RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
लुक्का ने भी बैठे ही बैठे उससे हाथ मिलाया, दोनो के हाथ मिलते ही कस गये, और एक-दूसरे की शारीरिक क्षमता को परखने लगे.
नौजवान का हाथ थोड़ा छोटा था लुक्का के मुक़ाबले, लेकिन शक्ति में कमी नही आने दी उसने.
नौजवान- मिल कर खुशी हुई लुक्का भाई, मेरा नाम राका है, ये मेरे साथी हैं, हम राजपुरा में ड्रग डीलिंग का धंधा चलते है, अच्छी-ख़ासी डिमॅंड है इस चीज़ की वहाँ.
हमने आप का नाम सुना था, और ये भी हमें पता है कि आपकी डीलिंग डाइरेक्ट दुबई से है. ये बात उसने अंदाज़े से ही बोल दी थी.
तीर सही निशाने पे लगा.
लुक्का - सही सुना है तुमने, में इस शहर का बेताज बादशाह हूँ, सारे गैर क़ानूनी काम मेरी देख-रेख में होते हैं. पोलीस मेरी जेब मे रहती है, अब तुम अपने आने का प्रायोजन कहो, बोलो मेरे से क्यों मिलना चाहते थे.
नौजवाना- इफ़ यू डॉन’ट माइंड लुक्का भाई, मे आपसे अकेले में बात करना चाहूँगा.. !
लुक्का - तुम बोल सकते हो, ये मेरे बहुत खास आदमी हैं..
नौजवान – मे आपके आदमियों पर शक़ नही कर रहा हूँ, लेकिन इंसान का ओवर कॉन्फिडॅन्स कभी-2 नुकसानदेह होता है लुक्का भाई,
मुझे पता है आज दिन भर पोलीस ने शहर में क्या-2 किया है ..? अब इतना सब बिना अंदर की इन्फर्मेशन के तो संभव नही हो सकता ना…!
लुक्का को लगा लड़का कुछ ज़्यादा ही समझदार है, उसे उसकी बात मानने पर मजबूर होना पड़ा.
उसने अपने आदमियों को बाहर जाने का इशारा किया.. ! तो वो उसकी ओर ताज्जुब से देखने लगे…!
लुक्का ने थोड़े नाराज़गी वाले अंदाज में उनकी ओर देखा तो वो बाहर की ओर चल दिए..
उसके पाँचों गुंडे और वो तीनों नौजवान भी बाहर चले गये. उस नौजवान ने फ़ौरन गेट अंदर से लॉक कर दिया,
लुक्का – गेट क्यों बंद किया..?
नौजवान- दीवारों के भी कान होते है भाई….!
गेट बंद होते ही वो चारों भी जो लुढ़के पड़े थे, लोगों के बीच से उठ खड़े हुए और फिर उन सातों ने मिलकर उन पाँचों गुण्डों को घेरे में ले लिया, अब उन सभी के हाथों में गन्स दिखाई दे रही थी.
गुंडा 1– धोका..! कॉन हो तुम लोग..?
तुम जैसे देश और समाज के दुश्मनो की मौत और फिर धानी---धानी—लगातार 6 फाइयर हुए, और वो पाँचों गुंडे काउंटर पर बैठे गुंडे समेत ईश्वरपूरी को जाने वाली ट्रेन का टिकेट खरीदते हुए दिखाई पड़े..!
इधर जैसे ही फाइरिंग की आवाज़ लुक्का के कानों में पड़ी, वो चोंक पड़ा..!
कों हो तुम.. ?
अरुण …!! अरुण नाम है मेरा, सुना तो होगा मेसी में तेरे चूमाचो को जैल भिजवाने वाला में ही हूँ.
आज तेरे सारे शहर के अड्डों की वाट लगाने वाला भी में ही हूँ.
तेरे खरीदे हुए पोलीस के कुत्तों की रेमंड करने वाला भी में ही हूँ.. और अब तेरे गुनाहों की सज़ा देने वाला हूँ, अब अचानक उसके हाथ में गन नज़र आ रही थी.…
लुक्का की तो आँखें फटी की फटी रह गयीं, उसने ख्वाब में भी नही सोचा होगा, कि कोई 19-20 साल का लड़का उसको उसके ही अड्डे पर इस तरह गन पॉइंट पे ले लेगा.
अरुण ने रेवोल्वर की नाल के इशारे से उन लड़कियों को वहाँ से जाने के लिए इशारा किया, वो दोनो कांपति हुई एक कोने मे जाके दुबक गयी.
लुक्का चीखता हुआ अपने आदमियों को आवाज़ देने लगा… जग्गा…असलम… कहाँ मर गये सब के सब, जल्दी आओ..!
सब मार चुके हैं लुक्का…! सर्द लहजे मे कहा अरुण ने…
क्या..? क्या बोला तू..? ये नही हो सकता..?
तूने गोलियों की आवाज़ नही सुनी..? यही नही, तेरे क्लब के बाहर खड़े भडुवे भी अल्लाह मियाँ को प्यारे हो चुके हैं, अब सिर्फ़ तू अकेला बचा है..
