RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मरता क्या ना करता, ना चाहते हुए भी मे अपने हाथ पैर हिलान पर मजबूर था, जिससे कम-से-कम अपने को डूबने से बचा सकूँ,
इधर फ़्यूल समुद्र के पानी में घुलने से आग तेज़ी से मेरी ओर लॅप-लपाती हुई चली आ रही थी…
कुछ देर तक तो मैने पानी की लहरों से लड़ने की कोशिश की, लेकिन जल्दी ही मेरा होश जबाब दे गया और मे अंधेरे की गर्त में डूबता चला गया.…..!!
मुझे नही पता कि मे कितनी देर बेहोश रहा, लेकिन जब मेरी आँख खुली तो मे एक हॉस्पिटल के बेड पर लेटा हुआ था,
आँखों के धुधल्के में मुझे एक-दो मानव आकृतियाँ सी दिखाई दी,
जैसे-2 मेरी देखने की क्षमता समान्य हुई, तो मैने अपने पास खड़े एक आर्मी डॉक्टर और उसकी एक असिस्टेंट को पाया.
कॉंग्रुलेशन्स यंग मॅन आख़िर तुमने अपनी मौत को मात दे ही दी - उस डॉक्टर ने मेरे से कहा, तो मैने उससे पूछा.-
मे इस समय कहाँ हूँ डॉक्टर और मेरे साथी कहाँ हैं..?
डॉक्टर - वो लोग तो चले गये.. और तुम इस समय भुज के आर्मी हॉस्पिटल में हो, आज इस बेड पर लेटे हुए तुम्हें 12 दिन हो गये..!
मे - 12 दिन..? आख़िर हुआ क्या था मुझे..?
डॉक्टर - पहले का तो मुझे भी नही पता, लेकिन जब तुम्हें यहाँ लाया गया था, तो तुम्हारे शरीर के बाहरी हिस्से पर तो मामूली सी ही चोटें थी,
परंतु जब तुम्हारी पूरी बॉडी को एग्ज़ॅमिन किया गया, तो पता चला कि तुम्हारे शरीर को इतना जबेर्दस्त झटका पड़ा था कि बॉडी का पूरा स्ट्रक्चर ही हिल गया था,
एक-2 जॉइंट हिल चुका था, सारे लिगमेंट फट चुके थे.
फिर तुम्हारी पूरी बॉडी को प्लास्टर से कवर कर दिया गया जिससे तुम ग़लती से भी किसी हिस्से को हिला ना सको.
इंजेक्षन दे-देकर तुम्हें बेहोश रखा गया, खुराक भी इंजेक्षन के फॉर्म में या बोटेल चढ़ा कर दी जाती रही.
जब सारे लिगमेंट ओर जायंट्स पूरी तरह ठीक हो गये तब आज तुम्हारा प्लास्टर हटाया गया है और तुम्हें होश में लाया गया है,
अब सिर्फ़ तुम्हारी लेफ्ट लेग में फ्रॅक्चर है, तो वही पर प्लास्टर है जो कि अभी एक महीने और रखना पड़ेगा.
मे - मेरे दोस्त कब और क्यों चले गये..? मेरा समान कहाँ है..?
डॉक्टर - तुम्हारे एक दो दोस्तों को भी मामूली सी चोटें थी, जो दो दिन में ठीक हो गयी और वो चले गये,
उन्होने ये सामान दिया था तुम्हें देने के लिए जिसमें शायद ये वॉच तो शायद बंद हो गयी थी, सेल हमने चेक नही किया है, शायद उन लोगों ने ही स्विच ऑफ कर दिया होगा या हो गया होगा.
मैने अपना सेल लिया बेटर्री, सिम वग़ैरह निकाल कर चेक की और दुबारा डाल कर ऑन किया तो वो ऑन हो गया.
बेटर्री थोड़ा कम थी, चारजर भी नही था, सो उसका ज़्यादा यूज़ भी नही कर सकता था.
अभी मे कुछ और पुछ पाता या कर पाता, की मेरा सेल बज उठा, देखा तो ट्रिशा की कॉल थी,
मैने जैसे ही फोन पिक किया, वो शेरनी की तरह बिफर पड़ी.
ट्रिशा - कहाँ हो आप..? फोन क्यों बंद था इतने दिनो से..? जब से गये हो बात ही नही की..? क्या हुआ था..?
मे - ओ मेरी माँ साँस तो लेले..! मुझे कुछ नही हुआ, मे अब ठीक हूँ.
