RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं बाथरूम से चेंज करके और फ्रेश हो कर बाहर निकला तो ज़ुबैर दोबारा अपनी किताबों में खोया हुआ था। मैंने भी उससे तंग करना मुनासिब ना समझा और चुपचाप बिस्तर पर आकर लेट गया और बाजी की आज सुबह वाली हरकत को सोच कर उनका इन्तजार करने लगा।
रात के 2 बजे तक मैं बाजी का इन्तजार करता रहा.. लेकिन वो नहीं आईं तो मैंने ज़ुबैर को कहा- चलो बस ज़ुबैर.. अब सो जाओ.. सुबह स्कूल भी जाना है तुमने..
मैंने खुद भी आँखें बंद कर लीं।
मेरी गहरी नींद टूटी और मैंने ज़बरदस्ती आँखें खोल कर देखा.. तो धुँधला-धुँधला सा साया सा नज़र आया.. जो मेरे कंधे को हिला रहा था।
कुछ मज़ीद सेकेंड के बाद मेरी आँखें सही तरह खुल पाईं और मेरे कानों में दबी-दबी सी आवाज़ आई- अब उठ भी जाओ ना.. वसीम..
मेरी आँखों के सामने से धुँध हटी.. तो पता चला कि बाजी बिस्तर पर ही बैठीं मुझे उठा रही थीं.. मैंने आँखों को मुकम्मल खोलते हुए कहा- क्या हो गया है बाजी? क्या टाइम हो रहा है?
‘साढ़े तीन हुए हैं.. कैसे घोड़े बेच कर सोते हो.. कब से उठा रही हूँ तुम्हें।’
मैंने दोबारा आँखें बंद करते हो गुस्सा दिखा कर कहा- तो अब क्यों आई हो.. मेरा मूड नहीं है अब.. जाओ जा कर सो जाओ..
‘आई एम सॉरी ना.. वसीम प्लीज़.. 3 बजे तक हनी पढ़ाई करती रही है.. वो सोई है.. तो मैं आई हूँ।’
‘इतना इन्तजार करवाया है.. सारा मूड खराब हो गया है.. अब सोने दो मुझे..’
बाजी दबी आवाज़ में शरारत से हँस कर बोलीं- ओह्ह.. मेरा सोहना भाई.. फिर नाराज़ हो गया है मुझसे.. देखो मुझे तुम्हारा कितना ख़याल है.. मैं इतना लेट भी आ गई हूँ।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. तो बाजी बोलीं- मुझे पता है मेरे सोहने भाई का मूड कैसे ठीक होगा।
यह कह कर बाजी उठीं और मेरी टाँगों के बीच बैठ कर मेरे ट्राउज़र को नीचे खींचा और मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया।
मैंने अपना लण्ड बाजी के हाथों में महसूस किया.. तो मेरी आँखें खुद बा खुद ही खुल गईं और पहली नज़र ही बाजी के चेहरे पर पड़ी। बाजी मेरी टाँगों के बीच में बैठी थीं.. मेरा लण्ड उनके हाथ में था और उनके मुँह से बमुश्किल एक इंच की दूरी पर होने की वजह से बाजी की गरम सांसें मेरे लण्ड में जान भर रही थीं।
मेरा लंड बाजी के मुँह में
मेरी नज़र बाजी से मिली.. तो उन्होंने मुझे आँख मारी और मेरे लण्ड को अपने मुँह में डाल लिया.. मेरे मुँह से एक तेज ‘आह..’ निकली और मैंने बेसाख्ता ही ज़ुबैर की तरफ देखा.. जो बिस्तर के दूसरे कोने पर उल्टा पड़ा सो रहा था।
बाजी ने मेरी नजरों को ज़ुबैर की तरफ महसूस करके मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाला और बोलीं- सोने दो उसे.. मत उठाओ.. वैसे भी अभी उसके सिर पर ढोल भी बजाओगे.. तो वो सोता ही रहेगा।
अपनी बात कह कर बाजी ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और मेरे लण्ड को चारों तरफ से चाटने लगीं। मेरा लण्ड तो बाजी के हाथ में आते ही खड़ा होने लगा था और अब बाजी की ज़ुबान ने उस पर ऐसा जादू चलाया कि वो कुछ ही सेकेंड में अपने जोबन पर आ चुका था।
