RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
सरिता ने अपनी ज़िंदगी मैं नरम लंड को पहली बार अपनी आँखों के सामने बड़ा और कड़ा होते हैरत से देख रहती थी।फिर बाबूजी ने उसको कहा-आह बेटी अब इसको प्यार नहीं करोगी।देखो कैसे तुम्हें देख रहा है?
सरिता का मुँह अपने आप ही खुल दिया और उसके सुपारे को चूमने लैविश्ट बहुत शीघ्र उसको मुँह में लेकर चूसने लगी।बाबूजी ने भी मस्ती से उसके मुँह को चोदने लगे।फिर थोड़ी देर बाद वो उसके मुँह से अपना लंड निकाल लिए और सरिता को बोले-चलो अब बिस्तर में चलते हैं, वहाँ मजे से लेटकर चूसना। फिर वो सरिता को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटाया और साथ में ही लेट गए,और उसको चूमने लगे और उसकी चुचि मसलने लगे,और निपल्ज़ को जीभ से दबाने लगे।फिर वो सरिता को बोले- चल बेटी,मैं लेट रहा हूँ और तुम अपनी कमर मेरे मुँह पर रखकर लेट जाओ। बाबूजी लेट गए और सरिता उनके ऊपर उलटा लेट गयी।सरिता ने फिर से उनका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।उधर बाबूजी ने सरिता की फटी हुई चूत को सामने देखा, फिर अपनी बेटी के चूतरों को चूमते हुए उसको फैलाया और उसकी दरार में अपना मुँह डाल दिए और उसकी गाँड़ चाटने लगे।सरिता मज़े से काँप उठी,और ज़ोर से लंड को चूसने लगी। उधर बाबूजी ने अपनी जीभ उसके चूत के दाने पर रख दी और उसको जीभ से रगड़ने लगे,सरिता मज़े से पागल होने लगी।और उधर बाबूजी उसके चूतरों को मसलते हुए उसकी चूत के दाने को रगड़ रहे थे जीभ से।थोड़ी देर में ही बाबूजी मज़े से अपना वीर्य उसके मुँह में छोड़ने लगे,और बोले- बेटी पी लो ये सब आऽऽहहहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पीइइइओ लोओओओओ ।और सरिता ने बाबूजी का पूरा रस पीने लगी।उधर बाबूजी की छेड़छाड़ से सरिता का भी पानी छूट गया और बाबूजी ने भी उसका पूरा पानी पी लिया।फिर वो उसको अपनी तरफ़ खिंच लिए और उसको प्यार से चूमने लगे।सरिता ने बाबूजी के सीने में अपना सर रख दिया, और दोनों सो गए।
सुबह उठकर बाबूजी ने अपनी प्यारी बेटी से बहुत प्यार किया ,उसको बहुत चूमा और बहुत देर तक उसके शरीर को अपने शरीर से लिपटा कर रखा,फिर उसके बालों को सहलाते हुए बोले- बेटी, अब भी चूत में दर्द हो रहा है क्या?
सरिता- हाँ बाबूजी, पर ज़्यादा नहीं। पर आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगी,मैं ठीक से शायद चल नहीं पाऊँगी।
बाबूजी- ठीक है, मत जाना, कोई बात नहीं। अच्छा बताओ रात को मज़ा आया ना, जानती हो तुम कल चूतरों को उठा उठा कर चूदवा रही थी,ऐसे चूदवाना तो तेरी मॉ क़रीब साल भर बाद सीखी थी,और तुम एक बार में ही सीख गयी।
सरिता- बाबूजी, हमने माँ को ऐसे ही कमर उठा उठा कर आपसे चूदवाते देखा था,उसी से सीखा था।
बाबूजी-लाओ बेटी, तुम्हारी चूत देख लेता हूँ,अब कैसी है, कल रात को तो एकदम लाल दिख रही थी। ऐसा कहते हुए बाबूजी उठे और उसकी जाँघों को फैलाकर उसकी चूत का निरीक्षण करने लगे। बाबूजी- बेटी, अब तो काफ़ी ठीक दिख रही है,लाली कम हो गयी है।फिर उन्होंने चूत की फाँकों को फैलाया और अंदर झाँका और कहा, बेटी अब कोई परेशानी नहीं होगी , आगे तुम बिन किसी परेशानी के चूदवा सकती हो।ऐसा कहकर वो उसकी चूत को चूम लेते हैं। फिर धीरे से उसकी चूत पर हाथ फेरा और फिर उठकर सरिता को बोले- चलो अब कपड़े पहन लो ,मॉ उठने वाली होगी। ख़ुद लूँगी पहनकर कमरे से बाहर चले गए।
सरिता को लँगड़ा के चलते देख माँ ने पूछा क्या हुआ, बेटी, ऐसे क्यों चल रही हो?
