RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
काश हम दो ही होते इस भरी महफ़िल में... और तुरंत ही अपना पल्लू ठीक करके जाने कुछ उसका भी ध्यान नहीं है ऐसा दिखाके अपने काम पर लग गई... वो भी मज़ाक करने में कम नहीं थी... आखिर पहला प्यार था मैं उनका...
भाभी: देवर जी लगता है, के तुम्हे बाथरूम चले जाना चाइए...
मैं: अरे अब तो ये ठंडा कही और जाके ही हो सकता है... बाथरूम पर वेस्ट नहीं करना चाहता... कितना कीमती है पता है...
भाभी: हा मेरे लिए तो है... मैंने तो संभाल के रखा है... अभी तक...
मैं: क्या?
भाभी: वही जो मैंने तुजे गिफ्ट किया था... और तूने रिटर्न गिफ्ट दिया था...
मैं: पर वो वही वेस्ट हो गया... कही और जाना था...
भाभी: वो तो तुजे नहीं मिलेगा... बाते तक ही सिमित रख...
मैं: चलो द्वखते है... कितना समय आप अपने आप को रोक पाते हो... वैसे आपके पहले प्यार के लंड की साइज़ १०" है... ३ इंच मोटा भी...
भाभी: हाय दय्या... इतना?
मैं: हा... नसीब वाली हो...
भाभी: नहीं नहीं... पर वो सब कुछ नहीं... मैं सिर्फ प्यार करती हूँ... ये जिस्मानी नहीं...
मैं: जिस्म अगर नहीं मिलेगे तो प्यार कहा से रहेगा... मानो या ना मानो पर प्यार बरक़रार रखने के लिए जिस्म एक होना जरुरी है... भैया को मना कर के देखो... फिर देखो कितना प्यार करते है...
भाभी: तुजे जितना मुश्किल है...
मैं: आपका पहला प्यार हु... ऐसा वैसा थोड़ी होगा?
भाभी: चल अब ज्यादा फोन पर लगे रहेंगे और दोनों... तो फिर किसी को शक हो जायेगा... गाडी में बाते करेंगे...
मैं: ठीक है डार्लिंग...
भाभी: हा हा हा ... बाय
जैसे तैसे एक दूसरे को तके हुए हमने अपने आप को संभाले वो प्रसंग पूरा किया... दोनों के मन में कार मैं क्या होगा वो अजीब सी और अलग सी फिलिंग्स थी... भाभी का तो ये जैसे भी हो दूसरी बार का था... पर मेरे लिए तो जो भी था पहेली बार था...
एक औरत आज मुझे प्यार कर रही थी, वो समाज के बंधनो से जकड़ी हुई थी... क्या अजीब बंधन था... और क्या बंधन होने जा रहा था... अनजान मैं एक अजीब सी फिलिंग मन में भर के पार्किंग की और गाडी लेने चला गया... मेरी साँसे और धक् धक् कर रही थी... शायद भाभी का वहा मेरी राह देखे वही होना चाहिए... मैं मन ही मन मान रहा था...
मैं गाडी पार्किंग से लेकर जैसे ही दरवाजे पर आया भाभी ने खोला ही होगा के भैया का फोन आया मुज पर...
भैया: अरे छोटे... तेरी भाभी किधर है...
मैं: यही है क्यों? हम निकल ही रहे है... १ घंटे में पहोच जायेगे... (मेरा मन टूट रहा था)
भैया: ठीक है जल्दी आना... मैं घर पे इंतज़ार कर रहा हूँ...
मैं: ओके भैया...
फोन रखा तब तक भाभी गाडी में बैठ चुकी थी और हमे सुन रही थी...
भाभी: शीट... तेरे भैया के ६ मिसकॉल है...
मैं: ह्म्म्म तभी तो मुझे कोल आया...
भाभी: तो चलो जल्दी घर अब...
मैं: हम्म चलते है... पर तूने फोन कैप नहीं उठाया?
भाभी: अरे तू मेसेज पे मेसेज करे जा रहा था तो मैंने साइलेंट किया था...
मैं: ह्म्म्म चले?
भाभी: (धीमी आवाज़ से) पहोचना ही पड़ेगा ना..?
मैं: पंचर भी तो पड़ सकता है...
भाभी: ह्म्म्म पर वो सब मेइन हाइवे पर ही हो सकता है न?
हम दोनों एकदूसरे को वासना भरी आँखों से देख रहे थे... आँखे पलकाये बिना देखे जा रहे थे...
भाभी: यहाँ से जब तक चलोगे नहीं पंचर भी कैसे पड़ेगा?
मैं: हा हा हा सही बात है....
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