RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
इधर उधर की बाते करके मैं अंदर गया तो भाभी बिस्तर पर थकी हुई पड़ी थी... एक खटिए पर एकदम निढाल होकर पड़ी थी, उनके चहेरे पर उनके बाल बिखराये हुए थे... पैर एकदुसरे पर थे और हाथ ऊपर करके, जिससे भाभी के मम्मो में उभार और भी अच्छे लग रहे थे... मैंने भाभी को हल्का जगाया...
मैं: उठ मेरी रानी घर नहीं जाना?
भाभी: ह्म्म्म्म्म्म जाना तो है पर मन नहीं है... काश ये लम्हे खत्म ही ना हो..
मैं: (उनके मम्मो पर हाथ फिराते हुए और मज़ा अनुसार दबाते हुए) यही हम मर्द सोचते है, जब निकलने वाला होता है तब... के काश ये पल यही रुक जाए और वीर्य ज्यादा टाइम निकलता ही रहे... चल अब बड़ी चुनोती है, घर भैया से पहले पहोचना पड़ेगा... और तेरे पास कपड़े तो है नहीं...
भाभी: वो तो कम्बल ओढ़ लुंगी... भोलू का ले लेंगे
मैं: हा वो तो... ख़ुशी ख़ुशी दे देगा... पर घर पहुचने का टाइम जायेगा दो घंटे तो चलो....चले?
भाभी: हम्म्म चलो... आपके दोस्त?
मैं: वे तो आ जायेंगे अपने आप, वे टाइम पर न पहुंचे तो भी फर्क नहीं पड़ता...
भाभी: सही है...
भाभी ने वहा पड़ा एक कम्बल उठा लिया और मैंने अपना खुला बिना बटन वाला शर्ट ऐसे ही पहन लिया... हम बाहर निकले...
भोलू: अरे ये कम्बल, चलो ठीक है तू ही रख ले, देने आना वापिस...
भाभी: हा अब तो आना ही पड़ेगा... अब तू नहीं रोयेगा... मैं महीने में एक बार आया करुँगी तेरे पास इसके इलाज के लिए...
भाभी ने हल्का का दबा दिया भोलू के लौड़े को... कम्बल से हाथ बाहर निकल ते ही एक साइड का थोडा खुल्ला हो गया जहा से भाभी का आधा बदन और एक मम्मा खुल्ला हो गया जो भोलू ने पलक जपकते ही पकड़ के मसल लिया...
भोलू: एकबार इसे मुह में लेना चाहता हूँ..
भाभी: ले ले...
भोलू ने कुछ पांच मिनिट दोनों चुचिया मुह में भर के चूसी, चूत में ऊँगली करना तो बिच में चलता ही रहता था.. और फिर भाभी ने भोलू को एक मस्त किस दे कर विदा ली.. गाडी में बैठते ही हम दोनों ने वापिस एक बार मस्त किस की... और हम दोनों घर की और चल पड़े... भाभी रस्ते में सोती रही, भाभी को चोदने की इच्छा मुझे बिच रस्ते पर हुई जरूर थी पर अब घर पहुचना इतना ही जल्द था...
हमने जब गाडी कंपाउंड में एंटर की तो नई गाडी के कारन सिक्यूरिटी ने रोक दिया, तब भी भाभी सोई हुए थी, पर कम्बल थोडा निचे गिरा था तो मम्मे की घाटी थोड़े अच्छे से दिख रही थी, सिक्यूरिटी की नज़र थी वहा पर... पर वो क्या बोलता, गाडी अवैध नहीं है और हम दोनों ये बिल्डिंग में रहते है पता चलते ही गाडी को अंदर आने ही देना था... भाभी को देखने में मेरा टुटा शर्ट नज़र नहीं आया, मैंने भी सोचा भले आज ये सिक्यूरिटी वाला भी ये जलवे देख ले....
पार्किंग में जाते ही मैंने भाभी को उठाया, और फिर हम धीमे धीमे लिफ्ट की और पहोंचे, पर मुझे अँधेरे में ज़रूर दिखा के सिक्योरिटी वाला जरूर देख रहा है... भाभी और मैं लिफ्ट आते ही अंदर घुस गए और मैंने भाभी के कम्बल को निचे गिरा दिया... पूरी नंगी कर के लिफ्ट को लास्ट फ्लोर तक ले जाकर वापस पहले माले पर लाया तब तक उसके बदन से चिपक कर रगड़ता रहा... अपना एक पैर उठा कर भाभी ने मुझे पूरा सपोर्ट दिया...
थोड़ी सावधानी के साथ हम हमारे फ्लेट में आखिर दाखिल हुए... जहा हम वापस बदन से चिपके रहे... और किस देते रहे...
भाभी: एक मिनिट... तेरे भैया कभी भी आ सकते है मुझे पूछने दे...
भाभी ने फोन लगाया और पूछा तो पता चला के उसे अभी और एक घण्टा हो सकता है....
मैं: चलना रण्डी ये घण्टे का उपयोग ये घंटे से करते है...
भाभी: अभी और नहीं..
मैं: मेरा बर्थडे है... एक तो मुझे जो मिलनी चाहिए वो तो गिफ्ट का इंतेज़ाम भी नहीं किया और गिफ्ट तो दी ही नहीं...
भाभी: अरे वाह बच्चू तेरे लिए सुबह से चुदती आ रही हूँ.. और तू है की...
मैं: अरे हा वो तो तुजे भी पसन्द था वही हुआ... जो सबको मिला वही मिला... हा... मुझे गिफ्ट चाहिए...
भाभी: अरे बाप रे अभी कहा से लाउ गिफ्ट?
मैं: कुछ भी दे पर दे....
भाभी: कुछ नहीं है गिफ्ट और मुझे नहाने जाना है... अभी तेरे भैया को भी देना पड़ेगा.... बाय...
मैं: ठीक है... कोई बात नहीं...
मैं मुह बनाके बैठ गया... भाभी आके मेरी गोदी में बैठी...
भाभी: चल साथ नहाते है...
मैं: (मम्मो पर चूंटी काटते हुए) ये हुई न रण्डी वाली बात... चल
हम दोनों एकदूसरे को किस करते हुए बाथरूम में घुसे तब तक मेरे भी सारे कपड़े उतर चुके थे...
मैं: भाभी आप गालिया क्यों नहीं बोलती?
भाभी: मालिक को गालिया नहीं देनी चाहिए... तू मेरे बदन का मालिक है...
मैं: पर दूसरे?
भाभी: अरे मेरे बदन पे जो चढ़ते है वो मालिक बन जाते है...
मैं: चल जो भी है....
मैंने बातो में टाइम वेस्ट नही किया और शावर के बिच एक धमाकेदार चुदाई की... भाभी का गिला बदन... आह... मुह से स्माइल हट नहीं थी थी...
भोलू: बहोत, चूत में जन्नत के द्वार है ये आज अहसास भी हो गया... क्या मख्खन माल है.. आज एहसास हुआ के आदमी का दिमाग चलने में औरत का कितना बड़ा हाथ होता है... मालिक आपने मुझे तृप्त कर दिया... ये आपका गुलाम हुआ आजसे...
मैं: मैंने थोड़ी कुछ किया है? ये तो सब मेमसाब का काम है...
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