RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
क़रीब दो साल पहले मेरी बीवी की प्लेन क्रैश में मृत्य हो गयी। ये बहुत बड़ा धक्का था मेरे और हमारी इकलौती बेटी नेहा के लिए।
मैं पहले काम में इतना व्यस्त रहता था कि कब नेहा बच्ची से जवान हो गयी मैंने इसका ध्यान ही नहीं दिया। अब मैंने नेहा का ख़ास ख़याल रखना शुरू किया ताकि उसे अपनी माँकी कमी ना खले। सब कुछ बढ़िया चलने लगा शुरुआती धक्के के बाद, और मैं थोड़ा जल्दी घर आ जाता ताकि नेहा को अकेलापन ना लगे।
मेरे दिल मेंकभी भी नेहा के बारे मेंकोई सेक्सी ख़याल नहीं आया और मैं रॉयल होटेल मेंएक या दो बार आकर अपनी प्यास मस्त जवानियों के साथ बुझा लेता था।
मैंने नेहा को इशारों में समझाया था कि उसे अपनी जवानी का ख़याल रखना होगा क्योंकि कई नौजवान लड़के कुँवारी लड़कियों को फँसाकर उनकी जवानी बरबाद कर देते हैं।
वो समझदार लड़की थी, उसने मुझे आश्वासन दिया किऐसा उसके साथ नहीं होगा।
एक बार तो मैंने यहाँ तक कह दिया था कि बिना कॉंडम के उसे किसी लड़के के साथ सेक्स नहीं करना है।वो शर्माकर भाग गयी थी। मुझे लगा कि मैंने अपनी बेटी को सही राह दिखायी है।
नेहा कपड़े भी काफ़ी सामान्य पहनती थी जैसे जींस टॉप या स्कर्ट और घर में तो वो सलवार कुर्ता भी पहनती थी।
वो कई बार ख़ुशी के पलों में मेरे गले भी लगती थी और दुःख के पलों मेंमेरी गोद में बैठकर रोती भी थी, पर मेरे मन में कभी ग़लत ख़याल नहीं आया।
उस दिन होली थी,मैंने उसे पहले से बता दिया था कि अपने आसपास की सोसायटी में ही होली खेले और दूर ना जाए और लड़कों से दूर रहे क्योंकि ऐसे समय मेंलड़के जवान लड़कियों का फ़ायदा उठाते हैं।
उसने हाँ मेंसर हिलाया और होली खेलने चली गई।
थोड़ी देर बाद मेरे कुछ दोस्त आए और हमने होली खेली और सबने बीयर पी और फिर वो चले गए।मैंने भी दो बोतल चढ़ा रखी थी और बालकनी से नीचे झाँकने लगा। मैंने देखा कि नीचे कई लड़कियाँ होली खेल रही थीं। मैं उनमें से नेहा को पहचान ही नहीं पा रहा था।सबके चेहरे ऐसे रंगे हुए थे। सब लड़कियाँ बड़े उत्साह से होली खेल रही थीं।
तभी मैंने देखा कि दूसरी तरफ़ से लड़कों का एक झुंड जिसने ५/६ लड़के थे, इनकी तरफ़ आने लगा, जबतक लड़कियाँ सम्भल पाती वो इन तक पहुँच चुके थे। अब लड़कियों ने भागने की कोशिश की पर लड़कों ने उन्हें पकड़कर रंग लगाना शुरू कर दिया। मैंने साफ़ साफ़ देखा कि वो रंग लगाते हुए उनकी चूचियाँ दबा रहे थे और जो लड़कियाँ स्कर्ट पहने थींउनकी स्कर्ट उठाकर उनके नीचे के हिस्से को भी सहला रहे थे। सभी लड़कियों के पिछवाड़े को भी रंग लगाने के बहाने से उन्होंने बहुत दबाया। कुछ लड़कियाँ तो मज़े ले रही थीं और लड़कों के भी गाल और उनकी छाती ओर भी रंग लगा रही थी, और कुछ बचने के कोशिश कर रहीं थीं।इतने ऊपर से मैं साफ़ साफ़ नहीं समझ पाया कि नेहा उन्में से कौन है!लड़कों की मस्ती देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था, कुछ बीयर की भी मस्ती थी।
तभी कुछ आदमी वहाँ आ गए और उन्होंने लड़कों को डाँटकर भगाया और लड़कियाँ वहाँ से भाग गयीं।
क़रीब पाँच मिनट के बाद नेहा अंदर आयी और उसकी साँस फूल रही थी और उसकी छातियाँ उसके टॉप मेंऊपर नीचे हो रही थीं।तभी मैंने देखा कि नेहा ने स्कर्ट ही पहनी हुई थी।इसका मतलब था किउसके निचले हिस्से में भी हमला किया था उन लड़कों ने। पता नहीं मेरा लंड और भी कड़ा हो गया ये सोचकर किनेहा के साथ ये सब हुआ।
नेहा नर्वस सी होकर अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने उसे टोकते हुए पूछा: क्या बात है बेटी, इतनी घबरायी हुई क्यों हो?
