RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
आँचल ने अपनी नौकरानी रेखा के साथ खूब मज़ा किया . लेकिन उसे इस बात से घबराहट हुई की उसका नया कुक सलीम उसे छोड़ना चाहता है. उसने सोचा की इसमे बहुत ख़तरा है . क्यूंकी उसका ससुर हर समय उसके आस पास ही मद्रता रहता है , उसको कुच्छ शक़ भी हो सकता है. आँचल ने निर्णय लिया की इससे पहले कुछ गड़बड़ हो सलीम को नौकरी से निकल देना ही ठीक रहेगा.
आँचल ने सोचा रेखा को तो मई हॅंडल कर लूँगी उससे ज़्यादा नुकसान नही है. तोड़ा बहुत मेकप का समान ही तो मांगती है . वैसे भी वो कितनी आक्ची तरह से छूट छत-ती है.
लेकिन आँचल को ये मालूम नही था की रेखा ने सलीम को वो सब बातें बता दी है जो उसके और रेखा के बीच हुई थी . रेखा ने सलीम को बता दिया था की कैसे तुम्हारे बड़े लंड का ज़िकरा करने से मेंसाब् की पनटी गीली हो गयी थी. और ये भी की जब रेखा ने आँचल को बताया था की “ मेंसाब् वो आपको छोड़ने का इरादा रखता है “ तो कैसे मेंसाब् छूट से रस बहते हुए झाड़ गयी थी .
रेखा से ये सब बथीईन सुनकर सलीम बहुत उततेज़ीत हो गया और उसने मेंसाब् के बारे में सोचते हुए रात भर रेखा को जमकर छोड़ा. रेखा को छोड़ते समय वो मेंसाब् के गोरे उजाले रंग, बड़ी बड़ी चुचियाँ और मक्खन जैसी मुलायम लेकिन बड़ी गांद के बारे में सोच रहा था. अपनी अम्मी की मोटी गांद मरते मरते उसे अब गांद मारना ही पसंद था. और ख़ासकर बड़े घरों की मेंसाब् की गांद मार्कर उसे और ज़्यादा मज़ा आता था.
उधर आँचल के ससुरजी के अलग ही चुदाई के प्लान बन रहे थे. उसको लगता था की मेरे घर पर होते हुए भी बहू किसी बाहरवाले से चुड के आ गयी ये तो मेरे साथ सरासर धोखा है. अगर मेरा बेटा उसको सॅटिस्फाइ नही कर पा रहा है तो मुझको चान्स मिलना चाहिए था बहू को सॅटिस्फाइ करने का. इससे घर की बात घर में ही रहती. आँचल जैसी मादक बहू के घर में आने से उसकी जवानी फिर से लौट आई थी उसे अपना लंड फिर से जवान लगने लगा था. वो ससुरा अपना तोड़ा सेक्षुयल टेन्षन दूर करने के लिए दो चार रंडियन भी छोड़ आया पर उससे कुछ फयडा नही हुआ , उसे बहू ही चाहिए थी. उसके एक दोस्त का न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन के पास होटेल था , उसी होटेल के कमरे में ससुर और उसके दोस्त ने रंडियन छोड़ी थी. वो सोच रहा था की बहू को कैसे उस होटेल में ले जौ , अगर एक बार वहाँ आ गयी तो फिर उसे छोड़ने में कोई प्राब्लम नही है.
आँचल के पति सुनील को घर में चल रही इन बातों की कोई भनक नही थी की कौन कौन उसकी खूबसूरत बीवी को छोड़ने का प्लान बना रहा है. सुनील कभी कभी आँचल को छोड़ लिया करता था लेकिन आँचल के बदते सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन से वो अंजान था. उसकी तरफ से तो सेक्स करने का मतलब था छूट में लंड घुसाओ और अपना पानी निकल दो . उसे कोई ज़्यादा इन बातों का अनुभव नही था. बीवी को भी संतुष्ट करना पड़ता है इस बारे में उसने कभी सोचा ही नही.
लेकिन आँचल अब जानती थी की असली चुदाई क्या होती है , क्यूंकी ये उसे समीर और किमी के साथ अनुभव हो चुका था. उसे पता था की मर्द एक औरत को कितना सुख दे सकता है और एक औरत भी औरत को मज़ा दे सकती है अगर वो किमी जैसी माहिर हो. एक आक्ची और जबरदस्त चुदाई के लिए आँचल की छूट तड़पने लगी.
रामू और समीर के बड़े लंड देख लेने के बाद अब उसे सुनील का लंड पतला छोटा लगता था. सुनील से चुड़वते समय अब उसे लगता था इस पतले छोटे लंड से छूट की रागड़ाई नही हो पा रही.
