RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
होटेल के रूम में आने के बाद ससुर ने आँचल को अपनी बाँहों में भर लिया. कुछ पल उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रहा. उसको विश्वास नही हो रहा आज उसकी दिल की तमन्ना पूरी होने जा रही थी. कितनी सुंदर है मेरी बहू …
आँचल ने ससुर को प्यार भरी नज़रों से अपने चेहरे को देखते पाया, शरमाकर उसने अपनी नज़रें झुका ली. फिर ससुर धीरे से अपना चेहरा झुकाते हुए आँचल के होठों के करीब अपने होंठ लाया. चुंबन की अपेक्षा में आँचल के होंठ कंपकपाने लगे. ससुर आँचल के रसीले होठों से रस चूसने लगा. आँचल ने आँखें बंद कर ली. उसके होठों को ऐसे ही कुछ पल तक चूसने के बाद ससुर ने आँचल के होठों के बीच जीभ डाल दी. आँचल ने अपना मुँह खोल दिया और ससुर की जीभ से अपनी जीभ मिला दी. कुछ पलों तक दोनों की जीभ एक दूसरे से लिपटी रही फिर चुंबन ने तेज़ी पकड़ ली. फिर ससुर ने आँचल की साड़ी के पल्लू के अंदर ब्लाउज पर दायां हाथ रख दिया और उसकी बिना ब्रा की चूचियों को सहलाने लगा. धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको दबाने लगा.
आँचल के मुँह से घुटी घुटी सिसकारियाँ निकलने लगीं.
“उंगग्गग……...उग्गग……”.
ससुर अपनी जीभ आँचल के मुँह में घुमाने लगा और हाथ से आँचल की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. आँचल के कड़े हो चुके निपल्स ससुर ने अंगुलियों से महसूस किए.
कुछ देर बाद दोनों के होंठ अलग हो गये. दोनों की साँसें गहरे चुंबन से भारी हो गयी थी.
अब ससुर आँचल की साड़ी उतारने लगा. साड़ी उतरने के बाद अब आँचल सिर्फ़ काले रंगे के पेटीकोट और बैकलेस पतले ब्लाउज में थी. उस पतले ब्लाउज में आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी.
ससुर अपनी कमीज़ के बटन खोलने लगता है. आँचल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है. ससुर को कपड़े उतारते हुए देखती है पर अपने कपडे नहीं खोलती. ससुर पैंट भी उतार देता है और अब वो सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर में है. आँचल की नज़रें उसके अंडरवियर पर हैं जिसके अंदर ससुर का अधखड़ा लंड अंडरवियर के कपड़े को बाहर को ताने हुए है.
फिर ससुर आँचल के पीछे जाता है और उसका ब्लाउज उतार देता है. ब्लाउज उतरते ही आँचल की गोरी बड़ी चूचियाँ नंगी हो जाती हैं. आँचल का कमर से ऊपर का गोरा नंगा बदन नीचे काला पेटीकोट होने से और भी ज़्यादा मादक लग रहा है.
ससुर बेड में नीचे पैर करके बैठ जाता है और आँचल को साइड पोज़ में अपनी गोद में बिठा लेता है. बाएं हाथ को आँचल की नंगी पीठ के पीछे से ले जाकर उसकी बायीं बाँह को पकड़ लेता है और दायीं हथेली को उसकी बायीं चूची के ऊपर रख देता है और हल्के हल्के सहलाने लगता है. फिर अपना मुँह आँचल के दाएं गाल के करीब लाता है और उसका गाल चूमता है ,फिर दाएं कान को होठों से चूमता है और कान के निचले हिस्से को दांतों से खींचता है.
आँचल गोद में बैठे हुए सिसकती है, “ओह्ह ……………..उन्न्नज्ज्ग….”
फिर ससुर अपने होठों को कान से नीचे को लाता है और आँचल की गोरी गर्दन को चूमता है , जीभ लगाकर चाटता है. आँचल उसकी इस हरकत से सनसना जाती है और अपनी गर्दन हटाने की कोशिश करती है.
