RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
में हल्के हल्के अपनी कमर को मूव करते हुए, बड़े प्यार से धक्के लगाने लगा, जैसे ही मैने अपने लंड को बाहर खीचा, रिंकी की कराह निकल गयी,
फिर धीरे से अंदर किया, उतना ही और फिर बाहर, 2-3 मिनट तक ऐसे ही किया, तो रिंकी को कुछ मज़ा आनेलगा, और उसने अपनी कमर चलाना शुरू किया,
ये सिग्नल था मेरे लिए और आगे का रास्ता तय करने का, मैने दाँत भीच कर एक और कस्के स्ट्रोक जमा ही दिया, और पूरा शेर गुफा के अंदर, दोनो पहरेदार दरवाजे पर सॅट गये.
लेकिन फिर से हम दोनो की चीख निकल गयी, मुझे लगा कि मेरे लंड का निचला हिस्सा फट गया शायद.
हम दोनो दर्द को पीने के कारण हाफने लगे, रिंकी का सर उपर को उठ गया, और निचला होठ दाँतों से काटने के कारण उसमें से खून झलकने लगा, गले की मासपेशियों मे खिचाव आ गया.
मैने दर्द कम करने की गरज से रिंकी के होठों को चूसना शुरू कर दिया, और साथ-साथ मे उसके उरोजो को मसलने लगा,
करीब 4-5 मिनट की मेरी इन कोशिशों के बाद, रिंकी का दर्द कम होने लगा, और मेरी आँखों मे देखकर आगे बढ़ने का इशारा किया,
धीरे-धीरे, मैने अपनी कमर को आगे-पीछे करना शुरू किया, शुरू के एक-दो धक्कों में तो दर्द का एहसास हुआ, लेकिन फिर मज़ा भी उसमे शामिल होने लगा, तो धक्कों मे स्वतः ही तेज़ी आने लगी.
रिंकी के मुँह से अब कराहों के स्थान पर सिसकारियाँ निकलने लगी, और वो मुझे और तेज़ी से धक्के लगाने को उकसाने लगी,
अब हमारे दर्द ने पूरी तरह तौबा करली थी, अब तो बस दीन-दुनियाँ से बेख़बर, हम दोनो दो प्रेमी चल पड़े अपनी सुहानी और सुखद मंज़िल को पाने..
रिंकी की चूत पूरी तरह से मेरे लंड को जगह दे चुकी थी, और उसने उसके स्वागत मे रास्ते को छिड़काव करके सुगम बना दिया था,
सिसकियों की गति भी धक्कों की गति से तालमेल मिलाने लगी थी, अब तो बस इंतजार था कि कब मंज़िल पर पहुँचें.
और मंज़िल आही गयी, रिंकी का शरीर मेरे तेज धक्कों की परवाह किए बगैर अकड़ने लगा और उसकी कमर उपर उठाने लगी, उसके पैरों ने मेरी गान्ड को जकड़ना शुरू कर दिया और कसने लगे.
आआहह…..ऊऊओह…..हहूऊंम्म…श अरुण… हाईए….ज़ोर्से…और जोर्र्र से …. चोदो मुझे… तेजज्ज़…अओउर्र्र..त्टीज्जज्ज…आआईयईईईईई….म्म्मा आआ….म्म्मीेईगग्ाआयईीई….
और उसने मुझे कस्के जाकड़ लिया, में भी चरम पे पहुँच चुका था, बावजूद उसके कसने के मैने कस्के दो-तीन जबर्जस्त सुलेमानी धक़्की मारे..
मुझे लगा जैसे कोई करेंट सा मेरे अंडों से निकल के बहता हुआ लंड के रास्ते बाहर आरहा हो और, 1,2,3… चूत मे एक के बाद एक कई देर तक पिचकारी सी चलती रही, और चूत ओवरफ्लो होने लगी.
जब पूरी मॅगज़ीन खाली हो गयी, तो में रिंकी के उपर पसर गया, और भैंसे की तरह हाँफने लगा, दोनो पसीने से सराबोर हो चुके थे, कोई होश नही रहा.
10 मिनट तक में यूही उसके उपर पड़ा रहा, लंड उसकी ताज़ी फटी रामप्यारी मे ही था,
ताज्जुब की बात थी, वो बेचारी नाज़ुक कली दुबली पतली सी अपने से डेढ़गुने वजन को सहन कर गयी.
जब में लुढ़क के उसके बराबर मे लेट गया, तो उसने अपना सर मेरी छाती पे टिका लिया, एक हाथ और टाँग मेरे उपर रख कर आँखें बंद करके लेट गयी,
हमें कोई होश नही रहा, लगभग नींद में ही चले गये,
कोई आधे घंटे के बाद में उठा, धीरे से उसके हाथ और पैर को अपने उपर से अलग किया,
वो ज्यों की त्यों सीधी लेटी रह गयी, में उठा तो देखा बिस्तर लाल सुर्ख हो गया था, मेरे लंड और उसकी चूत पर भी खून लगा हुआ था,
मैने जाके अपने लंड को पानी से सॉफ किया, और देखा तो मेरे सुपाडे के नीचे की तरफ की स्किन जो लौडे से जुड़ी होती है, वो फट चुकी थी,
एक तरह से मेरी भी सील टूट गयी थी, मुझे कुछ नही दिखा तो अपना हेर आयिल ही लौडे की फटी चमड़ी पर लगा लिया.
फिर मैने एक तौलिया गीली करके रिंकी की टाँगों को चौड़ी करके उसकी रामप्यरी को सॉफ करने लगा, तो रिंकी चोंक के उठने लगी, मैने उसे लेटे रहने को कहा, और उसको सॉफ करने लगा,
वो मेरी तरफ बड़े प्यार से देख रही थी, जब मैने उसकी भी सफाई करदी, तब वो मेरे गले से लिपट गयी, और खुशी के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े…
ओह ! अरुण तुम कितने अच्छे हो… में बहुत खुश हूँ जो मुझे तुम जैसा केरिंग साथी मेरी जिंदगी में आया.
आज मेरे जीवन की सबसे बड़ी तमन्ना पूरी कर दी तुमने, आइ लव यू अरुण, अब मुझे कोई गुम नही चाहे जियू या मरु…
क्यों बार-बार मरने की बात करती हो यार..? में थोड़ा तेज से बोला, तो बो फिरसे मेरे सीने से लिपट गयी और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी..
तुम नही जानते अरुण हम हमेशा एक साथ कभी नही रह पाएँगे, और में तुम्हारे बिना जी नही पाउन्गी.
छोड़ो ये सब समय पर, मैने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा. अभी तो हम साथ हैं ना, जब तक हैं अपनी जिंदगी अपनी तरह से जी लेते हैं,
अपने वर्तमान को भविष्य की चिंता मे क्यों बर्बाद करें, मेरी बातों का उसपर तुरंत असर हुआ, और उसने अपने होंठ मेरे होठों पर चिपका दिए,
एक बार फिरसे हम एक दूसरे में खो गये, कितनी देर तक एकदुसरे को चूमते, चाटते रहे…
एक बार फिरसे में उसके रस सागर मे गोते लगाने को उतावला हो उठा, मेरा शेर तन कर खड़ा हो गया, और झटके देने लगा, कभी-2 तो पेट तक टक्कर देने लगा.
अगर आपने अनुभव किया हो, दूसरी बार में लौडे मे एरॅक्षन जल्दी और जबरदस्त होता है,
|