RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b]अब हम कहानी को वापस कुशल के घर की तरफ मोड़ते है, सिचुएशन काफी बदल चुकी है पर हम वहीं से स्टार्ट करते है जहाँ छोड़ा था, यानि कि जब कुशल अपनी मोम से विदा लेके करण के घर की तरफ निकल चूका था,
स्मृति किचन के कामों में लग चुकी थी, इधर पंकज भी थोडा फ्रेश होने के बाद रेस्ट कर रहा था
आराधना अपने कमरे में कपड़े बदलकर बेड पर जाकर लेटी हुई थी, उसके दिलो दिमाग में सिर्फ और सिर्फ पंकज का चेहरा और लंड घूम रहा था, वो बार बार उन लम्हों को याद कर रही थी जब वो और उसके पापा दो दिल एक जान हो गये थे, और उसके पापा का प्यारा सा लंड उसकी चुत में जाकर बड़ी ही तबियत से उसकी चुदाई कर रहा था, आराधना तो ये सोचकर बड़ी ही चुदासी होने लगी, उसके रोम रोम में चिंगारी सी फूटने लगी, बदन में अंगड़ाईयां आने लगी और वो बेड पर करवटें लेने लगी, उसका मन तो कर रहा था कि वो बस अभी जाकर अपने पापा के लंड को अपनी चुत में घुसा ले और फिर जमकर चुदाई का दौर चले पर वो भी जानती थी कि ये सम्भव नही है
काफी देर ऐसे ही सोचने के बाद उसने सोचा क्यूँ ना थोड़ी देर नहा लिया जाये, ताकि थोडा अच्छा फील हो
वो टॉवल लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी कि तभी उसे याद आया कि उसके चुत और टांगो पर अब हल्के हल्के बाल उग आये है, और आराधन अपनी चुत का अब बहुत ज्यादा ख्याल रखती थी, और उसे बिलकुल चिकनी रखना चाहती थी,
उसने अपने बैग से वीट की क्रीम निकाली और बाथरूम में आ गई, उसने अपनी नाइटी को घुटनों तक उठाया और धीरे धीरे अपनी टांगों पर वीट क्रीम लगाने लगी, उसकी गोरी चिकनी टांगो पर हल्के रेशम जैसे छोटे छोटे बाल उग आए थे,
थोड़ी देर वीट लगाए रखने के बाद उसने धीरे धीरे सारे बाल हटा दिए, ट्यूबलाइट की दुधिया रोशनी में उसकी गोरी सूंदर टांगे और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,
टांगो की सफाई के बाद अब बारी थी उसकी अनछुई गुलाबी चुत की, आराधना ने धीरे धीरे अपनी नाइटी को अपने पैरों की गिरफ्त से आज़ाद कर दिया, अब वो सिर्फ अपनी खूबसूरत छोटी सी गुलाबी पैंटी में थी, उसके सुडौल नितम्ब उस छोटी सी पैंटी में उभरकर सामने आ रहे थे, जिन्हें देखकर आराधना ने शर्म के मारे अपनी आंखें ही बन्द कर ली,
धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी, उसका शरीर गर्म होने लगा और उसकी अंगुलिया उसकी पैंटी में से रास्ता बनाते हुए उसकी चुत के दाने को मसलने लगी,
" उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह पा्ह्ह्ह्हपा फ़क मी पापाआआआ,, अब आप मेरी इस प्यारी सी चुत को मत रुलाओ पापाआआआ,