ससुर अपने होंठ और नीचे लाता है और आँचल के दाएं कंधे को चूमता है और हल्के से दाँत गड़ा देता है. आँचल आँखें बंद किए हुए उहह….. आह …...करते हुए सिसकती है. ससुर के हाथ दोनों चूचियों को दबाते और सहलाते रहते हैं.
फिर दायीं चूची के निप्पल को अपने अंगूठे और दूसरी अंगुली के बीच में पकड़कर मरोड़ता है और घुमाता है , ऐसा ही बायीं चूची पर भी करता है.
आँचल से बर्दाश्त नही हो रहा है. सिसकते हुए उसके होंठ सूखने लगते हैं. वो होठों पर जीभ फिराकर गीला करती है.
ससुर आँचल के दाएं हाथ को अपने कंधे पर डालता है और उसकी दायीं चूची को हाथ से पकड़कर अपने मुँह में भरने की कोशिश करता है. बड़ी चूची है फिर भी जितना हो सके मुँह में भर लेता है और बच्चे के जैसे चूसता है. बहुत मुलायम चूची है. उसके चूची चूसने से आँचल पागल हुई जा रही है. उसकी चूत से रस बहने लगता है. ऐसे ही दोनों चूचियों और उनके निप्पल को चूसता है. कामातुर होकर ससुर आँचल की नरम चूचियों पर ज़ोर से दाँत गड़ा देता है. आँचल दर्द से तड़पती है ……आआहह……
गोरी चूची पर निप्पल के चारो और हल्के भूरे रंग के ऐरोला को ससुर जीभ से चाटता है और निप्पल को जीभ से छेड़ता है, आँचल से सहन नही होता और वो ससुर की गोद में ही उचकने लगती है.
जी भरकर आँचल की चूचियों से खेलने के बाद ससुर आँचल को गोद से उतार देता है. फिर खुद भी खड़ा हो जाता है और अपना अंडरवियर उतार देता है. उसका लंड तना हुआ तो है पर अभी अपनी पूरी लंबाई में नही आया है.
आँचल की नज़र ससुर के मोटे और बड़े लंड पर पड़ती है. उत्तेजना से उसके होंठ सूख जाते हैं वो अपनी जीभ फिराकर होठों को गीला करती है.
ससुर देखता है बहू मेरे लंड को देख रही है. वो आँचल के कंधे पर हाथ रखकर उसको नीचे झुकाता है. आँचल समझ जाती है और नीचे बैठकर ससुर के लंड को पकड़ लेती है. फिर सुपाड़े को जीभ लगाकर चाटती है. सुपाड़े के नरम माँस पर आँचल की जीभ लगने से ससुर सिसकता है. आँचल एक नज़र ऊपर करके ससुर को देखती है फिर सुपाड़े को मुँह में ले लेती है. और अपना मुँह आगे पीछे हिलाकर लंड चूसने लगती है. ससुर को मज़ा आ रहा है. वो आँचल के सर के पीछे अपने हाथ रख देता है. थोड़ी देर तक चूसने के बाद आँचल लंड को बाहर निकाल लेती है और लार से गीले हुए लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करके तेज तेज मूठ मारती है. लंड अब काफ़ी मोटा और कड़ा हो चुका है. आँचल फिर से लंड को मुँह में भर लेती है और चूसने लगती है. एक हाथ से उसने लंड को जड़ पर पकड़ा हुआ है दूसरे हाथ से ससुर की लटकती गोलियों को सहलाने लगती है. फिर लंड को मुँह से निकाल देती है और लंड ऊपर को करके जड़ पर चाटती है और गोलियों को चूमती है.
ससुर पगलाए जा रहा है. आअहह…….क्या चूसती है साली………..कहाँ से सीखी है पता नही………..बहुत एक्सपर्ट हो गयी है.
