RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
केविन: जा मादरचोद दरवाज़ा खोल...
भाभी: हा अभी जाती हूँ... पर इन सब को बोलो पहले के मुझे छोड़े...
मैं: भाभी आप नंगी जाओगी?
आजूबाजू भले ही दूर दूर तक जंगल ही था... और जंगल में हम मंगल करने के वास्ते आये थे... पर भाभी पर ये हवस का कौनसा लेवल था? जा के कैक वाले से हाइवे पर चूड़ी उसके टेम्पो में... वो भी बिना कंडोम के क्योकि भाभी की चूत में जब ऊँगली डाली थी तो वो काले वहशी के वीर्य निकलता हुआ देखा था... चूत तो साफ़ करके आई थी... पर अंदर तक जो फव्वारा उड़ा होगा चूत के, वो तो निकलेगा ही... इसी के चक्कर में किसीने चूत नहीं चाटी थी जीप मैं... और अब भाभी जीप से नंगी बाहर जा के फ़ार्महाऊस का दरवाज़ा खोलने जाने वाली है... पर मैं अब खोटी चिंता कर रहा था... मैं ये सोचने लगा के साला हाइवे पर नंगी जा कर एक अनजान आदमी से चुदवाके आई, हाइवे पर तो कई लोग देख सकते थे, तो अब तो क्या यहाँ कोई देखने वाला था? भाभी जीप से बाहर निकली और निचे उतर कर फार्महाउस का दरवाज़ा खोलने जाने लगी... गांड को मटक मटक कर उछल उछल के चलते हुई दरवाजा खोलने गई...
चारो और सुमसाम जंगल जैसा था। बिच में एक आलिशान बंगलो था... आजूबाजू बस सब ग्रीन ग्रीन था... हम सब बैठे थे जीप मैं और भाभी ने दरवाज़ा खोल के हमारा स्वागत किया...
मैं: केविन, यहाँ कितने समय से कोई नहीं आया होगा?
केविन: अरे मैं आता हु... इस का वैसे साफ़ सफाई करवा दी है... दो नौकर यही है.. तो वही लोग होंगे अभी तो...
मैं: साले क्या प्लान है तुम लोगो का...
केविन: देख तेरा बर्थडे बिना खर्च का हो रहा है... सब को मेहनताने के तौर पर भाभी मिलेगी... वो भाभी ने माना है... और इसिलए ये सब मुमकिन हुआ है... और हां आज के आज ही सब को अपना रिटर्न गिफ्ट मिलेगा... मेरी दो डील साइन करने वाली पार्टी भी यही आएगी...
मैं: अबे कुत्ते आज के आज सब कैसे हो पायेगा... तो फिर हमे क्या मिलेगा?
केविन: भाई सब हो जायेगा टेंशन मत ले... सब इंतेज़ाम है.. चल अब वो नंगी इंतज़ार में खड़ी है...
हम सब निचे उतरे... सब निचे उतर के भाभी को वापस हग करने लगे... भाभी भी डेरिंग बाज़ थी... सिर्फ कम्बल ओढ़े नंगी ही जीप में आ बैठी थी... अंदर दो नौकर भी थे... वो जीप रुकते ही आ गए... एक का नाम तेजसिंह और दूसरे का रामपाल था.... दोनों भाभी को नंगी देख हक्के बक्के रह गए...
तेजसिंह तो बाहर कड़ी चैर पर बैठ गया, क्योकि वो होश खो बैठा था... पर रामपाल थोडा आगे बढ़ा... दोनों के उम्र शायद पचास से ज्यादा होगी... साले दोनों बुढ्ढे की आज लॉटरी लग गई थी... मेरा बर्थडे और अभी तक मुझे तो कुछ नहीं मिला था...
रामपाल ने ऊपर कुछ नहीं पहना था...
रामपाल: आइये भाभी जी... आपका स्वागत कैसे करू?
वासना के कीड़े... बुढ्ढे हो गए थे पर औरत देखी नहीं के चालू
भाभी: मेरे मम्मो को हाथ में लेकर करीए स्वागत.. छुये न प्लीज़?
बुढ्ढा पागल हुआ कुछ ऐसे करने लगा...
केविन: ओ रामपाल मुँहमे भर ले हा हा हा...
