RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
हुआ ये की रेखा ने आँचल का व्यवहार देखा तो औरत होने के नाते वो समझ गयी की मेमसाब ढंग से ना पाने से परेशन हैं.
एक सुबह जब सुनील काम पर चला गया तो रेखा आँचल के कमरे में आई और बोली, “ मेमसाब, नहाने से पहले में आपकी बॉडी मसाज कर दूं ? मेरी पहले वाली मेमसाब भी मुझसे खूब मसाज करवाती थी. आप कहो तो आपकी भी कर दूं.”
आँचल ने सोचा मसाज करवा के देख लेती हूँ वास्तव में अच्छे से करती है या खाली बातें बना रहा ही .
रेखा : “ मेंमसाब्! आप पेट के बाल लेट जाओ . में तेल गरम करके लाती हूँ और तौलिया भी ले आती हूँ. “
जब रेखा वापस आई तो उसने देखा मेमसाब नाइट्गाउन में पेट के बाल लेटी है.
रेखा: “ मेंमसाब्! ये गाउन तो तेल से खराब हो जाएगा. आप इसको उतार दो.”
आँचल ने गाउन के अन्दर कुछ भी नही पहना था , इसलिए वो बाथरूम चली गयी और गाउन उतारकर ब्रा पॅन्टी पहन ली. बाथटब में मूठ मरते समय आँचल अपनी नौकरानी रेखा को भी फॅंटसाइज़ करती थी इसलिए अब ब्रा पॅन्टी में रेखा से मसाज करवाने के ख़याल से उसको उततेज़ना आने लगी.
जब आँचल बेडरूम में वापस आई तो चौंक गयी . रेखा सिर्फ़ ब्रा पॅन्टी में थी बाकी कपड़े उसने उतार दिए थे. आँचल ने देखा की रेखा ने इंपोर्टेड लेस वाली ब्रा पॅन्टी पहनी हुई है. वो समझ गयी की ज़रूर इसने ये इतनी महनगी ब्रा पॅन्टी अपनी पिछली मेमसाब से चुराई होंगी.
रेखा को आम(माँगो) बहुत पसंद थे. हर समय आम आम करती थी पर उसके खुद के आम बहुत छोटे थे. रेखा थोड़े काले रंग की पतली दुबली सी थी और छोटी छोटी चुचियाँ पाले थी. पर वो एक नंबर की चुडदक्कड़ थी , मुहल्ले के सभी नौकरों से चुदवा चुकी थी . टाँगे उसकी नीचे को कम और उपर को ज़्यादा रहती थी.
जब रेखा ने आँचल को ब्रा पॅन्टी में देखा तो देखती रह गयी. उसकी गोरी गोरी बड़ी चुचियाँ ब्रा से बाहर निकालने को मचल रही थी. आँचल ने रेखा को इस तरह घूरते हुए पाया तो आँचल शर्मा गयी और बेड पर पेट के बाल लेट गयी.
रेखा आँचल के कंधों पर तेल लगाकर मालिश करने लगी. मालिश के साथ साथ वो आँचल की खूबसूरत गोरी त्वचा (स्किन) की तारीफ भी करते जा रही थी. फिर उसने पीछे से आँचल की ब्रा का हुक खोल दिया और पीठ , कमर में तेल मालिश करने लगी. आँचल को मालिश से बहुत अक्चा महसूस हो रहा था . वो दोनो मालिश के साथ बातें करने लगी.
रेखा : “ मेमसाब आप कितनी सुंदर हो ! आपकी स्किन बिल्कुल सॉफ सुथरी कितनी अच्छी है बिल्कुल गोरी उजली ! मेरी किसी भी पुरानी मेमसाबकी इतनी सुंदर नही थी. आप वाक़ई बहुत खूबसूरत हो.”
मालिश करते करते दोनो को उततेज़ना आने लगी फिर उनकी बातें सेक्स की तरफ मूड गयी.
अब रेखा जांघों की मालिश कर रही थी. जाँघो के आंद्रूणई हिस्से की मालिश करते समय वो जानबूझकर आँचल की छूट के होठों को टच कर दे रही थी . जिससे आँचल की हल्की हल्की सिसकारी निकल जा रही थी. रेखा ने देखा आँचल की पॅन्टी में गीलापन आ रहा है. वो समझ गयी अब मेमसाबउततेज़ीत हो गयी है.
रेखा : “ मेमसाब, वो जो नया कुक आया है ना अपने यहाँ, वो बहुत हरामी है.”
आँचल : “ हरामी ? क्या मतलब ? ”
तभी रेखा ने आँचल से पलटकर पीठ के बाल लेटने को कहा. आँचल पलट गयी पर उसको ध्यान नही रहा की रेखा ने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया है. रेखा ने देखा की आँचल के निप्पल उततेज़ना से बिल्कुल टन चुके हैं. अब रेखा भी बहुत उततेज़ीत हो चुकी थी.
रेखा : “ मेंमसाब्, वो छोकरा सिर्फ़ नाम का ही छोकरा है . पर असल में उसका बहुत बड़ा है .”
आँचल : “क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या उसने तुम्हे चोदा है ?”
