RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
ट्रिशा को बेड पर लिटाकर मैने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और बेड पर छलान्ग लगा दी…
ट्रिशा अभी भी वाइट कलर की ब्रा और पेंटी में थी, मैने उसे अपने उपर लेलिया…
वैसे भी शुरू से ही उसे मेरी सवारी करने में ज़्यादा मज़ा आता था, ट्रिशा के एक्सप्रेशन बता रहे थे, कि वो सेक्स के लिए कितनी उतावली हो रही थी…
इधर मे भी तो कई महीनों से रुका पड़ा था…
मैने उसे खुली छूट दे दी, जो उसके जी में आए वैसे करे…
तो कुछ देर तक वो अपनी मुनिया को पेंटी के उपर से ही मेरे लंड पर रगड़ती रही,
मैने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा को खोल दिया, और उसके कसे हुए अनारों को अपनी मुट्ठी में कसकर मसल दिया…
आअहह………ससिईईईईईईईईईईईई….जानुउऊउउ….और ज़ॉर्सीईए…मसालूओ…इन्हीन्णन्न्..बहुत तंग करते हैं… आपकी याद में…
उसने झुक कर मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया… मैं उसकी पेंटी में हाथ डालकर उसके मस्त कसे हुए नितंबों को मसल्ने लगा…
ट्रिशा की पेंटी अब गीली होने लगी थी, सो उसने उसे निकाल फेंका, और अपनी कसी हुई मुनिया के होठों को फैलाकर मेरे लंड पर बैठती चली गयी…
ट्रिशा ने अपने होठों को कसकर बंद कर लिया, वो मीठे-2 दर्द को पीते हुए धीरे-2 करके मेरे पूरे साडे 8 इंच के सोट को निगल गयी…
कुछ देर वो उसे अपनी बच्चे दानी के मुँह तक फील करके बैठी रही, फिर मैने उसके कुल्हों पर थपकी दी, तो मानो वो नींद से जागी हो,
और मुस्करा कर अपनी कमर को जुम्बिश देते हुए बोली – आअहह… जानू, बहुत बड़ा है आपका, मेरे अंदर तक पहुँच रहा है…
सस्सिईईई….. मेरे बलम मुझे जल्दी से माँ बना दो…और सिसकते हुए वो अपनी गान्ड को उपर नीचे करने लगी…
मेरा लंड उसकी चूत में एकदम फूल चुका था, जो ट्रिशा की कसी हुई मुनिया को जबदस्ती चौड़ा किए हुए था…
मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, अब मेरे लंड का काम ट्रिशा के हल्के-फुल्के धक्कों से चलने वाला नही था,
सो उसकी कमर में अपने हाथों का सहारा देकर नीचे लिया, और उसकी टाँगों को पेट से सटा कर जबरदस्त धक्कों से उसकी चुदाई करने लगा…
ट्रिशा जल्दी ही पानी छोड़ गयी, लेकिन मेरा अभी आधा सफ़र ही तय हुआ था…
कुछ देर उसे मेरे धक्कों से परेशानी हुई, लेकिन जल्दी ही वो फिर से लय में आ गई…
और अंत में मैने एक हेलिकॉप्टर शॉट लगाकर अपनी पिचकारी उसकी बच्चेदानी में छोड़ दी, जिसकी गर्मी पाकर वो फिर से एक बार भल्भलाकर झड़ने लगी…
कितनी ही देर तक में उसके अंदर फाइरिंग करता रहा फिर उसके बगल में आकर उसे सीधे करवट लिटा दिया…
एक घंटे तक वो यौंही पड़ी रही, थकान से चूर…
कुछ देर बाद फ्रेश होकर एक बार फिर एक दूसरे में खो गये…!
शाम ढले तक हम दोनो ही अपने मनमाने ढंग से अपनी प्यास बुझाते रहे, ट्रिशा इस खेल में जल्दी पस्त हो जाती थी…
दिन ढले हम फ्रेश होकर बाहर हॉल में आ गये, वो किचेन में चाय बनाने चली गयी, मैने टीवी ऑन कर लिया…
हम दोनो अभी टीवी देखते हुए चाय की चुस्कियाँ ले ही रहे थे, कि तभी डोर बेल बजने लगी..
ट्रिशा ने उठकर गेट खोला, और जैसे ही उसकी नज़र आनेवाले पर पड़ी… तुउुउउ………चीखते हुए वो उसके गले से लिपट गयी….
