RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
सोचते-2 मेरा दिमाग़ फटने की कगार तक पहुँच गया, लेकिन इस समस्या से निपटने का कोई मार्ग नही निकल पाया,
मे ये भी नही चाहता था कि मेरी वजह से ये बेवकूफ़ लड़की अपना जीवन यौही गुज़र दे.
बिना सोए ही रात यौही गुजर गयी, 4 बजते ही फिर वही सब रोज़के के काम, आज मेरा मन ट्रैनिंग में भी नही लग रहा था,
आख़िर कैप्टन बत्रा ने मुझे लाइन से बाहर खड़ा कर ही दिया और लगा बुरी तरह झाड़ने, मैने कहा सर आज मेरी तबीयत कुच्छ ठीक नही है, तो उसने मुझे चेक-अप करके रेस्ट करने के लिए बोल दिया.
मे अपने बैरक्क में आके लेट गया, और सो गया…!
उसी रात ट्रिशा ने फोन किया, पहले तो मे उठाने वाला नही था, लेकिन फिर कुछ सोच कर उठा लिया.. हेलो बोलते ही वो कुछ सीरीयस लहजे में बोली-
सॉरी अरुण मैने कल आपको नाराज़ कर दिया, प्लीज़ मुझे माफ़ करदो..!
मे - नही-नही !! इसमें तुम्हरी कोई ग़लती नही थी, मे ही थोड़ा अपसेट हो गया था,
लेकिन मे भी क्या करता, तुम ऐसी ज़िद पकड़ के बैठ गयी जो कभी पूरी नही हो सकती थी.
वो - तो क्या अब मेरी सोच पर भी अंकुश लगाओगे..? मैने आपसे ये तो नही कहा था कि मुझसे शादी ही कर्लो..!!
अब आपको मेरी दोस्ती भी मंजूर नही है..?
मे- ओह्ह्ह.. कम ऑन ट्रिशा ! प्लीज़ डॉन’ट गेट मी एमोशनल..! तुम्हें पता है, तुम्हारे लिए मेरी क्या फीलिंग्स हैं,
मे सच में अगर तुम्हें अपना जीवन साथी बना पाता तो मे अपने आपको धन्य समझता,
लेकिन मे सच में मजबूर हूँ, और प्लीज़ मेरी मजबूरी क्या है ? ये जानने की कोशिश भी मत करना, क्योंकि मे बता नही पाउन्गा और तुम्हें इस चीज़ का दुख पहुँचेगा.
वो - सुबक्ते हुए.. कभी नही पुछुन्गि अरुण..! वादा करती हूँ आपसे !
लेकिन अपने दिल से तो मत निकालो मुझे ! इतनी तो विनती मान लो मेरी..! उसकी आवाज़ काँपने लगी थी.
मे - ओह्ह.. ट्रिशा ! प्लीज़ रो मत, दिल से तो चाह कर भी नही निकल पाउन्गा तुम्हें..! बस मे इतना चाहता हूँ, कि तुम हमेशा खुश रहो,
मे बस इतना जानता हूँ, कि जो तुम सोच रही हो उसमें तुम्हारी खुशी नही है.
वो - अच्छा ठीक है, जो आप कहोगे मे वैसा ही करूँगी, पर मेरी एक शर्त है..!
मे - क्या..? बोलो मे तुम्हारी हर शर्त पूरी करने को तैयार हूँ.
वो - मुझे कुछ समय के लिए आपका साथ चाहिए..! और उतने समय के लिए मे जैसे चाहूं, आपको वैसा ही करना होगा..! बोलो मंजूर है..?
मे - मुझे मंजूर है, ट्रैनिंग के बाद जब तुम कहोगी, जहाँ कहोगी, जितना समय चाहोगी में तुम्हें दे दूँगा..! ठीक है.
वो - ठीक है, बाइ गुड नाइट.. अरुण ..! आइ लव यू !!
मे - गुड नाइट ..आइ लव यू टू जान! टेक केर..!!
अब मेरे सर से थोड़ा टेन्षन कम हो गया था, कम-से-कम कुछ समय मेरे साथ बिताके ये पागल लड़की अपनी हठधर्मी तो छोड़ देगी.
दूसरे दिन से फिर वही मुश्किल जिंदगी, अब मात्र दो-ढाई महीने और शेष थे, जो किसी तरह निकालने थे,
लेकिन इस ट्रैनिंग ने मुझे और ज़्यादा टफ बना दिया था, अब में फिज़िकली इतना मजबूत हो चुका था, कि कॅंप में जितने भी लोग थे, उनमें से शायद ही कोई ऐसा हो जो मेरे सामने टिक पाए किसी भी मामले में.