अगली सुबह सुनील के ऑफीस जाने के बाद आँचल ने रेखा को अपने बेडरूम में बुलाया . उसे बहुत उततेज़ना महसूस हो रही थी और वो रेखा की मदद से अपनी उततेज़ना शांत करना चाह रही थी. जब रेखा ने बेडरूम में आकेर अपने कपड़े उतरे तो आँचल चौंक गयी. रेखा के बदन में जगह जगह हल्के निशान पड़े हुए थे. आँचल के पूछने पर उसने बताया की सलीम ने उसे रात भर बुरी तरह छोड़ा और अब उसकी छूट दुख रही है और वो निशान उसके काटने के हैं.
ये बात सुनकर आँचल की छूट से रस बहने लगा और उसकी पनटी गीली हो गयी. आँचल ने रेखा से कहा की वो उसको सारी चुदाई के बारे में पूरे विस्तार से बताए की सलीम ने उसे कैसे कैसे छोड़ा. रेखा उसे अपना किस्सा सुनने लगी . किस्सा सुनते सुनते दोनो ही बहुत उततेज़ीत हो गयी और एक दूसरे को चूमने , चाटने, काटने और मसालने लगी. कुछ देर में उनको ऑर्गॅज़म भी आ गया.
वैसे तो आँचल को रेखा के मुँह से सलीम और रेखा की चुदाई का किस्सा सुनकर बहुत मज़ा आया था , पर उसके मॅन में सलीम को लेकर दर भी था. वो उसे नौकरी से निकालने का कोई बहाना ढूँदने लगी. धीरे धीरे उसने अपने पति और ससुर के सामने खाना खाते समय खराब खाने की शिकायत करना शुरू कर दिया.
लेकिन इससे पहले की आँचल सलीम को नौकरी से निकलवा पति वो बीमार पद गयी. उसे विराल फीवर हो गया था. शुरू के दो दिन तक तेज बुखार रहा तो उसके पति सुनील ने घर पर ही रहकर उसकी देखभाल की. तीसरे दिन उसका बुखार काफ़ी कम हो गया तो सुनील अपने ऑफीस चला गया.
सुनील के ऑफीस जाने के बाद आँचल के ससुर ने मौका देखकर उसकी देखभाल शुरू कर दी. वो दिन भर उसके पास ही बैठा रहा और बुखार चेक करने के बहाने से कभी आँचल का माता , कभी उसके गाल , कभी बाँहों , कभी कंधों को छू रहा था. आँचल निघट्य पहने थी , इससे ससुर को कभी उसकी आर्म्पाइट, कभी ब्रा का कोई कोना और निघट्य के बाहर से ही उसकी मांसल जाँघो का शेप दिख जा रहा था. आँचल अपने ससुर की सब हरकतें समझ रही थी पर वो बीमारी में देखभाल के बहाने से उससे चिपका हुआ था इसलिए वो उसको माना भी नही कर पाई. दो दिन तक ससुर ऐसे ही उससे चिपका रहा.
अब आँचल काफ़ी हद तक ठीक हो चुकी थी. अपने ससुर के साथ दो दिन के हर समय के साथ से उसे अब कुछ उततेज़ना सी महसूस होने लगी. अपने पास बैठे हुए ससुर के पंत में बना तंबू उसने देख लिया था और एक दो बार तो उसका ससुर जानबूझकर बहाने से उसकी बाँह से अपने तंबू को रग़ाद भी चक्का था.
उधर ससुरजी के मॅन में अलग ही ख़याली पुलाओ पाक रहे थे. उसने नोटीस किया की बहू मेरे तंबू को घूर रही थी और जब में उसको बहाने बहाने से इधर उधर टच करता हूँ तो कुछ विरोध भी नही कर रही है. ये समय बिल्कुल ठीक है अब हात्ोड़ा मार ही देना चाहिए. अगले दिन सनडे है , सुनील तो घर पर होगा लेकिन रेखा की कल छुट्टी रहेगी. अगर में सुनील को किसी बहाने से कहीं बाहर भेज दूं तो बहू और में अकेले ही रह जाएँगे फिर तो में जी भर के बहू को छोड़ूँगा. मुझे लगता है अब बहू की भी यही इक्चा है और वो इसके लिए तय्यार दिखती है , नही तो मुझे अपने बदन को टच क्यूँ करने देती.
शाम को जब सुनील घर आया तो ससुर बोला, “ बेटा , एक कस्टमर है सोनेपत में. में चाहता हूँ की तुम कल सनडे को जाओ और उससे मिलो. मेने अपायंटमेंट भी ले लिया है.”
