RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी: ये तेरा दूसरा जन्नत का द्वार है.. (इतना सेक्सी अंदाज मैं बोला के मैं रह नहीं पाया)
और मैं उनके कुल्हो पर अपनी किस बरसाने लगता हूँ... मई मस्त कुल्हो पर अपने दांत से, या हाथ से चूंटी भरता रहा.. गांड के होल में मैं चाटना थोडा रुक गया, पर मैं अब कोई भी चीज़ छोड़ना नहीं चाहता था... मैं अपनी जीभ गांड पर थोड़ी घुमाई और फिर उस पर अचानक ही टूट पड़ा... जीभ को मैंने अंदर डाल ने की कोशिश की, अजीब लग तो रहा था पर मैंने नहीं छोड़ा... मैंने देखा के गांड और चूत के होल के बिच ज्यादा अंतर नहीं था.. मैंने बिच वाले हिस्से को चूमा, और वहा बहोत बार चूस... भाभी के आह की आवाज़ से पता चल गया के ये भाभी के लिए पहली बार था..
भाभी: तूने कुछ् ऐसा किया जो पहली बार हुआ है मेरी साथ... मज़ा आया... तो आज मैं भी कुछ ऐसा करुँगी जो मेरी तरफ से किसी मर्द को दिया हुआ पहला सुख होगा...
मैं: और वो क्या भला?
भाभी: पता चल जाएगा... अभी तो मेरे कूल्हे को चमाट मार मार के लाल कर सकता है अगर चाहे तो...
मैं: कितनी जोर से मारू?
भाभी: तेरी इच्छा... मैंने पहले ही बोला था के आज तू मेरी परवाह नहीं करेगा...
मैं: तो आजा मेरी गोदी मैं...
मैं सोफे पर बैठा और भाभी मेरी गोदी में आ गई। मैंने एक जोर से चपत लगाई... भाभी एकदम सेक्सी अदा में आह किया... मैंने और ज़ोर से दूसरे कूल्हे को मार के देखा... भाभी ने और सेक्सी और बड़ी आवाज़ में आ....ह किया... मुझे और जुस्सा मिला और में दे धना धन मारने लगा... उसके बालो को खीच के मारे जा रहा था...
मुझे तो बहोत अच्छा लग रहा था... मस्त ५-६ मिनिट मार मार के मैंने भाभी की गांड सुजा दिया था... यहाँ मेरे दातो के निशान नहीं पर हाथो के निशान थे... मैं ऐसा बदन पाकर धन्य हो चुका था... क्या नेचर है भाभी का... पूरा समर्पण अपने प्रेम के प्रति... अपने बदन को पूरा मुझे सोप दिया था...
मैं: चल आजा तेरी बारी...
भाभी: मन भर गया?
मैं: मन तो नहीं भरा, पर अब कुछ आगे भी तो बढ़ना है... वर्ना मैं तो पूरा दिन निकाल लू इस बदन के हुस्न से खेल के...
भाभी: हा तो खेल ले जी भर के... कल कर लेना...
मैं: नहीं... अब तेरी बारी... अब तेरा बदन जब मुज पे घूमेगा तब भी एक नया अनुभव ही है... मैंने तेरा जीभ होठ का अनुभव अपने बदन पर लेना चाहता हूँ...
ये सब बातो के दौरान मैं और भाभी खड़े हो गए... भाभी मेरे बदन पे कपडे पे अपना नंगा बदन चिपका रही थी और मुझसे बाते करते हुए शर्ट के बटन को खोल रही थी... २-३ खोल के अंदर हाथ डाले मेरी और देखती रही...
भाभी: तो तेरा लंड १०" का है...
मैं: हा तो?
भाभी: नापा था क्या?
मैं: हा, स्केल लेके नापा था क्यों?
भाभी: तो आज मजा आएगा...
मैं: हम्म्म... आउच
भाभी ने मेरे निप्पल ऊँगली से खीच लिया था। अब मुझे भी यह सब सहन करना था?