उसका कारण ये नही था कि मे सबसे ज़्यादा ताक़तवर था, उसमें तो बहुत से ऐसे थे जो मुझसे ज़्यादा ताक़तवर थे,
लेकिन मेरा प्रेज़ेन्स ऑफ माइंड इन सबमें ज़्यादा था, जिसकी वजह से सामने वाले के पेन्तरे को समय से पहले समझ ही नही लेता था, अपितु उसकी काट भी सोच लेता था जिससे सामने वाले का बार निष्फल हो जाता और मे अपना पेन्तरा उसी पर चला देता.
यहाँ तक कि गोलियों की बौछार में निहत्था बच निकलना, हालाँकि ट्रैनिंग के दौरान वो गोलियाँ डमी होती थी, लेकिन मेरे शरीर को छु भी नही पाती.
मेरी ट्रैनिंग का ये आख़िरी महीना चल रहा था, कॅप्टन बत्रा मेरी पर्फॉर्मेन्स देख कर खुश था, और उसकी रिपोर्ट देख कर अब जल्दी ही फाइनल डेट आने को थी जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था.
और वो समय भी आ ही गया. ट्रैनिंग कम्प्लीट हो गयी, और अपना फाइनल सर्टिफिकेट लेकर कॅंप से छुट्टी हो गयी,
अपना सामान समेटा और बाहर आकर एक होटेल में रूम बुक कराया और ट्रिशा को कॉल कर दिया.
वो आज शाम को मिलने के लिए तैयार हो गयी.
वैसे तो उसको अभी दो महीने और यहाँ रहना था, लेकिन पूरा फ्रीडम था कहीं भी आने जाने के लिए, सो मेरे साथ मन चाहा वक़्त गुज़ार सकती थी वो….!!
मे होटेल रूम में फ्रेश होकर फ्री हुआ और फिर एनएसए अमित चौधरी को कॉल किया.
अभी शाम के 7 बजे थे, पॉसिब्ली वो अपने ऑफीस में ही होने चाहिए. कुछ देर बेल बजती रही लेकिन कॉल पिक नही हुई, सोचा बिज़ी होंगे या मीटिंग वग़ैरह में होंगे ये सोच के मैने फिर दोबारा कॉल नही किया.
मैने अपनी आँखें बंद कर ली और कुछ पुरानी घटनाओं को याद करने लगा,
मूड थोड़ा रोमॅंटिक जैसा हो रहा था ट्रिशा के इंतजार में सो गोआ की मस्ती याद आ गयी और मेरा मन बीयर पीने का होने लगा.
मैने रूम सर्विस को फोन करके एक बीयर ऑर्डर कर दी.
कोई 10 मिनट में ही वो एक बीयर और कुछ स्नेक्स लेकर आ गया, ग्लास लेकर उसमें डालने लगा तो मैने मना कर दिया.
जब वो चला गया तो मैने बोतल मुँह से लगाई और धीरे-2 शिप करने लगा.
अभी बीयर पूरी ख़तम नही हुई थी कि डोर बेल बजी, मैने उठके डोर खोला तो सामने ट्रिशा एक गुलाबी रंग की साड़ी में दरवाजे पर खड़ी थी,
मे उसको इस रूप में देखता ही रह गया.. लंबा कद साड़ी में कुछ ज़यादा ही लंबा दिख रहा था,
वैसे भी फिज़िकल ट्रैनिंग से वो एकदम फिट हो गयी थी, कहीं भी एक्सट्रा फॅट नही था.
जब देर तक मेरी नज़रें उससे नही हटी तो वो बोली- गेट से ही टरकाने का इरादा था तो बुलाया क्यों..?
मे हड़बड़ा कर गेट से हट गया और बोला- स..सॉरी ! प्लीज़ कम.
वो मेरे आगे-2 अंदर आई, टाइट कस्के साड़ी लपेट कर पहनी होने की वजह से उसके कूल्हे थोड़े से बाहर को दिख रहे थे लेकिन कसरत और एक्सर्साइज़ की वजह से थिरकन नाम मात्र को भी नही थी.
वो आकर सोफे पर बैठ गयी और सामने पड़ी टेबल पर बीयर की बोतल देख कर चुटकी लेते हुए बोली—आअ हाहाहा.. तो आप ये शौक कब्से फरमाने लगे..?
मैने कहा- अरे बस ऐसे ही शौकिया.. टाइम पास करने को मॅंगा ली बस.. और ये यहाँ आने से पहले जब गोआ गये थे तब पहली बार टेस्ट की थी, उसके बाद आज ही ली है. तुम लोगि..?
वो - तौबा-तौबा, मेरे बाप की तौबा.. ऐसे शौक ना ही लगे तो अच्छा है, और इतना बोलकर वो चुप हो गयी, नज़रें नीची करके पैर के अंगूठे से फार्स को कुरेदने लगी.
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