RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने ट्रिशा से उसके बेच के डीटेल्स ले लिए और ड्यूटी के बारे में पुछा, तो उसने बताया कि फिलहाल उसे यूपी के ही **** शहर में एसपी के तौर पर अगले महीने जाय्न करने वाली है.
फिर मैने उसके पापा को मेरे घरवालों से मिलने के लिए कहा कि अगर वो पर्सनली उनसे मिल लें तो उन्हें अच्छा लगेगा, जिससे वो भी राज़ी खुशी हम दोनो को आशीर्वाद देने आ जाएँगे.
3 महीने बाद की डेट फिक्स करके, वो लोग चले गये. ट्रिशा ने ड्यूटी जाय्न कर ली थी.
मैने यहाँ एक अच्छी सी सूडान मॉडेल कार खरीद ली, और ऑफीस भी उसी से आना जाना रहता था.
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एक दिन ऐसे ही ऑफीस से लौट रहा था, सूर्यास्त हो चुका था, स्ट्रीट लाइट्स जल चुकी थी, मे शहर एक पौष इलाक़े से गुजर रहा था, कि अचानक सामने एक चौराहे पर अफ़रा-तफ़री होते हुए नज़र आई.
मे उस जगह से अभी कोई 300-400 मीटर ही दूर था की चीखो-पुकार की आवाज़ों के साथ लोग इधर-उधर भागते हुए नज़र आए, मैने अपनी गाड़ी की स्पीड कम कर ली, जैसे ही और नज़दीक पहुँचा कि मुझे गोलियों की आवाज़ भी सुनाई देने लगी..
रोड एकदम खाली हो चुके थे, अबतक मे उस चौराहे से मात्र 100-150 मीटर की दूरी पर ही था कि एक बुलेट ससनाती हुई मेरी ओर आई और तड़क से मेरे साइड ग्लास को तोड़ती हुई निकल गयी.
मैने फ़ौरन अपनी कार को साइड में खड़ा किया और अपना एमर्जेन्सी समान बॅग से निकल कर एक पान शॉप की आड़ लेके खड़ा हो गया.
खंजर को मैने अपनी बेल्ट में खोंसा, और रेवोल्वेर हाथ में लेके मैने स्थिति का जायज़ा लिया.
वो चार आतंकवादी जिनके पास अक-47 ऑटोमॅटिक राइफल्स थी, चौराहे के बीचो-बीच एक दूसरे की तरफ पीठ करके खड़े दनादन फाइरिंग कर रहे थे,
कुछ लोगों को गोलियाँ भी लगी थी और वो इधर-उधर रोड पर पड़े तड़प रहे थे.
मे पान की शॉप के पीछे से निकल कर अगली शॉप की आड़ में पहुच गया, ऐसे ही धीरे-2 आड लेते हुए अब में उन लोगों से मात्र कुछ ही मीटर की दूरी पर था.
मैने अपना चेहरा कपड़े से ढक लिया, मेरे हाथ अपनी गन पर कस चुके थे,
आड़ से निकल कर मैने हवा में जंप लगाई और जब तक उन चारों को कुछ पता चलता मे उन चारों के बीच खड़ा था.
मेरे पैर अभी ज़मीन को टच भी नही हुए थे कि उनमें से एक बंदा ज़मीन पर पड़ा तड़प रहा था, मेरा खजर उसकी पीठ में धँस चुका था, उसकी राइफल एक ओर छिटक कर गिर गयी.
जब तक वो तीनों स्थिति को समझते और मेरी ओर पलटे, दो फाइयर मेरी गन से निकले और उनमें से दो के भेजे बाहर निकल पड़े.
चौथे आतंकवादी को मेरे उपर फाइयर करने का मौका मिल गया, और उसकी ऑटोमॅटिक गन ने एक सेकेंड में दर्जनों फाइयर कर दिए.
मेरा शरीर ज़मीन पर लुढ़कता हुआ उस आतकवादी के एकदम नज़दीक पहुँच गया,
वो अपनी गन की नाल को मेरी ओर करता उससे पहले में उठ खड़ा हुआ.
मेरा एक हाथ उसकी गन पर था और दूसरे हाथ में दबी रेवोल्वेर उसके माथे पर सट चुकी थी.
बिना किसी अल्टीमेटम के मैने गोली चला दी और वो आख़िरी शिकार भी जहन्नुम पहुँच चुका था, मैने फ़ौरन उस ज़ख्मी बंदे को उठाया, अपने कंधे पर डाला और अपनी गाड़ी की तरफ दौड़ लगा दी.
