RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b]कुशल बड़ी ही मेहनत से अपने लंड को अपनी पेंट में ठूंसने की कोशिश कर रहा था पर उसका लंड था कि आज पूरी तरह से बगावत पर उतर आया था, स्मृति भी बड़ी टेंसन में आ चुकी थी कि अगर प्रीती ने कुशल को इस हालत में देख लिया तो ना जाने क्या होगा,
और तभी अचानक प्रीती किचन के अंदर आ गयी
प्रीती के इस तरह अचानक आते ही स्मृति और कुशल बुरी तरह सकपका गये, कुशल ने बड़ी ही फुर्ती से अपने आपको अपनी मम्मी के बदन के पीछे कर लिया और स्मृति अब ठीक उसके आगे थी जिससे प्रीती को कम से कम कुशल का खड़ा हुआ लंड तो नही दिख पा रहा था,
स्मृति – “अरे प्री......प्रीती... बेटा..... , बड़ी .....जल्दी फ्रेश हो गयी तुम तो....... चलो तुम बाहर बैठो, मैं अभी तुम्हारे लिए नाश्ता लगाती हूँ टेबल पर.....” स्मृति ने घबराते हुए कहा, क्यूंकि कुशल ठीक उसके पीछे खड़ा था और उसका तना हुआ लंड अभी भी स्मृति की गांड को टच किये जा रहा था,
प्रीती – “क्या हुआ मोम , आप इतनी घबराई हुई क्यूँ हो, और ये कुशल आपके पीछे क्यूँ खड़ा है” प्रीती ने तो ये सवाल पूछ कर उन दोनों पर जैसे कोई बम ही गिरा दिया था”
स्मृति –“नही बेटा, मैं कहाँ घबराई हुई हूँ, वो तो बस गैस के नजदीक होने की वजह से पसीना आ रहा है” स्मृति हकलाते हुए बोली
प्रीती – “वो सब तो ठीक है मोम, पर ये कुशल का बच्चा आपके पीछे छुपकर क्यूँ खड़ा है, और कुछ बोल क्यूँ नही रहा”
कुशल की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी, ये तो स्मृति थी जो किसी तरह सिचुएशन को सम्भालने की कोशिश कर रही थी, वरना अभी तक तो आराम से पकडे जाते,
स्मृति –“कुछ नही प्रीती बेटा , वो मुझे कोई डब्बा चाहिए था, पर वो ऊंचाई पर रखा है न इसलिए कुशल को बुलाया था ताकि वो मेरी हेल्प कर दे उसे उतारने में” स्मृति ने बड़ी सी कुशलता से बचाव करने की कोशिश की
प्रीती –“पर वो आपके पीछे छुपकर क्यूँ खड़ा है, क्यूँ बे कुशल बाहर निकल वहां से, मुझे तुझसे कुछ काम है अपने रूम में”
कुशल –“ तू...तू...तू चल........म.म्मम्म ...मैं अभी 2 मिनट में आता हूँ बस” कुशल घबरा कर बोला
प्रीती को अब थोडा शक हुआ कि “आखिर मोम और कुशल दोनों ही इतने घबरा कर क्यूँ बाते कर रहे है, कहीं एसा तो नही कि मेरे उपर जाते ही कुशल और मोम......ओह माय गॉड....... ये कुशल तो बड़ा ही कमीना है, एक मिनट का सब्र नही होता इससे, पर मोम को क्या हुआ,, उसने कैसे उसे करने दिया कुछ मेरे होते हुए भी यहाँ.... मोम तो बड़ी ही छिनाल निकली, अपनी बेटी के घर में होते हुए भी देखो कैसे अपने जवान बेटे के साथ रंगरेलिया मना रही है”
स्मृति –“क्या सोचने लगी प्रीती..... तू...तू चल बाहर बैठ मैं अभी कुशल को डब्बा उतरवाने के बाद बाहर भेजती हूँ”
इधर प्रीती को अब अपनी मोम से थोडी जलन होने लगी थी, कि “आखिर मोम में ऐसा क्या है जो कुशल मेरी बजाय मोम के पीछे पागल है, आज तो मोम और कुशल को सबक सिखा ही देती हूँ”
ये सोचकर प्रीती बोली
प्रीती –“नहीं मोम मुझे अभी कुशल से बात करनी है कुछ इम्पोर्टेन्ट काम है, ये ऐसे बाहर नही आएगा, मैं खुद ही इसे खींचकर बाहर निकालती हूँ”
ये कहकर प्रीती अब धीरे धीरे स्मृति और कुशल की तरफ बढने लगी
इधर कुशल और स्मृति के दिलो की धडकन लगातार बढ़ते ही जा रही थी, उनका चेहरा अब पीला पड़ने लगा था, कुशल की तो डर के मारे हालत पतली हो गयी थी
कुशल मन ही मन सोचने लगा “ हे भगवान कहाँ फँस गया, आज तो मैं गया काम से, अगर प्रीती को पता चल गया तो वो पक्का घर में सबको बता देगी और अगर पापा को पता चला तो वो तो मेरी गांड ही तोड़ देंगे और शायद मुझे घर से बाहर भी निकाल दें, हे भगवन आज बचा लो फिर कभी ऐसी गलती नही करूंगा, प्लीज़ ....”\
