Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने
12-01-2018, 12:18 AM,
#2
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
उस दिन हमने एक दूसरे के साथ कुछ कम ही बाते की... पर मैंने अपना दिमाग सब के दिमाग मैं फिट कर दिया था... चारो लोग मेरी मरजी की राह देख रहे थे ताकि वह भी मुझे साथ दे सके अपने खयालो में... वहा एक प्यारा सा कबूतर (मेरी भाभी) इन सब चीज़ों से अनजान भैया के निचे आके संसार का सबसे हसीन सुख देने में लगी थी....

मेरी भाभी को घूरने की हिम्मत बढ़ती जा रही थी... मैं घूरे जाता था... उनकी आँखे बयां करती थी के उसे पसंद नही आता है... पर मैं अपने आपको कंट्रोल कर ही नहीं पाता था.... मैंने फिर एक बार हिम्मत जुटा कर अपने दोस्तों के बिच बात निकाली....

मैं: दोस्तों... उस दिन मैं कुछ भावना मैं बह गया था। पर मुझसे रहा नहीं गया, कोई मेरी हेल्प कर सकता है क्या?
कुमार: कहना क्या चाहते हो?
मैं: मैं भाभी को चोदना चाहता हूँ...
(सब एक दूसरे को तके हुए थे, क्या बोलते?)
मैं: मैं भाभी को बस पाना चाहता हूँ, और मसलना चाहता हूँ
केविन: तू जनता भी है तू क्या बोल रहा है?
मैं: हा...
सचिन: पर ये होगा कैसे...?
केविन: क्या भड़वे क्या बके जा रहे हो तुम लोग... ये मुमकिन नहीं है...
मैं: पर मुझे बनाना है...
केविन: तो तूने कुछ सोचा है... जो हमसे तू छुपा रहा है...
मैं: हा कुछ चल तो रहा है....

थोडा पीछे जाते है... मैं भाभी को तके जा रहा था... और भाभी ने मुझे ३-४ बार ऐसे ही पकड़ा...
भाभी: क्या देख रहे हो...
मैं: कुछ नहीं बस ऐसे ही... आप थक जाते होंगे दिनभर नहीं?
भाभी: तो?
मैं: बस ऐसे ही...
भाभी: थोडा पढाई पर भी ध्यान दो...
मैं: देंगे... धीमे धीमे...
भाभी: कुछ अलग दिखने लगे हो... भैया... आपके भैया को बोलना न पड़े ध्यान रखना...
मैं: अरे भाभी... बता दीजिएगा... क्या फरक पड़ता है...

उस रात भैया जब भाभी को अपने निचे ला कर घबाघब पेल रहे थे, भाभी शायद उसके वीर्य निकलने की राह देख रहे थे शायद... हमारे दोनो भाइयो के कमरे में अंतर नहीं था... बाल्कनी से आप भैया भाभी की सम्भोग रस का आनंद ले सकते थे... आवाज नहीं सुनाई दे सकती थी... पर उस दिन मैंने उनके रूम में मैंने एक पुराना फोन रखा था जिसमे सब रेकॉर्ड हो जाए... दूसरे दिन तक वो चालू रहा २२ घंटे तक पर मैं सिर्फ काम की बाते आपको सुनाऊँगा....

भैया भाभी रूम में गए रात को....

भाभी: आह... एक मिनिट...
भाई: रहा नही जाता... मेरी रांड....
भाभी: हा मेरे मालिक आप ही का है... पर आज तैयार होउ के बस ऐसे ही?
भाई: नंगी ही तो होना है.. मैंने बोला है न की.. जब मैं अंदर आ जाऊ तब अगर तैयार हो चुकी है तो ठीक है, मैं इंतज़ार बरदास्त नहीं कर सकता...
भाभी: तो फिर... आउच... धीमे... आप ही की हूँ....
भाई: खा जाऊंगा आज तो...
भाभी: बस... आह... उम्म्म्म्म... आउच... हर रोज़... आह... बोलते हो... और... आह... उम्म्म्म्म... एक छोटा सा लव बाइट भी तो नहीं देते...
भाई: पण तुम्हे पसंद नही है ना इसलिए....
भाभी: पर तुम्हे तो है... आज मैंने आपके लिए कोई तयारी नहीं की... आज सजा के दौर पर एक लवबाइट दे देना...
भाई: कहा दूँ?
भाभी: जहा मर्जी करे आपकी... आ.....उ....च.... अरे बूब्स पर नही... आह.... उई माँ....काट दिया....सच में?
भाई: हा मिलेगी सजा जरूर....
भाभी: आप खुश है ना?
भाई: हा...
भाभी: दीजिये कोई बात नहीं...

फिर आवाज़ नहीं आई तकरीबन ३० मिनिट तक, पर आह आह आउच और प्यार भरी अलग अलग आवाज़े आती रही... पलंग की किचुड़ किचुड़ आवाज़ भाभी की घिसाई का प्रमाण देती रही... जो मैं कल रात को देख चूका था वो आज मैं सुन रहा था.... और वासना शांत हुई...

भाभी: आज क्या हुआ था आपको?
भाई: बस मज़ा आ गया...
भाभी: खुश है ना आप?
भाई: हा, बहोत खुश हूँ...
भाभी: एक बात बोलुं?
भाई: हा बोलो
भाभी: मुझे एक बात खटक रही है...
भाई: क्यों क्या हुआ?
भाभी: मैं कुछ बुरा नहीं चाहती पर.... भैया... लगता है की भैया मुझे अच्छी नज़रो से नहीं देखते...
भाई: क्या बकवास कर रही हो?
भाभी: देखो आप गुस्सा मत हो पर ऐसा मुझे लगता है...

