RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
ससुर निश्चिंत था की जब आँचल चंडीगढ़ से लौटकर आएगी तो ज़रूर उसको चोदने देगी. फोन में तो कह रही थी की देल्ही वापस आकर आपके साथ प्यास बुझाऊँगी. पर उसे क्या पता था की आँचल तो जस्सी के साथ ही अपनी जी भरके प्यास बुझा आई थी.
अगले कुछ दिनों में ससुर ने महसूस किया की आँचल उससे दूर ही रहने की कोशिश कर रही है. ससुर को आँचल से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नही थी. वो तो सोच रहा था की आँचल के वापस आते ही उसके साथ चुदाई का प्लान बनाएगा पर यहाँ तो आँचल उससे नॉर्मली बिहेव कर रही थी , पहले के जैसे.
ससुर अनुभवी आदमी था उसे शक़ हो गया की आँचल ज़रूर चंडीगढ़ में किसी ना किसी के साथ चुदाई के मज़े ले के आई है तभी शांत हो रखी है और मुझे भाव नही दे रही. चेहरा भी खिला खिला है , पूर्ण संतुष्टि के भाव हैं. लगता है खूब अपने मन की करके आई है. हँसती खिलखिलाती रहती है , यहाँ मेरा कलेजा जल रहा है.
अकेले में बात भी नही हो पा रही थी. सुबह वो सुनील के साथ फैक्ट्री चला जाता था और देर शाम को ही लौटना हो पाता था. फैक्ट्री की हालत डाँवाडोल थी इसलिए सुनील के भरोसे छोड़ना भी ठीक नही था. ख़ान के दिए लोन से जैसे तैसे काम चल रहा था.
आँचल जानती थी की देल्ही वापस आने के बाद ससुरजी उसे चोदने का कोई मौका हाथ से जाने नही देंगे. लेकिन जस्सी ने उसे इतना चोदा था की उसकी प्यास कुछ दिनों बुझी रही. चंडीगढ़ में जस्सी के साथ जमकर हुई चुदाई के बारे में सोचकर आँचल के गाल लाल हो जाते थे , होठों पे मुस्कुराहट आ जाती थी और चूत गीली हो जाती थी. आँचल की उस चुदाई की थकान उतरने में ही कुछ दिन लग गये.
सेक्सुअली सैटिस्फाइड होने के बाद आँचल को कुछ दिन तक पतिव्रता होने का सुर चढ़ा रहता था. उसने ससुर से पहले की तरह दूरी बनाए रखी. वैसे भी घर में इतने लोगो के होने से ससुर को आँचल से अकेले में अपने मन की बात करने का मौका नही मिल पा रहा था. सास की तबीयत अब ठीक थी , उसके द्वारा पकड़े जाने का डर भी था.
आँचल के अगले कुछ दिन ऐसे ही चंडीगढ़ की मीठी यादों में गुजर गये. सुनील भी अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया था. रिया के आने से उसकी लाइफ में जो एक्साइट्मेंट आई थी वो भी अब नही रही. मन हुआ तो किसी दिन आँचल की चुदाई कर देता था वरना करवट लेकर सो जाता था , फैक्ट्री की टेंशन में ही ज़्यादा रहता था.
ऐसे ही दो तीन हफ्ते निकल गये. सास अब अपने काम खुद कर लेती थी तो उसने सुनीता की छुट्टी कर दी. ससुर बेचैन था सुनीता भी गयी, आँचल को कैसे पटाऊँ. अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता था , नाश्ते और डिनर की टेबल पर आँखों ही आँखों में इशारे करता था पर आँचल शरमाकर सर झुका लेती थी. ससुर को पता था सुनील आँचल को संतुष्ट नही कर पाता है. कुछ दिन इंतज़ार करना पड़ेगा.
पर आँचल भी कब तक चुदाई की पुरानी यादों के भरोसे रहती , उसको भी रगड़ के चुदाई की इच्छा होने लगी. रिया बता रही थी ससुरजी ने मोटे लंड से चोदकर बहुत मज़े दिए. पूरे तीन दिन मेरे ससुरजी के साथ मज़े करके गयी और मुझे खबर तक नही लगी.
लिविंग रूम में सुनीता को चोदते हुए तो मैंने भी देखा था उस रात को. उफ कितनी रगड़ के चुदाई कर रहे थे उसकी अपने मोटे लंड से ससुरजी. मुझे भी वैसे ही चोदेंगे ससुरजी ? आँचल की चूत गीली हो गयी …….
नही नही ये ठीक नही होगा …. … किसी और मर्द की बात अलग है पर सुनील के बाप के साथ ? उसका दिमाग़ कह रहा था ये ग़लत होगा. लेकिन सुनील मुझे सेक्सुअली सैटिस्फाई नही कर पाता तो मैं क्या करूँ ? अजीब सी दुविधा थी.
धीरे धीरे उसने ससुर को रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया. उसके हाव भाव से ससुर को भी पता चल गया अब लाइन दे रही है. ससुर ने आँचल की आँखों में प्यास देखी. हाँ, अब सही मौका है. अब इसको कहीं बाहर ले जाकर चोदता हूँ. ससुर आगे का प्लान बनाने लगा.
कुछ दिनों बाद एक सुबह नाश्ते के समय ससुर को मौका मिल गया.
सुनील नाश्ता करके उठ गया था.टेबल पर आँचल और उसके सास ससुर थे. आँचल की नज़रें ससुर से मिलती हैं , वो नाश्ता करते हुए उसी को देख रहा था. आँचल शरमा जाती है और चुपचाप नाश्ता करने लगती है. फिर सास उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में जाने लगी. आँचल ने भी नाश्ता कर लिया था वो उठ कर जाने लगती है . जैसे ही ससुर की चेयर के पास से गुजरती है तो ससुर पीछे से उसकी बायीं बाँह पकड़ लेता है . बाँह पकड़ने से आँचल घूम जाती है और उसका मुँह ससुरजी की तरफ हो जाता है .
