Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:07 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
खड़े-2 ही हम दोनो के कपड़े शरीर से अलग होने लगे.. उसकी चुचियों का उठान और आकर देखकर मे बाबला होने लगा, और मैने उन्हें मसलना, मरोड़ना, चूसना शुरू कर दिया..,

एक हाथ उसकी चिकनी चूत जो चिकनी चूमेली हो रही थी, शायद आज ही चिकनाई होगी, उसको सहलाने लगा, और फिर मैने अपनी बीच की उंगली उसके अंदर डाल दी..

अंजलि मेरे लंड को मसल रही थी, और मादक कराहें उसके मुँह से लगातार निकल रही थी.

अब मे उसके आगे बैठ कर उसकी चूत को चूमते हुए चाटने लगा, उसने अपनी एक जाँघ मेरे कंधे पर रखली. 

उसके कुल्हों को दबाते हुए मे उसकी चूत में अंदर तक जीभ डालकर पूरी लगन से चाट रहा था, 

कभी -2 अपने मुँह में उसकी पूरी चूत को भरकर चूसने लगता तो वो मेरे सर को अपनी चूत पर और दबाने लगती.

10 मिनट में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, और वो हान्फते हुए झड़ने लगी, मेरा मुँह उसके कामरस से गीला हो गया.

मुझे कोई जल्दी नही थी, पूरी रात हमारी थी, अब मे खड़ा हो गया और उसके होठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होठों से अपनी चूत से निकले रस को चाटने लगी.

फिर मैने उसके सर पर हाथ रख कर नीचे बैठने के लिए दबाया, वो मेरी आँखों में देखती हुई नीचे बैठ गयी और मेरा पाजामा और अंडरवेर को नीचे खींच कर अलग कर दिया, 

वो अब मेरे डंडे जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर हिला रही थी.
फिर धीरे से पहले उसने उसको चूमा, और फिर आधा मुँह में लेकर चूसने लगी.
में उसकी मस्त चुचियों को मसलता जा रहा था, कभी-2 उसके निपल जो एकदम कड़क हो चुके थे, उन्हें भी मसल देता, 

जबाब में वो मेरे मूसल को और ज़्यादा अंदर लेकर चूसने लगती.

थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद मैने उसे गोद में उठा लिया और उसके कमरे में पड़े पलंग पर लाकर पटक दिया.

अब मेरे लिए एक-एक सेकेंड भारी हो रहा था, सो उसके घुटनो को मॉड्कर पेट से लगा दिया और उसकी चिकनी चूत के मुँह पर अपना लंड टीकाया और एक तगड़ा सा झटका लगा दिया.

आआहह….ईीइसस्स्शह…..उफफफफ्फ़….. ध्ीएरीई….मेरीई… राजाआ…. आराम सीई…. डलूऊ…..हां ! ऐसी हिी….आअहह…मज़ाआ…आअ गय्ाआ…क्याअ…

मस्त लंड…है… तुम्हाराअ… हइई…मोरी..मैय्ाआ…. ऊहह…अब..मरूव.. धक्काा….जोर्र्र…सीईए…. 

बड़ी गरम हो रही थी अंजलि.. अपने पैरों को मेरी गान्ड पर कस्के अपने अंदर मुझे सामने की कोशिश कर रही थी…

फिर तो उसकी कमर भी हवा में उछ्लने लगी… और क्या रिदम था उसकी गान्ड का… 
एकदम परफेक्ट टाइमिंग से मेरे धक्कों का सटीक जबाब नीचे से धक्के देकर दे रही थी वो..

सच में इतना मज़ा कभी नही आया, कभी उसकी चूत मेरे लंड को एकदम कस लेती, तो दूसरे पल ढीला छोड़ देती…

20-25 मिनट के कमर तोड़ धक्कों के बाद हम दोनो ही एक साथ अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये, और मैने अपने वीर्य से उसकी कुप्पी को लबालब भर दिया.

झड़ने के बाद उसने खुशी में मेरे गाल को चूम लिया और मुझे किसी जोंक की तरह अपने से चिपका लिया…

मज़ा आया मेरी जान… जब मैने कुछ देर बाद उससे पुछा तो उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े…

मे चोंक गया और उसके सर को सहलाते हुए सवाल किया – क्या हुआ.. रानी..? तुम्हारी आँखों में पानी..?

वो – अपनी किस्मत पर रोना आ गया…शादी के बाद आजतक मेरा मरियल पति कभी मुझे पूरा सुख नही दे पाया… दो मिनट में अपना पानी निकाल कर करवट लेकर सो जाता है..

तुमसे पहले जब मिली थी उसके बाद से आज फिर से पूरा सुख मिला है.. प्लीज़ हो सके तो मुझे ये सुख देते रहना…

फिर उसने नंगे ही मेरी गोद में बैठ कर खाना खाया, थोड़ा बहुत मैने भी उसका साथ दिया.. और कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हम फिर एक बार दीन दिनिया से दूर कहीं बादलों की शैर को निकल पड़े.

पूरी रात उस मदभरी औरत ने मुझे सोने नही दिया और ना खुद सोई…
सुबह 5 बजे हम दोनो ही उसके घर से निकले, वो सॉंच के लिए और में अपने खेतों की ओर…

अब तो गाए-बगाए वो मौका निकाल ही लेती, मेरी बूढ़ी माँ की सेवा के बहाने मेरे घर आजाती, और मौका देखकर अपना प्रोग्राम फिक्स कर लेते..

कभी-2 तो ऐसा भी मौका आ पड़ता कि एक की सर्विस करके निकला कि दूसरी सामने पड़ जाती और वो गिडगिडाने लगती तो उसको भी चोदना पड़ता, उसके बाद मुझे ज़्यादा थकान हो जाती तो घर के काम रह जाते… 

लेकिन में कुछ ले दे कर मजदूरों से अपना काम पूरा करा लेता था… ..!!

घर खेती के काम, साथ-2 में समय निकाल कर अपनी दोनो चेलियों की सर्विसिंग करना.. ऐसे ही समय निकल रहा था….

इस सबके बावजूद भी मेरा रोज़का एक्सर्साइज़, मेडिटेशन करने का नियम नही टूटा था, वो में सुबह 4 बजे उठके ज़रूर करता था, हां कभी कभार मिस भी हो जाता…. 

कुछ नये-2 अनुभव भी होते जा रहे थे, जिनके आधार पर अपने ध्यान को और गहरा करने की कोशिश करता रहता.

खेती के कामों के अलावा देसी कसरत – डंड, बैठक जैसे व्यायाम भी मेरी रोज़ की दिनचर्या थी. 

स्वस्थ रहना मेरा शौक था, भले ही नशे पट्टे की आदत लग गयी थी.
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:07 AM

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