वो - अब ठीक हूँ मतलब.. कुछ हुआ था..? बताओ जल्दी क्या हुआ था आपको..?
मे- कुछ नही एक छोटा सा आक्सिडेंट हो गया था बस..
वो - आक्सिडेंट..? कब..? कैसे…? अभी कहाँ हो आप..? मुझे बताओ प्लीज़ मे अभी निकलती हूँ यहाँ से..!
मे - अभी मे घर पर नही हूँ, ईवन अपने शहर में भी नही हूँ, तुम्हें बाद में बताता हूँ, ओके.
वो - नही मुझे अभी बताओ कोन्से हॉस्पिटल में हो मे वहीं आती हूँ आपको लेने.
मे - सबर कर मेरी माँ, अच्छा मुझे 1 घंटे का समय देदो में बताता हूँ, ठीक है, ये कहकर मैने फोन कट कर दिया.
फिर मैने डॉक्टर से पुछा कि मे अपने घर कब जा सकता हूँ, तो उसने कहा कि कभी भी जाओ,
ये प्लास्टर ही है जो कुच्छ दिन और रहेगा, फिर उसे किसी भी फिज़ीशियान से कन्सल्ट करके निकलवा सकते हो.
मे - क्या आप मेरा जाने का अरेंज्मेंट करवा सकते हैं, तो उसने अपनी नर्स को भेजा किसी को बुलाने के लिए.
कुछ देर में ही एक आर्मी का कर्नल अंदर आया, और मेरे से बोला- व्हाट कॅन आइ दो फ़ॉर यू मिस्टर. अरुण. ?
मे - कर्नल मुझे अपने घर जाना है, क्या आप अरेंज कर सकते हैं..?
कर्नल - राइट नाउ..?
मे - यस..!
कर्नल - ऑफ कोर्स..! हमें उपर से आपकी हर संभव मदद करने की इन्स्ट्रक्षन्स हैं, सो यू बी रेडी, वी कॅन मूव विदिन अवर टाइम.
मे देखता हूँ कोना सा हेलिकॉप्टर रेडी है.
मैने फिर डॉक्टर से पुछा- डॉक्टर अब खाना खा सकता हूँ, तो उसने कहा श्योर कुछ भी खाओ, तो मे बोला- तो फिर खिलाओ ना डॉक्टर पेट में चूहे कूद रहे हैं.
डॉक्टर ने हसते हुए नर्स को खाना अरेंज करने के लिए बोला.
खाना खा कर मैने ट्रिशा को फोन करके बता दिया कि मे आज शाम तक अपने घर पहुँच जाउन्गा.
कुछ घंटों में ही हम मेरे शहर के मिलिटरी कांटोनमेंट के हेलिपॅड पर थे,
वहाँ से फिर से मुझे चेक अप के लिए उस कॅंप के हॉस्पिटल ले जाया गया. और फिर एक नर्स को मेरे साथ भेज कर मिलिटरी की जीप मेरे घर तक छोड़ गयी.
घर आकर नर्स ने मुझे बेड रेस्ट की हिदायत दे थी, और खुद ने सब कुछ मॅनेज कर लिया.
मैने आते ही एनएसए चौधरी को कॉल किया, तो उन्होने मेरा हाल-चाल पूछा, और फिर मेरी तारीफ़ करते हुए बोले- .
चौधरी - सच में तुम कमाल हो अरुण, तुम्हारी मिसन रिपोर्ट बत्रा (ग्रूप लीडर) ने भेज दी है,
मे तुम्हें अभी मैल करता हू, पढ़ लेना क्या-2 हुआ था सारा डीटेल है उसमें, तुम्हारे बेहोश होने से लेकर हॉस्पिटल तक का भी.
मैने अपना लॅपटॉप ऑन किया, मैल चेक किए, बहुत सारे मैल पेंडिंग थे रीड करने को,
मैने-2 मैल ओपन करके देखे, जिसमें ट्रिशा के भी डेली के हिसाब से एक-दो, एक-दो मैल थे जिनमें वही उसकी चिंता झलक रही थी.
तब तक एनएसए का भेजा हुआ मैल आ गया, जिसमें वो रिपोर्ट थी, उसको मैने ओपन किया, और पढ़ने लगा,
वो हमारे मीटिंग से लेकर आक्षन तक सारा डीटेल था, सरसरी तौर पर देख कर मे अपने बेहोश होने के बाद के मॅटर पर आ गया, जो मेरा मैं क्न्सर्न था जानना कि क्या-2 हुआ था उसके बाद.
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