नेहा: कककुछ नहीं पापा, बस थक गयी हूँ।
मैं: बेटी तुम्हारी साँस क्यों फूल रही है?
नेहा ने अपने हाथ खुजाते हुए कहा: बस ऐसे ही पापा, कोई ख़ास बात नहीं। फिर वो अपना दूसरा हाथ भी खुजाने लगी।
मैं: बेटी, लड़कों ने तंग तो नहीं किया?
वो चौंकते हुए: पापा कुछ आए थे ज़बरदस्ती होली खेलने पर अंकल लोग आ गए और हम बच गए।
वो आधा सच और आधा झूठ बोल गयी। और अब वो अपना पेट भी खुजाने लगी। अब उसके हाथ नीचे झुके और अपने घुटने के नीचे के पैर खुजाने लगी।
मैं: क्या बात है बेटा। क्या हुआ? ऐसे खुजा क्यों रही हो?
नेहा: पता नहीं पापा, पूरे शरीर में खुजली हो रही है।
मैं परेशान हो कर उसका हाथ देखा तो वहाँ लाल लाल से चकत्ते या मोटे दाने सरीखे बन गए थे।फिर मैंने उसके पैर और पेट का हिस्सा देखा तो वहाँ भी वैसे ही लाल निशान थे।
मैं: बेटा तुमको ज़बरदस्त एलर्जी हो गयी है किसी रंग की क्योंकि उसने रसायन होते हैं।
अब वो अपनी जाँघें भी खुजाने लगी और अपनी छातियों के निचले हिस्से को भी खुजा रही थी।
मैंने अपने डॉक्टर दोस्त को फ़ोन लगाया और नेहा की अलर्जी के बारे में बताया तो उसने कहा कि मेरे घर से दवाई ले जाओ। उसका घर पास ही के ब्लाक में था, मैं भागकर गया और गोली और मलहम में आया।
सबसे पहले मैंने उसे गोली खिलायी और फिर उसको कहा की चलो मलहम लगा लो।
वो खुजा खुजा कर बहुत लस्त हो चुकी थी और रोने लगी थी। मैंने उसे प्यार किया और उसके हाथ में जहाँ जहाँ दाने से थे वहाँ मलहम लगाया।
वो बोली: आह पापा अच्छा लग रहा है, मलहम से आराम आ रहा है।
मैंने हाथ मेंलगाने के बाद देखा किवो पीठ खुजा रही थी और उसका हाथ भी नहीं जा पा रहा था। और उसकी छातियाँ भी बाहर की ओर तन गयीं थीं। मेरे लंड ने फिर झटका मारा। मुझे अपने ऊपर शर्म आयी किमेरी बेटी इतनी परेशान है और यहाँ मेरे मन में कुविचार आ रहे हैं।
मैं: बेटा क्या पीठ मेंज़्यादा खुजा रहा है? कहते हुए मैंने भी उसकी पीठ खुजा दी।
नेहा: हाँ पापा अच्छा लग रहा है और खुजाओ।
मैं: बेटा खुजाने से फिर लाल दाने हो जाएँगे तुम मलहम लगवा लो।
नेहा: जी पापा लगा दीजिए।
मैं: बेटा थोड़ा टॉप उठाओ ना, तभी तो मलहम लगा पाउँगा।
नेहा ने टॉप उठाया और मेरे सामने उसकी ब्रा की स्ट्रैप थी।
मैंने उसके पीठ पर लाल दानों पर मलहम लगाया और फिर ब्रा के स्ट्रैप को उठाकर उसके नीचे के जगह मेंभी दवाई लगाया।
नेहा: हाय पापा सच बहुत आराम मिल रहा है।
तभी वो जाँघें और कमर खुजाने लगी।
मैंने उसको लेट जाने को बोला ताकि मैं सब जगह अच्छी तरह से दवाई लगा सकूँ। वह जल्दी से इधर उधर खुजाते हुए लेट गयी। बेचारी बहुत परेशान थी।
अब मैंने उसका टॉप उठाया और पूरा पेट नंगा करके दानोंपर दवाई लगाया। उसकी ब्रा दिख रही थी और मुझे अच्छा सा लग रहा था।
