.
इनायत:"आरा मैं तुम्हारा दोस्त भी हूँ ,मुझसे कुछ कहने के लिए तुम्हे वादे की ज़रूरत नहीं है"
मैं:"जानते हो जिस रात मेरी तबीयत ठीक नही थी, इस रात मैं तुम्हारी अम्मी के रूम मे सोई थी."
इनायत:"हां तो"
मैं:"तो रात को कराहने की आवाज़ आई जिससे मेरी आँख खुल गयी, कमरे मे 0 वॉट का बल्ब जल रहा था, मैने देखा की अम्मी अपनी सलवार के अंदर उंगली कर रही थीं, जैसे ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी तो वो चौंक पड़ी और उंगली निकाल ली, फिर उनकी आँखो मे आँसू आगये, मुझे बुरा लगा, मैने उनसे कहा कि आप शर्मिंदा ना हो, इसमे कोई हर्ज नही है तो उन्होने मुझे बताया की काफ़ी टाइम से उनके मिया उनसे सेक्स नही कर पा रहे हैं और जल्दी झाड़ जाते हैं जिसकी वजह से वो काफ़ी परेशान रहने लगी है, मुझे उनपर काफ़ी तरस आया, अगली सुबह उन्होने ही मुझे नहलाया, उनके कपड़े भीग गये थे तो मैने उनसे भी मेरे साथ नहाने के लिए कह दिया,उफ़फ्फ़ जब उन्होने अपने कपड़े उतारे तो मैं उनकी चूत देखती ही रह गयी,हम दोनो अपने उपर कंट्रोल खो बैठे,मैं और तुम्हारी अम्मी ने फिर एक दूसरे के जिस्म से अपनी हसरत को पूरा किया "
इनायत:"क्या, क्या कह रही हो?"
इनायत का लंड अब मेरी चूत से निकल चुका था और उसका मूह खुला हुआ था, वो मेरी तरफ बड़ी हैरत से देख रहा था.
मैं:"हां इनायत ये सच है"
इनायत: "मेरी माँ ये सब कभी नही कर सकती"
मैं:"मैं जानती हूँ इसका यकीन करना मुश्किल है, लेकिन तुम एक सेक्स से लिए तरसती औरत की बात भी कर रहे हो"
इनायत:"लेकिन फिर भी वो ऐसा कैसे कर सकती हैं, क्या उन्हे अपनी उमर और रिश्ते का ख़याल नही रहा"
मैं:"वाह मेरे शौहर, आख़िर आप मर्द की तरह बात करने ही लगे, खुद आप दिल मे अपनी सग़ी मा और बहेन के लिए जज़्बात रखते हैं और ये आपको बुरा नहीं लगता लेकिन एक औरत जिसके कुछ ख़ास ज़रूरतें भी होती है अगर वो अपने लिए कुछ करे तो आपको उमर और रिश्ता नज़र आने लगता है"
इनायत:"लेकिन आरा...."
मैं:"जाइए इनायत साहब सो जाइए, मुझे सोना है"
इनायत:"आरा सुनो तो, सॉरी मुझे लगता है मैं ओवर रिक्ट कर गया,,, "
मैं:"मुझे आपसे यही उम्मीद थी जनाब"
इनायत:"देखो हो सकता है कि अम्मी को बाद मे पछतावा हुआ हो अपने किए पर"
मैं:"हां हुआ था और वो शर्मिंदा भी थीं लेकिन मैने उनसे कहा कि इसमे शर्मिंदा होने को कोई ज़रूरत नहीं है, मैने उनसे कह
दिया है कि अगर मेरे ज़रिए उनकी कोई ज़रूरत पूरी हो रही है तो मैं इसके लिए तैय्यार हूँ"
इनायत:"तुमने ठीक किया"
मैं:"जानते हो मैने उन्हे ये बता दिया कि हम रोल प्ले करते हैं और ये भी कि तुम मुझे उनका रोल प्ले करने के लिए कहते हो"
इनायत:"आआर, क्या तुम्हारा दिमाग़ ठीक नहीं था उस वक़्त, तुमने मुझे शर्मिंदा कर दिया, अब मैने उनके सामने कैसे जाउन्गा"
मैं:"इनायत वो मेरी सास ही नही बल्कि मेरे सबसे अच्छी दोस्त भी हैं अब, तुम्हे ये याद रखना चाहिए, उनको पहले बहोत अटपटा सा लगा लेकिन फिर वो इसको क़ुबूल कर बैठी, उन्होने खुद कहा कि अकसर ऐसा होता है, लड़के अपनी मा से अट्रॅक्ट हो जाते हैं
, मैने ये भी बताया कि कैसे तुम उनके बारे में इमॅजिन करके एग्ज़ाइट हो जाते हो"
इनायत:"फिर"
मैं:"फिर क्या, उन्होने मुझसे पूछा कि उनमे ऐसा क्या है"
इनायत:"फिर"
मैं:"इनायत तुम नहीं जानते कि तुम्हारी मा कितनी खूबसूरत हैं, उनकी चूचियाँ, उनके चुतड और उनकी जांघे सब बड़े दिलकश हैं,मैने आज दोपहर ही जब घर में कोई नही था,उनके साथ तुम्हारा रोल प्ले किया, जब मैं उनकी दिलकश चूत चाट रही थी तो वो तुम्हारा नाम लेकर एग्ज़ाइटेड थीं"
इनायत के चेहरे पर ऐसे एमोशन थे जैसे किसी इंसान को किसी बड़े ख़ज़ाने का नक्शा मिल गया हो, वो मेरी तरफ किसी मूरत की तरहा देख रहे थे.
मैं:"इनायत, कर दो अपनी मा की ख्वाइश पूरी, वो ना जाने कब से एक लंड के लिए तरस रहीं हैं, मैने उनसे कहा था कि मैं इस बारे में तुमसे बात करूँगी,लेकिन वो ये मान ही नही पा रही थी कि तुम कभी इस बात के लिए राज़ी होगे, लेकिन
मैने उनसे वादा कर लिया कि मैं तुमको राज़ी कर के ही रहूंगी"
इनायत:"लेकिन ये कैसे हो पाएगा"
मैं:"उसकी फिकर तुम मत करो,आज शायद अब्बू को बुखार है और उनको डॉक्टर ने नींद की गोली दी है तो वो गहरी नींद मे सो रहे हैं
, मैं अम्मी को बुला लेती हूँ और फिर मैं अब्बू के कमरे मे चली जाउन्गि, पहरा देने को, तुम आज उनकी सारी हसरतें पूरी
कर लेना "
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