सुनील बोला, “ ठीक है , में मिल लूँगा उससे.”
अब ससुर हिसाब लगाने लगा , सुनील को जाने में दो घंटे और आने में दो घंटे और मीटिंग का टाइम भी जोड़ लो तो इसका दिनभर लग ही जाएगा आने जाने में . तब तक में……….आआआहह.
आँचल को दिन भर छोड़ने के ख़याल से ससुर के मुँह से लार टपकने लगी . अरी यार , इश्स चिकनी छोकरी को तो में सेक्स का ऐसा पाठ पड़ौँगा की ये भी क्या याद करेगी की किस एक्सपीरियेन्स्ड मर्द से पाला पड़ा है. दिन भर छोड़ने को मिलेगी , आहा मुझे तो अपने लक पर विस्वास ही नही हो रहा , मज़ाअ आ जाएगा टनटन.
आँचल को ससुर के इश्स प्लान के बारे में कुछ नही पता था सनडे को उसने देखा की सुनील किसी मीटिंग के लिए सोनेपत जा रहा है. जैसे ही सुनील घर से बाहर निकला , ससुर आँचल की देखभाल करने के बहाने उसके कमरे में घुस गया.
अब वो सोचने लगा बहू को सिड्यूस करना कैसे शुरू करू , थोड़ी देर में ही उसके दोस्त का फोन आ गया. उसके दोस्त की बीवी की रात में मृत्यु हो गयी थी और अभी सुबह उसका क्रियाकर्म करना था. ससुर का दिल बैठ गया अब क्रिया करम में तो उसको जाना ही पड़ेगा. लेकिन उसने अपने को दिलासा दिया की दोपहर के बाद तक में वापस आ जौंगा फिर भी मेरे पास कुछ घंटे तो बचेंगे ही , जिसमे में बहू को छोड़ सकता हूँ, सुनील तो शाम को ही वापस आएगा. फिर उसने आँचल से आराम करने को कहा और खुद दोस्त के घर चला गया.
उनके कुक सलीम ने देखा घर में कोई नही है अब ये अक्चा मौका है.
वो आँचल के बेडरूम में घुसा और बोला, “ मेंसाब् लंच के लिए क्या पकना है ? आपको अभी कुछ चाहिए तो नही ?”
उसने देखा आँचल निघट्य में लेती है. उसकी गोरो गोरी बाहें और निघट्य में बड़ी बड़ी चुचियाँ देखकर सलीम के मुँह से लार टपकने लगी.
आँचल ने सलीम की आँखों में वासना देखी और उसे दर लगने लगा लेकिन साथ ही साथ उततेज़ना भी महसूस हुई. रेखा ने बताया था इसका खंभे जैसा है , फिर आँचल की निगाहें उसके निक्कर की तरफ मूड गयी.
सलीम ने देखा आँचल उसके निक्कर को देख रही है . उसकी हिम्मत बाद गयी और अपने लंड को निक्कर के बाहर से ही सहलाते हुए वो आँचल के तोड़ा और करीब आते हुए बोला, “ क्या देख रही हैं मेंसाब् ? कुछ चाहिए क्या ?”
आँचल ने उसे ऐसा करते देखा तो अपना सर झटका और अपने को संयत करते हुए कहा , “ न.... नही कुछ नही चाहिए. तुम जाओ अभी.”
आँचल का चेहरा उततेज़ना से लाल हो गया था.
सलीम समझ गया , मुँह से जाओ कह रही है और अंदर से उततेज़ीत हो रही है, उसकी हिम्मत और बाद गयी और वो आँचल की बेड के पास आ खड़ा हुआ.
फिर आँचल के माथे पर हाथ रखता हुआ बोला, “ मेंसाब् अब तो आपका बुखार बिल्कुल उतार गया है.”
आँचल ने मॅन ही मॅन कहा , इस छोकरे की हिम्मत तो देखो , मेरे बेडरूम में घुसकर मुझे छू रहा है.
उसने तोड़ा कठोरे आवाज़ में कहा, “ मेरे लिए नास्टा लेकर आओ, जल्दी…”
सलीम मुस्कुराया और बोला, “ पर आपको तो मेरी बनाई हुई चेज़ें आक्ची नही लगती हैं “.
फिर उसने अपने निक्कर में से पूरा ताना हुआ लंड बाहर निकाला और उसको आयेज पीछे अपने हाथ में हिलता हुआ बोला, “ ये तो ज़रूर अक्चा लगेगा आपको”.
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