“आहह………...बहुत मज़ा दे रही हो बहू .” ससुर सिसकता है.
आँचल तारीफ से खुश होती है , सिसकते हुए ससुर को देखती है. उसके होठों में मुस्कान आ जाती है. फिर वो और भी ज़ोर से लंड को चूसने लगती है. ससुर अपनी बनियान उतार देता है. अब पूरा नंगा हो गया है. आँचल अभी भी पेटीकोट पहने हुए है.
ससुर हाथ नीचे ले जाकर आँचल की चूचियों को मसलता है.
आँचल इतने मज़े से लंड चूसती है की कुछ देर बाद ससुर को लगता है ये तो पानी निकाल देगी. ससुर आँचल के मुँह से लंड बाहर निकालने की कोशिश करता है . पर आँचल लंड नही छोड़ती और फिर ससुर का पानी निकल जाता है. लेकिन तब तक ससुर लंड को आँचल के मुँह से बाहर निकाल रहा होता है. वीर्य की धार कुछ आँचल के मुँह के अंदर जाती है , कुछ उसके चेहरे और गले में पड़ जाती है. आँचल ससुर के अंडरवियर से अपना चेहरा और गला पोंछ लेती है.
अब ससुर आँचल की पेटीकोट का नाड़ा खोल देता है और पेटीकोट फर्श पर गिर जाता है. आँचल अपने पैरों को उठाकर पेटीकोट निकाल देती है. ससुर देखता है आँचल ने तो फैंसी पैंटी पहनी हुई है. वो और भी एक्साइटेड हो जाता है.
ससुर आँचल को बेड में लिटा देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है. आँचल के होठों को चूमता है फिर नीचे को खिसकने लगता है. उसकी गर्दन चूमता है और फिर चूचियों को चूसने लगता है. निप्पल को चूसता है. आँचल सिसकारियाँ लेने लगती है.
“उनन्ं……आअहह…….. ओह्ह …...”
फिर नीचे को खिसकता है और आँचल के मुलायम गोरे पेट को चूमता है. उसकी गहरी नाभि को चूमता है फिर जीभ डालकर घुमाता है. आँचल तड़पने लगती है.
फिर और नीचे खिसक जाता है. आँचल के बाएं पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भरकर चूसता है. ऐसे ही दाएं पैर के अंगूठे को भी चूसता है. काम की देवी के बदन के हर हिस्से को चूमना चाहता है. उसकी गोरी टांगों को चूमता है , घुटनों को चूमता है. फिर उसकी मांसल जाँघों को चूमता है. पैंटी के नीचे जाँघों के अंदरूनी हिस्से को जीभ से चाटता है. सेन्सिटिव भाग पर जीभ लगने से आँचल गनगना जाती है और अपनी जाँघें हटाने की कोशिश करती है.
अब ससुर पैंटी के ऊपर से चूत पर मुँह लगा देता है. आँचल की चूत की मादक गंध उसे महसूस होती है . कस्तूरी तो यहाँ छुपी है. वो पैंटी के बाहर से ही चूत को मुँह में लेने की कोशिश करता है. फिर दोनों हाथों से पैंटी नीचे को खींचता है. आँचल अपनी गांड उठाकर पैंटी उतारने में मदद करती है. ससुर आँचल की टाँगों से पैंटी उतारकर फर्श में डाल देता है. अब आँचल पूरी नंगी हो गयी.
पहली बार ससुर आँचल की चूत को देखता है. आँचल की पावरोटी जैसी फूली हुई गुलाबी चूत देखकर ससुर कामवासना से पागल हो जाता है. क्या फूली हुई चूत पाई है ! ऐसी तो पहले कभी नही देखी. चूत के ऊपर छोटे छोटे बाल हैं. शायद कुछ ही दिन पहले शेव किया है. ससुर तुरंत अपना मुँह चूत पर लगा देता है और फूले हुए होठों को चाटने लगता है. आँचल की क्लिट को जीभ से छेड़ देता है.
