RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी: क्या हुआ... प्लीज़ अभी मत रुको... मैं जड़ने वाली हूँ...प्लीज़....
मैं: भा...भी... मैं भी चल बहोत हो गया स्लो स्लो... आ एकदम रफ करते है... तुजे पसंद है वैसा ही करते है...
भाभी: क्यों जड़ने वाला है क्या मेरा शेर?
मैं: हां भाभी मुझे बच्चा चाहिए.. आज के दिन के लिए दवाई मत लेना...
भाभी: ठीक है... मैं तुजे बच्चा दूंगी.. पर अब आ चल रफ सेक्स कर... मुझे चोद...
और फिर भाभी को मैंने बराबर घबघब पेलने लगा... लंड टोपे तक बाहर निकलता और अंदर घप करके डाल देता... भाभी हर धक्के पर आह आह करके चिल्लाती...
भाभी: आ.... ह और... आउच.... आ....ह और .... हा इससे.... आ....ह और जोर से....
अब तो लंड को कुछ ऐसे धक्के मार रहा था के मानो मैं या तो लण्ड को गांड से निकाल ने की कोशिश कर रहा था... या पेट में अंदर घुसाने.... मैं अकड़ गया... मुझे कुछ होश नहीं था... ना ही भाभी को और फिर एक जबरदस्त धक्का मार कर मैंने पूरा वीर्य अंदर तक घुसा दिया... उसी वखत भाभी भी जड़ गई... हम दोनों इन्टेन्स एकदूसरे को लगे रहे पर मैंने बहोत तेजी से घप करके लण्ड बाहर निकाला... समय बरबाद न करते हुए... मैंने भाभी के मम्मे पर जल्दी से एक चपत ज़ड दी और फिर तुरन्त उसे उलटी कर दी... और गिला गिला मेरा लंड भाभी के गांड के छेद पर रख दिया... मेरा लंड कड़क था... और भाभी के लचकिले बदन से आती पसीने की खुशबु मुझे बेक टु बेक ठोकने की ताकत दे रही थी... मैंने लंड को डाला फिर गांड में थोड़ी तकलीफ हुई तो भाभी ने अपना थूक लगाया... मैंने भी ढेर सारा थूक लगा कर एक ही झटके में अंदर डाल दिया... भाभी मुझे मैं जो भी करू पूरा सहयोग दे रही थी...
जैसे ही मेरा लण्ड पूरा गांड में समा गया के...
भाभी: समीर अब तू पूरा मुज पर आजा...
मैं: तेरे ऊपर ही तो हु...
भाभी: ऐसे नहीं, तेरे बदन का पूरा भाग मेरे ऊपर... मेरे पैरो पर तेरे पैर और तेरे हाथ मेरे हाथ पर... तेरी छाती मेरे पीठ पर सटकाये तू मुज पर आजा... अगर....
समीर: नहीं मैं अपने हाथ तेरे स्तन पर रखूँगा...
भाभी: हा तो ऐसे कर... तब तो अच्छा है, मेरे मम्मे पुरे दब जायेंगे... कर...
मैंने बिलकुल ऐसे ही भाभी पर सट गया... भाभी ने अपने पैर ऊपर किए घुटनो से... ताकि मैं भाभी को जटके मारने का जोए उनके खड़े पैरो से लाउ... भाभी के मम्मे मेरे हाथ में थे... वो भाभी को मैं अपनी और खीचने में मदद कर रहे थे... पर मुझे इतना मज़ा नहीं आ रहा था क्योकि मुझे पसीने से लथपथ पीठ को चूमने के अलावा कुछ काम नहीं था.. तो मैंने हलके से अपनी पोसिशन चेंज की और भाभी के मुह को अपनी और और कर के किस करने लगा...
भाभी भी मुझे पूरा सहयोग दे रही थी... अब मेरे हाथो को दो मम्मो के बिच आज़ाद घुमा पा रहा था... अपने हाथो के साथ... भाभी के छाती पर अपना हाथ मसल रहा था... और फिर मैं बहुत ही जल्दी इस पोज़िशन में ज़ड गया... ये मेरा बेक टू बेक दूसरा ऑर्गेसम था... मुझमे और भी हिम्मत थी... लण्ड सुकड़ जाये उनसे पहले... जल्दी गांड से लण्ड धप से निकाल कर भाभी के मुह में लण्ड दे दिया... मैंने आखरी बुँदे दूसरे ऑर्गेसम की मुह में निकाली... अब लण्ड की पकड़ काफी ढीली हो गई थी... भाभी के मुह में तो बहोत आसानी से चला गया अंदर तक... भाभी तो मुह चुदाने के लिए रेडी थी पर अब मैं हिम्मत खो गया मैं... लण्ड सिर्फ साफ़ कराके मुह से लण्ड निकाल कर पलंग पर पड़ा रहा... हम दोनों की साँसे एकदम चल रही थी... दोनों हाफ रहे थे... भाभी तुरंत मेरे सीने पर आकर मुझे गले लगा दिया... हम हांफते हुए बात कर रहे थे...
भाभी: आज तो दो बार बेक टू बेक...
मैं: अरे मुह भी चोदना था...
भाभी: कोई बात नहीं दस पंद्रह मिनिट के बाद...
