RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
आँचल अपने बेडरूम में लेटी हुई थी . उसका नौकर रामू वहाँ आ गया और उसकी ओर ललचाई नज़रों से देखने लगा. आँचल ने देखा उसके निक्कर में लंड ने तंबू बना रखा है. आँचल जैसे ही बेड में उठने को हुई , रामू उसके ऊपर चढ़ गया और उसके गालों और होठों का चुंबन लेने लगा . आँचल ने अपने बदन पर उसके खड़े लंड की रगड़ महसूस की. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर रामू ने अपना निक्कर उतार दिया और गर्व से अपना बड़ा लंड आँचल के खूबसूरत चेहरे के आगे हिलाने लगा.
रामू के बड़े लंड को देखकर आँचल उत्तेजित हो गयी और तुरंत अपना मुँह नज़दीक़ लाकर लंड के सुपाड़े को चूसने लगी. दूसरे हाथ से वो रामू की गोलियों को सहलाने लगी. कुछ ही देर में आँचल लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी, रामू मज़े से आहें भरने लगा. आँचल को बड़े लंड पसंद थे , वो मज़े से रामू का लंड चूसती रही.
थोड़ी देर बाद उसने लंड को मुँह से बाहर निकाला और रामू की गोलियाँ चूसने लगी. रामू बर्दाश्त नही कर पाया और उसने वीर्य की धार आँचल के चेहरे और बालों में छोड़ दी. तभी आँचल का फोन आ गया. आँचल का चेहरा वीर्य से भीग चुका था , रामू ने उसे फोन पकड़ा दिया. लेकिन आँचल उत्तेजना में थी , उससे बोला नही जा रहा था.
“ उन्न्ह…बोलो, कौन है ?”
“मैडम , मैं हूँ बंसल.”
तब तक रामू आँचल के बूब्स को नंगा कर चुका था और अब निपल चूस रहा था.
“उन्न्नह…आहह….बोलो, क्या बात है ?”
“मैडम यहाँ बैंक में चेक क्लियर नही हुआ और सैलरी देने के लिए बैलेंस नही है .”
रामू अब आँचल की चूत के होठों पर उंगली फिरा रहा था. फिर उसने गीली चूत के अंदर दो उंगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.
“उननग्ग…उन्ह..ऊहह…मिस्टर बंसल…”
“मैडम ! मैडम आप ठीक तो हैं ना ?”
“उंगघह…….उफफफफफ्फ़….ऊओह…” आँचल फोन पकड़े हुए सिसकारियाँ लेने लगी. रामू अंगूठे से उसकी क्लिट मसल रहा था और उंगली चूत में अंदर बाहर कर रहा था.
“मैडम बोलिए मैं सैलरी का क्या करुँ ?” मायूस होकर बंसल बोला.
“आआहह…..ऊओह…………..उूउउइईईई म्माआअ…”आँचल को ओर्गास्म आ गया और ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए वो झड़ गयी और फोन उसके हाथ से चूत कर बेड में गिर गया.
जब आँचल को ओर्गास्म आ रहा था तब रामू ने उसकी चूत से अपनी उंगलियाँ निकालकर आँचल के मुँह में डाल दी.
अपने चूतरस से भीगी हुई रामू की उंगलियाँ मुँह में जाने से आँचल को अपने ही चूतरस का स्वाद आया.
“ये क्या कर रहे हो तुम रामू ?”
रामू ने उंगलियाँ आँचल के मुँह से हटा ली और अब वो आँचल को चोदने के लिए उसके बाकी कपड़े उतारने लगा.
रामू ने ब्लू फिल्म्स में देखा था की उसमे लड़का लड़की बहुत सारे अलग अलग पोज़ बनाकर चुदाई करते हैं. वो सोचने लगा आज मैं भी अपनी सेक्सी मेमसाब के साथ अलग अलग पोज़ में चुदाई करूँगा. पिछली बार तो सर्वेंट क्वॉर्टर में जल्दी जल्दी डर डर के चुदाई करनी पड़ी थी पर इस बार कोई टेंशन नही है, शाम तक का सारा वक़्त पड़ा है चुदाई के लिए. सोचते सोचते उसका लंड झटके मारने लगा.