अब मैंने उसके पैरों मेंदवाई लगाई और फिर वो जाँघ खुजाने लगी तो मैंने उसका स्कर्ट ऊपर किया और उसकी पैंटी तक दिखने लगी। उसकी गदरायी और मुलायम जाँघों पर दवाई लगाते हुए मेरी नज़र उसकी पैंटी पर पड़ी।
मैंने देखा किउसकी पैंटी भी रंगी हुई है, और जाँघों का ऊपरी हिस्सा जोकि पैंटी में समा रहा था भी रंगा हुआ था।
इसका मतलब साफ़ था कि लड़कों ने उसकी पैंटी और उसके चूतपर भी रंग डाला है। अब मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैंने पूछा: अरे बेटी, ये क्या? तुम्हारी पैंटी भी रंगी हुई है! यहाँ किसने रंग लगा दिया?
नेहा सकपका कर बोली: पापा वो वो ऐसे ही लग गया होगा और उसने स्कर्ट नीचे करने की कोशिश की।
अब मैंने उसको उलटा होने को बोला और वो पलट गयी।
अब मैंने उसका टॉप उठाया और पीठ पर जहाँ बचा हुआ था, वहाँ भी दवाई लगा दी। फिर उसकी चिकनी कमर और फिर उसकी जाँघों पर भी दवाई लगाया। अब मैंने उसके स्कर्ट को ऊपर उठाया और उसके गोल गिल नितम्बों के देखकर मेरा लंड झटके मारने लगा।
मैंने कहा: बेटा, तुम्हारी पैंटी बहुत बड़ी है, मैं इसको नीचे खिसकाकर दवाई लगा देता हूँ, वरना कुछ जगह छूट जाएगी।
उसने कहा: जी पापा मेरे बम में भी खुजा रहा है।
मैंने उसकी पैंटी नीचे की और वो भी कमर उठाकर मेरा साथ दी।
अब उसके गोल मोटे नितम्ब मेरे सामने पूरे नंगे थे। मैं तो उनकी सुंदरता ही देखते रह गया।अब मैंने अपने लंड को अजस्ट किया और उसके मस्त चिकने चूतरों पर दवाई लगाने लगा। फिर मैंने उत्तेजित होकर उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ को देखकर मस्त ही गया और उसकी दरार में कहीं कहीं ऐसे ही दवाई लगाने के बहाने सहलाना जारी रखा और फिर उसकी गाँड़ के छेद पर भी उँगलियाँ फेरकर मस्त हो गया । आह क्या चिकना हिस्सा था, बस थोड़े से बाल यहाँ वहाँ दिख रहे थे। जैसे ही मैंने अपनी उँगलियाँ गाँड़ पर फेरी वह आह पापा कर उठी।
अब मैं पूरी तरह से वासना से बात गया था,मैंने उसको पलटा और कहा: बेटी यहाँ भी खुजा रहा है क्या? मेरा इशारा उसकी छातियों की ओर था।
नेहा: जी पापा बहुत खुजा रहा है। और उसने अपनी छातियों के आसपास खुजाया।
मैं: चलो बेटा, टॉप उतार दो तो मैं वहाँ भी लगा दूँ।
नेहा बोली: पापा मुझे शर्म आएगी।
मैं: बेटा, इसने शर्म की क्या बात है, चलो टॉप उतारो। ऐसा कहते हुए मैंने उसका टॉप उतारने का प्रयास किया और वो उठके इसमें मेरी मदद की। जैसे ही टॉप उतरा उसका ब्रा में क़ैद दूधिया बदन जैसे बिजली गिराने लगा। अब मैंने उसके गले, कंधों और छाती के ऊपर से दवाई लगाने लगा। वह अब थोड़ी उत्तेजित सी दिख रही थी।
मैं बोला: बेटा ये तुम्हारी ब्रा खोल दो ताकि यहाँ भी दवाई लग जाए।
