Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:06 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने उसको इस पोज़िशन से चोदना बंद कर दिया, और कुछ देर उसकी चुचियाँ पीने के बाद थोड़ा फिर से उसको गरम किया और खुद पलग पर लेट कर, उसको अपने लंड पे बिठा लिया, 

अब वो बेमन से मेरे लंड पर अपनी बहाल हो चुकी चूत को रख कर कमर उपर नीचे करने लगी. 

थक चुकी थी बेचारी, सो ज़यादा देर नही कर पाई तो घुटने डालकर मेरे उपर पसर गयी, 

मुझे अब कुछ-2 लगने लगा था कि कुच्छ उठने लगा है मूलाधार से,... कुछ आ रहा है उर्जा श्रोत से मेरे आंडों की तरफ….
अब मेरे रुकने का तो कोई सवाल ही पैदा नही हो सकता था, सो उसकी गान्ड को थोड़ा सा उचका कर नीचे से बुरी तरह कमर चलाने लगा, 

उसके पपीतों को दोनो हाथों में थाम लिया, मेरी कमर की स्पीड इतनी तेज को गयी कि बॅंक की नोट गिनने वाली मशीन भी फैल हो जाए…लेकिन संख्या गिन ना सके….

मज़े में मे इतना बाबला हो गया था, कि उसके पपड़ी भरे सूखे से काले-2 होठ जो कभी चूसने की मे सोच भी नही सकता था, अपने मुँह में भर लिए और चूसने लगा.

जब फूलवतिया नही झेल पाई तो उसने अपने हाथों को मेरी छाती पर अड़ाकर जबर्जस्ती मेरे उपर से उठ गयी, 

मे अब क्या करता, मज़ा शुरू हो चुका था इस साली ने खड़े लंड पे धोका दे दिया.

लपक के पकड़ा उसका सर, और जबर्जस्ती से अपना मूसल उसके मुँह में घुसेड दिया जड़ तक, जो उसके गले में जाके अटक गया, और जल्दी-2 कमर चलाई. 

करीब 8-10 धक्कों में आख़िरकार मुझे मेरी मंज़िल मिल ही गयी और मैने डकार मारते हुए…उसके गले में लंड ठूंस कर दे दनादन पिचकारी पे पिचकारी छोड़ दी.., 

कम से कम डेढ़ छटांक गर्म-2 घी उसके गले में उतार दिया जो सीधा उसके पेट में चला गया.

जैसे ही मेरी उत्तेजना थोड़ी शांत हुई और मेरी नज़र उसके मुँह पर पड़ी, उसके गले की नसें फूल चुकी थी, आँखें बाहर को उबलने लगी थी…

फ़ौरन मैने अपना सोटा बाहर खींच लिया, 

वो खों-2 करके खांसने लगी मैं दौड़ कर एक ग्लास पानी लाया और उससे पिलाया तब जाके वो सामान्य हुई.

वो हान्फते हुए बोली- हे राम मार ही डाला था तुमने, पंडित जी बहुत जालिम हो, क्या हमेशा ऐसे ही करते हो क्या..? 

डेढ़ घंटे से रगड़-2 कर मेरी हालत खराब कर दी.

माफ़ कर्दे मेरी फुलफुल्ली…, भेन्चोद निकल नही रहा था तो मे परेशान हो गया, अब ढाई साल के बाद आज निकाला है तो ये तो होना ही था.., ये बता कैसा लगा.

वो- स्वाद तो अच्छा था मीठा लेकिन बहुत ही गरम, और अब जलन हो रही है गले में. लगता है बहुत गर्मी है तुम्हारे वीर्य में. 

मे - अब तू जा अपना काम कर और मुझे थोड़ा आराम करने दे. 

मैने जेब से उसे 500 का नोट निकाल कर पकड़ा दिया तो वो खुश हो गयी, और मेरे लंड को चूम कर चली गयी… ! 

वो तो चली गयी, लेकिन जैसे ही उसने मेरे लंड को चूमा, मेरा शेर फिर दहाड़ने लगा. 

लेकिन अब कुछ नही हो सकता था सो मैने उसे पूचकार कर शांत रहने के लिए कहा और जबर्जस्ती सो गया.

करीब एक-डेढ़ घंटा सोने के बाद मे उठ गया, वो साला पाजामे में अभी भी फन्फना रहा था, आज साला इसको हो क्या गया है भेन्चोद मान ही नही रहा. 

ये सब सोच ही रहा था कि तभी फूलवतिया अपना घास का गट्ठर लेके आ गयी और मेरे से पानी माँगा.

मैने उसे पानी पिलाया और उसको बोला- फुल्लो रानी देख ना ये साला अभी भी नही मान रहा कुछ करेगी क्या इसका,

तो वो बोली – ना ! पंडित जी, तुम दो-दो घंटे रगड़ते हो इतना मेरे बस का नही है.

मे- अरे अब नही लगेगा इतना टाइम, वो पहले तो दूसरा मामला था, थोड़ा कर ना जल्दी हो जाएगा.. आजा..

वो- वैसे पता नही, जबसे तुम्हारा वो घी पिया है, मेरी रामदुलारी भी बहुत आँसू बहा रही है, पर इस बार मेरी चूत को पिलाना पड़ेगा अपना घी. 

मैने कहा ठीक है, और फिर हम दोनो ने आधा घंटा खूब धमा चौकड़ी मचाई, अंत में उसकी पोखर को अपने पानी से लबालब भरके फुल कर दिया तो वो खुश होकेर बोली, 

मुझे यही चाहिए था अपनी बच्चेदानी की गर्मी शांत करने को, और उठाके अपना घास का गट्ठर चली गयी.

मे सोचता ही रह गया कि ये क्या बोलके गयी..? और क्यों..? लेकिन जब समझ में आया तो अपना सर पीट के रह गया.

पर चलो आज ये मेरा सारा प्रेशर तो रिलीस कर गयी, अब में और मेरा पप्पू दोनो नॉर्मल थे. 

कुल मिलाकर आज का दिन मेरे लिए अच्छा साबित हुआ.

दो दिन ऐसे ही निकल गये मे अपने रोजमर्रा के कामों में लगा रहता, तीसरे दिन दोपहर को मे घर खाना खाने के लिए निकलने वाला था कि भूरी आ धमकी. 

आज भी वो जलेबी लेके आई थी.

मैने कहा- अरी भूरिया रानी तुझे जलेबी के अलावा और कुछ अच्छा नही लगता क्या..?

वो - अरे अरुण भैया, और यहाँ गाँव में मिलता ही क्या है, ये कम-से-कम ताजी-2 मिल तो जाती हैं. लो खाओ अच्छी हैं.

हम दोनो ने मिलकर जलेबी ख़तम की और फिर बैठके बातें करने लगे. 
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:06 AM

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