Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:43 AM,
#27
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वो खिलाकर हंस पड़ी, मानो कहीं दूर चिड़ियों ने चहचाया हो…

कल क्यों नही आई..?? मैने पुछा उसे, वैसे मुझे पता था कारण..

आने लायक छोड़ा था तुमने परसों ? और अगर किसी तरह आ भी जाती तो जाने लायक नही रहती. पूरे दिन दुख़्ता रहा मेरा बदन. कितनी बेदर्दी से रोंदा था मुझे. बहुत बेदर्दी हो तुम सच मे.

तो फिर आज क्यों आई, अपने इस बेदर्दी के पास..?

तुम्हारा दिया हुआ दर्द भी अब मुझे दवा लगने लगा है, सोचती हूँ जब तुम नही मिलोगे तो कैसे कटेंगे मेरे दिन..?

जैसे पहले कटते थे… मे बोला.

पहले की बात और थी अरुण, तब हम मिले नही थे ना… वो रुआंसे स्वर मे बोली.

कुछ दिन मुश्किल होगी, फिर सब्र होने लगेगा.. मैने उसे समझाते हुए कहा.

हां वो तो करना ही पड़ेगा, और कोई चारा भी तो नही.. जैसे हर मान ली हो उसने.

फिर हम एक दूसरे के हाथ थामे बिस्तर पर बैठ गये, मैने कहा रिंकी तुम यहाँ कब तक रहोगी…?

पापा तो दो दिन बाद ही जाने की बोल रहे थे, लेकिन मैने उन्हें एक हफ्ते की लिए मना लिया है.

फिर तो मज़ा आगया, मेी बोला… मेरी अब 5 दिन की गॅप है, तो पूरे दिन मस्ती करेंगे.

अच्छा जी… मस्ती करेंगे… जैसे घर मे मुझे और कोई काम नही होता.

लो अब ये खाना खाओ, और अपने साथ लाए टिफिन को मेरे सामने रख दिया,
मैने टिफिन खोला और खाना खाने लगा, वो मेरी तरफ ही देखती रही.. मैने चुटकी लेते हुए कहा…

तुम क्या मेरे निबाले गिन रही हो… ? उसने एक प्यार भरी चपत लगाई मेरे कंधे पर… और बोली…

बहुत बदमाश हो तुम, में क्यों तुम्हारे निबाले गिनूँगी, खाना तो मे तुम्हारे लिए ही लाई हूँ ना.

तुम भी खा लो थोड़ा बहुत, मे बोला और एक निबला अपने हाथ से उसके मुँह मे दे दिया…

उसने भी मुँह खोल कर निबाला खाया और साथ मे मेरी उंगलियों को काट लिया…

आआययईीीई… कटखनी बिल्ली साली कटती है… वो हँसने लगी..

ऐसी चुहलबाज़ी करते हुए हमने खाना ख़तम किया, और फिर बैठके बातें करने लगे…

बातें करते करते कब हमारे होठ एक दूसरे जे जुड़ गये पता ही नही चला… और फिर वो सब होता चला गया, जिसके लिए हम तड़प रहे थे.

एक तूफान सा आया, और आकर गुजर गया, हमारे बदन निढाल हो कर बिस्तर पे पसर गये,

आज हमने 3 बार जमके चुदाई की, शाम को रिंकी अपने घर चली गयी, मे थोड़ा बहुत पढ़ा और फिर नीद में चला गया.

इसी तरह हमारा एक वीक कैसे निकल गया पता ही नही चला.. जिस दिन रिंकी लौटने वाली थी, उसके पापा साथ नही थे, 

मे उसे बस मे बिठा कर आया, तो वो मेरे कंधे पर सर रख कर कितनी ही देर रोती रही, में उसे चुप कराता रहा, लेकिन सच तो ये था कि मेरा भी रोने का मन कर रहा था, लेकिन रोया नही वरना हम जुदा नही हो पाते, और कुछ ऐसा हो जाता जो हम दोनो के परिवारों की सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती.

रिंकी चली गयी, में उदास मन अपने कमरे पर लौट आया..
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:43 AM

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