कुशल और स्मृति अपने अपने मन में भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि किसी तरह आज वो बच जाये, पर प्रीती अब धीरे धीरे उनके करीब आने लगी थी और स्मृति और कुशल के आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा था कि तभी
तभी बाहर गाडी के हॉर्न की आवाज़ आई, प्रीती को एक पल में समझ आ गया कि ये तो पापा की गाडी की आवाज़ है, इसका मतलब पापा आ गये,
स्मृति –“ अरे.....अरे...प्प्प्पप....प्रीती....लगता है तेरे पापा....आ गये है.....जा...जा गेट खोल दे जल्दी से.......” स्मृति ने कांपते होठों से कहा
प्रीती –“जी मोम......” ये कहकर प्रीती किचन से सीधा स्पीड में बाहर निकल गयी और गेट की तरफ बढ़ने लगी
इधर पीछे से कुशल ने फटाफट अपने लंड को पेंट के अंदर फिट करने की कोशीश की, स्मृति ने पलट कर देखा तो पाया की अभी भी कुशल का लंड पूरी तरह नही बैठा था, क्यूंकि स्मृति के पीछे खड़े होने की वजह से कुशल का लंड अपनी मोम की गांड से छु रहा था
स्मृति को कुशल के लंड पर बड़ा गर्व सा हुआ और प्यार भी आ गया, पर वो जानती थी कि ये वक्त सही नही प्यार जताने का, इसलिए स्मृति ने कुशल के लंड को पकड़ा और उसे फटाक से जोर लगाकर ज़िप के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगी
पर ये क्या, स्मृति के स्पर्श से तो लंड फिर से ओकात में आने लगा, ये देखकर स्मृति के होठो पर एक मुस्कान सी आ गयी, और उसने तुरंत लंड को छोड़ दिया
स्मृति –“ ते तेरा लंड तो बैठने का नाम ही नही ले रहा”
कुशल –“क्या करूं मोम, आपके हाथो के स्पर्श से अपने आप बड़ा हो रहा है”
स्मृति –“पर अभी सही टाइम नही इसे बड़ा करने का, चल जल्दी से अपनी पेंट खोल कर फिर इसे अंदर डाल ले,
तेरे पापा किसी भी वक्त आ सकते है”
कुशल –“हाँ ये सही रहेगा”
ये कहकर कुशल ने फटाक से अपनी पेंट के बटन खोले और फिर अपनी पेंट निचे करके अपने लंड को पेंट में किसी तरह एडजस्ट करके फिर से पेंट पहन ली,
अब जाकर दोनों के साँस में साँस आया,
स्मृति –“आज तो बाल बाल ही बच गये, वरना शामत आ जाती” स्मृति ने अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा
कुशल –“हम्म्म्म सही कहा मोम आपने”
स्मृति –“अच्छा अब चल लगता है तेरे पापा आये है देल्ही से”
कुशल –“चलो मोम”
ये कहकर दोनों माँ बेटे किचन से बाहर आ गये और गेट की तरफ बढ़ चले
प्रीती ने अब तक गेट खोल दिया था, पीछे से अब कुशल और स्मृति भी आ गये,
जैसे ही प्रीती ने गेट खोला तो सामने पंकज और आराधना दोनों खड़े थे, उन्हें वहाँ देखकर प्रीती के साथ साथ कुशल और स्मृति भी चोंक गये,
प्रीती –“अरे आरू दीदी , आप पापा के साथ कैसे??? आप तो कोई फैशन डिजाइनिंग का कम्पटीशन था ना”
इससे पहले कि आराधना कुछ जवाब देती पंकज बिच में ही बोल पड़ा
पंकज –“अरे प्रीती पहले हमे अंदर तो आने दे, देखती नही बाहर अभी भी हल्की हल्की बारिश हो रही है, पूरा भिगाएगी क्या हमें”
प्रीती –“ओह सोरी डैड, आइये”
ये कहकर प्रीती ने गेट पूरा ओपन कर दिया ताकि पंकज और आराधना अंदर आ सके, प्रीती ने गौर किया कि आराधना दीदी थोड़ी बदली या कहे कि गदराई सी नजर आ रही थी, और पहले से भी ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी, पर प्रीती ने इस ओर ज्यादा ध्यान नही दिया,
अंदर स्मृति और कुशल भी बस अभी अभी किचन से बाहर निकले थे, और उन्होंने देखा कि पंकज और आराधना अपने गिले बालो को झड़काते हुए अंदर आ गये है, आराधना को पंकज के साथ देखकर उन्हें भी सरप्राइज हो रहा था, पंकज और आरू सोफे पर आकर बैठ गये,
स्मृति – “अरे आप बिना बताये, मेरा मतलब है कि एक कॉल तो कर देते कि आप आ रहे हो, और ये आरू आपके साथ क्या कर रही है, इसका तो कम्पटीशन था ना दिल्ली में????”
