Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:12 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
खून का एक सैलाब सा उसके शरीर से फुट पड़ा, उस आदमी ने फ़ौरन फर्स्ट एड बॉक्स से डीटॉल लेकर कॉटन से उसकी कमर के घाव को सॉफ किया और ड्रेसिंग करदी, फिर उसने एक इंजेक्षन लेकर उस आदमी के कूल्हे पर लगा दिया.

इतना काम निपटा कर उसने अपने बाजू पर ध्यान दिया, उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव अब सॉफ दिखाई पड़ रहे थे, उसने अपनी शर्ट उतार फेंकी, उसकी सफेद रंग के वेस्ट भी उस साइड से लाल हो चुकी थी.

उस शख्स ने एक और इंजेक्षन लिया और अपने कंधे के घाव के पास उसको थोड़ा-2 दो तीन जगह खुद ही इंजेक्ट कर लिया. 

5 मिनट के बाद उसने वो खजर का फल डेटोल से सॉफ किया और अपने कंधे के घाव में उसकी नोक घुसेड दी. 

मारे दर्द के उसका चेहरा लाल भभुका हो गया था, उसके होंठ कस चुके थे, 

दर्द के बावजूद भी वो उसे घुसाए ही रहा और जब उसे कंधे के अंदर धसि बुलेट का आभास खंजर की नोक पर हुआ तो उसने दाँत भीच कर बुलेट को नोक से फसाया और बाहर उछाल दिया.

बुलेट निकलते ही उसने अपने अंदर ठहरी साँस बाहर छोड़ी और वो वहीं फर्श पर ही पसर गया.
इंजेक्षन के असर से अब उसका दर्द कुछ कम हुआ, तो उसने उठके अपने घाव को डेटोल से सॉफ करके बेंडेड लगा ली, और एक पेन किल्लर बिना पानी ही निगल ली.

फिर उसने उस घायल के हाथ पैर एक रस्सी से कस दिए और खुद एक हॉल जैसे कमरे में पड़े सोफे पर आकर लेट गया. उसकी आँखें बंद होने लगी थी.

ये फार्म हाउस शहर के एक बिल्डर कम रूलिंग पार्टी के लीडर हितेश पटेल का था, जो आजकल सेंट्रल गॉव ने उस लीडर से लीज़ पर ले रखा था, जिसकी चाबी आजकल इस शख्स के पास होती थी.

ये और कोई नही अरुण शर्मा था, जो आजकल एक पीएसयू में एक इंजिनियर है, और अभी-2 शहर में हुए टेरर अटॅक को असफल करके एक आतंकी को घायल करके यहाँ उठा लाया था, और तीन को उनके अंजाम तक पहुँचा चुका था.

जिस चौथे आतंकी ने गोलियों की बौछार उसके उपर की थी, लाख कोशिसों के बबजूद एक गोली कंधे में धँस ही गयी.

जब कुछ देर बाद अपने दर्द पर काबू पाने के बाद मैने सेल फोन के स्पेशल आइडी से एनएसए को फोन लगाया और सारी घटना को ब्रीफ किया, 

हालाँकि न्यूज़ चेनलों से पूरे देश को पता चल चुका था की शहर में आतंकवादी घटना हुई है और पोलीस सरगर्मी से लापता आतंकी को ढूंड रही है.

मैने उनको बोल दिया कि शहर से पोलीस की नौटंकी को बंद कराओ नही तो कुछ गड़बड़ हो सकती है, भले ही दिखाबे के लिए करते रहें.

वो एक बंदा मेरी गिरफ़्त में है, अभी बेहोश है, होश में आते ही उसका ट्रीटमेंट शुरू करूँगा, फिर आपको रिपोर्ट देता हूँ. 

इतना रिपोर्ट करके मैने फोन कट कर दिया.