रेखा आँचल को सेक्स की बातों में लगाकर अब उसकी चुचियों और निप्पल में तेल लगाकर उन्हे दबोच और मसल रही थी. आँचल पूरी तरह से एग्ज़ाइटेड होकर ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
रेखा : “ मेमसाब, उसका खंभे जैसा है , मोटा और लंबा.”
ये सुनकर आँचल को तुरंत अपने मयके के नौकर रामू और उसके मोटे लंड की याद आ गयी. वो सिसकारी लेते हुए बोली, “ उः आ हह …….खंभा ? क्या है खंभा ? बोलो ना आह…….”
रेखा ने दोनो हाथों से आँचल की पॅन्टी के कोने पकड़े और उनको नीचे को खींचने लगी. आँचल ने अपने नितंबों को तोड़ा उठाकर पॅन्टी उतरने में रेखा की मदद की. रेखा ने देखा आँचल की पॅन्टी पूरी गीली हो चुकी है और उसकी चूत के होत उततेज़ना से बिल्कुल फूले हुए हैं. उसको आँचल की आँखों में कामुकता दिखी . अब उससे और कंट्रोल नही हुआ और उसने आँचल की चूत में अपना मुँह लगा दिया और आँचल का चूतरस पीने लगी.
अपनी चूत पर रेखा के होंठ और जीभ के स्पर्श से आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. रेखा ने अपनी जीभ आँचल की चूत के अंदर घुसा दी और लपलप उसकी चूत चाटने लगी. थोड़ी ही देर में आँचल को जबरदस्त ऑर्गॅज़म आया उसकी कमर हवा में उठकर टेडी हो गयी और चूत से चूतरस बह निकला.
ये देखकर रेखा ने अपनी ब्रा पॅन्टी उतार फेंकी और नंगी होकर अपनी चूत को आँचल के मुँह पर रगड़ने लगी. आँचल भी अपनी जीभ से रेखा की क्लाइटॉरिस को चाटने लगी और रेखा की चूत में जीभ घुसकर उसका चूतरस पीने लगी. अब दोनो ने एक दूसरे की चूत में अंदर तक जीभ घूमना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद दोनो को ऑर्गॅज़म आ गया.
आँचल ने रेखा से उस हरामी छोकरे के बारे में और जानना चाहा. लेकिन रेखा ने शर्त रख दी की वो उस छोकरे के बारे में तभी बात करेगी अगर आँचल अपने गर्म बाथटब में रेखा के साथ नहाने के लिए तय्यार होगी. आँचल ने रेखा की बात मान ली और दोनो बाथटब में बैठकर एक दूसरे के नंगे बदन में साबुन लगाने लगी. रेखा उस छोकरे के साथ अपनी चुदाई की बातें आँचल को बताने लगी और आँचल की बड़ी बड़ी चुचियों को मसालते हुए उनमे साबुन लगाने लगी. उसका मॅन ही नही भर रहा था उन चुचियों से.
रेखा ने बताया की जिस दिन उस छोकरे को नौकरी पर रखा था उस दिन वो रात में उसको गद्दे चादर बिस्तर देने उसके कमरे में गयी . वो हरामी उस समय मूठ मार रहा था. रेखा उसके बड़े खंभे जैसे लंड को देखकर हैरान रह गयी.
फिर बाथटब में पानी के अंदर आँचल की क्लाइटॉरिस को अपनी अंगुलियों से छेड़ते हुए रेखा ने बताया की उस छोकरे को मूठ मरते हुए देखकर वही पर उसकी चूत से पानी निकल गया था. आँचल ने मॅन ही मॅन उस छोकरे का बड़ा लंड इमॅजिन किया और सिसकारियाँ लेने लगी.
रेखा : “ बस मेमसाब , उस छोकरे ने कुछ पूछा नही और मेरा हाथ पकड़कर अपने खंभे जैसे लंड पर रख दिया.” फिर रेखा उसके साथ हुई चुदाई के बारे में बताने लगी.
उसकी कहानी सुनकर आँचल बाथटब में एक बार और झाड़ गयी.
रेखा : “ मेमसाब , वो बहुत हरामी छोकरा है. वो कहता है की उसने कई मेमसाब और आया लोगो को चोदा है.”
ये सुनकर आँचल की चूत से फिर पानी निकालने लगा.
रेखा आँचल की चुचियों को अपने ददांतों से काट-ते हुए बोली, “ मेमसाब , आप बच के रहना , वो कहता है की आप मस्त माल हो और आपको चोदने में बहुत मज़ा आएगा.”
आँचल सिसकारियाँ लेते हुए बोली, “ आह…उहह…उफफफ्फ़ …..मुझे चोदेगा ….आह…. ओह गोद ….”
आँचल को एक जबरदस्त ऑर्गॅज़म आया और उसका पूरा बदन अकड़ गया. उसकी चूत से रस का झरना बह निकला और बाथटब के पानी में जा मिला.
आँचल और उसकी नौकरानी रेखा ने एक दूसरे से खूब मज़ा लिया. लेकिन इस बार आँचल को कोई गिल्टी फीलिंग नही हुई.
आँचल को रेखा से जलन हुई की मेरी नौकरानी उस छोकरे के खंभे से रोज़ मज़े ले रही है और में मेमसाब होकर भी मेरी सेक्स की प्यास अधूरी है.
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