लुक्का अभी तक सोफे से उठ भी नही पाया था, अरुण थोड़ा सा इधर-उधर देखने लगा तभी लुक्का को मौका मिल गया, और टेबल से एक शराब का खाली ग्लास उठा कर अरुण के गन वाले हाथ पर फेंक मारा.
निशाना सटीक था, नतीजा, गन उसके हाथ से छूट गयी, लुक्का की फुर्ती क़ाबिले तारीफ थी, जैसे ही गन अरुण के हाथ से च्छुटी, लुक्का का जिस्म सोफे से ना सिर्फ़ उच्छला, सीधा अरुण के उपर जंप लगा दी..
अरुण भी सतर्क था, वो अपनी जगह से एक पैर पर घूम गया, नतीजा लुक्का अपनी ही झोंक में सीधा टीवी के केस से जा टकराया..
घूमते ही अरुण ने उसके पिच्छवाड़े पर एक भरपूर किक रसीद कर दी, लुक्का जो अपने को संभालने की कोशिश कर ही रहा था, की फिर धडाम से जा टकराया.
लुक्का समझ चुका था, लड़के से आसानी से पार वो नही पा सकता, उसे अपनी पूरी क्षमता से इसके साथ लड़ना होगा.
अरुण अपनी जगह कमर पर हाथ रखे खड़ा उसके उठने का इंतजार कर रहा था.
जैसे ही लुक्का उठके घुमा, अरुण ने एक फ्लाइयिंग किक उसको मारी, इस बार लुक्का पूरी तरह चोन्कन्ना था, वो अपने जगह से हट गया, और अरुण का शरीर अपनी ही झोंक मे घूमता हुआ सोफे पे गिरा, पीछे से लुक्का ने उसके उपर जंप लगा दी, उसका भारी भरकम शरीर अरुण के उपर गिरा…
दोनो के वजन और झटके को भारी सोफा भी नही झेल पाया और वो पीछे को उलट गया, दोनो दूर तक लुढ़कते चले गये..
दोनो ही फुर्ती से खड़े हो गये, और एक दूसरे को खा जाने वाली नज़रों से घूर्ने लगे… दोनो की आँखों से खून बरस रहा था मानो,…!!!!
लुक्का दाँत पीसते हुए बोला- यहाँ आकर अपनी मौत को दावत दी है तूने लौन्डे… आज तुझे पता चलेगा कि लुक्का से टकराने का अंज़ाम क्या होता है..और वो अरुण के उपर झपटा..
अरुण ने एक कदम साइड में हटके ना केवल अपने को उसके बार से बचाया अपितु, घूम के उसका राइट हॅंड लुक्का के गले से कस गया… और दाँत पीसते हुए अपने बाजू से उसकी गर्दन को कसते हुए गुर्राया.. ..
बहुत खून चूसा है हरामजादे तूने इस शहर के नौजवानों का, आज तुझे पता चलेगा, कि एक सच्चा देश का आम नागरिक भी जब अपनी पर आता है, तो तेरे जैसे समाज के कीड़ों का क्या हाल करता है.. और देखते-2 उसका बाजू लुक्का की गर्दन में और कस गया…!
गला दबने से लुक्का के फरिस्ते कून्च कर गये, उसका चेहरा लाल भभुका हो गया, पूरे शरीर का खून उसके चेहरे पर जमा हो गया, आँखें उबल पड़ने को तैयार थी….
लेकिन वो भी हकीम लुक्का था.. कोई इतनी आसानी से उसपे काबू पा ले ये मुमकिन नही था, ये बादशाहत उसे किसी खैरात में नही मिली, अपने दम पर उसने इसे हासिल किया था, वो अभी भी किसी दाँव चलाने की कोशिश में था..
अचानक लुक्का ने अपने को पीछे को धकेलना शुरू कर दिया, और धकेलते-2 वो उसको उल्टे पड़े सोफे तक ले आया, जैसे ही अरुण के पैर सोफे से टकराए, अपनी पूरी शक्ति जुटा, लुक्का पीछे को उलट गया, नतीजा अरुण उल्टे पड़े सोफे पर धडाम से गिरा और उपर से लुक्का उसके उपर, उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी..
लुक्का ने अपने दोनो हाथों से पकड़ के अरुण के हाथों को अपने गर्दन से अलग किया और खड़ा होते ही, अरुण को बिना कोई मौका दिए, झुक कर उसके मजबूत हाथ ने अरुण का गला कस लिया…!
उसका बड़ा सा कठोर हाथ अरुण के गले से कस गया, और अपनी ताक़त के ज़ोर से उसने उसको हवा मे उठा लिया…
अरुण के पैर हवा में झूल रहे थे, अब अरुण को लगने लगा कि वो गया, कुछ भी करने की स्थिति में नही था वो. चेहरा लाल सुर्ख पड़ गया था मुँह खुल चुका था, आँखें और जीभ बाहर को आने लगी थीं.
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