RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
अगली सुबह सुनील उठा तो उसका लंड पूरा तना हुआ था. रात में अपने पापा को रिया को चोदते हुए उसने देखा था. उसने अपने पापा का जितना बड़ा और मोटा लंड पहले कभी नही देखा था. उस मोटे लंड से रिया की जवान चूत की बेरहमी से हुई ठुकाई देखकर सुनील मंत्रमुग्ध हो गया था. ये होती है असली चुदाई.
अब उसकी नींद खुल चुकी थी , बेड पर लेटे हुए अपने खड़े लंड पर हाथ फिराते हुए सुनील के दिमाग़ में रिया की चूत को फैलाते हुए अंदर बाहर जाते उस मोटे लंड से चुदाई का सीन घूमने लगा.
सुनील की उत्तेजना बढ़ने लगी. उसने बगल में लेटी हुई आँचल को उठाने की कोशिश की. लेकिन रात में सुनील के साथ भरपूर चुदाई से संतुष्ट होकर आँचल बेसुध होकर सो रही थी.
सुनील ने देखा की आँचल तो उठ नही रही है, पर सुनील का लंड खड़ा हो रखा था , उसे मस्ती चढ़ी थी. वो नंगी सोई हुई आँचल की टांगों के बीच आ गया और आँचल की चूत के फूले हुए होठों पर मुँह लगाकर उन्हें चूसने लगा. अपनी जीभ से उसने चूत के होठों को चाटा और क्लिट को जीभ से छेड़ने लगा. छेड़ने से क्लिट में कसाव आने लगा और वो तनने लगी. सोई हुई आँचल के मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी.
अब सुनील और ज़ोर से क्लिट पर जीभ रगड़ने लगा और आँचल की चूत के मोटे होठों को अलग करके उनके बीच उंगली घुसा दी.
चूत में सुनील की उंगली अंदर बाहर होने से आँचल ने सिसकारी ली,” ऊओह……...आअहह…...”
सुनील ने आँचल के भरे हुए सुडौल नितंबों को दोनों हाथों से दबाया और उन्हें मसलने लगा. आँचल की चूत में उसने अपनी जीभ घुसा दी और चूत की नरम लिसलिसी दीवारों पर अपनी खुरदूरी जीभ रगड़ने लगा. बीच बीच में चूत से जीभ बाहर निकालकर क्लिट को भी जीभ से छेड़ दे रहा था.
“उउउन्न्नज्ज्ग…...ऊऊहह……आआअहह….” आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
आँचल अब जाग रही थी और सुनील से अपनी चूत चुसाई के पूरे मज़े ले रही थी. सुनील के हाथ उसके नितंबों को मसल रहे थे और उसकी जीभ चूत में घुसी हुई थी.
सुनील की हरकत से वो हैरान तो थी की पतिदेव पहले तो कभी इतने एक्साइटेड नही होते थे, आज तो सुबह सवेरे ही शुरू हो गये हैं. लेकिन ज़्यादा ना सोचते हुए वो अपनी चूत चुसाई का आनंद लेने लगी.
“ओह्ह ………..हाँ सुनील हाँ………………..ऐसे ही करते रहो……...बहुत मज़ा आ रहा है…..”, उत्तेजना में छटपटाकर आँचल अपने नितंबों को सुनील के मुँह पर उछालने लगी.
सुनील समझ गया की आँचल अब झड़ने वाली है. आँचल के ओर्गास्म को थोड़ी देर और रोकने के लिए उसने आँचल के नितंबों पर अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी जिससे आँचल उन्हें ज़्यादा हिला डुला नही पाए. और अपनी जीभ चूत से बाहर निकाल ली.
आँचल को मज़ा मिलना बंद हो गया.
“आअहह………...सुनील ….रुक क्यूँ गये…….प्लीज़ मुझे झड़ने दो …..ओह……...” आँचल मदहोशी में गिड़गिडाई.
आँचल की बात सुनकर सुनील ने उसके नितंबों पर पकड़ ढीली कर दी और फिर से चूत में जीभ अंदर बाहर करने लगा. बीच बीच में आँचल की क्लिट को होठों के बीच दबाकर चूसने लगा.
सुनील की हरकतों से आँचल की उत्तेजना चरम पर पहुँच गयी. उसकी जांघें और नितंब फड़फड़ाने लगे.
“आऐईयईईई………....ऊऊहह……...सुनील………….उूउउफफफ्फ़…………...आआआहह……...”
आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए झड़ने लगी . उसको एक के बाद एक ओर्गास्म आने लगे.
तभी बेडरूम के दरवाजे को किसी ने खटखटाया. सुनील ने सुन लिया लेकिन आँचल आँखे बंद किए सिसकारियाँ लेती रही. जब उसकी सिसकारियाँ थोड़ी कम हुई तो सुनील ने फिर से खटखटाने की आवाज़ सुनी.