"छोड़िए ना ……..सासूजी देख लेंगी." आँचल फुसफुसाती है.
"मुझे मालूम है तू तड़प रही है. सही कह रहा हूँ ना ?” ससुर भी धीरे से बोलता है.
" जाने दीजिए ना...."
किचन में पानी गिरने की आवाज़ आ रही है. सासूजी ने सिंक का नल खोल दिया.
“देख , आज 11 बजे तू ब्राइट होटेल में आ जाना . वहीं तेरी प्यास बुझाऊंगा. आएगी ना ?”
आँचल ने कोई जवाब नही दिया. हाथ छुड़ाने की हल्की कोशिश करती रही. उसकी नज़र किचन की तरफ है , सासूजी किसी भी वक़्त बाहर आ जाएगी और यहाँ ससुरजी हाथ नही छोड़ रहे.
ससुर ने देखा , ये ऐसे नही मानेगी. अब ससुर ने आँचल का हाथ अपने पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया और दबाए रखा.
"देख ये भी तेरे लिए तड़प रहा है."
किचन में पानी गिरना बंद हो गया. सासूजी ने नल बंद कर दिया. आँचल की घबराहट बढ़ गयी.
"उन्न्नह...ससुरजी ...क्या करते हैं. सासूजी आ जाएँगी......छोड़िए मेरा हाथ."
“पहले हाँ बोल……... आएगी ना ?”
“जी……..आऊँगी…...” आँचल को अपनी जान छुड़ाने के लिए कहना ही पड़ता है.
ससुर आँचल का हाथ छोड़ देता है. उसी समय सास भी किचन से बाहर आ जाती है और आँचल ससुर से पीछा छुड़ाकर किचन में चली जाती है.
फिर ससुर सुनील के साथ फैक्ट्री चला गया. वहीं से उसने ब्राइट होटेल में एक रूम बुक करवा लिया.
आँचल भी नाश्ते के बाद अपने बेडरूम में चली गयी.
ससुर फैक्ट्री से आँचल को फोन करता है. आँचल आ रही है ना , कन्फर्म करने के लिए.
“होटेल में रूम बुक करवा दिया है. आ रही है ना ?”
“ये सही नही है , ससुरजी…..”
“तू डर मत. किसी को पता नही चलेगा. सही ग़लत कुछ नही. मैं तुझे बहुत मज़ा दूँगा.”
“उम्म्म…..”
“शर्माती क्यों है ? मैं हूँ ना तुझे खुश करने के लिए ......चल अब रखता हूँ. तू तैयार हो जाना .”
आँचल नहाने के लिए बाथरूम चली जाती है. नहाने के बाद होटेल जाने के लिए तैयार होने लगती है.
आँचल अपना वॉर्डरोब खोलती है . क्या पहनूं ? जिससे ससुरजी रीझ जाएँ. फिर वो एक ब्लैक कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज निकालती है. साथ में ब्लैक पेटीकोट और ब्लैक पैंटी. नेट वाली पैंटी थी बोयशॉर्ट टाइप की , जो V शेप की बजाय स्ट्रिप शेप की होती है और नितंबों का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा ढकती है. ब्लाउज बैकलेस था जिसमे पीठ पर एक पतली स्ट्रिप और एक डोरी थी. बैकलेस ब्लाउज होने से उसने ब्रा नही पहनी. ब्लाउज में बिना ब्रा के उसकी बड़ी चूचियों का शेप साफ दिख रहा था. ब्लाउज के ऊपर साड़ी के पल्लू से चूचियों को ढककर आँचल अपने को मिरर में देखती है. अच्छी लग रही हूँ. खुद ही अपने रूप पर मोहित हो जाती है. फिर हल्का मेकअप करती है ,परफ्यूम डालकर बेडरूम से बाहर आ जाती है.
तैयार होते हुए आँचल को अजीब सा रोमांच हो रहा था. उसका दिल जोरो से धड़क रहा था. कुछ घबराहट सी भी हो रही थी. कुछ ग़लत जैसा भी उसे महसूस हो रहा था. इसी का रोमांच भी था.
सास को शॉपिंग के लिए जा रही हूँ बोलकर , 10:30 बजे आँचल कार से ब्राइट होटेल के लिए निकल गयी.
उधर ससुर भी फैक्ट्री में सुनील से बैंक में कुछ काम है कहकर होटेल के लिए निकल गया . होटेल पहुँचकर ससुर आँचल का इंतज़ार करने लगा. कुछ ही समय बाद आँचल भी वहाँ पहुँच गयी.
जब आँचल आई तो ससुर देखते रह गया, ब्लैक साड़ी और बैकलेस ब्लाउज में गोरे रंग की आँचल गजब की खूबसूरत लग रही है. ससुर का मन प्रसन्न हो गया , आज तो धन्य हो जाऊँगा.
“बहुत खूबसूरत लग रही हो बहू…..”
फिर ससुर ने रिसेप्शन से रूम की चाभी ली और दोनों लिफ्ट से ऊपर रूम में चले गये. रिसेप्शन में स्टाफ ने देखा , खूबसूरत लड़की है 25-26 से ज़्यादा की नही होगी और साथ में 54 – 55 का बड़ी उमर का आदमी है. इन दोनों का रिश्ता क्या है ? बुड्ढे ने कहाँ से पटायी ये अप्सरा ?
रूम में आने के बाद ससुर ने ……….
|