RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
फिर घर आकर उसने सरिता को ये सब बताया तो वो मुस्कराहट के साथ बोली- बेबी, ( शालू की चूत की तरफ़ इशारा करके) इसके लिए दुनिया में बहुत कुछ होता है। जब से तुम बरा पहन्ने लगी हो, तुम्हारे पापा भी तुम्हारी छतियों को घूरते रहते हैं, तुमने कभी ध्यान दिया? शालू- ( शर्माते हुए) हाँ, मैंने भी नोटिस किया है, पापा मेरी छातियों पर नज़र जमाते रहते हैं। सरिता- मैंने तो उनके पैंट में उभार भी देखा है, तुमको घूरते समय। शालू- तो क्या तुम पापा की पैंट की वो जगह को घूरते रहती हो? सरिता- ( मन ही मन में , मैं तो रोज़ उनसे चूदवा रही हूँ) हाहा, नहीं वो तो दिख ही जाता है, जब वो हिस्सा फूल जाता है। शालू- दीदी, क्या सच मैं तुमको लगता है कि, पापा मेरे साथ ऐसा कुछ कर सकते हैं? शालू- एक तरीक़ा है, पता करने का! शालू- क्या? सरिता- अभी तुम्हारे पापा आएँगे तो उनसे रूठना और जब वो मनायेंगे तो तुम उनके गोद में बैठ जाना, अगर उनके मन में कुछ नहीं होगा तो ठीक है, अगर उनके मे मन में तुम्हारे लिए चाहत होगी,तो तुमको उनका लंड चुभने लगेगा तुम्हारे चूतरों पर, बस समझ जाना की वो तुमसे क्या चाहते हैं,बोलो ट्राई करना है।
शालू- ठीक है दीदी, मैं भी आज जानकार ही रहूँगी की पापा के दिल में क्या है?
फ़ी वो दोनों राज के आने का इंतज़ार करने लगीं, सरिता ने ख दिया था, राज ke आते ही वो बाज़ार चली जाएगी ,ताकि वो दोनों अकेले रह सकें।
राज घर में घुसा और सरित से पानी माँगा।फिर पानी देकर सरिता ने कहा कि वो बाज़ार जा रही है, आधे घंटे में आएगी, कहते हुए उसने राज को आँख मारी। शालू दूसरे कमरे में थी और सरिता के जाने का इंतज़ार कर रही थी।शालू ने सरिता की ये हरकत नहीं देखी।उसके जाने के बाद राज अपने कमरे में गया और एक टी शर्ट और हाफ़ पैंट पहनकर वापस हॉल में आया।फिर उसने शालू को आवाज़ दी, बेटा कहाँ हो, आओ बताओ कैसा रहा आज का कॉलेज ?शालू आयी और धम्म से सोफ़े पर दूर हट कर बैठ गयी। फिर राज ने अपना प्रश्न दोहराया ।तब शालू बोली, ठीक था। उसका बुरा सा मुँह देखकर राज बोला- क्या बात है, आज हमारी गुड़िया का मूड ठीक नहीं है?
शालू- आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है? मैं जियूँ या मरूँ?