उन्ह्ह्ह्ह देखिए कैसे मेरी ये गुलाबी चुत आपके उस लम्बे लन्ड को याद करके टेसुए बहा रही है,ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़ इसे और मत तड़पाओ ........ इस निगोड़ी चुत को अपने लंड से भर दीजिये पापाआआआ.......बुझा दीजिये इसकी प्यास, उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस , मैं आपके उस काले लम्बे लंड को अपनी चुत में लेकर रहूंगी.....ओह्हहहहह ....पापाआआआ आपके लिए मैं कुछ भी करूंगी पापाआआआ.....आइए अपनी आराधना के पास, बुझा दीजिये मेरी चुत की आग को पापाआआआ"
आराधना के हाथ अब तेज़ी से अपनी चुत के दाने को मसल रहे थे, वो पहली बार खुल कर चुत और लंड जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रही थी, अब उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंचने वाली थी, उसकी अंगुलिया सरपट उसकी चुत की सड़क पर दौड़ी जा रही थी
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह पा्ह्ह्ह्हपा मैं गईईईई आहहहहहहहह पापाआआआ"
कहते हुए आराधना के बदन ने एक जोर की अँगड़ाई ली और उसकी चुत से फवारा फुट पड़ा, उसका पानी उसकी चुत से निकलकर उसकी सुडौल जांघो को गीला कर रहा था, उसकी अंगुलिया अभी भी उसकी चुत में फंसी थी, उसने धीरे से अपनी चुत के पानी को अपनी अंगुलियो पर लपेटा और फिर स्लो मोशन में अपने मुंह के अंदर लेकर जीभ से चाटने लगी,
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह पापाआआआ कब दोबारा इन अंगुलियो की जगह आपका वो प्यार लंड होगा, मैं आपके प्यारे लन्ड को अपने मुंह मे लेकर दोबारा खूब चुसुंगी, उसे खूब प्यार करूंगी, उसे जन्नत के दर्शन करवाउंगी, आ जाइए न पापाआआआ"
झड़ने के बाद आराधना की उत्तेजना थोड़ी शांत हुई, पर अपने पापा को पाने की हवस अब और भी ज्यादा उग्र हो चुकी थी,
अब उसे याद आया कि उसे तो अपनी प्यारी सी मुनिया को सजाना भी है, अपनी फुलकुंवारी के बालों की सफाई कर उसे बिल्कुल चिकनी चमेली बनाना है, उसने वीट क्रीम उठाई और अपनी मुनिया के बालों की सफाई करने में मशगूल हो गई,
सफाई करने के बाद उसने बाथ लिया,
कुछ देर बाद जब आराधना नहा चुकी थी, तो उसने पास रखे तौलिए की तरफ हाथ बढाया और अपना तरोताजा हुआ जिस्म पोंछने लगी. तौलिया बेहद नरम था और आराधना का बदन वैसे ही नहाने के बाद थोड़ा सेंसिटिव हो गया था, सो तौलिये के नर्म रोंओं के स्पर्श से उसके बदन के रोंगटे खड़े हो गए व उसकी जवान छाती के गुलाबी निप्पल तन कर खड़े हो गए. आराधना को वो एहसास बहुत भा रहा था और वह कुछ देर तक वैसे ही उस नर्म तौलिए से अपने बदन को सहलाती खड़ी रही.
फिर उसने तौलिया एक ओर रखा और अपने अन्तवस्त्रों की तरफ हाथ बढ़ाया, आज उसने एक बिल्कुल महीन पारदर्शी कपड़े की ब्लू पैंटी पहनी और हल्के आसमानी कलर की सी ब्रा...