“आअहह…….. ओह्ह …...” आँचल सिसकने लगती है.
फिर ससुर आँचल की चूत के अंदर जीभ घुसा देता है और अंदर बाहर करने लगता है. आँचल की चूत गीली हो रखी है. ससुर की जीभ को उसके चूतरस का स्वाद आता है. वो जीभ से चूतरस चाटने लगता है. कामोत्तेजित होकर आँचल ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगती है और तड़पकर इधर उधर सर हिलाती है . अपने हाथों से चादर को कस के पकड़ लेती है और अपने नितंबों को ससुर के मुँह पर उछाल देती है.
“मज़ा आ रहा है बहू ?” आँचल को उछलते देख ससुर मुस्कुराता है.
कोई और होता तो अब तक आँचल उसका सर पकड़कर चूत पर दबा देती लेकिन ससुर की शरम से वो ऐसा नही कर पाती है. फिर ससुर चूत से जीभ बाहर निकाल लेता है और दो अँगुलियाँ चूत में डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगता है. आँचल बहुत उत्तेजित हो जाती है और नितंबों को ऊपर उछालने लगती है. कुछ ही देर में चूत से रस बहाते हुए वो झड़ जाती है.
“आअहह……. ओह …………ओइईईईईई…… माँआआ …..आह…….”
अब ससुर ने आँचल की चूत से अँगुलियाँ बाहर निकाल ली. दोनों अँगुलियाँ आँचल के चूतरस से भीगी हुई थीं. ससुर ने आँचल को दिखाते हुए अपनी गीली अंगुलियों को चाट लिया.
उसके बाद ससुर ने आँचल की टाँगों को घुटनों से मोड़ लिया और उसकी चूत के छेद में अपने मोटे लंड का सुपाड़ा लगाया. पहला झटका दिया मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया.
“आआआअहह ……ओइईईईईईईईईईईईईई…………...माँआम्म्म्माआआआआआआ…..”मोटा सुपाड़ा टाइट चूत में घुसते ही आँचल चिल्लाई.
उसका चिल्लाना देखकर ससुर रुक गया.
“तेरी चूत तो बहुत टाइट है ”, धीरे धीरे लंड को और अंदर डालने की कोशिश करते हुए ससुर बोलता है.
“आआआअहह…….” मोटे लंड से आँचल को दर्द हो रहा था.
ऐसा करते करते कुछ देर बाद ससुर अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गया. पूरा लंड घुसने के बाद ससुर कुछ पल रुका रहा. आँचल की गरम और टाइट चूत ने ससुर के मोटे लंड को बुरी तरह जकड़ लिया.
अब ससुर धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करके चूत पर धक्के लगाने लगा. आँचल को ऐसा लगा जैसे ससुर के मोटे लंड ने उसकी टाइट चूत को पूरा भर दिया है.
मोटे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से आँचल की सिसकारियाँ निकलने लगी.
“आअहह………...उंगग्गग…………. ओह्ह …..”
“अब मज़ा आ रहा है ना ? ” , आँचल को सिसकारियाँ लेते हुए देखकर ससुर बोलता है.
“आअहह ………..बहुत मज़ा आ रहा है…..ससुरजी……ओइईईईई …” उत्तेजना में आँचल बेशरम होकर अपने नितंबों को ऊपर उछालने लगी और ससुर को नीचे से धक्के मारने लगी.
आँचल को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर ससुर भी हैरान हुआ. बहू तो बहुत कामुक है. इसे तो पूरी मस्ती चढ़ गयी है.
अब ससुर भी जोश में आ गया और उसने आँचल की चूत में तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसकी गोलियाँ आँचल की उठी हुई गांड से टकराने लगी. पूरे कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.
तेज धक्कों से आँचल का पूरा बदन हिलने लगा. उसकी बड़ी चूचियाँ छाती पर ऊपर नीचे हिलने लगी.