राज- अरे ये कैसी बातें कर रही हो? तुम तो मेरी जान हो! मैं तुम्हारे लिए ही तो जी रहा हूँ।
शालू- झूठ मत बोलिए पापा , आप मुझे बिलकुल प्यार नहीं करते हो! निलू और नेहा के पाप तो उनको बहुत प्यार करते हैं।वो उनको कितनी महँगी गिफ़्ट्स देते हैं, उनके पास महँगे फ़ोन हैं,स्कूटी हैं और बहुत गहने हैं, मेरे पास तो ये सब नहीं है ना।
राज- बेटा , अभी तुम्हें सिर्फ़ पढ़ायी में ध्यान देना चाहिए, और ये सब चीज़ें तो तुमने मुझसे कभी माँगी ही नहीं।वरना मेरा सब कुछ तो तुम्हारा ही है।मुझे तो बड़ी हैरानी हो रही है तुम्हारी बातों पर।
ऐसा कहते हुए वो उठे और शालू के पास जाकर बैठ गए और उसके कंधे सहलाते हुए बोके- बेटा मेरे जीवन का तुम ही आधार हो, मैं सिर्फ़ तुमसे ही प्यार करता हूँ।
फ़ी वो उसके गाल को चूम लिए, और उसके बालों पर हाथ फेरने लगे।
शालू- आज माँ होती तो मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता । कहते हुए उसके आँखों में आँसू आ गए।
राज भावुक हो उठा, उसने शालू को अपनी गोद में खींच लिया और प्यार से उसे अपने से लिपटाकर बोला- मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ, मैंने पूरी कोशिश की ताकि तुमको माँ की कमी ना महसूस हो। ऐसा कहते हुए वो उसक माथा गाल चूमने लगा। शालू भी उनसे चिपक गयी और उनको गले में चूमने लगी।फिर शालू ने अपना सर उठाया और पापा को बोली-- पापा आप मुझे सच में प्यार करते हो ना? राज ने उसको और ज़ोर से अपने से भींच लिया और कहा- हाँ बहुत।’फिर वो भी लिपटी हुई अपने पापा की छाती में समा गयी। तभी राज को अपनी छाती पर उसकी गोलाइयों का अहसास हुआ और वो थोड़ा सा सकपकाने लगा।शालू अभी कॉलेज से आयी थी, बस में गरमी की वजह से उसे पसीना भी आया हुआ था। फिर जब उसने अपने पापा की गर्दन से लिपटी तब उसकी बग़लों से पसीने की ख़ुशबू राज के सीधे नाक में ही घुसी। उसने उसकी स्लीव्लेस टी शर्ट से झाँक रहे बग़लों को देखा और वहाँ के छोटे बालों को देखा और उसने वहाँ अपनी नाक घुसेड़ दी। उसके बदन की ख़ुशबू ने राज को मस्त कर दिया, और उसका लंड इस अहसास से खड़ा होने लगा।उधर छातियों का दबाव और इधर ये मादक ख़ुशबू , राज अपना आपा खोने लगा ।तभी उसका हाथ शालू की जाँघ पर गया, उसकी चिकने मांसल बदन का वो सुखद स्पर्श उसे उत्तेजित कर दिया। अब उसका लंड पूरा खड़ा हो गया था, और शालू के चूतरों में वज़न से उसे बढ़ने की जगह नहीं मिल पा रही थी। उसने शालू को गोद से कमर पकड़ कर उठाया और फिर अपने खड़े लंड को अजस्ट किया जल्दी से , पर इसके पहले की वो शालू को अलग से बैठने के लिए बोल पता, शालू फिर से उसके गोद में बैठ गयी।और बैठते ही उसे अपने चूतरों पर लंड की चुभन का अहसास हुआ।दोनों चुप थे, राज शर्म से उसका लंड उसकी बेटी को चुभ रहा है और शालू ये सोचकर कि सरिता ने सच कहा था की उसके पापा उसको वैसे ही चोदना चाहते हैं, जैसे निलू और नेहा के पापा ने उनको चोदा था।अब शालू सोचने लगी की वो क्या करे? क्या पापा के साथ आगे बढ़े या यहीं रुक जाए।एक तरफ़ लंड की चुभन उसे मस्त कर रही थी, दूसरे तरफ़ रिश्तों का बंधन था।
