RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मे अंदर गया और अपने बॅग से निकाल कर उन दोनो को एक-एक चैन अपने हाथों से पहनादि.
अमीना बी की आँखों में खुशी के आँसू आ गये.
मैने कहा - क्यों बीबी, देखा अपनी बेटियों को..! अब ये आम लड़कियाँ नही रहीं, शेरनिया हो गयी हैं,
अब इन दोनो को 10 से भी ज़्यादा लोग आ जायें तो भी ये हार मानने वाली नही हैं.
अमीना बी ने मुझे अपनी बेटियों की परवाह ना करते हुए अपने मोटे-2 चुचों से चिप्टा लिया और मेरा माथा चूम कर बोली-
तुम सच में कोई फरिस्ता ही हो बेटा, जो हम जैसे कुरबत में जी रहे इंसानो में जान फूँकने आ गये.
अरे बीबी, मे अगर फरिस्ता होता तो ये दोनो बिल्लियाँ मुझे हरा पाती क्या..? इस बात पर हम सब हँसने लगे.
रेहाना ने आँखों-2 में ही मुझे थॅंक्स कहा, मैने भी अपनी पलकें झपका कर उसे समझा दिया.
जब उनकी अम्मी अंदर जाके काम में लग गयी तब मैने उन दोनो को कहा- देखो ये प्रॅक्टीस बंद नही होनी चाहिए,
अब मे इसके साथ-2 तुम दोनो को कुछ शहरी लड़कियों की तहज़ीब और नाज़ नखरे सिखाउन्गा, जिससे ज़रूरत पड़ने पर तुम शहरियों के बहकाबे में ना आ सको.
उन दोनो ने सहमति में गर्दन हिला दी, फिर जब शाकीना भी अंदर चली गयी तो मेरे गाल को चूम कर रेहाना बोली- आप जानबूझकर हारे थे है ना..?
मे - हां ! ताकि तुम लोग और हिम्मत से आगे बढ़ो.
रहना – नही वो बात नही है ! आपको हमें ये चैन जो देनी थी ! मे अब कुछ-2 आपको समझने लगी हूँ.
मे - अच्छा ! ये तो और भी अच्छी बात है. तो बताओ अब मे आगे क्या करने वाला हूँ..?
रहना – मे क्या जानू..?
मे - क्यों अभी तो तुम कह रही थी, तुम मुझे समझने लगी हो, तो बताओ अब में क्या करने वाला हूँ..?
वो कुछ देर सोचती रही, फिर ना में गर्दन हिला दी, मैने उसका चेहरा आपने हाथों में लिया और उसके होठ चूम लिए और बोला-
इतनी सी बात नही समझ पाई और दावा कर रही थी कि मुझे समझने लगी हो.
वो खिल-खिलाकर हंस पड़ी और बोली- मे तो सच में कुछ और ही सोचने लगी थी..!
मे - क्या..?
वो- बिस्तर वाली फाइट…! ये कह कर वो हसने लगी.
मे - तुम्हारी इच्छा है..? उसने सर झुका कर हामी भरी, तो मैने उसे बाहों में भर के फिर से उसे चूम लिया और कहा- ओके फिर ठीक है आज रात को हो ही जाए…! वो हां बोलकर अंदर चली गयी.
शाकीना ये नज़ारा अंदर से आड़ लेकर देख रही थी, ये हम दोनो को ही पता नही था.
उस रात अमीना बी के सोते ही, रेहाना मुझे अपने कमरे में ले गयी, मैने रेहाना को 2-3 बार जमकर चोदा,
हमने सपने में भी नही सोचा था, कि हमारी इस काम क्रीड़ा का लुफ्त हमारे अलावा भी कोई उठा रहा है…
शाकीना ने शुरू से लेकर लास्ट हमारे सोने तक का चुदाई प्रोग्राम देखा, और अपने हाथ से अपनी चूत सहला-सहला कर उसे शांत करने की कोशिश करती रही…….!
दूसरे दिन एक ज़रूरी काम का बोलकर मे निकल गया,
अपने ठिकाने से बाइक ली और चल दिया स्यालकोट की तरफ, आख़िर रेहाना से किया हुआ वादा जो निभाना था.
पाकिस्तान के रोड.. ! खुदा बचाए ऐसे रास्तों से, जैसे तैसे करके पहुँच ही गया जैल तक.
मेन गेट पर दो संतरी पहरे पर थे, उनको कुछ ले-दे कर पटाया और पता किया कि कोई रहमत अली नाम का क़ैदी इस जैल में है क्या..?
तो उन्होने बताया कि उसको तो 6 महीने पहले ही मुज़फ़्फ़राबाद की लोकल जैल में शिफ्ट कर दिया है, उसका कोई संगीन जुर्म साबित नही हुआ था तो यहाँ की सेंट्रल जैल से निकाल कर लोकल जैल में शिफ्ट कर दिया है.
