RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
उस रात आपने माँ के साथ ये किया था, वो हम सोने का नाटक करते हुए पूरा देखे थे।बाबूजी ने उसकी ब्रा खोल दी और उसके मस्त चूचियों को चूसते हुए बोले-वाह,ये तो हमें पता ही नहीं था,तो कैसी लगी थी हमारी चूदाइ?
सरिता- सीइइइइइ ,हाय बाबूजी बड़ा अच्छा लगा था, हमको तो मन किया था की माँ को हटाकर हम ही नीचे आ जाएँ आपके नीचे उस दिन।
बाबूजी बे उसकी पैंटी उतारी और बोले- हमने उस दिन तुम्हारी माँ को कैसे चोदा था,याद है तुम्हें?
सरिता की चूत में बाबूजी की एक ऊँगली अंदर बाहर हो रही थी, और वो उउइउउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बाबूजी, हाऽऽऽय्यय करके बोली- आप पहले माँ को सीधे लिटाकर किए थे, और ,
बाबूजी ने उसको टोकते हुए कहा-क्या किया था, साफ़ साफ़ बोलो बिटिया।
सरिता- ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आप चोदे थे माँ को,उउउइइइइइ!
बाबूजी ने उसकी clit को सहला दिया था।
बाबूजी-माँ भी ऐसे चिल्ला रही थी?
सरिता- नहीं हम लोग वहीं थे ना तो वो ज़्यादा नहीं चिल्लायीं पर जब आप उनको चौपाया बनाकर पीछे से किए, मतलब चोदे थे तब वो चिल्लाना नहीं रोक पायीं थीं।
बाबूजी मुस्कुराते हुए बोले- लेकिन हम तुमको बड़े प्यार से चोदेंगे,तुम्हारा पहला बार है ना।फिर बाबूजी ने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की,और वो मज़े से पागल हो गई।अब सरिता ने बाबूजी की लूँगी में हाथ डालकर उनका लंड पकड़कर सहलाने लगी।बाबूजी ने उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया और उसको ज़ोर से चाटने लगे।अब सरिता अपनी कमर उठाकर अपने बाबूजी के मुँह पर दबाने की कोशिश कर रही थी।फिर बाबूजी ने उसके चूतरों में नीचे दो तकिए रखे और उसकी उभर आइ चूत पर पास रखी क्रीम लगाई और और अपने लंड पर भी क्रीम लगाए और फिर उसकी चूत पर अपने लंड का सुपारा रखकर धीरे से दबाए।जैसे ही लंड चूत की झिल्ली के पास पहुँचा, बाबूजी ने थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया और सरिता के होंठों पर अपने होंठ रख दिए, इससे उसकी घटी हुई चीख़ की आवाज़ दब गई और लंड झिल्ली फाड़ते हुए अंदर घुस गया।फिर बाबूजी रुके और उसकी चूचियाँ चूसने लगे , थोड़ी देर में सरिता का दर्द काम हुआ और अब बाबूजी ने फिर से लंड निकालकर नीचे वापस पेल दिया, और इस बार उसको थोड़ा मज़ा आया और फिर बाबूजी ने चूदाइ का सिलसिला चालू किया।अब तो सरिता का भी दर्द काम हो गया था,और वो भी बाऊजी के चूचियाँ चूसने और लंड के धक्कों का मज़ा ले रही थी।अब उसके मुँह से मज़े की सिसकारियाँ ले रही थी, और जल्द ही अपनी कमर हिलाने लगी और बाबूजी के धक्कों का जवाब देने लगी,बाबूजी भी हैरान हो गए की पहली चूदाइ में ही ये एक्स्पर्ट की तरह चूदवा रही थी।वो समझ गए की ये मस्त रंडि की तरह चुदक्कड निकलेगी, ये सोचकर बाबूजी गरम हो गए,और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे।
फिर सरिता चिल्लाई , हाय बाबूजी मैं तो गाइइइइइइइइ आऽऽऽहहह उक्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ , और उसने पानी छोड़ दिया,
तभी बाबूजी भी ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जाऽऽन्न्न्न्न कहकर झड़ने लगे और अपना वीर्य अपनी बेटी की कुँवारी चूत में छोड़ दिए।फिर वो उसकी साइड में लेट गए।थोड़ी देर बाद जब वो दोनों सामान्य हुए तो सरिता उठी और उसने चादर में ख़ून देखा और फिर बाबूजी के लंड में भी ख़ून देखा और झुक कर अपनी चूत में हाथ लगाया और उसका हाथ भी वीर्य और ख़ून से लाल था।
वो बोली- बाबूजी देखिए, आपने मेरी चूत फाड़ दी।
वो मुस्कुराते हुए बोले - बेटी ये तो सब लड़कियों के साथ होता है।बधाई हो अब तुम औरत बन गई हो, कहकर उसको चूम लिए।फिर वो सरिता को लेकर बाथरूम में गए और मुतने लगे,सरिता उनको देख रही थी,फिर सरिता उनके कहने पर मुतने बैठी,वो ध्यान से उसकी चूत देख रहे थे।फिर सरिता को खड़े कर वो साबुन पानी से उसकी चूत को बड़े प्यार से धोए फिर उसको घूमाकर उसके चूतरों को भी धोए और उसकी गाँड़ के छेद और उसके आसपास की जगह को भी साफ़ किया।फिर तौलिए से गाँड़ को पोछा और फिर उसके गाँड़ के छेद को चूम लिया ,
सरिता बोली- छी बाबूजी वहाँ भी कोई चूमता है?
बाबूजी-अरे लड़की का जिस्म सब जगह चूमने लायक होता है।फिर वो जीभ से गाँड़ रगड़ने लगे।फिर उसको घूमकर उसकी चूत चूम लिए।वो पूरी लाल हो रही थी,वो बोले- बेटी इसने कुछ क्रीम लगा लेना,ज़्यादा ही लाल हो गई है।
सरिता- आपने इतनी बेरहमी से चोदा है, लाल तो होगी ही।बाबूजी- अरे कहाँ मैंने तो बहुत धीरे से चोदा है,पहली बार थोड़ा दुखता तो है ही।कल तक ठीक हो जाएगा सब दर्द।फिर खड़े होकर वो अपना लंड धोने के लिए पानी निकाले, तभी सरिता बोली-बाबूजी मैं धो देती हूँ, कहकर वो नीचे बैठ गयी,और उनके लंड और बॉल्ज़ में बड़े प्यार से साबुन लगा कर अछ्चि तरह से साफ़ किया।बाबूजी का लंड अपनी बेटी का इतना दूलार पाकर खड़ा होने लगा।
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