“ऊऊउीईईई……..ओह…….आआअहह…....उईईई……..माँआम्म्माआ…..” ससुर के तेज धक्कों से आँचल चिल्लाने लगी और फिर उसको ओर्गास्म आ गया और वो दूसरी बार झड़ गयी.
आँचल को झड़ते देखकर ससुर ने धक्के लगाना कम कर दिया और झड़ती हुई आँचल के चेहरे के बदलते भावों को देखते हुए मज़े लेने लगा. कुछ देर बाद उसने फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किए और गीली चूत में लंड के अंदर बाहर जाने से कमरे में फच फच फच की आवाज़ गूंजने लगी.
आँचल ने मदहोशी में देखा , ससुर धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है. ससुर आँचल की बड़ी गोरी चूचियों को दोनों हाथ से मसलते हुए धक्के लगाते रहा. आँचल थक चुकी थी पर ससुर एक बार झड़ने के बाद चुदाई को लंबा खींच रहा था.
आँचल अपने मन में सोचती है , ससुरजी तो थक ही नहीं रहे इस उम्र में भी बहुत स्टेमिना है .
कुछ देर बाद ससुर ने आँचल की चूत में वीर्य की धार छोड़ दी और उसे लबालब भर दिया. आँचल ने अपनी चूत में ससुर के गरम वीर्य को महसूस किया.
झड़ने के बाद ससुर थककर आँचल के बगल में लेट गया. दोनों के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसें उखड़ी हुई थी.
आँचल अपने नंगे बदन पर चादर डाल लेती है. ससुर नंगा ही पड़ा रहता है.
कुछ देर बाद ससुर ने आँचल की तरफ करवट ली और उसके चेहरे से बालों की लट हटाते हुए बोला,” मज़ा आया ना ?”
“हाँ ……ससुरजी…..” आँचल धीमी आवाज़ में जवाब देती है.
“अब तुझे फिकर करने की ज़रूरत नही. मैं तुझे ऐसे ही मज़ा दूँगा. ठीक है …?” आँचल के गुलाबी गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए ससुर बोला.
“ओह्ह …...ससुरजी…..”
ससुर को मालूम था की बस एक बार आँचल उससे चुद जाएगी तो फिर मना नही करेगी.
ससुर ने आँचल को भी अपनी तरफ करवट पे कर लिया और दोनों के मुँह एक दूसरे की तरफ हो गये. फिर ससुर ने आँचल के बदन से चादर कमर तक खिसका दी और उसको आलिंगन में लेकर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा. और उसके होठों , नाक और गालों को चूमने लगा. आँचल ने अपने मुलायम बड़े नितंबों पर ससुर के खुरदुरे हाथ घूमते हुए महसूस किए.
ससुर और आँचल दो बार झड़कर कामतृप्त हो गये थे. 15 मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद ससुर बेड से उठ गया और अंडरवियर पहनने लगा. उसको कपड़े पहनते देख आँचल भी उठ गयी और फर्श से उठाकर पैंटी पहन ली और पेटीकोट बाँध लिया. फिर ब्लाउज पहनकर साड़ी पहनने लगी.
कपड़े पहनकर दोनों होटेल से बाहर आ गये. दोनों के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे. ससुर को अपनी मादक बहू के बदन का रस पीने को मिला था , और आँचल को ससुर के मोटे लंड से चुदने का मज़ा मिला था.
दोनों ही जानते थे अब उनकी आपस में एक दूसरे से ही कामसुख की प्राप्ति होते रहेगी.
रिसेप्शन में होटेल स्टाफ ने ससुर के साथ आँचल को आते हुए देखा. दो घंटे चुदाई करके आये हैं ये दोनों.
“क्या मस्त माल चोदा है बुड्ढे ने ?”
फिर ससुर फैक्ट्री चला गया और आँचल घर में दिखाने के लिए छोटी मोटी शॉपिंग करने चली गयी.
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