मे - ये लोकल जैल में क्या होता है..?
संतरी - अरे भाई ! लोकल जैल का मतलब वो क़ैदी जिन पर कोर्ट में कोई अपराध सिद्ध ना हो, और हुकूमत उन्हें जैल में ही सडाना चाहती हो तो उन्हें ऐसी जेलों में रखा जाता है, जहाँ उनसे फ्री में लेबर का काम करवाया जा सके.
मैने मन ही मन कहा- कि साला ये कैसा मुल्क है, जहाँ आदमी की कोई कीमत ही नही है. फिर प्रत्यक्ष में उसको शुक्रिया बोल कर वहाँ से चल पड़ा.
लौटते-2 शाम हो चुकी थी, बाइक अपनी जगह रखी और साइकल लेके घर पहुँचा तब तक अंधेरा छाने लगा था.
मैने रेहाना को अपने पास बिठा कर उसको सारी बात बताई, तो वो तो झटका ही खा गयी.
फिर मैने उसको समझाया, कि देखो ये तो शायद हमारे लिए अच्छा ही हुआ है, लोकल जैल में इतनी सुरक्षा भी नही होगी, मे जल्दी ही तहकीकात करता हूँ, तुम चिंता मत करो अब शायद तुम जल्दी ही अपने शौहर से मिल पाओगि.
मेरी बातें सुन कर उसकी आँखें छलक आई और बोली - हमारा आपका कोई रिस्ता नही है, फिर भी आप हमारे लिए कितना कुछ कर रहे है..!
मे - क्या कहा कोई रिस्ता नही है..? कुछ दिनो पहले तक मे एक आवारा कुत्ते की तरह तन्हा यूँही जंगल-2 भटकता रहता था,
आज मेरे पास एक परिवार है जो मेरी अपनों से भी ज़्यादा परवाह करता है. आइन्दा ऐसा मत बोलना..!
फिर आगे मुद्दे पर आते हुए बोला - मानलो अगर जैल से हम लोग उसको निकाल भी लाए तो तुम दोनो रहोगे कहाँ..?
क्योंकि हुकूमत उसकी तलाश हर जगह करेगी, खास तौर से उसके और तुम्हारे घर पर तो ज़रूर ही.
वो सोच में पड़ गयी, जब काफ़ी देर तक उसको कुछ नही सूझा तो मैने उसको बोला- तुम फिकर मत करो, इंशा अल्लाह कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकल आएगा.
अभी हम ये बातें कर ही रहे थे उसकी अम्मी भी वहाँ आ गई.
अमीना - क्या बातें हो रही हैं उस्ताद और शागिर्द के बीच..?
मे - बीबी ! हम रेहाना के शौहर के बारे में बात कर रहे थे.
अमीना - उसको तो उन मर्दुदो ने स्यालकोट की जैल में डाल रखा है सड़ने को, किसी से मिलने भी नही देते.
मे - बीबी ! वो अब वहाँ नही है, मे आज ही पता लगाके आया हूँ, उसको मुज़फ़्फ़राबाद की लोकल जैल में रखा है आजकल..!
अमीना - क्या..? लेकिन क्यों..?
मे - वो बाद में बताउन्गा, पहले दिक्कत ये है, कि अगर हम उसको किसी तरह निकल लाते हैं तो ये दोनो रहेंगे कहाँ ?
अमीना - वो सब बाद की बात है, पहले ये बताओ कि बाहर निकालोगे कैसे..?
मे - वो मे वहाँ जाके पता लगाकर ही बता सकता हूँ, कि वो किस हालत में है..?
अमीना - जगह तो है, असलम से बात करनी पड़ेगी, शहर में कहीं भी छिप कर रह सकते हैं.
इस्लामाबाद बड़ा शहर है, खाने कमाने का भी साधन हो सकता है, और कहीं भी गुमनामी की जिंदगी बसर कर सकते हैं.
इस्लामाबाद का नाम सुनते ही मेरे दिमाग़ में एक बड़ा प्लान पनपने लगा और मैने रेहाना को कहा, अब तुम सारी चिंता-फिकर मेरे उपर छोड़ दो.
वो – आप पर भी यकीन नही करूँगी तो और है ही कॉन हमारा अब..!
कुछ देर बाद, रहना साइकल लेके ज़रूरत के कुछ समान लेने कबीले के पास वाले छोटे से बाज़ार को चली गयी,
उसकी अम्मी घर के कामों में लगी थी, मे बाहर पेड़ के नीचे चारपाई डाल कर लेटा हुआ था.
चारपाई पर लेटा हुआ अपनी आँखों पर बाजू रखे मे अपनी सोचों में डूबा हुआ था,
मेरे दिमाग़ में आगे की प्लॅनिंग चल रही थी, कि तभी मुझे लगा कि कोई और भी है मेरे आस-पास.
मैने आखें खोली तो देखा शाकीना मेरे बगल में खड़ी थी.
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