पंकज –“अरे इसका कम्पटीशन अचानक कैंसिल हो गया, उधर मेरा जो काम था वो भी पूरा हो गया तो सोचा कि आरू को भी साथ ही ले चलू घर पर”
स्मृति –“चलो ये तो आपने अच्छा किया, वरना ट्रेन में तो परेशान हो जाती बेचारी, पर आपको कम से कम एक कॉल तो कर देना चाहिए था ना”
आराधना ने मन में सोचा –“ ये मोम बार बार कॉल के पीछे क्यूँ पड़ी है, जरुर अपने उस आशिक के साथ गुलछर्रे उडाये होंगे मोम ने, जो उस दिन कैसे बुरी तरह इनकी चुद....कर रहा था”
(रीडर्स को शायद याद होगा कि दिल्ली जाने से पहले आराधना ने कुशल को स्मृति की चुदाई करते हुए देख लिया था, बस उसने कुशल का चेहरा नही देखा था इसलिए उसे पता नही था कि स्मृति किसके साथ सेक्स कर थी, उसे तो यही लग रहा था कि जरुर कोई बाहर का आशिक होगा मोम का )
आराधना –“अरे मोम, वो मैंने ही पापा को मना किया था कॉल करने को क्यूंकि हम लोग आपको सरप्राइज देना चाहते थे” आराधना ने बड़ी सफाई से झूठ बोल दिया
स्मृति –“चलो कोई बात नही, अब आप दोनों अपने अपने कमरों में जाके फ्रेश हो जाइये, और अपने सर भी पोंछ लेना वरना जुकाम हो जाएगी”
फिर पंकज अपने रूम में चला गया और आराधना अपने रूम में उपर चली गयी, प्रीती भी आराधना के पीछे पीछे उसके साथ ही चली गयी
इधर निचे कुशल और स्मृति ही बचे थे बस,
कुशल –“मोम, अब हम कैसे कर पाएंगे”
स्मृति –“तू चिंता क्यूँ करता है, निकालेंगे कोई न कोई रास्ता, अब तो मैं भी लायन के बिना नही रह सकती, पर अब हमे घर में थोडा सम्भल के रहना होगा, आज भी बड़ी मुसीबत में फँस सकते थे, अगर प्रीती देख लेती तो”
कुशल –“मोम, शायद उपर वाला भी यही चाहता है कि हमारा रिश्ता ऐसे ही बना रहे तभी तो देखो एन वक्त पर हमे बचा लिया और पापा और आराधना दीदी को भेज दिया”
स्मृति उसकी बात पर बस मुस्कुरा दी
कुशल –“अच्छा मोम, मैं अभी बाहर जा रहा हूँ अपने एक फ्रेंड के पास, दोपहर तक आ जाऊंगा”
स्मृति –“अरे पर बाहर तो बारिश हो रही है, और तूने तो नाश्ता भी नही किया अभी तक”
कुशल –“अरे मोम, बारिश तो लगभग खत्म हो चुकी है, और नाश्ता मैं अपने फ्रेंड करण के घर पर कर लूँगा”
स्मृति –“अरे बेटा, ये करण वही है ना जिसकी मोम तेरी क्लास टीचर है, क्या नाम है उनका”
कुशल –“ प्रिया मेम”
स्मृति –“हाँ हाँ प्रिया मेम, चल ठीक है तू जा, पर जल्दी आ जाना घर, मैं लायन का वेट करूंगी, शाम को हमे
स्विमिंग क्लास भी तो जाना है, याद है या भूल गया”
कुशल –“ऑफ़ कोर्स याद है मोम, और आज आप लायन के साथ ही जाओगी स्विमिंग” ये कहकर कुशल ने स्मृति की तरफ एक आँख मार दी, स्मृति भी उसकी और देखकर मुस्कुरा दी [/b]
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