फ़ौरन गाड़ी की पिच्छली सीट पर डालके मैने गाड़ी दौड़ा दी और पलक झपकते ही वहाँ से ओझल हो गया.
घटना क्रम इतनी तेज़ी से हुआ कि डरे सहमे लोग अपनी जगह से निकल कर आते तब तक तो मैं वहाँ से जा चुका था.
आनन फानन में चारों ओर पोलीस वॅन भागने दौड़ने लगी.
जैसे ही लोगों को पता चला कि वो आतकवादी मारे जा चुके हैं तब कही जाकर डरे सहमे से बाहर आए, तब तक पोलीस की कई गाड़ियाँ भी वहाँ पहुच चुकी थी,
आनन-फानन में आंब्युलेन्स बुलाई, घायलों को हॉस्पिटल पहुचाया, शुक्र था कि कोई जान नही जा पाई थी.
क्योंकि गोलियों की आवाज़ सुनते ही लोग इधर-उधर भागने लगे थे जिससे आतंकवादी ज़्यादातर उनके पैरों को ही नशना बना पाए थे, और उनके गिरते ही नये टारगेट को देखते. फिर भी एक-दो सीरीयस कंडीशन में थे.
पोलीस ने लाख सर पटका कि लोगों से पता कर सके कि उनको मारने वाला कॉन था, लेकिन एक-दो को छोड़ कर किसी का ध्यान ही नही था उधर, वो तो बेचारे अपनी -2 जान की हिफ़ाज़त में लगे थे.
कुछ लोग जो वहाँ से काफ़ी दूर थे, उनमें से एक-दो ने बताया कि एक शख्स जिसके मुँह पर कपड़ा बाँधा था ना जाने कहाँ से हवा में उड़ता हुआ आया और एक मिनट में ही उन सबका सफ़ाया करके एक घायल आतंकवादी को उड़ा ले गया.
अब सारे शहर की पोलीस सारे काम धंधे छोड़ कर मुझे खोजने में जुट गयी.
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शहर के साउत वेस्ट छोरे से निकलते ही नॅशनल हाइवे पर एक कार तूफ़ानी रफ़्तार में दौड़ी चली जा रही थी, जिसमें ड्राइवर के अलावा एक घायल आदमी कार की पिच्छली सीट पर बेहोश पड़ा था,
अभी भी उसके पीठ में एक खंजर धसा हुआ था…
शहर से निकल कर दूसरे फ्लाइओवर से आकस्मात वो गाड़ी लेफ्ट टर्न लेके एक सिंगल रोड पर दौड़ने लगती है, जिसके दोनो ओर उँचे-2 पेड़ कतार में खड़े थे.
टर्न लेने के बबजूद भी कार की स्पीड में कोई खास अंतर नही आया, सिंगल रोड पर हाइवे से कोई 15 किमी आगे चलने के बाद ये गाड़ी राइट तुर्न लेके एक कच्चे रास्ते पर दौड़ने लगती है,
अब उसकी स्पीड में काफ़ी कमी आ चुकी थी.
रोड से अभी कोई आधा किमी ही कच्चे रास्ते पर चली होगी कि सामने एक फार्म हाउस आता है,
वो कार उस फार्म हाउस के एक लोहे के पुराने से गेट के पास जा कर रुक जाती है, ड्राइविंग सीट पर बैठा सख्स गाड़ी से उतरता है और गेट खोल कर गाड़ी अंदर ले जाता है.
गाड़ी अंदर करके फिर से उतर कर वो गेट बंद करके गाड़ी को गेट से करीब 100 मीटर अंदर जाकर बने एक बिल्डिंग के पिच्छवाड़े जाकर गाड़ी खड़ी करता है.
गाड़ी से उतर कर वो पिछली सीट पर पड़े घायल को सीट से खींच कर अपने कंधे पर डालता है, और बिल्डिंग के पिछले गेट से अंदर ले जाकर एक स्टोर रूम जैसे कमरे में लाकर फार्स पर लिटा देता है.
फिर लौट कर गाड़ी में आता है और उसके डेश बोर्ड से एक फर्स्ट एड बॉक्स निकालकर अंदर चला जाता है. उस शख्स की फक्क सफेद रंग की शर्ट का दाया बाजू खून से लाल सुर्ख हो चुका था.
उसके कंधे पर शर्ट में एक सुराख भी नज़र आरहा था.
उस शख्स ने घायल आदमी की कमर में घुसे खंजर को बाहर निकाला.
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