सरिता- माँ, वो बाथरूम में फिसल कर गिर गई थी। आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगी।
मॉ- चल ठीक है, आराम कर ले आज। बाबूजी तय्यार होके अपनी दुकान चले गए। दुकान में उसको बग़लवाले दुकान का मालिक उसका दोस्त श्याम दिखा।बाबूजी ( उनका नाम सुरेश है) श्याम से बातें करने लगे ,जबवो दोनों अकेले हो गए, तो वो श्याम से बोले- कविता कहाँ है?
श्याम- स्कूल गयी है, क्या बात है, उसकी बड़ी याद आ रही है?
बाबूजी- अरे कल से जबसे तुमने उसको नंगी दिखाया है , मन उसकी चूचियों, चूत और गाँड़ में अटक गया है। देखो कल का दृश्य याद करके लंड खड़ा हो गया, कहकर उन्होंने अपने पैंट के ऊपर लंड को दबा दिया।
श्याम- यार सुरेश,सरिता का कुछ हुआ क्या? या तुम उसको चोदने में एक साल लगा दोगे।
सुरेश(बाबूजी)- अरे यार कल रात काम हो गया, उसकी सील तोड़ दी, भाई।
श्याम बहुत ख़ुश होकर बोला- ये हुई ना ख़ुशख़बरी ,चलो अब इस माल का हम दोस्त लोग भी मज़ा लेंगे, है ना?
सुरेश- यार ये भी कोई पूछने वाली बात है,हम सब एक दूसरे की बेटियों और बहुओं के मज़े लेंगे। फिर दोनों अपने लंड मसलते हुए अपने काम में लग गए।
दोपहर को खाना खाने के समय सुरेश ने सरिता को फ़ोन किया, वो बोली- जी बाबूजी!कैसे हैं आप?
बाबूजी- बेटी भाई को बोल यहाँ आ जाए फिर मैं खाना खाने आऊँगा।
सरिता- जी बाबूजी, अभी भेजती हूँ।बाबूजी, आपको मेरी याद आयी क्या? मुझे तो हर समय आपकी याद आ रही है।
बाबूजी- क्या तुम्हारी चूत अब भी दुःख रही है?
सरिता- नहीं बाबूजी अब ठीक है।
बाबूजी- तो अभी गीली हो गई क्या चूदाने के लिए।
सरिता हँसते बोली- क्या माँ के सामने चोदेंगे?
बाबूजी- अरे माँ को कहीं भेज दो ना, अभी मस्त चूदाइ का मूड बन रहा है।
सरिता-बाबूजी आप भी ना, रात को कर लीजिएगा।
बाबूजी बेटे को दुकान में बैठकर घर जाते हैं, सरिता और उसकी माँ शीला उनको खाना खिलाती हैं।जब शीला किचन में जाती है, बाबूजी हाथ बढ़ाकर सरिता की छाती दबा देते हैं,और वो भी मस्ती में उनका लंड पैंट के ऊपर से दबा देती है।शीला के आते ही दोनों अपना हाथ हटा लेते हैं।शीला आकर बोलती है,मुझे मंदिर जाना है,बाबा का सत्संग है,२ घंटों में आ जाएँगे।बाबूजी और सरिता को मानो मन माँगी मुराद मिल गइ। शीला के जाने के बाद सरिता ने दरवाज़ा बंद किया और वापस आकर बाबूजी कि गोद में आकर बैठ गईं।बाबूजी ने उसको अपने से लिपटाकर कहा-हाय बेटी आज सुबह से तुमको याद करके लंड बार बार झटके के रहा है।कहते हुए बाबूजी सरिता के होंठ चूसने लगे।सरिता भी मज़े से उनके चुम्बन का जवाब देनी लगी।बाबूजी उसकी छातियों को बड़े मज़े से दबाने लगे।वो गरम हो गए और उनका लंड सरिता की गाँड़ में हुल्लअड़ कर रहा था।फिर बाबूजी बोले- बेटी, दो घंटों में हम क्या करेंगे, अकेले?