मैं: देख भाभी तू वही करना जो मुझे पसंद आये... वो मत करना जो तुजे पसंद आये... आज तूने खुद को मुझे सोपा है... आज तेरा बदन मेरा है... तो मैं तेरे बदन से खेलूंगा... तू नहीं
ऐसा करके एक जोर से चपत मैंने उनके स्तन पर मारे एक पनिशमेंट के दौर पर...
भाभी: आह... आउच... ये क्या था?
मैं: पनिशमेंट
भाभी: ओह.. तो आप मुझे पनिश करेंगे मैंने ऐसी वैसी हरकत की तो... जो आपको पसंद न आये...
मैं: सही फरमाया...
भाभी: तो ठीक है ये लो...
उसने मेरे दूसरे निप्पल को भी खीच दिया... मैं मारने जा ही रहा था के...
भाभी: ये मम्मे पर मार इनको बुरा लगा...
लड़कियो की एक आदत कही पढ़ी थी... अगर एक मम्मे पर आप थोडा ध्यान दोगे तो दूसरे का वो खुद इन्विटेशन दे देगी... जो यहा भी हुआ... जब मैं मम्मे चूस रहा था तब मैंने तो दोनों मम्मे को एकसाथ न्याय दिया था तो वो तब नहीं दिखाई दिया पर एक चपत एक मम्मे और दूसरा स्तन खाली पड़ा के मुझे न्योता मिला... मैंने जरा भी देर न करते हुए वहा एक चिमटी काटी, चपत नहीं मारी... मैंने जो पढ़ा वो सच है की नहीं वो जानना चाहता था...
भाभी: प्लीज़ एक चिमटी इधर काटो और यहाँ एक चपत लगाओ प्लीज़?
मैं ये अब लम्बा नहीं खीचना चाहता था... क्योकि ये सब में टाइम १.५ घंटे जितना निकल गया था... भैया के आने में अभी ८-९ घंटे थे पर मैं और भी कुछ करना चाहता था... मैंने दूसरे पे एक चपत मारी और एक पर चिमटी काटी... वो खुश हो गई... वैसे ही ये दोनों स्तन लाल हो गए थे पर वो खुश थी... मेरा ट्रैक पैंट को ख़ुशी ख़ुशी निकाल के मेरे शर्ट को मेरे कंधे से बाहर निकाल ने लगी... मैंने अपना ट्रैक पेंट पैर ऊपर करके अलग किया और अब मैं सिर्फ निक्कर में था, वो तो पहले ही नंगी थी... उसने मेरे निक्कर को बहार से सहलाया...
भाभी: अरे बाप रे काफी बड़ा है...
मैं: अब तेरा है...
भाभी: मैं पूरा मेरे मुह मैं नहीं ले पाउंगी...
मैं: नहीं मैं तेरे हर एक होल में पूरा अंदर घुसूँगा... अंदर तक लेना ही पड़ेगा...
भाभी: अरे १०" मतलब कुछ हो गया तो मेरे गले को? तेरे भैया का ८" इंच है... वो बड़ी मुश्किल से ले पाती हूँ...
मैं: भाभी तेरा जो ये हुस्न है ना... उसके लिए ये १०" भाई कम पड़े... चल पहले दीदार तो कर... अभी तो मैं तेरे मुह में ही जडुगा...
भाभी: ये मेरा वादा है की मैं तेरे वीर्य की बून्द बून्द पि जाउंगी... पर इतना अंदर मत निकालना प्लीज़...
मैं: क्यों? कहा गया तेरा वादा?
भाभी: (मेरी बात काटते हुए) हा.... हा... तुजे मेरी परवाह नहीं करनी है... ठीक है, मेरे पहले प्यार का पहला अनुभव है... उसे जो पसंद हो वही होगा...
भाभी ने मेरी निक्कर निकाली... और साँप जैसा मोटा लंड...
भाभी: ह्म्म्म्म तो ये जनाब है... जिसको खुश करना है मेरे पुरे बदन को...
मैं: जी हा... चलो अब घुटने टेको इसके आगे... एक औरत का कर्तव्य निभाओ...
भाभी: ओके... वैसे भी अब तू है तब तक मैं अपना वीर्य तेरे मुह, चूत या गांड में ही निकलूंगा, वेस्ट तो करूँगा ही नहीँ... और हां कंडोम कभी नहीं पहनूंगा...
