Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
12-10-2018, 01:46 PM,
#3
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
गुल नवाज़ मेरी ज़ुबान को चूसे जा रहा था और उस के हाथ मेरी पीठ पर चल रहे थे. उस ने मुझे अपने हाथों में कस लिया जिस की वजह से में उस के साथ एक दम चिपक सी गई.

में गुल नवाज़ से लिपटी हुई उस का गरम बदन और गरम साँसे अपने जिस्म और गर्दन पर महसूस कर रही थी.

इसी दौरान मेरे बदन पर फिरते फिरते गुल नवाज़ का बया हाथ अचानक मेरे बाएँ मम्मे पर आ कर रुक गया.

अपने शोहर का हाथ पहली बार अपनी गुदाज छाती पर महसूस करते ही मेरी तो साँस ही जैसे रुकने लगी.

में पूरी तरह से कांप गई और कसमसा कर मैने गुल नवाज़ से अलग हटने की एक नाकाम सी कोशिश की, पर गुल नवाज़ ने मुझे कस कर दबोचा हुआ था.

गुल नॉवज़ के हाथ मेरी चाहती से खेलने लगे. जिस से में भी शर्मो हया के पर्दे से थोड़ा बाहर निकली और जवानी के सरूर में आते हुए अपनी चूत की गर्मी के हाथो मजबूर हो कर जिसे बहकने ही लगी.


थोड़ी देर के बाद गुल नवाज़ का हाथ मेरे बदन से खेलते खेलते मेरी सलवार के नाडे पर आ गया. और उस ने मेरे लबों को चूमते चाटते एक झटके में ही मेरी सलवार के नाडा को खोल दिया.नाडा खुलते ही मेरी सलवार सरक कर बिस्तर पर गिर गाईए.

इस से पहले के में थोड़ा संभाल पाती दूसरे ही लम्हे गुल नवाज़ ने मेरी कमीज़ भी उतार दी. कमीज़ उतरने की देर थी कि गुल नवाज़ ने अपने हाथों को मेरी कमर के पीछे ले जा कर पीछे से मेरी ब्रेजियर का हुक खोल दिया और एक झटके से मेरी ब्रेजियर को उतार कर फेंक दिया.

जिंदगी में पहली बार यूँ आनन फानन किसी मर्द के हाथों अपने आप को अपने कपड़ों की क़ैद से आज़ाद होते देख कर में तो शरम से लाल हो गयी.

मगर इस शरम के साथ साथ ही मुझ नज़ाने क्यूँ इतना मज़ा भी आया कि इस मज़े और जोश में मुझे अपनी चूत से पानी भी निकलता हुआ महसूस होने लग.

मुझ मुकम्मल नंगा करते ही गुल नवाज़ ने अपने कपड़े भी उतार दिए .गुल नवाज़ को नंगा होते देख कर ,मैने अपनी आँखों के सामने अपना हाथ रख लिया.

मगर गुल नवाज़ ने मेरी आँखों से मेरे हाथ हटा कर मुझे अपनी तरफ देखने पर मजबूर कर दिया.

उस रात जिंदगी में पहली बार मैने एक मर्द का लंड देखा और जिस को देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.

में सोचने लगी कि मेरी चूत का छेद तो बहुत ही छोटा था. एक उंगली तो इस में जा नही पाती ये इतना बड़ा लंड कैसे मेरे अंदर जा पाएगा. ये ही सोच कर मुझ बहुत घबराहट होने लगी और माथे पर पसीना आ गया.

थोड़ी देर तक लालटेन की मध्यम रोशनी में मेरे नंगे जिस्म का जायज़ा लेने के बाद गुल नवाज़ ने आगे बढ़ कर मेरे मम्मो को अपने हाथ में पकड़ कर इतनी ज़ोर से मसला कि मेरे मुँह से "आआआआआआहह हह" निकल गयी.

गुल नवाज़ के हाथों की ये गर्मजोशी मुझ भी गरमा गई.आज पहली बार मेरे बदन से कोई खेल रहा था इस लिए ना चाहते हुए भी मेरा जिस्म गर्म होने लगा.

गुल नवाज़ अपनी उंगली और अंगूठे से मेरे निपल्स को बेदर्दी से मसल्ने लगा. में जोश में एक दम पागल सी हो रही थी. मेरी चूत लगा तार पानी छोड़े जा रही थी.

गुल नवाज़ ने अपना मुँह नीचे मेरी नंगी छातियों की तरफ बढ़ाया और अपने मुँह में मेरा दायां मम्मा ले लिया और बाएँ मम्मे को अपनी मुट्ठी से कस कर दबाने लगा.

"क्या सख़्त और मज़े दार मम्मे हैं तुम्हारे, मेरी रानी." गुल नवाज़ ने ये कहते हुए मेरे दोनो मम्मो को कस कर आपस में जोड़ा और फिर बेखुदी में जज़्बात से बेकाबू होते हुए मेरे दोनो मम्मो के दरमियाँ में अपनी ज़ुबान को फेरने लगा.

मैने भी मस्ती में आते हुए अपनी बाहों से गुल नवाज़ के सिर को पकड़ लिया और अपनी छातियों को उपर की तरफ करने लगी.

मेरी चूत पानी छोड़े जा रही थी...मेरी चूत से टपक टपक पानी बह के बिस्तर की चदार पर जा कर जज़्ब होने लगा ...

गुल नवाज़ के हाथ मेरे जिस से खेलते खेलते मेरी कंवारी चूत पर आ चुके थे.

गुल नवाज़ ने मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए फिर अपने हाथ की दरमियानी उंगली मेरी चूत में घुसा दी. "उफफफफफफफफफ्फ़...." में तड़प उठी.

गुल नवाज़ ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल कर उस को आहिस्ता आहिस्ता मेरी फुद्दी के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

मुझे भी मज़ा आने लगा और में आहें भरने लगी. थोड़ी देर बाद गुल नवाज़ उठा और उस ने मेरे दोनो पैर उठा कर अपने कंधो पर रख लिए.

अब गुल नवाज़ का तना हुआ लंड मेरी चूत से बस एक इंच की ही दूरी पर था.

मेरे शोहर गुल नवाज़ ने मेरी टाँगो को अपने हाथों से पकड़ कर फैलाया और अपने लंड का टोपा मेरी चूत के उपर रख दिया.

गुल नवाज़ के लंड को अपनी चूत से टकराते हुए महसूस कर के मेरी सारे बदन में आग सी लग गई. और मज़े के मारे मेरा बदन जैसे झुरजुरी सी लेने लगा.

तभी गुल नवाज़ ने एक झटका मारा और उस का लंड मेरी कंवारी चूत कर परदा फाड़ता हुआ अंदर घुस गया.

में दर्द से चिल्ला उठी, उईए......आअहह .आहह......... आआहह. मगर अब गुल नवाज़ कब रुकने वाला था. उसे मुझ पर कोई तरस ना आया और वो एक भूके कुत्ते की तरह मेरी बोटी बोटी नोचने लगा.

चूँकि मेरे और गुल नवाज़ के कमरे की दीवार नुसरत और सुल्तान भाई के साथ मिली हुई थी. इस लिए रात के सन्नाटे में साथ वाले मेरे भाई के कमरे से आती हुई हल्की हल्की सिसकियों की आवाज़ों से पता चल रहा था. कि दूसरे कमरे में भी वो ही खेल खेला जा रहा है तो हमारे कमरे में ज़ोरो शोर से जारी था.
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