तभी राज ने निलू के पीठ पर हाथ रखा और ब्रा की पट्टी पर उसका हाथ लगा और वो सिहर उठा, उसने हाथ नीचे किया तो उसकी चिकनी नरम कमर पर हाथ पहुँचा और वो उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा।अब उसका एक हाथ उसकी गदरायी जाँघों पर और दूसरा हाथ उसकी कमर पर घूम रहा था।फिर उसने निलू को बोला- बेटी, तुम्हें अभी भी लगता है कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता। निलू ने अपना मुँह उसकी छाती से ऊपर उठाया और उन दोनों की आँखें मिली।वो मुस्करायी और उसके पापा ने उसके माथे को चूम , फिर उसके दोनों गाल चूमे और फिर उसकी आँखो में देखते हुए धीरे से अपने होंठ उसके होंठ से सटा दिए। निलू ने मज़े से आँख बन्द कर ली और राज ने उसके होंठों को चूमते हुए चूसना शुरू किया। निलू काँप उठी, क़रीब ३ मिनट तक चूसने के बाद वो बोले , बेटा , जीभ निकालो । शालू ने आँखें खोले बग़ैर अपनी जीभ बाहर कर दी, राज उसे अपने मुँह में डालकर चूसने लगा। अब तो शालू के निपल्ज़ तन गए और उसकी चूत गीली होने लगी।फिर राज ने उसे उठाया और उसकी स्कर्ट को ऊपर किया और घुमाकर इस तरह गोद में बेठया की शालू की पीठ उसकी छाती पर थी और उसकी चूत चड्डी के ऊपर से उसके खड़े लंड को रगड़ रही थी।राज समझ गया था की अब शालू गरम हो चुकी है तो उसने अपना दोनों हाथ शालू की क़मर पर रख कर सहलाते हुए हाथों को ऊपर की तरफ़ ले जाने लगा।उसने ध्यान से देखा , शालू की आँखें बन्द थीं और वो मज़े ले रही थी। फिर हिम्मत करके उसने दोनों हथेलियाँ शालू की छातियों पर रख दींऔर उनको हल्के से दबाया और फिर ज़रा ज़ोर से दबाने लगा। शालू की मस्ती के मारे आह निकल गयी।वो बोली- आह पापा धीरे से , दुखता है। राज प्यार से उसकी गर्दन चूमने लगा और उसने दबाव कम कर दिया। फिर वो उसके निपल्ज़ को कपड़े के ऊपर से ही अंगूठे और उँगलियों से मसलने लगा। शालू मस्ती में आकर अपनी कमर हिलाकर अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ने लगी।और राज ने उसका मुँह घुमा कर उसके होंठों को चूसने लगा।शालू अपने चूत को रगड़ते हुई झड़ने लगी और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी। इधर राज भी बहुत उत्तेजित हो चुका था। और वो भी अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा और उसका लंड भी झड़ने लगा।फिर उसने ज़ोर से शालू को जकड़ लिया। फिर शालू बोली- पापा अपने मेरी चड्डी गीली कर दी, मुझे कपड़े बदलने है, सरिता भी आती होगी। ये कहकर वो खड़ी हो गयी, राज भी खड़ा हुआ और उसने फिर से शालू को बाहों में भर लिया और उसे चूमते हुए बोला- बेटी मज़ा आया? शालू शर्माकर हाँ कहते हुए उसके सीने में अपना मुँह छिपा लिया।राज ने उसके मदमस्त चूतरों पर हाथ फेरते हुए कहा,आज रात मैं तुम्हें असली मज़ा दूँगा और अब तुम मेरी बेटी के साथ ही मेरी बीवी भी बन जाओगी।ठीक है ना?और देखो ये तुम किसिको बताना नहीं। शालू ने हाँ में सर हिलाया और अपने कमरे में आकर बाथरूम में घुस गयी।