Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:29 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
हमें देखते ही अमीना बी और शाकीना को डबल झटके लगे, एक तो हमें बाइक पर देख कर, दूसरा रहना के शौहर को हमारे साथ देख कर.

उनको उसके मिलने की खुशी भी थी, तो वहीं उसकी हालत देख कर गम भी हुआ. जैल के जुल्मों सितम ने उसको तोड़ कर रख दिया था.

अमीना बी सारे काम धाम छोड़ कर अपनी बेटी के खाविंद की तीमारदारी में जुट गयी…!

रेहाना और उसकी अम्मी, रहमत की देख भाल में लगी थी, मे फ्रेश होकर बाहर चारपाई पर आकर बैठ गया, 

कुछ देर बाद शाकीना मेरे लिए खाना लेकर आ गयी, मे खाना खाने लगा, वो मेरे पास ही बैठ कर मुझे खाते हुए देख रही थी.

मे उसके मन की बात अच्छे से समझ रहा था, फिर भी मैने अपनी ओर से कोई पहल नही की और खाने में लगा रहा.

कुछ देर और उससे जब नही रहा गया तो वो बोल पड़ी- अशफ़ाक़ साब आप मुझे क्यों नही ले गये अपने साथ..? और ये बाइक किसकी है..?

मे - ये अपनी ही है, एक जगह छुपा कर रखी थी, वैसे हमें ये अंदाज़ा नही था कि ये काम आज ही हो जाएगा, हम बस ऐसे ही जानकारी निकालने ही गर्ज से गये थे. 

वैसे तुम हमारे साथ चल कर क्या करती..?

वो - मे भी आपके कुछ काम आ जाती.. आख़िर वो मेरे भी तो कोई लगते हैं.

मे - अरे क्यों नही..! तुम्हारे तो वो जीजा साब हैं, और साली तो आधी घरवाली होती है..!

वो - घरवाली तो मे पूरी की पूरी आपकी हूँ..! इतना कह कर वो शरमा गयी..!

मैने अपने मन में कहा… ये क्या बोल रही है ये…? मरवाएगी क्या..? फिर प्रत्यक्ष में बात को मोड़ते हुए बोला- 

चलो अच्छा हुआ, रेहाना अब कम से कम अपने शौहर के साथ खुश रहेगी..!

वो – हां ! और मे आपके साथ ! है ना !

मे - अब तक नही था मे तुम्हारे साथ..?

वो – नही मेरा मतलब उस तरह से, जैसे आपा और जीजा साब रहते हैं..!

मेरा अब उसको समझाना ज़रूरी हो गया था, वरना ये लड़की पता नही और क्या-2 मंसूबे बाँधले सो बोला- 

देखो शाकीना, अभी तुम ये सब सोचने लायक नही हो, तुम्हारी अम्मी ने भी तो तुम्हारे बारे में कुछ सोचा ही होगा.

वो - तो आप अम्मी से बात करो ना..! या मे करूँ…?

अरे यार ! ये लड़की तो नहा-धो कर पीछे ही पड़ गयी, अब कैसे समझाऊ इसको कि मे क्यों इससे शादी नही कर सकता..? फिर प्रत्यक्ष में उसको बोला…

देखो शाकीना, तुम मुझे लेकर कोई झूठी आस मत पालो, मे तुम्हारे साथ निकाह नही कर सकता, 

क्यूंकी जिस मक़सद को लेकर में निकला हूँ, वो मुश्किलों भरा है, उसमें तुम मेरा साथ नही दे पाओगि.

वो – मे अब भी इतनी कमजोर दिखाई देती हूँ आपको की मुश्किलों का सामना ना कर पाउ..?

मुझे अब एक सख़्त फ़ैसला लेना ही पड़ा और शख्त लहजे में बोला – कुछ भी हो मे तुमसे निकाह नही कर सकता तो नही कर सकता अब इस मामले को और आगे मत बढ़ाना समझी..! 

वो कुछ देर सकते जैसी हालत में मुझे देखती रही और फिर अपने मुँह पर दुपट्टा रख कर अपनी रुलाई को रोकने की कोशिश करती हुई अंदर भाग गयी…!

उसको इस तरह से भागते देख बाहर आती हुई रेहाना उसे देख कर चोंक गयी, और क्या हुआ ये जानने के लिए मेरे पास आकर बैठ गयी.

रहना - ये शाकीना ऐसे अचानक उठ कर भाग क्यों गयी, कुछ हुआ है क्या..?

मैने उसे पूरी बात बताई तो वो बोली - आप क्या चाहते हैं..?

मैने उसको क्लियर कर दिया कि मे कतई किसी के साथ निकाह जैसा संबंध नही रख सकता, तो उसने कहा - आप फिकर ना करो मे उसे समझा दूँगी.

फिर मैने उसके शौहर के हाल चाल लिए, उसने कहा पहले से बेहतर है, कमजोर ज़्यादा हो गये हैं, दो-चार दिन में ठीक हो जाएँगे.

यही सब बातें करके उसने मेरे खाने के बर्तन लिए और वो भी अंदर खाना खाने चली गयी.. और मे उसी चारपाई पर खुले आसमान के नीचे लंबा हो गया….

सारे दिन की भाग दौड़ की थकान के कारण लेटते ही मुझे नींद ने घेर लिया, 

लेकिन जब रात घहराई और चंदा मामा सर के उपर पहुँचे और अपनी शीतलता उडेलने लगे, तो ठंड के मारे मेरा शरीर नींद में ही उकुडू हो गया लेकिन नींद थी कि पीछा छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी.

