Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:06 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने उसका वो हाथ पकड़ कर उसकी उंगली को अपने मुँह में रख कर चूस लिया और बोला - मेरी प्यारी गुड़िया रानी को दर्द हो रहा है, 

और अपने कान पकड़ कर सॉरी कहा तो वो खुश हो गयी और मेरी छाती से लिपट गयी..

ओह्ह अरुण भैया..!! तुम कितने अच्छे हो..? सच में इतना प्यार मेरे भाइयों ने मुझे कभी नही किया जितना तुम कर रहे हो मुझे.

मे उसकी पीठ सहलाता रहा, फिर धीरे-2 मेरा हाथ उसकी कमर तक पहुँचा, वो और ज़्यादा चिपकने लगी, 

वो मेरी ओर झुक सी गयी थी इस वजह से उसकी छोटी सी गान्ड का आधा हिस्सा उठ गया, 

कमर से होते हुए मेरा हाथ उसके गोल मुलायम चूतड़ पर चला गया, उसका भी एक हाथ मेरी जाँघ पर था, जो और चिपकने की वजह से सरक कर मेरे पप्पू के पास पहुँच गया. 

उसके हाथ का नर्म एहसास पाकर वो अकड़ने लगा, और इसी उत्तेजना के कारण मेरा हाथ उसके चूतड़ पर कस गया और मैने उसे ज़ोर्से मसल दिया…

आई.. वो छिटक कर मुझसे दूर हो गयी और गहरी नज़रों से देखने लगी, फिर नज़रें नीची करके शरमा गयी. 

मैने उसका हाथ पकड़ कर पुछा- भूरी क्या हुआ..? कुछ ग़लत कर दिया मैने..?
वो कुछ नही बोली, और मुस्कुराती हुई तिर्छि नज़र से देखती रही. 

मे जलेबी खाने लगा, जब आधी से ज़्यादा ख़तम करदी मैने तो वो मेरी ओर देख 
कर बोली- अकेले-2 ही खा जाओगे..? मुझे नही दोगे..?

मे- ले ना, किसने रोका है ले खा, और एक टुकड़ा उसके मुँह की तरफ बढ़ा दिया जो उसने मुँह खोल कर खा लिया. 

जलेबी ख़तम करके मे हाथ धोने चला गया, इतने में उससे कमरे की साफ सफाई कर दी, जब लौटा तो वो बिस्तर सही कर रही थी.

मैने फिर से अपने पास बिस्तर पर उसे बिठा लिया और बात-चीत करने लगे उसके घर परिवार के बारे में.

मे- भूरी ! तूने बताया नही, तू उस टाइम दूर क्यों हट गयी थी ? कुछ गड़बड़ हो गयी थी क्या मुझसे..?

वो हंसते हुए बोली - तुमने ज़ोर से नही दबा दिया मेरे वहाँ पर..?

मे - कहाँ पर दबा दिया था..? तो वो हंसते हुए मेरी छाती से लग गयी.. और मुँह छिपा कर बोली - गंदे भैया..!

अच्छा जी..!! तो गंदे भैया से चिपकी क्यों है…? हैन्न..हैन्न.. और उसकी बगलों में गुदगुदा दिया, 

वो खिल-खिलाकर मेरी पीठ पर हाथ कस्के और ज़्यादा चिपक गयी और बोली- मेरे गंदे भैया बहुत प्यारे भी तो हैं.. !

मे - आजा अपने प्यारे भैया की गोद में बैठ…! और कहते हुए उसे अपनी गोद में खिचने लगा तो वो एक साइड को दोनो पैर करके मेरी गोद में बैठने लगी, 

मैने कहा ऐसे नही..! वो मेरी ओर देखने लगी..! मैने कहा जैसे बच्चे बैठते हैं, दोनो ओर पैर करके वैसे.

तो वो झट से मेरे दोनो ओर पैर निकाल कर, मेरी ओर मुँह करके मेरी गोद में बैठ गयी.., 

मेरा पप्पू अकड़ने लगा उसकी मुलायम छोटी-2 लेकिन गोल-मटोल गान्ड को अपने उपर पाकर, जो शायद उसको भी अच्छे से फील हो रहा होगा.

मैने उसके गालों को हाथ में लेकर सहलाया और कहा- तुझे अच्छा लग रहा हैं ना मेरी गोद में ? तो उसने हमम्म.. करके मंडी हिलाकर हामी भर दी.

मे - तू बहुत सुंदर सी प्यारी सी गुड़िया है भूरी ! और मैने उसके होठों को चूम लिया, 

शायद उसको ये कुच्छ अट-पटा सा लगा और मेरी ओर देख कर बोली..

अरे ये क्या करते हो..? मेरा मुँह क्यों झूठा कर रहे हो..? 

मे - अरे पगली इससे मुँह झूठा नही होता ? ऐसे प्यार किया जाता है, ये कहकर मैने फिर से उसके होठों पर किस किया और इस बार उसके निचले होठ को अपने मुँह में लेकर चूस लिया, 

वो मेरे होठ चूसने से गन्गना गयी, और उसके होठ थर-थर काँपने लगे, फिर मैने पुछा- कैसा लगा..?

वो मेरी ओर देखने लगी, उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे तैरने लगे, कोमल भावनाएँ जाग उठी, और वो बोली – 

बहुत अच्छा, मज़ा आ रहा है, और करो ना..!!

मैने फ़ौरन उसके होठों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, 

इस बार उसके उपर के होंठ को चूसा, तो उसने भी मेरे नीचे के होठ को अपने होठों से कस लिया और मेरी तरह ही चूसने लगी, 

अब मैने अपनी जीभ को उसके दाँतों के उपर घुमाया तो उसने अपना मुँह खोल दिया, 

मेरी जीभ अब उसके मुँह के अंदर जाकर इधर-उधर सैर करने लगी.

जब मेरी जीभ उसकी जीभ से टकराई, तो उसको इसमें मज़ा आया और वो भी अपनी जीभ मेरी जीभ से भिड़ाने लगी, 

अब हमारी जीभें एक दूसरे से कुस्ति करने लगी.

जलेबी खाने के बाद मीठी लार का मज़ा एक दूसरे के मुँह में घुलने लगा…

जब 2-3 मिनट ऐसा ही चला, तो मैने किस तोड़कर उससे पुछा- क्यों भूरी.. मुँह झूठा करने में मज़ा आया कि नही..?

वो शरमा कर मेरे सीने से चिपक गयी.. और बोली- तुम कोई जादूगर तो नही हो ? मेरा मन ही नही कर रहा तुमसे अलग होने को. 

मेरे दोनो हाथ अब उसके गोल-मटोल नितंबों को सहलाने लगे तो वो और थोड़ा उपर को उचक गयी, 

उसकी मुलायम गान्ड को सहलाते हुए मेरे हाथ उपर की तरफ बढ़ने लगे और उसकी पीठ पर होते हुए उसकी दोनो बगलों को सहलाते हुए जैसे ही उसकी गोल-गोल संतरे साइज़ की चुचियों पर पहुँचे..

और हल्के से उसके चूचुकों को सहलाया, वो सिसकते हुए मेरे गले में बाहें डालकर मेरे होठों को चूसने लगी…
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:06 AM

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