उसने आज नाइटी की बजाय ब्लैक लिंगरी पहन ली, उसकी लिंगरी उसकी सुडौल झांगो से ऐसे कसकर चिपकी हुई थी, कि मानो उसके झुकते ही लिंगरी का कपड़ा तार तार हो जाएगा, ध्यान से देखने पर उसकी लिंगरी के अंदर से उसकी ब्लू पेंटी की लाइन साफ देखी जा सकती थी,
वो अभी बस तैयार ही हुई थी कि तभी उसके कमरे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी, आराधना ने कमरा खोला तो सामने प्रीती अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ खड़ी थी,
आराधना –“अरे प्रीती, ऐसे खड़ी खड़ी मुस्कुरा क्यूँ रही है, चल अंदर आजा, बहुत सी बाते करनी है तेरे साथ”
प्रीती और आराधना कमरे में आ गयी, और आकर बेड पर बैठ गयी, इससे पहले कि आराधना कुछ कहती,प्रीती बिच में ही बोल पड़ी
प्रीती –“दीदी, आप दिल्ली क्या गई आपके तो तेवर ही बदल गये है” प्रीती तीखी मुस्कान के साथ बोली
आराधना –“तेवर...कैसे तेवर?” आराधना थोड़ी सी घबरा गयी थी, उसे लगा कि कहीं इसे शक तो नही हो गया
प्रीती –“और नही तो क्या दीदी, जब गयी थी तब कैसी पुराने जमाने की मधु बाला की तरह गयी थी, बिलकुल ढके और पुराने फैशन के कपड़ो में, और अब जब आई हो तो मल्लिका शेरावत बनकर आई हो...हा हा हा” प्रीती हँसते हुए बोली
आराधना –“हट पागल, मैं कहाँ चेंज हुई हूँ, वैसी ही तो हूँ जैसे गयी थी”
प्रीती –“कहाँ दीदी, झूट क्यूँ बोलती हो, अब तो आप पूरी माल लग रही हो कसम से, मन करता है कि...”
आराधना –“छुटकी तू बड़ी बदमाश हो गयी है आजकल, बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगी है.........वैसे..अम्मम्म....क्या....क्या मन करता है तेरा”
प्रीती –“रहने दो दीदी, अगर मैंने कुछ बोल दिया तो आप तो नाराज़ हो जाओगी मुझसे....”
आराधना –“अरे बोल ना, मैं नही होउंगी नाराज़”
प्रीती –“दीदी...आपको अभी देखकर मेरा मन कर रहा है कि अभी आपको बेड पर पटक कर जोरदार किस कर दूँ....और फिर....”
आराधना –“फिर....फिर,,,क्या” आराधना भी सुबह से ही काफी गरम थी, उसे प्रीती की ये बाते बहुत ही ज्यादा गरम किये जा रही थी, इसलिए उसे भी इन सब बातो में बड़ा मजा आ रहा था
प्रीती –“फिर ....दीदी...फिर्र्र्र....वो.......” प्रीती हकलाते हुए बोली
आराधना –“अरे बोल ना फिर क्या.....” आराधना उतावली होते हुए बोली
प्रीती –“फिर बस मुझें नही पता .....आप नाराज़ हो जाओगी ” प्रीती मुंह फेरते हुए बोली हुए बोली
आराधना –“अरे बोल ना मैं पक्का तुझसे नाराज़ नही होउंगी”
प्रीती –“ठीक है, अगर आप नाराज़ नही होने का वादा करती हो तो मैं बोलती हूँ, सबसे पहले मैं आपको जमके किस करूंगी और फिर....फिर.....आपके वहां पर भी किस करूंगी”
आराधना –“वहाँ ....कहाँ...साफ साफ बोल ना...क्या पहेलियाँ बुझा रही है....”
प्रीती –“आपकी चु....मतलब...पुसी पर...” प्रीती ने आखिर हिम्मत करके बोल ही दिया था, दरअसल जब से सिमरन के साथ उसने लेस्बियन सेक्स का मजा चखा था, उसका दिमाग उसे आराधना के साथ भी ऐसा ही करने के लिए उकसा रहा था,
आराधना –“हय्य...रामम.......तुझे शर्म नही आती ...कुछ भी बोलती है.....लगता है बहुत बड़ी हो गयी है तू...अभी तुझे बताती हूँ....” ये कहकर आराधना खड़ी हुई
आराधना को इस तरह कहते देख प्रीती भी खड़ी होकर खिलखिलाते हुए बेड के चारो और भागने लगी, आराधना उसके पीछे पीछे उसे पकड़ने के लिए भागने लगी,
और तभी आराधना ने अचानक प्रीती को पकड़ लिया और झट से बेड पर गिरा कर खुद उसके उपर आ गयी
आराधना –"अब बोल प्रीती की बच्ची ...करेगी मेरे साथ ऐसा मज़ाक....बोल...''[/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
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