सुनील ने अपने पापा को अपना नाम लेते हुए सुना. दरवाज़े के बाहर से उसके पापा ने ‘सुनील …..सुनील’ कहा.
सुनील सोचने लगा , उसके पापा दरवाज़े पर क्यूँ हैं ? कहीं उन्होने आँचल की सिसकारियाँ तो नही सुन ली ?
आँचल सिसकारियाँ भी तो इतनी ज़ोर ज़ोर से लेती है. मदहोशी में आँचल को कुछ होश ही नही रहता है की घर पे और लोग भी हैं.
मुझे तो लगता है ज़रूर आँचल की सिसकारियाँ सुनकर ही पापा दरवाज़े को नॉक कर रहे हैं.
इस ख़याल से सुनील को बड़ी एक्साइट्मेंट हुई. उसके दिमाग़ में शरारत सूझी.
ओर्गास्म की मदहोशी में अपनी सांसो पर काबू करने का प्रयास करती आँचल से सुनील धीरे से बोला,” आँचल कोई दरवाज़ा खटखटा रहा है. शायद पापा हैं. जाकर देखो तो , क्या कह रहे हैं ?”
ऐसा बोलकर खुद बेडरूम में बने बाथरूम में चला गया.
आँचल अभी भी मदहोशी में थी. सुनील के बाथरूम जाने के बाद वो धीरे से बेड से उठी. बेड के पास पड़ी हुई एक पतली सी नाइटी उसने अपने नंगे बदन पर डाल ली. और बेडरूम का दरवाज़ा खोल दिया. बाहर उसका ससुर खड़ा था.
हुआ ये था की ओर्गास्म की मस्ती में आँचल ज़ोर से चिल्लाई थी. ससुर उनके बेडरूम के आगे से जा रहा था तो सिसकारियाँ सुनकर रुक गया. दरवाज़े पर खड़े रहकर उसने कुछ पलों तक आँचल की सिसकारियाँ सुनी. उन कामुक सिसकारियों को सुनकर ससुर का लंड पैजामे में तंबू बनाकर खड़ा हो गया. जानबूझकर उसने दरवाजा खटखटा दिया.
ससुर ने देखा आँचल की आँखे नशीली हो रखी हैं. उसकी बड़ी चूचियाँ गहरी साँसे लेने से ऊपर नीचे हिल रही हैं. एक पतली सी नाइटी पहन रखी है. शायद ये अंदर कुछ भी नही पहनी है. अभी भी मदहोशी में लग रही है. मादक आँचल का वो कामुक रूप देखकर ससुर सम्मोहित सा हो गया. अहा…... बहू कितनी कामुक लग रही है. अंग अंग से रस टपक रहा है.
आँचल का चेहरा सुर्ख लाल हो रखा था. उसके बदन से उठती मादक गंध और चूतरस की खुशबू ससुर ने अपने नथुनों में महसूस की.
आँचल ने देखा ससुर उसके बदन को ऊपर से नीचे तक घूर रहा है. उस पतली नाइटी में ससुर के घूरने से उसे लगा जैसे वो नंगी ही हो. कहीं ससुरजी ने मेरी सिसकारियाँ तो नही सुन ली ? जाने कब से खड़े थे बेडरूम के दरवाज़े पर. ये ऐसे क्यूँ मुझे घूर रहे हैं ? शायद इनको पता चल गया है की अंदर हम क्या कर रहे थे.
शरम से आँचल ने अपना चेहरा झुका लिया. आँखें नीचे होते ही उसकी नज़र ससुर के पैजामे में बने तंबू पर पड़ी. उईईइ माँ…....ससुरजी का लंड तो पैजामा फाड़ने को उतारू है. अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया है की ये ठरकी बुड्ढा ज़रूर दरवाज़े पे खड़ा होके मेरी काम लीला की सिसकारियाँ सुन रहा होगा. तभी इसका लंड दरवाज़े को धक्का दे रहा है.
ससुर ने दरवाजा खटखटाया किससे था ? हाथ से या खंभे जैसे लौड़े से ?
दरवाज़े पर खड़े ससुर और आँचल में से किसी ने भी अभी तक एक शब्द नही बोला था.
ससुर आँचल को देख के सम्मोहित हो गया था. और अब आँचल भी नज़रें नीचे किए हुए ससुर के तंबू को देख रही थी.
सुनील बाथरूम के दरवाज़े से ये सब देख रहा था. जानबूझकर उसने नंगी और मदहोश आँचल को दरवाज़ा खोलने भेज दिया था.
