Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:22 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
दूसरे दिन प्रताप अपनी पत्नी और बेटे के साथ बैठा हॉल में नाश्ता कर रहा था, कि एक नौकर बाहर से आया और उसको बोला, साब बाहर आपसे कोई मिलने को आया है.

प्रताप - क्या नाम बताया उसने अपना..?

नौकर - साब कुछ कुट्टी—कुट्टी बता रहा था..!

प्रताप फ़ौरन समझ गया और उसने नौकर को बोला- उसे पीछे के गेट से हमारे मीटिंग हॉल में लेकर आओ, 

फिर खुद ने भी जल्दी से नाश्ता ख़तम किया और मीटिंग हॉल की तरफ बढ़ गया जो कि उसके बंगले की पीछे की साइड में था.

रॉकी के दिमाग़ में नीरा का छोड़ा हुआ कीड़ा उसके बाप के जाते ही कुलबुलाने लगा, वो सोचने लगा कि उसके पापा ने इस आदमी को पीछे के गेट से आने को क्यों कहा ?

अब वो उनकी मीटिंग की बातों को सुनने के बारे में सोचने लगा, उसने भी अपना नाश्ता ख़तम किया और अपने कमरे की ओर बढ़ गया.

अब वो किसी तरह अपने बाप की बातों को सुनना चाहता था, 

रॉकी अपनी माँ की नज़रों से बचते बचाते हुए, किसी तरह बंगले के पीछे पहुँचा और मीटिंग हाल की एक खिड़की से कान लगा कर उनकी बातें सुनने की कोशिश करने लगा.

उसके सर के धक्के से वो खिड़की हल्की सी खुल गयी, अब वो उन दोनो को सुन ही नही देख भी सकता था, 

उसने अपने पिता के साथ एक जंगली काले भैंसे जैसे आदमी को बैठे देखा, जिसकी नाक से लेकर उसके बाँये गाल तक एक बड़ा सा कट का निशान थी, 

बड़ी-2 घनी मुन्छे और छोटी घनी दाढ़ी, मानो हफ्ते-10 दिन से शेव ना हुई हो, वो शक्ल सूरत से ही कोई ख़तरनाक अपराधी दिख रहा था.

जब उसने उन दोनो की बातें सुनी तो वो सुन्न रह गया, नीरा द्वारा कहे गये शब्द उसे शत-प्रतिशत सही लगे… उसका बाप सही में एक देशद्रोही है. 

पहले तो रॉकी ने सोचा कि जाकर अपने बाप से सीधे-सीधे बात करे, लेकिन फिर उसने अपनी सोच को अपने दिमाग़ से झटक दिया क्योंकि जो आदमी ता उम्र जिस काम को करता आ रहा है, वो उसको अब्बल तो मानेगा ही नही, 

और अगर मान भी गया तो वो अपने बेटे को भी अपनी महत्वाकांक्षाओं के आड़े नही आने देगा.

अब वो इसकी तह तक जाना चाहता था, लेकिन कैसे..? 

अकेला वो कुछ भी नही कर सकता था, उसे फ़ौरन नीरा का ध्यान आया जो अब ना जाने कहाँ चली गयी थी.

आज उसे नीरा की अच्छाइयाँ याद आ रहीं थीं, उसकी बातें याद करके उसकी पलकें भीग गयी…

क्या ग़लत कहा था उसने ? वो तो मुझ जैसे एक बिगड़े हुए आदमी को सही रास्ते पर लाना चाहती थी. 

मैने एक ही झटके में एक सच्ची और मन की पवित्र लड़की को खो दिया. 

लेकिन “अब पछ्ताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत”
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उधर मे अपने लॅपटॉप पर प्रताप और कुट्टी की मीटिंग को देख सुन रहा था, नीरा मेरे बाजू में बैठी थी, 

ये उसी की चपलता और सूझ भुज का नतीज़ा था कि में उसे देख पा रहा था, क्योंकि उसने उसके मीटिंग हाल में एक बहुत ही छोटा लेकिन पॉवेरफ़ुल्ल ट्रांसमीटर कॅमरा फिट कर दिया था.

उनकी मीटिंग ख़तम होते ही मैने नीरा को धन्यवाद किया कि उसकी वजह से हम ये सब देख सुन पा रहे थे.

नीरा अपने चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान लाते हुए बोली- भैया जी रूखा-2 ही धन्यवाद से काम नही चलेगा, कुछ तो गीला-2 होना चाहिए, 

उसकी मंशा समझ कर मैने उसके पतले रसीले होठों पर एक गरम-2 चुंबन जड़ दिया तो वो खुश हो गयी.

नीरा ने कल आते ही मुझे उसके और रॉकी के बीच हुई घटना बता दी थी, और वो वहाँ से हमेशा के लिए छोड़ कर चली आई थी, 

लेकिन मे नही चाहता था कि नीरा अभी उसका घर छोड़े सो मैने उसे फिर से उसके यहाँ जाने के लिए कहा.

जब उसने अपना डर बताया कि कहीं रॉकी ने अपने घरवालों को बता दिया हो, और वो लोग कहीं उसका कत्ल ही ना करवा दें तो… 

मैने उसे समझाते हुए कहा - अब्बल तो वो ऐसा करेगा नही, क्योंकि अपनी कमज़ोरी वो दूसरों को नही बता सकता. 

आख़िर उसने एक लड़की से मार खाई है, किसी गुंडे या मवाली से नही.