वो अपनी आँख झुका के उठ गयी और मैंने उसकी ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया।वो फिर लेट गयी। मैंने उसके ब्रा को एक तरफ़ किया और मेरा लंड टूटनेकी कगार पर आ गया। आह क्या मस्त गोल गोल छातियाँ थीं जो बिलकुल सख़्त अनार जैसे दिख रही थीं।उसके निपल्ज़ अभी पूरे बने नहीं थे। मैंने अपने हाथ मेंदवाई ली और उसके छातियों पर लगाने के बहाने उनको हल्के से दबाने लगा। नेहा की आह आह निकल रही थी।अब मैंने कुछ ज़्यादा ही देर उसकी छातियाँ दबायीं। वो भी मज़े से और शर्म से आँखें बन्दकरके मज़ा के रही थी।अब मैंने उसकी घुण्डियों में दवाई लगाने के बहाने उनको मसलना शुरू किया तो वो अपनी जाँघें भींचकर आह हाय करते हुए मज़े से मस्त हो गयी। फिर मैंने कहा: बेटा,अब और कहीं तो नहीं खुजा रहा?
वो बोली: पापा बहुत आराम है।
मैं: बेटा यहाँ दवाई नहीं लगवाओगी? मैंने उसकी चूत की तरफ़ इशारा करके कहा।
नेहा: पापा वहाँ मुझे शर्म आएगी। मगर खुजा तो वहाँ भी रहा है।
मैं: बेटा, शर्माने का क्या है इसमें, मैंने तो तुमको कई बार नंगी देखा है।
नेहा: पापा तब मैं बच्ची थी।
मैं:अरे अब भी तुम मेरी बच्ची ही हो।
फिर मैंने उसका स्कर्ट ऊपर किया और देखा कि इतनी देर में मेरी छेड़खानी से वो उसकी पैंटी गीली हो गयी थी। मैंने उसकी पैंटी नीचे की और उसने भी कमर उठाकर मेरी मदद की।
अब मैंने उसकी चूतको देखा और पाया किवहाँ भी रंग लगा था।
मैं: अरे लगता है कि लड़कों ने तुम्हारी पैंटी मेंहाथ डालकर तुम्हारी चूत में भी रंग लगा दिया।
वो हैरानी से बोली: छी पापा आप कैसे शब्द बोल रहे हैं?
मैंने उसकी चूतपर हाथ फेरा और बोला: बेटी, चूत को चूतही बोलेंगे ना, यही इसका नाम है। हाँ तुम सच बोली कितुम अब बच्ची नहीं रही, देखो कितने नरम नरम से बाल उग गए हैं यहाँ पर।
मेरे द्वारा चूतसहलाने के बाद वो अब बहुत गरम हो गयी थी और कमर हिलाके हाय्य्य्य्य्य हाय्य्य्य्य कर रही थी।
मैंने भी अब अपना असली रूप दिखाया और उसकी चूतके दाने को मसलते हुए उसकी चुचिदबाने लगा और वो अपनी चूतउछालकर मेरी उँगलियो पर उसको रगड़ने लगी और हाय्य्य्य्य्यू पाऽऽऽऽऽऽप्प्प्प्पा मुझे कुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह होओओओओओओ राह्ह्ह्ह्ह्ह्हा है हाय्य्य्य्य्य कहते हुए मेरी हाथ मेंझड़ने लगी। बहुत ही तगड़ा ऑर्गैज़म था उसका।
इस तरह अपनी बेटी को मैंने जवानी का पहला पाठ पढ़ाया।
राज का लंड राजेश की बातों से खड़ा हो गया था। फिर दोनों खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद राज ने कहा: यार आगे का भी बताओ ना किकैसे चोदा उसको पहली बार?
राजेश फिर से बताने लगा::::
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