RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मे- तो फिर मुझे उकसाया क्यों..?
भाभी- तुम्हारी मर्दानगी पर फिदा हो गयी हूँ में…! जो तुमने हमारे लिए किया, उतना तो कोई सगा भी नही करता..!
मे- तो अब पीछे मत हटिए, और अपने दिल की सुनिए.. वो क्या कहता है..?
भाभी- दिल के हाथों ही तो मजबूर होती जा रही हूँ, ये कम्बख़्त तुम्हारी ओर खिचा चला जा रहा है..
मे- उसके कान की लौ को जीभ से टच करते हुए.. तो फिर भूल जाओ सबको..और उसके गाल को काट लिया…!
भाभी- उ…माआ.. क्या करते हो ..? अभी नही, आज रात को आती हूँ तुम्हारे पास..!
मे- तो अभी के लिए स्टार्ट-अप ही हो जाए..! और उसके होठों को चूम लिया..एक हाथ से उसकी गोल-मटोल नेविया बॉल को मसल दिया..
भाभी- ससिईई… आयईयीई.. अब्भी छोड़ो…प्लस्सस.. समझा करो.. कोई भी आ सकता है यहाँ.. और वो उठके चली गयी..!
में खुश हो गया कि चलो आज रात को इसकी जम के बजाता हूँ..! उसकी चौड़ी गान्ड मेरी आँखों के सामने घूमने लगी..!
रात को सभी खाना खा पीकर, सोने चले गये, में थोड़ी देर वहीं बैठा रहा, धनंजय ने कहा, सोना नही है, मे बोला तू जा मुझे अभी नींद नही आरहि, थोड़ी देर में आता हूँ.
वो भी चला गया, मौका देख कर किचन की तरफ गया, वहाँ भाभी बरतन सॉफ कर रही थी, चुपके से जाके उसे अपनी बाहों मे कस लिया पीछे से… !
आअहह…! मेरे लौडे का कनेक्षन जैसे ही उसकी गद्देदार गान्ड से हुआ.. पुछो मत….?
सला कपड़ों के उपर से ही इतना मज़ा है इसकी गान्ड का, तो बिना कपड़ों के क्या होगा..? सोचा मन में.
मेरे अचानक इस तरह पीछे से पकड़ लेने से वो चिंहूक गयी…! और बोली.. अरे बेसबरे, थोड़ा तो इंतजार करो.. ये काम निपटा कर, थोड़ी देर तुम्हारे भैया का मन बहला दूं, फिर आती हूँ, जो जी मे आए कर लेना.. अब जाओ यहाँ से… प्लस्सस..
उसके गाल पे पप्पी लेके मे अपने कमरे में आ गया, और आने वाले हसीन पलों में खो गया..!
रात करीब 1 बजे को वो मेरे रूम में आई.. तबतक मे सो चुका था, काफ़ी देर तक वो मेरे पलंग के साइड में खड़ी होकेर मुझे देखती रही, फिर धीरे से मेरे साइड में घुटने मोड़ कर बैठ गयी.
आहिस्ते से पाजामे को खींचकर निकाल दिया, और मेरे सोए पड़े लल्लू के उपर हाथ रख कर प्यार से उसे सहलाने लगी.
लंड महाराज को अपने स्वामी की नींद से कोई वास्ता नही, उन्हें तो जो प्यार से दुलार दे बस, उठ खड़े होते हैं, सीना चौड़ा के.
जैसे ही साहिब बहादुर तन्तनाये…! मेरा अंडरवेर भी गायब हो गया, अब नीचे से बिल्कुल नंगा था. थोड़ी देर हाथ से सहलाने के बाद उसने लंड की खाल खींच कर सुपाडे को भी नंगा कर दिया.
टमाटर जैसे लाल-लाल सुपाडे को देख कर उसको सब्र नही हुआ और उसे चूम लिया.. धीरे-2 वो उसे चाटने लगी..
जब मुझे कुछ-2 गीले होने का एहसास हुआ, तो मेरी नींद खुल गयी, थोड़ा सर उठाके देखा तो मेरे… मेरे मुँह से किल्कारी निकल गयी..!
ळौडे को छोड़, उसने अपने होठों पे उंगली रख के मुझे चुप रहने का इशारा किया..!
मैने उसे कंधों से खिच कर अपने उपर कर लिया,, अब वो आधी मेरे उपर थी और आधी पलंग पर.
पेट के बल लेटी, कमर के नीचे वो पलंग पर थी, उसकी एक चुचि मेरे सीने से दबी थी, दूसरी मेरे बगल में दब गयी, उसके होंठ मेरे होठों पर.
मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था, दूसरा उसके नितंबों के उपर, उसकी पहाड़ियों की चढ़ाई-उतराई चेक कर रहा था.
उसके बाद उसने अपनी एक जाँघ मेरे लौडे के उपर रख कर उसे रगड़ने लगी.