तभी घंटी बजी और सरिता अंदर आयी और राज के पैंट का आगे का गीला हिस्सा देखकर हसने लगी, और बोली- तो बाप बेटी का काम शुरू हो गया ? राज ने चौंक कर कहा- अरे ये तो पानी गिर गया है। वो हँसते हुए पैंट के पास नाक लेकर आयी और शरारत से बोली- ये तो आपके वीर्य की ख़ुशबू है।हाहा और हँसती हुई किचन में चली गयी। राज अपने कमरे के बाथरूम में गया । सरिता शालू के कमरे में आंके बोली- बेबी मज़ा शुरू हो गया ना? शालू जाकर उससे लिपट गयी और हाँ में सर हिला दी।तब उसने शालू से कहा - बेबी आज तेरे पापा तेरे साथ सुहाग रात मनाएँगे और कल की छुट्टी ले ले क्योंकि कल तू चलने के क़ाबिल नहीं रहेगी।ऐसा कहते हुए उसने शालू की चूत को कपड़े के ऊपर से दबा दिया।फिर वो किचन में खाना बनाकर घर जाने के समय राज को बोली- बेबी को प्यार से चोदना , और आज की सुहाग रात के लिए मैं पहले से ही ये फूल लायी हूँ, क्योंकि मुझे पता था आज ये होगा ही।राज ने फूलों का पैकेट हाथ में पकड़ लिया, और उसको चूमकर धन्यवाद दिया।सरिता ने जाते जाते राज का लंड दबा दिया और बोली- मज़े लीजिए लेकिन आराम से , बेबी अभी छोटी है।
सरिता के जाने के बाद राज शालू का इंतज़ार करता रहा। थोड़ी देर बाद उसने आवाज़ देकर उसे खाना खाने को बुलाया।वो आकर टेबल पर बैठ गयी । फिर दोनों ने खाना खाया।दोनों के बीच में एक अजीब सी ख़ामोशी थी। खाने के बाद राज थोड़ा सा काम किया लैप्टॉप पर और शालू tv देखती रही। फिर राज आकर शालू के पास बैठ गया और उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला- बेटी, क्या सोच रही हो, अगर तुम्हें ये सब नहीं करना है , तो हम नहीं करेंगे।मैं तुम्हारी इच्छा का सम्मान करूँगा।मैं तो बस तुम्हें ख़ुश देखना चाहता हूँ । शालू उठकर पापा की गोद में आकर बैठ गई और बोली- पापा मैं आपको वो सुख देना चाहती हूँ जो मेरी माँ आपको देती थी। इतना सुनते ही राज का लंड झटके मारने लगा।वो बोला-बेटी, तो चलो आज हम सुहाग रात मनाते हैं।फिर वो उसको उठाकर अपने बेडरूम में ले गए और आलमारी से शालू की माँ की एक सुंदर लाल सारी निकल कर ब्लाउस और पेटी कोट , और कुछ ज़ेवर के साथ दिया और बोले , आज तुम अभी ये पहनो। वो हंस कर बोली, पापा मुझे तो साड़ी ठीक से पहननी नहीं आती, तो वो बोला- जैसी आती है वैसी पहन लो, और ४५मिनट में इस कमरे में आकर बैठ जाओ। मैं २ पान लेने जा रहा हूँ, ठीक ४५ मिनट के बाद यहाँ आऊँगा। ये कहकर वो मुस्कुराते हुए शालू को अपने कमरे में भेज दिए। गिर राज ने बिस्तर में सरिता के लाए हुए फूलों को बिस्तर पर फैलाया और अपनी बेटी की चूदाइ की सेज सजाई ।फिर उसने शॉवर लिया और कपड़े पहनकर तय्यार हुआ।फिर ।कमरे में सेंट छिड़क कर वो घर से बाहर चला गया और उसने २ पान बनवाया और एक फूलों का गज़रा लिया और घड़ी देख के समय पर वापस आ गया।
उधर शालू ने शॉवर लिया और जैसे तैसे साड़ी पहनी , माँ का ब्लाउस उसको ढीला था, और उसने सब गहने भी पहन लिए। मेक अप करके वो ख़ुद ही शर्मा गयी। फिर घड़ी देख के धड़कते हुए दिल से वो अपने पापा के कमरे में पहुँची ।कमरे की सजावट देखकर वो ख़ुश हो गयी, फिर उसने अपना घूँघट नीचे किया और अपने पापा का इंतज़ार करने लगी।
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