मैं: भाभी मुझे तेरे मम्मे से दूध पीना है... तू माँ बन जा ना...
भाभी: अरे अरे अभी तो मैंने जिंदगी जीने का शुरू ही किया है और तू मेरा पेट फुलाने पर क्यों तुला हुआ है?
मैं: भाभी यही गिफ्ट मुझे चाहिए अगर इस बर्थडे पर कुछ मुझे देना है तो...
भाभी: ह्म्म्म्म पर कैसे होगा...
मैं: क्यों? क्या कैसे होगा? दवाई मत लेना एयर मुझे तेरी चूत में वीर्य निकाल ने देना और क्या?
भाभी: अरे बुध्धू तेरे दोस्त भी तो चुदाई करते है.... और अब तो बिच बिच में और कोई भी आ सकता है...
मैं: ह्म्म्म पर भाभी सब के ले लेना न... किसीका भी हो क्या फरक पड़ता है? मतलब कुछ नहीं... बच्चा चाहिए... मुझे मम्मो से दूध पीना है तो उसके लिए तुजे पेट फुलाना पड़ेगा... तो फुला ले...
भाभी: हा हा हा... चल ठीक है... नेक्स्ट मंथ...
मैं: क्यों?
भाभी: अरे नेक्स्ट वीक मेरा पीरियड स्टार्ट होगा... सबके लिए वेकेशन... मुझे भी तो चाहिए चार दिन शांति...
मैं: ह्म्म्म तो प्लान बनाते है... सबको बोल देते है और फिर जो जीत गया वही सिकंदर...
भाभी: चल ठीक है... तेरे भैया भी मुझे बच्चा बच्चा कर रहे थे... हो जायेगा...
मैं: गुड गुड... भाभी अभी ये खड़ा नही होगा लग रहा है... बुला लूँ सबको?
भाभी: हा बुला ले...
मैं नंगा बाहर को निकल के सबको बुलाने गया... और बोला के मैं थोड़ी देर आराम कर रहा हूँ जिसको भाभी पे चढ़ना है वो जाए... सब भूखे थे कौन मना करेगा? सब भेडिए अंदर रूम में भागे... भाभी पलंग पर नंगी पड़ी थी... नंगी भाभी को देख कर... सब लोग अपनी हवस को शांत करने भाभी के आसपास आ गए... भाभी सबको मादक स्माइल दे रही थी... पलंग पर नंगी अकेली भाभी... और आजूबाजू चार जवां मर्द अपने कपडे को खोल रहे थे... भाभी भी किसी ना किसी को कपडे उतरने में हेल्प कर रही थी... सब के हाथ भाभी पर चल रहे थे...
केविन: क्यों? तुजे तो कुछ और पसंद था... पलंग पर कैसे पहोंचे?
भाभी: अरे समीर को जो पसन्द है वो देना पड़ेगा न... उसे इन्टेन्स सेक्स चाहिए था... तो हमने वैसा किया...
राजू: भाभी हम तो नहीं करेंगे... हमे तो रफ चाहिए... क्यों भाइओ?
सब ने हां बोली, भाभी खिलखिला उठी... ये सब लोग अंदर अंदर बाते कर रहे थे और मैं सामने सौफे पे पड़ा था... तब अंदर दोनों नौकर आये... मैं नंगा था... और वो लोग कपडे पहने हुए थे... मुझे पहले थोड़ी शर्म आई पर फिर उन लोगो को सौफे पे बुला लिया... और मैं अपने सुकडे हुवे लौड़े को छुपाने के लिए पैर पे पैर रख के बैठा। वो मेरे पास आके बैठे और अंदर अंदर बाते कर रहे थे वो मैं सुन रहा था...
तेजसिंह: क्या माल है नहीं? पूरा साथ देती है... कुछ ना नुकुर नहीं।
रामपाल: हा यार चूत मैं चैरी डालने दिया, तब ही चूत की गर्माहट नाप ली थी मैंने... क्या अदा है इस छिनाल की...
तेजसिंह: बस चुदने मिल जाए...
रामपाल: हा केविन सर बोल रहे थे, हमे एक घंटे तक ये औरत मिलेगी चुदने... तब सब हेकड़ी निकाल देगे साली की...
तेजसिंह: तू शर्त लगा ले... ये सब पे भारी पड़ रही है... हम पे भी भारी पड़ने वाली है...
रामपाल: पहले आने तो दे बिस्तर पर...
मैं: अरे मिलेगी आप लोगो को भी मिलेगी... क्यों टेंशन लेते हो...
रामपाल: वो मालिक रहा नही जा रहा...
मैं: हा हा हा... क्यों लड़की नहीं चोदी क्या इस से पहले?
रामपाल: अरे मालिक ऐसी रंडी कहा हमारे नसीब... वैसे बहोत पैसे लिए होंगे न? हमारे हिस्से के भी आप देने वाले हो?
मैं: अरे रामपाल ये मेरी.... (मैं रुक गया) तुम एन्जॉय करो न... पैसा पैसा क्या करते हो?
तेजसिंह: कब आयगी मेरे निचे अब रहा नहीं जाता...
मैं: पहले मालिक खाले बाद में नौकर की बारी... चलो अब देखो तमाशा चुपचाप...
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