बाजी ने पूरे लण्ड को अपने मुँह में लेने की कोशिश की… लेकिन जड़ तक मुँह में दाखिल ना कर सकीं.. तो लण्ड को मुँह से बाहर निकाला और बोलीं- आज तो रॉकेट कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है और फूला हुआ भी बहुत है।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- बाजी इसको बड़ा कह रही हो.. ये तो सिर्फ़ 6. 5 इंच है.. मूवीज में नहीं देखे.. कितने बड़े-बड़े और मोटे-मोटे होते हैं।
बाजी हैरतजदा सी आवाज़ में बोलीं- हाँ यार और मैं सोचती हूँ कि वो औरतें कैसे इतने बड़े-बड़े लण्ड अपने मुँह में और चूत में ले लेती हैं।
मैंने बाजी को आँख मारी और शरारत से बोला- मेरी बहना जी.. बोलो तो मैं सिखा देता हूँ कि लण्ड कैसे लिया जाता है चूत में।
‘बकवास मत करो.. बस ख्वाब ही देखते रहो.. ऐसा कभी नहीं होगा।
और फिर शरारत से बोलीं- वैसे सुबह मौका था तुम्हारे पास.. लेकिन तुमने ज़ाया कर लिया।
ये कह कर वो खिलखिला कर हँस पड़ीं।
मैंने डरने की एक्टिंग करते हुए कहा- ना बाबा ना.. ऐसे मौके से तो दूर ही रखो.. तुम्हारा क्या भरोसा.. कल बाहर सड़क पर ही खड़ी हो जाओ और बोलो कि मुझे चोदो यहाँ।
बाजी ने मेरे लण्ड पर अपने हाथ को चलाते-चलाते सोचने की एक्टिंग की और आँखों को छत की तरफ उठा कर बोलीं- उम्म्म्म.. वैसे यार वसीम, यह ख्याल भी बुरा नहीं है.. बाहर रोड पर ये करने में मज़ा बहुत आएगा।
हम दोनों पूरे नंगे हो गए
यह कह कर बाजी ने मेरे लण्ड को छोड़ा और हँसते हुए अपनी क़मीज़ उतारने लगीं।
मैं बाजी की बात सुन कर हैरत से सोचने लगा कि यह मेरी वो ही बहन है.. जो कल तक किसी गैर मर्द के सामने भी नहीं जाती थी और आज कितनी बेबाक़ी से सड़क पर चुदवाने की बात बोल रही है।
बाजी ने अपनी क़मीज़ और सलवार उतारने के बाद मेरा ट्राउज़र भी खींच कर उतारा और मेरे लण्ड पर झुकती हुई बोलीं- चलो शर्ट उतारो अपनी..
बहन ने भाई का लंड चूसा
उन्होंने मेरे लण्ड को फिर से अपने मुँह में डाल लिया।
मैंने थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपनी शर्ट उतार कर साइड में फेंकी और दोबारा लेट कर बाजी के सिर पर अपने हाथ रख दिए।
बाजी मेरे आधे लण्ड को मुँह में डाल कर चूस रही थीं और थोड़ी-थोड़ी देर बाद ज़रा ज़ोर लगा कर लण्ड को और ज्यादा अन्दर लेने की कोशिश करती थीं।
मैं ज़ोरदार ‘आह..’ के साथ बाजी के सिर को नीचे दबा ले रहा था।
ये मेरी ज़िंदगी के चंद बेहतरीन दिन थे.. जब मेरा लण्ड मेरी बड़ी बहन मेरी.. इंतिहाई हसीन बहन के नर्मो-नाज़ुक होंठों में दबा हुए था.. तो मैं अपने आपको दुनिया का खुश क़िस्मततरीन इंसान महसूस कर रहा था।
बाजी ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था और तेज-तेज अपनी चूत को रगड़ते हुए ज़रा तेज़ी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया था।
उनके लण्ड चूसने का अंदाज़ वो ही था कि बाजी अपने मुँह से लण्ड बाहर लाते हुए अपनी पूरी ताक़त से लण्ड को अन्दर की तरफ खींचती.. तो उनके गाल पिचक कर अन्दर चले जाते थे।
बाजी तेजी से लण्ड को अन्दर-बाहर करतीं और हर झटके पर उनकी कोशिश यही होती कि उनके होंठ मेरे लण्ड की जड़ पर टच हो जाएँ।
मैंने अपने हाथ बाजी के सिर से हटा कर उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और लज़्ज़त में डूबी आवाज़ में कहा- बाजी अपने सिर को ऐसे ही रोक लो.. मैं करता हूँ।
