Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:48 AM,
#59
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
रात का खाना-वाना खा पीके, सब लोग अपने-2 कमरों में सोने चले गये, मे और धनंजय थोड़ी देर गाप्पें लड़ाते रहे, आनेवाले समय के बारे में कैसे क्या करना होगा ये सब, फिर कोई 11 बजे हम दोनो भी सोने चले गये..!

वैसे रेखा ने कुछ बोला तो नही था, कि आज वो आएगी या नही मेरे पास पर मुझे पक्का पता था कि उसकी चूत ज़रूर कुलबुला रही होगी..!

मे अभी लेटा ही था, सोने की कोशिश कर ही रहा था कि आहट हुई…!!

मैने आँख खोल कर देखा तो रेखा अंदर से दरवाजा बंद कर रही थी…!

मे- अरे दीदी तुम यहाँ क्यों आई हो,,? और ये गेट क्यों बंद किया..?

वो- मेरे पास बिस्तर पर बैठती हुई..! अच्छा जैसे तुम्हें कुछ पता ही नही..? हाइन.. कैसे बन रहे हो..?

मे- अरे मुझे कैसे पता होगा…? जानते बुझते उसे चिड़ाते हुए बोला..!

वो मेरे सीने पर प्यार से मुक्के बरसाते हुए बोली- बहुत बुरे हो तुम.. अरुण..!, आग लगा कर पूछते हो कि ये कैसे लगी.. आम्मुन्च.. और मेरे होठों को चूम लिया.. 

वो बहुत बेसब्री हो रही थी, मैने भी उसको अपनी बाहों में कस लिया और उसके होत चुसते हुए बोला- दीदी क्या ये हम सही कर रहे है..? 
किसी को पता चला तो लोग क्या कहेंगे, कि देखो कितना नीच है, अपने दोस्त की बेहन को भी नही छोड़ा..!

वो- अब ये सब सोचने का समय निकल गया है अरुण, मे वादा करती हूँ तुम्हें कोई आँच नही आने दूँगी..! और वैसे भी किसी को पता कैसे चलेगा..? क्या तुम किसी को बताओगे..? या में.?

और मेरे पूरे चेहरे पर चुम्मनों की बारिश सी करदी उस बेसब्री लौंडिया ने, वास्तव मे उसे अब कोई रोक नही सकता था..!

मे पलंग के सिरहाने से टिका बैठा था, उसकी कमीज़ उतार के उसे मैने अपनी गोद में बिठा लिया अपने दोनो ओर पैर करके.. !

मैने उसके 32” मम्मों को अपने दोनो हाथों मे लेके रगड़ दिया..!
सीयी… हआइई… रामम्म… मारीइ…रीए.. धीरीए.. ड्ड.आ.र.ड्ड..हो..त.त्ता.आ. है….!
लगता था, उसके संतरों पर भी अभी तक कोई काम नही हुआ था, थोड़ा बहुत उसी ने उनको छेड़ा होगा..!

उसकी ब्रा निकाल के बिस्तर पे डाल दी.. , वाउ ! क्या चुचियाँ थी, उन्हें देख कर मुझे रिंकी की याद आ गई और उसके हल्के गुलाबी निपल को होंठो से पकड़ के खींच दिया..!

ससुउुुआाहह…मुंम्मिईिइ.. मरी रीई… ओह माआ.. ये क्या हो रहाआ.. है.. मुझीए…ओह्ह्ह…अरुण.. बहुत मज़ाअ.. आरहा है… चूसो इनको… खा जाओ… मेरे राज आआ..!

दूसरे निपल को अंगूठे और उंगलियों के बीच मसल दिया हल्के से…! अब तो रेखा आसमानों में उड़ने लगी..आँखें बंद करके, औंत की तरह गर्दन उठाके मेरे मुँह को बुरी तरह अपनी चुचि पे दबा दिया..!

मेरा मुँह उसकी मुलायम चुचि में दब गया, मुझे सांस लेने में भी मुश्किल होने लगी..!

अरे दीदी मेरा दम घोंटोगी क्या..? मुँह हटा के बोला मे.. वो बुरी तरह शरमा गई..!

फिर मैने दूसरी चुचि के कांचे जैसे खड़े निपल को मुँह में लेके चूसा और दूसरी चुचि को हाथ में भर के ज़ोर्से मसल दिया…!

हआइईईई…ऊहह.. वो हाँफने सी लगी…! मे उसके बारी-2 से निपल चूस्ता रहा, और मेरे हाथ उसकी सलवार का नाडा खोलने में बिज़ी हो गये, इस बीच उसने भी मेरा कुर्ता मेरे शरीर से अलग कर दिया..!

रेखा को बेड पे लिटके, उसकी सलवार निकल दी, और उसकी आँखों में देखते हुए उसकी कोरी करारी मुनिया को अपने हाथ से सहलाते हुए मुट्ठी में भींच लिया..!

ग़ज़ब ही हो गया…! उसकी कमर धनुष की तरह उपर उठी, और आआययईीीई…न्नाऐईयइ… करती हुई धप्प से गिरी.. उसका ओरगिस्म हो चुका था, पेंटी चूत रस से सराबोर हो चुकी थी…!

अब उसकी पेंटी का वहाँ कोई काम नही रहा.. तो उसको मैने हाथ से खिच के फाड़ ही डाला..! उसको कोई फ़र्क नही पड़ा वो तो बस मस्ती में आखे बंद किए हुए, अभी-2 जो उसके साथ हुआ था उसी में खोई हुई थी…!

मे- दीदी कैसा लग रहा है…?

वो- ये…क्या..था अरुण..? तुम कोई जादूगर हो क्या…? मुझे लगा में यहाँ हूँ ही नही.. किसी और दुनिया में हूँ.. सच में.

फिर मैने अपना पाजामा भी उतार दिया, मेरे नत्थूलाल तो अकड़ के लोहे के डंडे के माफिक खड़े थे, और मेरे अंडरवेर से निकलने के लिए उतावले हुए जा रहे थे. 

मैने प्यार से हाथ फेरा और पुच्कार्ते हुए कहा… पूकक्च… शांत मेरे शेर, सब्र कर सब कुछ मिलेगा..

रेखा ये देख कर शरमाते हुए, मंद-मंद मुस्करा रही थी.

मैने अपने लंड को रेखा के होठों पर रख कर इधर-से-उधर फिराया. 

चूँकि वो ये सब कल रात को देख चुकी थी, सो उसने जीभ से सुपाडे को चाट लिया जिस पर एक बूँद शुद्ध देशी घी लगा था, 

उसको स्वाद अच्छा लगा तो मुँह खोल दिया और सुपाडे को गडप्प कर गई, और मेरी आँखों में देखते हुए इशारे से कह रही हो मानो कि अच्छा टेस्ट है….!

थोड़ी देर तक उससे अपना लंड चुसवाने के बाद, मैने उसे लिटा दिया, और उसकी टाँगे खोलके उसकी मुनिया पर हाथ फिराया..

उसकी मुनिया की फाँकें एक-दूसरे से चिपकी हुई थी मानो गले मिल रही हों..! एक बार अपनी जीभ को नीचे से उपर को पूरी लंबाई तक उसकी कोरी चूत के उपर फिराया.. तो उसकी सिसकी एक बार फिर निकल गयी..!
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