रामू का लंड फिर से खड़ा होते देख आँचल उत्तेजना से आहें भरने लगी. आज उसने जमकर चुदाई का मज़ा लेने का मन बनाया था. अपने मज़े में उन दोनो का ध्यान फोन से हट गया था.
बंसल फोन में उधर की आवाज़ें सुन रहा था, मैडम चुद रही है सोचकर उसका लंड पैंट में तन गया था. वो सोचने लगा,” सुनील साहब तो बाहर गये हैं, फिर मैडम किससे चुद रही है ? ये रामू कौन है ? क्या मेरा भी नंबर आएगा सेक्सी मैडम को चोदने का ?” उसने जानबूझकर फोन डिसकनेक्ट नही किया और वो चुपचाप सब आवाज़ें सुनता रहा.
“मज़ा आया मेमसाब ?”
“ओह्ह …. रामू तुम इतने छोटे दिखते हो , पर तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है. ये सब करना तुमने कैसे सीखा ?”
रामू मुस्कुराते हुए बोला,” अरे मेमसाब , अभी तो मैंने कुछ भी नही किया , अभी देखती जाओ मैं तुम्हें कैसे कैसे चोदता हूँ और तुम्हारी तरसी हुई चूत को कैसे कैसे मज़े देता हूँ.”
“ओह्ह …रामुऊऊउ…”
“जैसे मैं छोटा हूँ लेकिन मेरा लंड बड़ा है. वैसे ही तू मेमसाब इतनी बड़ी और चिकनी है लेकिन तेरी चूत छोटी और पतली है.” आँचल की टाँगों को अपने कंधों पर रखकर उसकी चूत के होठों के बीच अपने लंड को रखते हुए रामू बोला.
“ओह्ह …रामू ….” आँचल अपनी चूत में लंड घुसने का इंतज़ार करते हुए सिसकी.
“अरे देखती क्या है, मेमसाब . लंड पकड़ और अंदर डाल. मैं तुम्हारे मुम्मो की मालिश करता हूँ.”
आँचल ने रामू का लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद में घुसाया , रामू उसके बूब्स को दबाने लगा. एक झटके में रामू ने सुपाड़ा अंदर घुसा दिया.
“आअहह…उननग्ग्घह…”सुपाड़ा अंदर घुसते ही आँचल ने मज़े से सिसकारी ली.
“बहुत टाइट है तेरी चूत, घबरा मत, मैं धीरे धीरे ही लंड घुसाता हूँ.” रामू आँचल की गीली लेकिन टाइट चूत में लंड अंदर घुसाने लगा. फिर धीरे धीरे स्ट्रोक लगाते हुए उसके निपल मसलने लगा.
“उऊहह …रामू …ज़ोर से और ज़ोर से…..बहुत मज़ा आ रहा है …आहह…ऊऊहह…उईईइ..माआ…” आँचल मज़े से अपने नितंबों को ऊपर को उछालती हुई बोली.
चुदाई करवाने में आँचल को बहुत मज़ा आता था और वो कामोन्माद में मदहोश हो जाती थी.
“मेमसाब तेरी चूत तो बहुत तरस रही है, ये ले ज़ोर से ….ये और ज़ोर से ले …” आँचल की चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए रामू बोला. उसकी गोलियाँ आँचल की गांड से टकरा रही थी.
“ हाय …उउन्न्नह…..चोदो मुझे … चोद मुझे रामू….” उत्तेजना से आँचल चिल्लाई. रामू के ताबड़तोड़ धक्के उसकी चूत को बहुत मज़ा दे रहे थे. उसने उत्तेजित होकर रामू के चेहरे , गालों पर दाँत काट दिया. और फिर उसको जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए झड़ गयी.
“आहह….ऊऊहह….ऊऊीीईईईईईई..आऐईईईई…..”
आँचल को ओर्गास्म का आनंद लेते देखकर रामू ने अपना चूतरस से भीगा हुआ लंड चूत से बाहर निकाल लिया और आँचल के चेहरे पर लंड से थप्पड़ मारने लगा.
“मज़ा आया मेमसाब ?”
“उन्न…हाँ..मेरे रामू…” आँचल सिसकारियाँ लेते हुए धीमे से बोली.
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