मैंने ये कहा और बाजी के चेहरे को ज़रा मज़बूती से थाम कर अपनी गाण्ड को झटका देकर बाजी के मुँह में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा.. मुझे इस तरह झटका मारने में ज़रा मुश्किल हो रही थी लेकिन एक नया मज़ा मिल रहा था।
नया अहसास था कि मैं अपनी बहन के मुँह को चोद रहा हूँ। इस तरह झटका मारने से हर झटके में ही मेरे लण्ड की नोक बाजी के हलक़ को छू जाती थी।
ऐसे ही झटके मारते-मारते मेरा ऑर्गज़म बिल्ड हुआ तो मैंने अपने कूल्हे एक झटके से बिस्तर पर गिरते हुए बाजी के मुँह को भी ऊपर की तरफ झटका दिया और मेरा लण्ड ‘फुच्च..’ की एक तेज आवाज़ के साथ बाजी के मुँह से बाहर निकल आया।
69
मैंने बाजी को छोड़ा और अपना सिर पीछे गिरा कर लंबी-लंबी साँसें लेकर अपनी हालत को कंट्रोल किया और फिर बाजी से कहा- उठो यहाँ मेरे पास आओ।
बाजी मेरी टाँगों के बीच से उठ कर मेरे मुँह के पास आईं और बिस्तर पर बैठने ही लगी थीं कि मैंने अपना हाथ उनके कूल्हों के नीचे रखा और कहा- वहाँ नहीं.. यहाँ ऊपर आओ मेरे मुँह पर।
‘यस ये हुई ना बात..’ बाजी ने खुश हो कर कहा और उठ कर मेरे चेहरे की दोनों तरफ अपने पाँव रखे और मुँह दीवार की तरफ करके ही बैठने लगीं।
मैंने बाजी को इस तरह बैठते देखा तो एकदम चिड़ कर कहा- यार बाजी इतनी मूवीज देखी हैं.. फिर भी चूतिया की चूतिया ही रही हो.. बाबा मुँह दूसरी तरफ करो मेरे पाँव की तरफ.. 69 पोजीशन में आओ..
‘मुझे क्या पता कि तुम्हारे दिमाग में क्या है.. मुँह से बोलो ना.. मूवीज में तो ऐसा भी होता है.. जैसे मैं बैठ रही थी..’ बाजी ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया और फिर से खड़ी हो गईं।
मैंने अपने लहजे को कंट्रोल किया और कहा- अच्छा मेरी जान.. जो मर्ज़ी करो!
बाजी ने मुझे हार मानते देखा तो अकड़ कर फिल्मी अंदाज़ में बोलीं- अपुन से पंगा नहीं लेने का.. हाँ.. बोले तो अब वैसे ही लेटती हूँ.. 69 पोजीशन में..!
यह कह कर वो घूम कर खड़ी हुईं और बोलीं- अपने हाथ सिर की तरफ करो।
मैंने अपने हाथ सिर की तरफ किए तो बाजी मेरे सीने पर बैठीं और लण्ड पर झुकते हुए थोड़ी पीछे होकर मेरी बगलों के पास से पाँव गुजार कर पीछे कर लिए और अपना ज़ोर घुटनों पर दे दिया।
बाजी के पीछे होने से मेरा चेहरा बाजी के दोनों कूल्हों के बीच आ गया और बाजी की चूत से निकलता जानलेवा खुश्बू का झोंका मेरे अंग-अंग को मुअतर कर गया।
मैंने अपनी ज़ुबान निकाली और बाजी की चूत के लबों को चाट कर चूत के आस-पास के हिस्से को चाटने लगा।
बाजी ने फिर से मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया था और चूसने लगी थीं।
मैंने चूत के आस-पास के हिस्से को मुकम्मल तौर पर चाटने के बाद अपनी उंगलियों से चूत के दोनों लबों को अलहदा किया.. और अपनी ज़ुबान से बाजी की चूत के अंदरूनी गुलाबी नरम हिस्से को चाटने लगा।
बाजी ने मेरे लण्ड को चूसते-चूसते अब अपनी गाण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता हिलाना भी शुरू कर दिया था और मेरी ज़ुबान की रगड़ को अपनी चूत के अंदरूनी हिस्से पर महसूस करके जोश में आती जा रही थीं।
कुछ देर ऐसे ही अन्दर ज़ुबान फेरने के बाद मैंने अपनी ज़ुबान चूत के सुराख में दाखिल कर दी। बाजी ने एक ‘आहह..’ भरी और अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगीं।
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