5-6 मिनट की होठ चुसाइ के बाद मैने उसे पलट दिया, और अब मे उसके उपर चढ़ गया, उसके हाथों को दोनो साइड से फैला के अपनी उंगलियाँ उसकी उंगलियों में फँसा दी और उसखे होठों को चूसने लगा…
वो बहुत गरम हो चुकी थी, उसकी साँसें उखड़ने लगी, दोनो के बदन भट्टी की तरह तपने लगे…!
मेरे दोनों हाथों ने उसकी चुचियों को ब्लाउज के उपर से ही मसलना शुरू कर दिया…!
सीयी.. हीईिइ…ड्यूवर जी, खेले खाए लगते हो.. उउउऊहह.. आहह.. धीरे—
आहह.. एक दिन में ही इन्हें तरबूज बनाओगे क्या रजाअ…!
हेईए… राणिि.. तेरी.. ये आम.. बड़े रसीली..लग रहे… है.. बहुत रस भरा है इनमें…निकालने तो दो..!
आहह… मेरे रजाअ… सीयी..रस को चूसाआ…जाताअ.. है..मसलाअ.. नही..!
मैने फटाफट उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए, कसी हुई ब्रा में उसके कबूतर बाहर निकलने को फड़फड़ाने लगे.. मे अब उसके ब्रा के बीच की घाटी को जीभ से चाटने लगा..
उसने अपनी पीठ उठा दी और ब्रा को भी निकलवा दिया.. अब उसके दोनो कबूतर चोंच उठाए गुटरगूं करने लगे, बोले तो चुसवाने को तैयार थे.
उसके निपल कंचे की तरह कड़क हो गये थे, मैने हल्के-2 अपनी जीभ से दोनो को बारी-2 से चाटा, तो उसकी छाती और उपर को उठ गयी, और मुँह से सिसकारी फुट पड़ी.
आहह…देवर्जी चूसो इन्हें… उऊहहू.. खा जाओ…ज़ोर-2 से… उहहुउऊ…ऐसी..हिी…हहानं… और ज़ोर से हाईए….नहिी…ज़ोर से मत कॅटू…!!
में अपने काम में बिज़ी था, वो सिसकारियों में डूबी थी.. कमरे का माहौल चुदाईमय हो चुका था……!!!
कुछ देर में हम दोनो जन्मजात नंगे थे, वो पलंग पर चित्त लेटी थी, थोड़ी देर तक में उसके बदन के कटाव देखता रहा, क्या फिगर थे उसके..?
एकदम परफेक्ट फिगर, 34-22-34..चुचियाँ एकदम उपर को मुँह उठाए हुए तनी हुई, लटकन नाम मात्र को भी नही.. गोल-गोल कसी हुई एक दम सॉफ्ट ..रूई के माफिक…
मैने उसके पूरे शरीर को चुंबनों से गीला कर दिया, होंठो से शुरू करके, गले, चुचियाँ, उसके बाद पेट पर आकर उसकी गहरी नाभि में जीभ डाल दी..
वो सिसकार भर उठी, अब मेरी जीभ जांघों के बीच पहुच गयी थी, पहले मैने उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से को चाटना शुरू किया, उसकी टाँगे अपने आप खुल गयी, जैसे ही मेरी जीभ उसके बिना बालों वाली चिकनी चूत पर गयी, स्वतः ही उसकी कमर थिरकने लगी..
ससिईईयाअहह…. हाईएईई..ये सब कहाँ से सीखा..देवर्जी… मेरी तो जान ही निकाले दे रहे हो…हाईए.. राम इतना मज़ा मुझे आजतक नही आया..
ससुउउ…आह..पूरे कलाकार हो तुम तो…!
वो ना जाने क्या-2 बोले जारही और मे पूरे मन से उसकी चूत को चाट रहा था, 5 मिनट. में ही उसने पानी छोड़ दिया..!
उसने झट से मुझे अपने उपर खींच लिया और मेरे होठों पे टूट पड़ी..
बहुत मज़ा देते मेरे प्यारे देवरजिी.. आहह.. अब डाल भी दो अपना ये मूसल और कूट दो मेरी ओखली को..!
रानी ! थोड़ी हमारे बबुआ की भी तो सेवा करदो.. तभी तो वो तुम्हारी रामप्यारी को अच्छे से प्यार करेगा..!!
वो समझ गयी और मुझे नीचे करके मेरे लंड पर टूट पड़ी… आअहह.. क्या मस्त लॉडा चुस्ती थी वो..! कभी सुपाडे को मुँह मे लेके आइस्क्रीम की तरह चाटती, कभी पूरे लौडे को मुँह में भर लेती, साथ-2 में मेरे सिपाहियों को हाथ से दुलार्ती..
मज़े की अधिकता में मेरे मुँह से स्वतः ही आहह.. निकल रही थी, अपने हाथ से उसके सर को लंड पर दबाने लगा..
उसके मुँह से लार बह-2 कर बाहर आ रही थी और अंडों को भी गीला कर रही थी,
में अपनी कमर चला कर उसके मुँह की चुदाई करने लगा.
अब मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल होता जारहा था.
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