रात गहरी होती जा रही थी, मुझे खाना भी खाना था, सो उस रूम को बाहर से लॉक करके, मे बाहर आया, गाड़ी में एमर्जेन्सी के लिए एक चादर जैसी पड़ी थी, उसे लपेटा और चल दिया घर की ओर.

रास्ते में पोलीस की सख़्त चेकिंग थी, मे किसी तरह से पोलीस को चकमा देकर जैसे तैसे अपने घर पहुचा, 

शरीर की सॉफ सफाई की कपड़े चेंज किए और खाने के लिए निकल पड़ा. 

होटेल में खाना ख़ाके कुछ और खाने की चीज़ें पॅक करके घर पर 6 घंटे की नींद ली, अपनी ड्रेसिंग अच्छे से करके फ्रेश होके ज़रूरी सामान लेकर अर्ली मॉर्निंग फार्म हाउस की ओर निकल पड़ा.

वहाँ जाकर देखा तो वो बंदा, होश में आ चुका था और उसकी कराहने की आवाज़ें स्टोर रूम के बाहर से ही सुनाई दे रही थी. 

लॉक खोल कर अंदर गया तो वो वैसे ही पड़ा हुआ दर्द से कराह रहा था.

मे - क्यों बेटा, एक ही बार में इतना कराह रहा है, तुम तो लोगों को इससे भी कई गुना बड़े-2 घाव देते हो सोचो उनको कितनी पीड़ा होती होगी..?

वो सिर्फ़ नज़र चूरा कर पड़ा रहा, मैने उसको थोड़ा बहुत नाश्ता कराया और एक पेन किल्लर दी. 

जब कुछ देर में उसका दर्द कम हुआ तो मे उससे बोला - क्यों प्यारे अब कुछ प्यार मुहब्बत की बातें हो जायें..?
उसने सिर्फ़ मुझे घूर कर देखा.. !

मे - तुम्हारा नाम क्या है और कहाँ के रहने वाले हो..?

उसने अपना नाम और शहर का नाम बतया जो कि यूपी के एक छोटे से कस्बे से था.

मे - तेरे साथ जो वो तीन थे उनके बारे में बता - तो उसने वो भी आसानी से बता दिए..जिनमें 1 और यूपी से था 2 वेस्टबंगाल से थे.

ये काम क्यों और किसके लिए कर रहे थे तुम लोग..? 

मेरे इस सवाल पर वो चुप्पी लगा गया.

जब कुछ देर तक उसने कोई जबाब नही दिया, तो मैने उससे कहा – 

देख भाई, मैने तेरी इतनी सेवा की, मलम पट्टी की, नाश्ता कराया, दर्द कम करने की दबा भी दी, तो अब तुम्हे भी तो मेरी कुछ मदद करनी चाहिए..! है कि नही.

वो - इस बारे में मुझे कोई जानकारी नही है, मुझे तो बस पैसे दिए इन लोगों ने और अपने साथ ले आए यहाँ.

मे - मेरी शक्ल पे चूतिया लिखा देखा है तूने..? इतनी बड़ी ऑटोमॅटिक गन कोई ऐसे ही पकड़ा देगा, 

कि ले बेटा ! फिल्म की शूटिंग चल रही है, चला इसे लोगों की भीड़ में..!

देख भाई मुझे मजबूर मत करना, मे तुझे कष्ट देना नही चाहता, वैसे भी तू घायल है,

मुझे ज़्यादा कुछ नही करना पड़ेगा, तेरा घाव खुला छोड़ कर, ऐसे ही तुझे बँधा छोड़ दूँगा यहीं पर. 

अब सोच जब बाहर के कीड़े मकोड़ो को तेरे खून की खुश्बू मिलेगी तो अपने आप दावत उड़ाने आ जाएँगे बिना निमंत्रण के. 

और दो-तीन दिन में ही इसमें घर बना के बैठ जाएँगे. क्या बोलता है.. जाउ मे यहाँ से..?
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