”पापा के सामने पतली नाइटी में आँचल नंगी ही लग रही है. पीछे से तो इसके नितंबों का शेप साफ दिख रहा है. आगे से पापा को इसकी बड़ी बड़ी चूचियों और निपल का शेप साफ दिख रहा होगा. पापा कैसे घूर रहे हैं आँचल को . जैसे कोई भेड़िया किसी मेमने को घूरता है. दोनों कुछ नही बोल रहे हैं. “
ससुर और बहू के बीच सेक्सुअल टेंशन को सुनील भी महसूस कर रहा था. उसका लंड भी पैजामे में तन गया और सुपाड़े से प्री-कम निकलने लगा. अब क्या करते हैं पापा आँचल के साथ, देखता हूँ.
तभी ससुर ने आँचल का हाथ पकड़ लिया और अपने पैजामे के बाहर से लंड पर रख दिया. फनफनाने लंड पर हाथ रखते ही जैसे आँचल को बिजली का झटका लगा , उसने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया. वो कुछ नही बोली लेकिन उसकी नज़रें तने हुए लंड पर ही थीं. ससुर ने फिर से आँचल का हाथ पकड़कर लंड पर रख दिया , आँचल ने दुबारा तुरंत हाथ हटा लिया.
ससुर सोचने लगा, देख मेरे लंड को ही रही है, लेकिन पकड़ नही रही.
अबकी बार ससुर ने आँचल का हाथ पकड़कर अपने लंड पर दबाया लेकिन टाइट पकड़े रखा ताकि आँचल हाथ हटा ना पाए. आँचल ने हाथ छुड़ाना चाहा ,पर ससुर ने कस के पकड़े रखा और आँचल के हाथ से अपने लंड को सहलाया. और फिर दूसरे हाथ से ज़ोर लगाकर आँचल की उँगलियों को अपने लंड पर लपेट दिया.
अब आँचल ने अपने दाएं हाथ से ससुर के फनफनाने लंड को पकड़ा हुआ था और आँचल के उस हाथ को ससुर ने अपने हाथों से कसके दबा रखा था. फनफनाने लंड के कड़ेपन का एहसास आँचल की उंगलियों को हुआ. आँचल के मुँह से सिसकारी निकल गयी. बाप रे……….. ससुर का खंभा तो लोहे जैसा सख़्त हो रखा है. आँचल की चूत से रस बहने लगा. उसके माथे पर पसीना आ गया. उसके होंठ सूख गये.
अपने सूखे होठों को जीभ फिराकर गीला करते हुए आँचल ने लंड से निकलती गर्मी को महसूस किया. अपने आप ही उसकी पकड़ लंड पर मजबूत हो गयी. खुद उसके अपने बदन में गर्मी बढ़ने लगी.
ससुर ने आँचल का हाथ छोड़ दिया था . उसे ये देखकर खुशी हुई की आँचल ने उसका लंड मजबूती से पकड़ रखा है. शायद आँचल को इस बात की होश ही नही थी की उसके हाथों के ऊपर से ससुर का हाथ हट चुका है.
बाथरूम के दरवाज़े से झाँककर सुनील ये सब देख रहा था. पापा के मोटे लंड को आँचल ने पैजामे के बाहर से पकड़ रखा है और अब हाथ छुड़ा भी नही रही है. अब इससे ज़्यादा सुनील से नही देखा गया. इस सीन को देखकर उसे इतनी एक्साइट्मेंट हुई की उसका पानी पैजामे में ही निकल गया.
“ओह्ह …….. शिट …..” अपने ओर्गास्म से सुनील खुद ही हैरान हुआ. और अपने पैजामे में निकले हुए वीर्य को देखने लगा. बिना लंड पर हाथ लगाए हुए ही वो झड़ गया था.
बाथरूम के दरवाज़े पर हुई खटपट से आँचल और ससुर दोनों चौंके.
आँचल ने एक झटके से अपना हाथ लंड से हटा लिया और साइड में मुड़कर देखा. बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था.
ससुर तुरंत बेडरूम के दरवाज़े से भाग लिया और जाते जाते ज़ोर से कह गया,” सुनील , नाश्ता तैयार है. मैं तो तुम दोनों को बुलाने आया था….”
सुनील को बाथरूम से बेडरूम में आते देखकर आँचल का चेहरा घबराहट और रोमांच से लाल हो गया. सुनील बाथरूम में है और ससुरजी मुझे अपना लंड पकड़ा रहे थे. अगर सुनील देख लेता तो ?
लेकिन आँचल को ये मालूम नही था की सुनील ने सब देख लिया है और ये सब उसका ही किया धरा है. पापाजी आँचल के साथ क्या करेंगे , देखता हूँ. इस प्लान से ही सुनील ने नंगी और मदहोशी में डूबी आँचल को दरवाज़ा खोलने भेज दिया था.
बाथरूम से बाहर आकर सुनील ने ऐसा दिखाया जैसे उसे कुछ पता ही नही. फिर आँचल बाथरूम चली गयी.
कुछ देर बाद दोनों नाश्ता करने डाइनिंग रूम में आ गये.
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