लेकिन ज़िम्मेदारियाँ नींद को भी खाने लगती हैं, उसका जीता जागता उदाहरण अमीना बी, पूरा घर नींद में था और वो अभी तक जाग रही थी.

उन्होने मुझे बाहर खुले में बिना किसी कपड़े के सोता हुआ देखा तो एक कंबल लेकर आई और मेरे उपर डाल दिया, 

मुझे कुछ-2 अहसास तो हुआ क्योंकि ठंड कुछ कम हुई थी, लेकिन नींद नही टूटी.

वो आज फिर पहले दिन की तरह मेरे बालों में उंगलियाँ फेर रही थी. फिर कुछ देर मेरे सिरहाने बैठने के बाद जब उसको लगा कि में गहरी नींद में हूँ, तो एक ही कंबल में मेरे बाजू में ही घुस गयी.

उसके हाथ मेरे शरीर पर फिरने लगे, अब मेरे शरीर को ठंड का अहसास ख़तम हो गया था, और मे सीधा होकर लेट गया.

वो कुछ देर ठहरी और फिर लगा कि मे अभी भी सो ही रहा हूँ, तो फिर से उसके हाथ मेरे शरीर को सहलाने में लग गये. 

भले ही आप नींद में ही क्यों ना हो, लंड की उत्तेजना हमेशा ऑन रहती है, उसका हाथ धीरे-2 मेरे आधे सोए लंड की ओर बढ़ने लगा. और फिर हाथ ने मेरे लंड को ढक लिया, 

लंड पकड़कर वो कुछ देर शांत रहने के बाद वो उसको सहलाने लगी.

मेरा पप्पू भी हाथ की गर्मी पाकर सर उठाने लगा और पाजामे के अंदर ही तंबू के डंडे की तरह खड़ा हो गया. 

मुझे ये सब ऐसा फील हो रहा था मानो सपने में हो रहा हो.

जब मेरा लंड पूरी तरह अकड़ कर खड़ा हो गया तो अमीना बी ने मेरे चेहरे की ओर देखा, वहाँ अभी भी अपर शांति के ही भाव दिखे उसको, 

आसवस्त होकर उसने मेरे पाजामे और अंडरवेर को नीचे खिसका दिया और लंड को हाथ में लेकर मुठियाने लगी.

कुछ देर मुठियाने के बाद वो कंबल में मुँह डालके नीचे को सरक्ति चली गयी और अपनी जीभ से मेरे पप्पू को चाटने लगी. 

चाटते-2 उसने उसे मुँह में भर लिया और किसी बर्फ की टिकिया की तरह उसे चूसने लगी.

अब मेरे दिमाग़ ने कहा, बेहन्चोद ये सपना नही कोई सच में लंड चूस रहा है, और झट से मेरी आँख खुल गयी, 

लेकिन वो कंबल के अंदर थी, सो कोई आइडिया नही बैठा और मेरे मुँह से निकल गया…!

रेहाना ! ये तुम क्या कर रही हो, जाओ अपने शौहर के पास..?

उसने झट से कंबल से मुँह निकाला और जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी..
मैने झेन्प्ते हुए कहा - ओह्ह.. बीबी आप..! 

वो कुछ देर मुझे घुरती रही फिर बोली – हुउंम्म… तो तुम और रेहाना भी ये सब कर चुके हो..!

मे - हां ! वो बस हो गया..! अपने आप ही..! अब मे उसको मना नही कर पाया तो…बस…

वो – और शाकीना…? वो तो नही है ना…../

मे - वो भी ! उसको हम दोनो का पता लग गया तो वो भी कहने लगी… पर सच में बीबी मेरी इसमें कोई खता नही है..!

वो – मे समझ सकती हूँ , असल में हम सभी एक ही कस्ति में सवार हैं, तो कोई ना कोई तो सहारा चाहिए था, एक दूसरे का साथ पाने के लिए… 

खैर मुझे इसमें कोई एतराज भी नही है, बस कभी कभार मुझे भी अपने इस हथियार से मस्त करते रहना, और हस्कर फिर से उसने उसे मुँह में ले लिया और अपने अधूरे काम को पूरा करने में जुट गयी.

कुछ ही देर में हम दोनो ही नंगे हो गये और फिर खाट बेचारी हाए तौबा करने लगी अपने अंजर-पंजर बचाने के लिए.

एक बार चूत चोदने के बाद मैने अमीना बी की गान्ड सहलाते हुए कहा- बीबी कभी इसमें लिया है..?

वो - लिया तो नही पर मन तो है, सुना है कि इसमें भी अलग ही मज़ा आता है, क्यों तुम करना चाहते हो..?

मे - मन तो मेरा भी है, अगर आप कहो तो…!

वो - चलो ठीक है, कर्लो, लेकिन थोड़ा आराम से करना..ज़यादा तकलीफ़ ना हो..

मे - थोड़ी तो होगी.. पर मज़ा भी आएगा.., ये कहकर मैने उसे करवट से लिटा दिया और उसकी नीचे वाली टाँग को आगे की तरफ करवा दी, उपरवाली टाँग को हवा में उठा लिया.

अब उसकी गान्ड का छेद एक दम खुल गया था, और चाँद की चाँदनी में साफ-2 चमक रहा था. 

मैने ढेर सारा थूक उसकी गान्ड के छेद में भर दिया और थोड़ा अपने मूसल पर चुपड कर सुपाडा उसके खुले हुए गान्ड के छल्ले पर टीकाया और हल्के से अपनी कमर को झटका दिया.
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