RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]तभी पंकज ने आराधना को रोका और ऊपर उठाया
आराधना –“क्या हुआ पापा, आपने मुझे रोका क्यों”
पंकज –“आरू अगर मेरा पानी निकल गया तो तुम प्यासी रह जाओगी, इसलिए पहले मैं तुम्हारी प्यास बुझा देता हूँ”
आराधना –“आपको मेरी कितनी परवाह है पापा” ये कहकर आरू हौले हौले मुस्कुराने लगी,
पंकज ने बड़े प्यार से उसे दोबारा लेटाया और और फिर अपना मुंह आरू की चूत से सटा दिया, आराधना की चूत तो गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी, फिर पंकज ने उसकी गरम चूत पर किस करना शुरू कर दिया,
पंकज के मुंह से निकलती गरम सांसे जब आराधना की चूत पर महसूस होती तो आराधना की उत्तेजना और भी ज्यादा भड़क जाती, अब पंकज ने अपने होठो से आरू की चूत के होठों को दबोच लिया और उन्हें बड़ी ही बेसब्री से चूसने लगा, आराधना आँखें बंद करके लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी, और अपने पापा के बालो में हाथ फेरे जा रही थी,
फिर पंकज ने अपनी जीभ का इस्तेमाल करते हुए आरू की चूत की दोनों स्किनो को अलग किया और बड़े ही प्यार से अपनी जीभ चूत के अंदर घुसा दी, आरू को तो जैसे जोर का झटका लगा, उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसके पापा अपनी जीभ से ही उसकी चुदाई कर रहे हो,
इधर पंकज अपनी जीभ को चूत के अंदर गोल गोल घुमाने लगा, और दुसरे हाथ से आराधना के नंगे मम्मो को बुरी तरह मसलने लगा,
इस दोगुने हमले से आराधना तो मजे के मारे पस्त हुए जा रही थी, पंकज अपनी जीभ को चूत के और अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था, तकरीबन 5 मिनट बाद ही आराधना की सिसकियाँ जोर पकड़ने लगी, पंकज समझ गया कि आरू झड़ने वाली है, इसलिए पंकज भी आराधना की चूत में अपनी जीभ जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगा और उसकी पूरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा और जल्दी जल्दी उसके बोबे दबाने लगा उन्हें मसलने लगा
तभी अचानक आराधना ने पंकज के बालो को कस कर पकड़ लिया और उसके मुंह से एक तेज़ लम्बी सिसकारी फुट पड़ी
“आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...............पापा............." और साथ ही आराधना की चूत से बहुत सारा पानी निकल पडा जो उसकी जांघों से होते हुए बेडशीट पर गिरने लगा,
पंकजने अपनी जीभ से उसका लगभग सारा पानी चाट कर साफ कर दिया और उसकी झांग और चूत भी चाट के साफ़ कर दी,
आराधना –“मजा आ गया यार पापा......आप सच में कितना अच्छा चूसते हो.....अब मेरी बारी...”
ये कहकर आरू ने पंकज को अब लेटा दिया और खुद उनके टांगो के बिच बैठ गयी, और फिर उनका पूरा तना हुआ लंड अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी, वो उसे पूरा अपने मुह में लेके चूसने लगी, कभी वो अपनी जीभ पूरे लंड पर फेरती, उसे चाटती, कभी लंड के टोपे को जल्दी जल्दी अपने होंठो से अंदर बाहर करती, कभी अपने मुह से लंड निकाल के अपने हाथों से उसे जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करती
पंकज को तो इन सबमे बहुत मजा आ रहा था, आरू पूरी तल्लीनता से अपने पापा का लंड चूसने में लगी हुई थी, और उसकी मेहनत ने जल्द ही रंग दिखाना शुरू कर दिया, और पंकज के लंड ने बहुत सारा माल उगल दिया, जिसे आरू चटकारे लेकर चाट गयी,
पंकज –“वाह बेटी, सच में तू कमाल है”
आराधना -“वो तो मैं हूँ ही पापा, अच्छा चलो अब फटाफट हाथ मुंह धो लो, मोम और प्रीती बाहर वेट कर रहे होंगे” हमे 15 मिनट से भी उपर हो गये है यहाँ
पंकज –“हाँ सही कहा तुमने बिलकुल”
और पंकज और आराधना ने फटाफट अपने कपड़ो को ठीक किया और फिर बाहर आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया जहाँ प्रीती पहले से उनका इंतज़ार कर रही थी[/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b][/b]
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