RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैंने इसी पोजीशन को १०- १५ सेकेण्ड होल्ड किया और मेरा वीर्य उबाल ने लगा... भाभी जटपटाने लगी पर मैं जब तक वीर्य खली ना होवे तब तक कैसे छोड़ सकता था... ये मेरा पहला वीर्यदान किसी होल में था... जब सब खली हुआ.. भाभी का मुह भर गया था.. कुछ बहार था वो उसने ऊँगली से वापस मुह में लेके चाट के साफ़ किया मैं थक के पलंग पर पड गया पर भाभी ने हांफते हांफते भी अपना काम पूरा किया और मेरा लण्ड पूरा साफ़ करके एकदम कोरा कर दिया... और मेरे पास आके मेरा हाथ बाहर निकाल के मेरी छाती पर अपना सर रखके सो गई... मुझे ऊपर देखा... मैं उनको ही देख रहा था...
भाभी: कैसा रहा...
मैं: मस्त... तू चीज़ ही ऐसी है कमाल की... बोलाना १२" का भी होता तो तेरे लिए कम पड़ता...
हम दोनों हँसने लगे...
मैं: पूरा पि गई मेरा वीर्य?
भाभी: अब तो तूने एक बार बोल दिया के वेस्ट नहीं जाना चाहिए मतलब अब फर्श पे पड़ा भी चाट लुंगी... और निक्कर पर चिपका हुआ भी खा जाउंगी... पर वेस्ट नहीं जाने दूंगी...
भाभी मेरे छाती पर अपनी ऊँगली घुमा रही थी.... मैं उनको अपनी बाहो में लिए... उनकी बाह को सहला रहा था... मेरी छाती पे अपना और मेरे नाम लिख रही थी...
भाभी: समीर मज़ा आया?
मैं: बहोत...
भाभी: अब मुठ नहीं मारेगा ना कभी?
मैं: सबसे ज्यादा जरूरत मुझे तेरी रात को होगी और उसी टाइम पर तू नहीं होगी... तो मैं क्या करू?
भाभी: पूरा दिन तो मैं तेरे साथ होउंगी तो फिर भी?
मैं: हां तो मुझे रात से पहले पूरी तरह संतुष्ट कर देगी तो फिर मुज़े मुठ मारने की आवश्यकता नहीं होगी....
भाभी: ह्म्म्म तो फिर ठीक है... दिन भर मैं तुजे नहीं रोकूँगी.. बस? पर अकेले अकेले अब कुछ नहीं... प्रोमिस?
मैं: प्रोमिस
भाभी अब मुज पे अपना हक जता रही थी... मुझे अच्छा लगा पर बिस्तर पर तो मर्द की हुकूमत चलनी चाहिए... तो मैंने अपना हुकुम छोड़ा....
मैं: चल अब इस सोए हुए लण्ड को जगाना पड़ेगा... तेरी चूत में समाना चाहता है... और वही खाली होना... वैसे तू दवाई लेती ही होगी ना? माँ न बनने की?
भाभी: हा हा हा... तू वो मत सोच... वो मुझपे छोड़ दे...
भाभी ने हल्के से मेरे लंड को हाथ में लिया और धीरे से मुठिया ने लगी... उंगलिओ के स्पर्श से उसने अंगड़ाई ली पर टाइम लग रहा था... पर मेरी उत्तेजना के कारन ये जल्दी हो रहा था...
मैं: मुह में ले... ऐसे नहीं खड़ा होगा...
और भाभी ने मुँह में ले के उसे उकसाना चालू किया... धीरे धीरे कुछ ३-४ मिनिट में ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया... इतना जल्दी वैसे कभी नहीं होता था पर आज तो बात ही कुछ अलग थी... भाभी के हाथ बूब्स और मुह का कमाल था... मेरा लण्ड जल्दी खड़ा होय इसलिए भाभी ने अपने मम्मे पर मेरा हाथ रख दिया... मम्मे पर जैसे जैसे हाथ चलते गए यहाँ लण्ड और कड़क बनता चला गया... मैं दोनों मम्मो को बारी बारी भींचता निप्पल्स को खिचता और उत्तेजना का असर मेरे लण्ड पर पड़ता। अब भाभी बोली...