और अगर बता भी देता है, तो जिस तरह से तुमने उसे बदला है, उसकी माँ का भरोसा तुम पर जम चुका है, 

अब वो रॉकी की बातों को ही ग़लत मानेगी, और तुम्हारा बचाव करेगी, और वैसे भी मेरी नज़र हर समय उस घर पर ही रहेगी. 

तो तुम इस बात की बिल्कुल फिकर मत करो कि मे तुम्हें कुछ भी होने दूँगा. 

मे चाहता हूँ तुम कुछ दिन और वहाँ रहो.

नीरा अब मेरे साथ थोड़ा खुल चुकी थी, सो अपनी मुस्कुराती हुई नज़रों को मेरे चेहरे पर गढ़ा कर बोली - एक शर्त पर जाउन्गी..! जाने से पहले एक बार मे…आप..के…सा..थ..

मे - ओह क्यों नही ! अभी लो.. और फिर मैने उसकी पूरी तन मन से अच्छे से सेवा की जब वो पूरी तरह संतुष्ट हो गयी तो अपने मिसन पर वापस चली गयी..!

मैने विक्रम को पहले ही कुट्टी के पीछे लगा दिया था, 

वो जबसे प्रताप के पास से गया था तभी से वो उसके पीछे था. 

वैसे भी वो पहले से ही अंगद बिसला के रोल में था, सो उसको जंगल के बारे में अब बहुत कुछ मालूम था.
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आज रॉकी कॉलेज नही गया था, जैसे ही नीरा वहाँ पहुँची, रॉकी की खुशी का ठिकाना नही रहा. 

उसने तो कभी ख्वाब में भी नही सोचा था कि वो अब वापस भी आ सकती है.

नीरा सीधी उसकी माँ से मिली और अपने काम में लग गयी. उसने रॉकी की तरफ कोई ध्यान ही नही दिया, जैसे कल उन्दोनो के बीच कुछ हुआ ही ना हो.

पर अब रॉकी उससे बात करने को उतावला हो रहा था, वो अपने बाप की करतूत उसके साथ शेयर करके कोई समाधान निकालने की सोच रहा था.

भले ही उसका बाप कैसा भी हो और वो अपने माँ-बाप के लाड प्यार और छूट की वजह से बिगड़ गया था, 

लेकिन उसकी माँ एक अच्छी औरत थी, शायद उसीके संस्कारों की बदौलत वो अपने बाप के इन कुकृत्यों को उचित नही ठहरा पा रहा था. 

उसने तो कभी सपने में भी नही सोचा था कि उसका बाप पैसे के लालच में देशद्रोह जैसा संगीन जुर्म भी कर सकता है, वो तो उसे एक सीधा-साधा राजनेता ही समझता था.

मौका निकाल कर उसने नीरा से बात करने की कोशिश की, पहले तो नीरा ने उसको कोई तबज्जो नही दी, लेकिन जब वो उसके सामने हाथ बाँधे खड़ा हो गया और बोला- नीरा प्लीज़ सिर्फ़ एक बार मेरी बात सुन लो.

नीरा – अब बात करने को रह ही क्या गया है रॉकी बाबू, मुझ दो टके की नौकरानी से क्या बात करेंगे आप..?

रॉकी – अब मुझे रीयलाइज़ हुआ है कि मे कितना ग़लत था ? मुझे तुम जैसी नेक लड़की के साथ ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए था. प्लीज़ एक बार मुझे माफ़ करदो..!

तुमने जो उस दिन मेरे पिता जी के बारे में कहा था, वो बिल्कुल सही निकला..! सच में वो देशद्रोह में लिप्त हैं.

नीरा – क्या ? आपको कैसे और कब पता लगा अपने पिता के बारे में..?

फिर रॉकी उसे पूरी बात बताता चला गया, जो उसको पहले से ही पता थी, लेकिन उसने उसको ये जाहिर नही होने दिया कि उसे ये सब पता है. 

नीरा – तो अब क्या सोचा है आपने..?

रॉकी – उसी के बारे में मे तुम्हारी राय जानना चाहता था, कि मे उन्हें ये सब ना करने के लिए कैसे रोकू. 

मे जानता हूँ, तुम बहुत सुलझी हुई लड़की हो, ज़रूर कोई ना कोई रास्ता निकल लोगि.

नीरा - मे भला इसमें क्या कर सकती हूँ..? आप चाहो तो अपने पिता से बात करो इस बारे में.

रॉकी - इस विषय पर भी मे सोच चुका हूँ, पर शायद ये संभव नही होगा, क्योंकि वो इस दलदल में बहुत अंदर तक जा चुके हैं, 

शायद अब वापस आना उनके लिए भी मुश्किल है. हो सकता है वो मेरे खिलाफ भी हो जाएँ.

नीरा - तो पोलीस को बता दो…!

रॉकी- पोलीस कुच्छ साबित नही कर पाएगी.. ! उल्टा इतने बड़े नेता के खिलाफ बोलने से वो हमें ही ग़लत ना ठहरा दे…

और फिर मेरे पास अभी उनके खिलाफ कोई सबूत भी तो नही है.

नीरा - तो अब हम सिर्फ़ समय का इंतजार ही कर सकते हैं, और उनपर नज़र रख कर सबूत इकट्ठा करने की कोशिश करते हैं….!

रॉकी – हां शायद अब तो यही एक रास्ता है….!
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:22 AM

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