भाभी: बाद का बाद में... आज तो तू लाता तो भी मैं तुजे नहीं पहनने देती... पहली बार कोई कंडोम थोड़ी पहनता है?
मेरी निक्कर पूरी तरह से निकाल के मेरे लण्ड को हाथ में लिया... ठण्डी ठण्डी मुलायम हाथ वाली मुठ्ठी में मेरा लण्ड, आज तक का सबसे सुखद अनुभव... लगा अभी जड़ ना जाउ... पर काबू किया... भाभी ने अपने मुलायम होठो से मेरे लण्ड से दोस्ती करनी शुरू की... मैं थोडा उकसाया हुआ भाभी के मुह में धसने की कोशिश कर रहा था....
भाभी: अरे सबर करो... मुह में लेना है पर दोस्ती तो करने दो...
भाभी मुझे परेशान कर रहे थे... पर उसने जैसे ही अपना मुह खोला के मैंने जट से गीले मुह मैं अपना टोपा घुस दिया... उसने स्वागत किया इस हमले का... शायद पता ही था के मैं अब ये करूँगा... मैं पहले ही बारी में अपना पूरा लंड घुसाने लगा... उसे पता था के मानने वाला नहीं हूँ तो उसने भी अपने गले में जगह बनाना शुरू किया और धीरे धीरे लण्ड को मुह में उतार ने लगी... ८ इंच तक तो वैसे भी उसे कोई तकलीफ नहीं होती थी... पर अब का काम भारी था... उसने जल्दी से बहार निकाला और बोली...
भाभी: देख मैं ट्राई कर रही हूँ... पर तू मेरा मुह थोडा चोद तो तुजे धीरे धीरे जगह मिलती जायेगी और तू अंदर पूरा डाल पाएगा... मैं अपना सर जब ऊँचा करू तब तू अंदर थोडा प्रेस करना लण्ड को ठीक है?
मैं: हां भाभी...
साला मुह में इतनी तकलीफ हो रही है तो चूत में क्या होगा... अरे गांड तो और भी भारी पड़ेगी...? भाभी इतना ही मुह में ले पा रही थी...
पर हर एकाद मिनिट के बाद मेरे लण्ड के आसपास जीभ घुमाती... मुझे अंदर बहुत गिला गिला महसूस करवाती और फिर अपना सर थोडा ऊँचा करती के मैं लण्ड को इशारा मिलते ही धस देता... ३-४ मिनिट में मेरे लण्ड ने उनके मुह से दोस्ती कर ली थी और मेरा पूरा लण्ड अब अंदर बाहर हो रहा था... अब मेने उनके बालो को पकड़े और निचे खीचा ता के और अंदर घुसा दू... अब मेरा लण्ड खत्म हो गया था वहा तक तो घुसा दिया पर फिर भी भाभी के गले से निकलता लण्ड दिखने के लिए बालो को खीच के देखता था.. १० मिनिट में मैंने एक बार भी लण्ड बहार नहीं निकाला... और बस मुह को चोदे जा रहा था... भाभी के मुह से "उम्म्म्म्म..... उम्म्म्म्म..." जितना हो सके उतना जोरो से कर रही थी... ता के गले के कम्पन से मेरे लण्ड को और मज़ा आये... मेरा होने वाला था के भाभी ने लण्ड बाहर निकाला और सजेशन दिया...
भाभी: तेरा अब होने को है... तू चाहे तो उस वख्त मेरे मम्मो से खेल सकता है... जब तू वीर्य निकाले मेरे मम्मो को भींचने में मज़ा आएगा...
मैं: तू ने मुह से निकाला ही क्यों?
बोलते ही मैंने उसके गाल पर एक जड़ दिया... उसने मुह खोला के तुरंत मैंने सीधा अंदर तक धड़ दिया... भाभी थोडा अंदर लेने में नखरे कर रही थी... मेरा कभी भी होने वाला था... मैंने जट से भाभी की नाक दबाई और... मेरा पूरा अंदर चला गया...
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