भाभी: वापस हो जाए उससे पहले अब तू मुझे अपनी बना ले (और हस पड़ी)
मैं: चल आजा तुज में चढ़ा जाए अब... सबर नहीं होता... तू मेरी भी होने वाली है अब....
भाभी: हा आजा समीर मुझे अपनी बना ले...
भाभी सीधी सो गई और अपने पैरो को फैला दिया... चूत खुली हुई मेरी सामने... मैंने अपने लण्ड को मेरे थूक से गिला किया... तो भाभी ने भी अपना थूक अपनी चूत पे लगाया... और फिर वो होने जाने वाला था के जो पहले कभी नहीं हुआ था... मेरा लंड और भाभी के चूत के बिच का अंतर कुछ २ इंच था... मैं धीरे धीरे चूत के द्वार पर रख्खा... मेरी धड़कन कुछ ऐसी रफ़्तार से भाग रही थी के मैं खुद उसे महसूस कर रहा था... मैंने चूत पे अपना टोपा लगाया और हल्का सा धक्का मारा...
भाभी: आ....... ह समीर.... थोडा धीरे करना...
मैं: भाभी मैं जोर से करना चाहता हूँ... एकदम रफ...
भाभी: उम्म्म्म्म्म्म्म... पर पहले तुजे धीरे ही करना पड़ेगा वरना तू तेरे लण्ड को भी घायल कर देगा... तू धीरे धीरे अंदर बहार कर के पहले चूत में अपने लण्ड की जगह बना... ठीक है बुध्धू राम?
मैं: ठीक है....
पर मैं था बिलकुल अनाड़ी... पहली बार हो रहे इस अनुभव मैं कमिया तो होगी ही... मेरा लण्ड भाभी की चिकनी चूत में फिसल रहा था... धीरे का मतलब धीरे धीरे नहीं था जहा धक्का लगाना पड़ता है, वहा तो प्रेशर लगाना ही पड़ता है... भाभी ने समजाया... एक और बार मैंने चूत के द्वार पर लण्ड रख के थोडा धक्का मारा और इस बार थोडा प्रेशर भी दिया... और फटक से मेरा टोपा भाभी की चूत मैं घुस गया...
भाभी: आ.....ह्ह्ह्हह्ह... ह्म्म्म्म... ओइ.... हम्म्म्म्म अब तू वर्जिन नहीं रहा... तू अब... जवान मर्द बन गया है... और मैं तेरी पहली औरत... बस अब धीरे धीरे हल्का अंदर बहार अंदर बहार कर... मेरी चूत तुजे खुद रास्ता दे देगी... अब तू आजा मेरे ऊपर... ताकी तू अच्छे से प्रेशर दे के लण्ड को घुसा सके...
मैं भाभी के ऊपर अब फ़ैल गया... मेरा लण्ड थोडा बहार निकालता और थोडा ज्यादा अंदर घुसेड़ता... बहार निकालने के टाइम पर अगर ज्यादा निकलता हुआ भाभी को अहसास होता तो भाभी मुझे रोकती के कही पूरा बहार ना निकल जाए... मैं उत्तेजना में कुछ ज्यादा बहने लगा तो मेरा लण्ड चूत में थोडा ढीला पड़ा... तो मैंने और प्रेशर किया... तो भाभी ने मुझे रोक दिया....
भाभी: श.........श... समीर होता है... सिर्फ उसे जगह पर ध्यान मत दो... औरत के पास और कुछ भी होता है... लंड अपना काम खुद करेगा... तू मुझे एक्सप्लोर कर, ये टाइम पर तू मजे किस कर सकता है... मेरे गर्दन को चूम सकता है... मेरी चुचियो के साथ खेल सकता है... मुझे तू जैसे चाहे वैसे यूज़ कर... लंड को अपना रास्ता खुद मिल जाएगा...
|