रामपाल ख़ुशी से पागल हो कर मुह में भाभी के मम्मे भर लिए... और भाभी को तेजसिंह याद आया तो रामपाल मुह में लेके मम्मे चूस रहा था उसके मुह से निकलवा के तेजसिंग के पास गयी और उसे कुछ इसतरह मिली
भाभी: आप नहीं लेंगे मुँहमे? लीजिये ना...
पर तेजसिंह ने उसे निचे बिठाकर उसके मम्मे मसलते हुए उनसे किस करने लगा... रामपाल पीछे पीछे आ ही गया उसे केविन ने रोका...
केविन: अरे ओ बुढ्ढों... हम सब जब इनसे संतुस्ट हो जायेगे... थक जायेगे तब तुम्हारी बारी... तब तक जाओ जीप में पड़ी कैक निकालो...
रामपाल: मालिक हम देख तो सकते है न?
तेजसिंह: हा मालिक?
भाभी: हा। देख लेना.. सब मालिक लोग थके तभी आप लोग की बारी...
तेजसिंह: मेमसाब आप नहीं थकेगी?
भाभी: हां तो? शायद साथ न दे पाउ पर तू लोग जो करना है कर ही सकते हो..
वो दोनों कैक ले कर चले गए... भाभी को फिर हम सब लोगो ने दबोचा... पर भाभी तो हाथ छुड़ा के भाग गई... वो दोनों बुढ्ढों के साथ...
राजू, कुमार और सचिन अभी तक बस तमाशा देख रहे थे और अचानक बोल पड़े..."अरे बहन की लौड़ी अब ये किधर जा रही है...?"
केविन: अब बर्थडे पार्टी शुरू होती है... अभी भाभी कैक लेकर आएगी.. समीर काटेगा...
फिर केविन फोन करने के लिए बाहर गया और हम चारो भाभी को ढूंढने लगे..
भाभी: अंदर मत आओ चले जाओ... तेजसिंह और रामपाल बुलाने आयेगे... बाहर जाओ...
हम वापस बाहर आये के केविन फोन ख़त्म कर के आया...
मैं: किसे फोन किया?
केविन: वो भाभीके निप्पल पे छेद करवाना है ना...
मैं: अरे वो भाभी ने बोलाना के भैया को पूछना पड़ेगा...?
केविन: वो पूछ लेगी... तू चिंता बहोत करता है...
रामपाल और तेजसिंह बुलाने आए... मालिक... भाभी राह देख रही है... जाइए...
हम सब जैसे आग लगी हो वैसे दौड़ पड़े और अंदर भाभी ऐसी मिली हमें...
वाह... कैक तो कट चुकी थी... बस खाना बाकि था... क्या नज़ारा था.. पुरे बदन पर केक लगा रख्खी थी... हम सब पांचो के पांचो भाभी पर टूट पड़े... मम्मो से लेकर होठ जीभ चूत पीठ जहा पर केक नहीं लगाई थी वह जगह हमने लगाई और हम फिर केक खाने लगे... भाभी को हम ने नाश्ता बनाया था.. भाभी के पुर बदन पे पांच पांच जीभ घूम रही थी... सब से ज्यादा लोगोने निप्पल चूस चूस कर केक खाई... मम्मे दो और आदमी पांच.. पर क्या करे... सब को यही रंडी चोदने के लिए चाहिए थी... और किसीसे बिस्तर गरम करवाना ही नहीं चाहते थे... मैंने देखा के दोनों बुढ्ढे दूर से देख रहे थे...
मैं: चलो भाई चाटे ही करेगे या चतवायेंगे भी?
केविन: जा थोडा साफ़ कर के आ...
भाभी: अरे रुक जाओ चेरी नहीं खानी? चलो एक एक करके मेरी चूत में आओ... अंदर पांच चेरी है... निकाल निकाल के बाट के खा जाओ...
राजू: साली ये तो मस्त आईडिया है...
भाभी: ये इन्ही दो बुढ्ढों का है...
केविन: हा क्या? तो फिर इन दोनों को केक खिलानी हैन?
भाभी: वैसे मैंने एक डोज़ दिया है.. मुझपे केक ये दो लोगो ने ही लगाई है और चूत में चेरी अंदर तक भी ये लोग ने घुसाई है.. फिर भी मालिक खा ले बाद में नौकर भी खा लेंगे... है न?
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