भैया काफी देर तक चुप रहे... और बोले...

भैया: तुम क्या चाहती हो..?
भाभी: मैं कुछ चाहती नहीं हूँ बस आपके ध्यान में लाना आवश्यक था तो बोल दिया...
भैया: इग्नोर करो... या फिर तुम खुद बात करो... मैं बिच में पडूंगा तो भी तेरा ही नाम आएगा... और गन्दा लगेगा... अगर तुम बात करोगी तो मेरे डर के कारण अगर ये हो भी रहा है तो नहीं होगा... क्या कहती हो...
भाभी: मुझे वैसे शर्म तो आएगी पर ये बात मुझे ठीक भी लग रही है...

ये जानकारी आप लोगो के लिए जरुरी थी जाननी... इसी की बलबूते पर मैं ये मेरे फ्रेंड्स को बता रहा था की काफी कुछ होने के चांसिस है...

मैंने ये बाते मेंरे दोस्तों को भी बताई... कोई बोलना नही चाह रहा था पर सबके मनमे भाभी के लिए लड्डू फुट ने लगे थे....

मेरे दोस्तों के लिए तो जो मैं बोल रहा था वो सपना लग रहा था... सब बोले के आल ध बेस्ट....

मेरा मेरे भाभी को घूरना चालू रहा... खास करके बूब्स और गांड... इतनी इठलाती थी वो की बस मुझे जानबूझकर देखने की कोशिश करनी नही पड़ती थी... मेरी आँखे टिक जाती थी ऐसे ही... 

एक दिन भाभी: समीर तुम मुझे यु घूरना बंध करोगे?
मैं: क्यों? क्या हुआ?
भाभी: मुझे शर्म आती है और ये सही भी नहीं है... मुझे आपके भैया से बात करनी पड़ेगी...
मैं: कर दो... ज्यादा से ज्यादा ज़ग़ड़ा होगा और क्या?
भाभी: क्यों कर रहे हो ऐसा?
मैं: भाभी... प्यार करने लगा हूँ आप से...
भाभी: (एकदम गुस्सा होकर) क्या घटिया बोल रहे हो... समज नहीं आता की क्या बोल रहे हो?
मैं: (भाभी का ये स्वरुप देखकर मैं डर तो ज़रूर गया और भैया का ख्याल आने पर थोड़ी फ़टी तो पड़ी थी मेरी पर) जाओ मैं आपसे बात नहीं करता...
(ये था उल्टा चोर कौतवल को डांटे)
भाभी: ले भला... क्यों? गलती आप कर रहे हो और....
मैं: और नहीं तो क्या... दिन भर मेरे साथ ही रहती हो मेरी पास ही रहती हो.. मेरी कोई गर्ल फ्रेंड भी नहीं है... तो फिर आपसे प्यार युही हो गया... क्या करू.. हम हमउम्र भी है... मैं तो आखिर जवान हूँ... जो करना है करो... मुझे नहीं पता क्या गलत है और क्या नहीं...

ये में सच में अपने दिल की बात बोल रहा था... मैं सच में इमोशनल हो गया और रो ही पड़ा.... मैं फ़साना जरूर चाहता था... पर... इमोशनल हो चूका था....

भाभी: देखो समीर भैया ऐसे नही रो आप... मैं पानी लाती हूँ...
मैं: भाभी मुझे पानी नहीं प्यार की जरूरत है...
भाभी: क्या मतलब? (गुस्सा आश्चर्य दोनों भाव साथ थे इसमें)
मैं: मतलब कुछ नहीं भाभी मैं बस प्यार चाहता हूँ, क्या मैं आपको प्यार नहीं कर सकता? क्या गलत है? (मेरा रोना चालू ही था)
भाभी: पर... पर ये गलत है... प्यार हम भी आपसे करते है, पर आपकी भावनाए कुछ अलग बयां कर रही है... जो मुमकिन नहीं है...
मैं: भाभी... क्यों गलत है एक कारन बताओ...
भाभी: (मक्कमता से बोली) गलत है मतलब गलत है... और आइन्दा मुझसे बात मत करना...

मैं फिर चला गया वहा से... पर अब मेरा काम था के भाभी भैया को अपडेट क्या देते है? हररोज़ मैं रेकॉर्डिंग् लगाता था और सुनता था, मेरा भाभी को ज़ाखना चालू था... भाभी इग्नोर करती थी... एक दिन एक रेकॉर्डिंग् में जब भैया भाभी का सम्भोग खत्म हुआ भैया ने भाभी को सामने से पूछा

भैया: समीर से कुछ बात हुई क्या उस बारे में?
भाभी: (थोडा हिचकिचाके बोली) नही.. हा एक बार हुई थी, वो बस ऐसे ही खो जाता है सोच विचार में वो क्या करता है उसे नही पता... इमोशनल है न...
भैया: ह्म्म्म तुम खामखा डर रही थी... ऐसे तू है ही मस्त माल किसीके भी पेंट का घण्टा बजवा सकती हो

ऐसा कह कर दोनों हसने लगे और उस दिन भाभी ने भैया को शायद और एक बार अपना शरीर सोपा, जिसके शायद भैया ने बहोत मज़े लुटे होंगे...

मैंने भाभी को बुलाना बंध कर दिया था... मैं नज़रे चुरा रहा था। मैं बाते भी नहीं कर रहा था... मानो जैसे मैं उससे नफरत करता हूँ। भाभी को यह बरदास्त नही हो रहा था.... एक दिन....
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