सामने दरवाजे पर निशा अपने पति के साथ खड़ी थी, राहुल उसका पति, जो ऋषभ के साथ ही जॉब करता था, और उसी ने ये रिश्ता करवाया था…
राहुल एक मध्यम कद काठी का व्यक्ति था, चाल ढाल से ही थोड़ा दब्बु किस्म का लगता था…
ट्रिशा दोनो को लेकर अंदर आई, राहुल के साथ मे पहली बार मिल रहा था, उसने हाथ जोड़कर मुझसे नमस्ते किया, जबाब मे मैने उसे अपने गले से लगा लिया…
निशा मुझसे लिपटने के लिए लपकी, लेकिन मैने इशारे से उसे रोक दिया…
एक दूसरे के हाल चाल जाने, फिर उन दोनों को एक अलग कमरे में पहुँचा कर ट्रिश मेरे पास आकर बैठ गयी…
मैने ट्रिशा को ऐसे ही बोल दिया – मुझे लगता है, राहुल कुछ दब्बु टाइप का लड़का है… निशा इसे अपनी उंगलियों पर नचाती होगी..
वो मेरी तरफ गौर से देखते हुए बोली – आपको कैसे लगा कि वो उसे नचाती होगी…
मे – बस उसकी बॉडी लॅंग्वेज से लगा मुझे, विश्वास ना हो तो निशा को पुच्छ के देख लेना… वैसे तुम किस तरह की पोलीस ऑफीसर हो, आदमी को देख कर उसका नेचर नही जान सकती..
ट्रिशा – सच कहूँ तो मुझे भी ऐसा लगा, लेकिन मैने इस बात पर ज़्यादा विचार नही किया…
अभी हम ये सब बातें कर ही रहे थे, कि वो दोनो चेंज करके हॉल में आ गये,
मे राहुल से उसके काम धंधे के बारे में पुच्छने लगा, उधर वो दोनो बहनें आपस में बातें करती रही,
रात का खाना हमने बाहर किसी अच्छे से होटेल में खाया….!
उस रात हम दोनो पति पत्नी, एक राउंड गरमा गरम चुदाई करके एक दूसरे की बाहों में लिपटे पड़े थे,
अभी कोई 12 बजे का वक़्त हुआ होगा, कि हमारे रूम के गेट पर हल्की सी दस्तक हुई…
हम दोनो की नज़रें आपस में टकराई, फिर मैने अपना अंडरवेर पहना, और गाउन डालकर उसकी डोरी बाँधते हुए डोर की तरफ बढ़ गया…
ट्रिशा ने अपने नंगे बदन पर बेडशीट डाल ली…
मैने जैसे ही अपने बेडरूम का गेट खोला… सामने का नज़ारा देख कर हम दोनो का ही मुँह भाड़ सा खुला रहा गया…!
निशा इस समय एक बहुत ही झीना सा शॉर्ट गाउन डाले हुए दरवाजे पर खड़ी थी, जिसमे से उसके बदन की छटा साफ-साफ दिखाई दे रही थी,
उसके दशहरी आम, उनके सिरे पर लगे किस्मिष के दाने जैसे उसके निपल, एक दम साफ दृष्टिगोचर हो रहे थे,
नीचे वो एक बहुत सेक्सी सी लिंगरी पहने हुए थी,
सामने निशा को इस रूप में देखकर ट्रिशा भी बेडशीट को अपने उपर खींचते हुए बैठने पर मजबूर हो गयी…!
निशा के इस जान मारु रूप को देख कर मेरे लंड ने एक जबरदस्त ठोकर अंडरवेर के अंदर मारी…!
निशा मेरी आँखों में झाँकते हुए मंद-मंद मुस्करा रही थी…
मेरे सीने पर एक हाथ रख कर उसने मुझे अंदर को धकेला और दूसरा हाथ पीछे ले जाकर रूम का गेट भेड़ दिया…
ट्रिशा से रहा नही गया, और थोड़ा नागवारी भरे लहजे में उसने निशा को लताड़ते हुए कहा –
ये क्या हिमाकत है निशा, तू इस तरह से हमारे कमरे में चली आई, बड़ी बेहन और जीजू का कोई शर्म लिहाज नही है तुझे…
और अगर तेरे पति को पता चला तो वो क्या सोचेगा… थोड़ा सा तो परदा रख.
ट्रिशा की बात का उसके उपर जैसे कोई असर ही नही हुआ… और वो मुझे अपनी बाहों में लपेटे, लगभग घसीटते हुए पलंग तक ले आई…
फिर अपने घुटनों पर बेड के उपर बैठती हुई बोली – ओह कम ऑन दिद… मानती हूँ, आप जीजू की पूरी घरवाली हो, तो आपको पूरा हक़ है उनके साथ कैसे भी रहने का…
लेकिन साली भी तो आधी घरवाली होती है, तो थोड़ा सा हक़ तो मेरा भी बनता है ना…
और रही बात राहुल को पता लगने की, तो उसे तो मैने दूध के साथ इतना बड़ा डोज दे दिया है, कि अब वो सुबह 8 बजे से पहले उठने वाला नही है…!
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