सरिता- भजन करेंगे।
बाबूजी- अरे वो तो तुम्हारी मा कर लेगी,बताओ ना हम क्या करेंगे?
सरिता-हम चूदाइ करेंगे, ठीक? यही सुनना था आपको?
बाबूजी- हाँ बेटी, अब चूत लंड और चूदाइ की बात तुम्हारे मुँह से सुनना अच्छा लगता है।कहते हुए उसकी कुर्ती उतार दिए और ब्रा के ऊपर से बाई उसकी मस्त चूचियों पर टूट पड़े,पहले दबाए और फिर उभारों के ब्रा के बाहर से चूचियाँ चूम रहे थे और उनका हाथ उसके पेट और नाभि को सहला रहे थे।फिर उन्होंने उसके पेट और नाभि को चूमा और चाटा।सलवार खोलकर बाबूजी सरिता की पैंटी में क़ैद चूत को देखे जा रहे थे, उसकी गदराई जाँघों को सहलाकर बहुत आनंद उठा रहे थे।तभी सरिता को घूमकर उसकी नितम्बों को पैंटी में देख वो बहुत उत्तेजित होकर उन गोल गोल मांसल चूतरों को दबा दबा कर उनकी थपकी लेने लगे।अब सरिता को गोद में उठाकर वो बेडरूम में लेज़ाकर बिस्तर पर लिटा दिया।फिर ख़ुद नंगा होकर अपने मस्त लंड को हाथ से मसलकर वो सरिता के ऊपर आ गए और उसकी ब्रा खोल दिए।अब वो उन अनारों पर अपना मुँह रखा दिए और उनको चूसने लगी, सरिता ने भी उनके मुँह को अपनी छाती पर दबा दिया।उनके दाँतों के बीच उसकी निपल्ज़ को लेकर वो सरिता को पागल कर रहे थे।फिर वो सरिता को बोले- आओ मेरे ऊपर आ जाओ और अपनी चूत को मेरे मुँह में रखकर बैठ जाओ , जैसे पेशाब करते हैं।वो शर्माकर खड़ी हुई,और अपनी पैंटी उतार दी और अपने बाबूजी के मुँह पर उकड़ूँ बैठ गई।अब बाबूजी ने उसकी चूत पर अपना मुँह डाल दिया।अब वो जीभ डालकर उसकी चूत चाटने लगे और फिर वो उसकी गाँड़ भी चूमने और चाटने लागे। अब सरिता की मज़े से बुरी हालत हो गई थी।वो अपनी कमर हिलाकर मज़ा ले रही थी।फिर बाबूजी ने उसको उलटा कर ६९ की पज़िशन में आ गई।अब वो लंड चूस रही थी और बाबूजी चूत चाट फ़ाहे थे।फिर थोड़ी सी बाद बाबूजी सरिता को ऊपर बैठकर अपना लंड अंदर करने को बोले,सरिता ने लंड पकड़कर अपनी चूत मेंकर लिया। फिर बाबूजी ने नीचे से धक्का मारा और लंड सरिता की टाइट चूत में पेल दिया।उधर सरिता भी ऊपर नीचे होकर लंड अंदर बाहर करने लगे।बाबूजी ने सरिता के बड़े अनारों को दबाते हुए उसको चूस भी रहे थे।थोड़ी देर बाद वो उसको नीचे ले आए और उसकी चूदाइ करने लगे।दस मिनट के बाद वो दोनों झड़ने लगे,और शांत होकर पड़े रहे।
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