Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
आहह… हरामी साले तू क्या मेरी चूत का भोसड़ा बनाएगा… लगा ले जितनी तेरी गान्ड में दम हो सब… देखती हूँ कितना दम है तुझमें बेहन के लौडे…

ऐसी ही एक दूसरे से गाली गलौज करते हुए वो दोनो चुदाई का फुल मज़ा ले रहे थे, बीच-2 में शकीब उसके गोरे-गोरे गालों पर तमाचे भी मार देता…

कुछ देर बाद उसने उसको घोड़ी बना दिया और पीछे से ताबड़तोड़ उसकी चूत का भोसड़ा बनाने की कोशिश में जुट गया.

इस दौरान नुसरत एक बार अपना कुलाबा खोल चुकी थी, लेकिन उसने अपने उत्तेजना में कोई कमी नही आने दी, और वो अपने गान्ड को पीछे धकेल-2 कर उसके लंड पर अपनी चूत को पटक-2 कर चुदती रही.

आख़िरकार 20-25 मिनट की दमदार चुदाई के बाद दोनो एक साथ झड गये और एक दूसरे के बगल में लेट कर लंबी-2 साँस लेने लगे.

अभी वो अपनी साँसें ठीक से कंट्रोल भी नही कर पाए थे कि शकीब का मोबाइल चीख उठा, और पड़े-2 ही उसने अपना फोन उठाया, 

जैसे ही स्क्रीन पर नाम देखा वो फ़ौरन उच्छल कर खड़ा हो गया, चुदाई की खुमारी ना जाने कहाँ गायब हो गयी और उसके चेहरे पर संजीदगी नज़र आने लगी…………….!!!

शकीब ने बड़ी संजीदगी से कॉल पिक की और बोला – हेलो भाई ! सलाम बलेकुम..!
दूसरी तरफ से क्या कहा गया…? हमको कुछ पता नही.. 

वो बस सामने वाले के जबाब में जी, जी भाई, बेहतर, बिल्कुल, अभी निकलते हैं भाई.. बस ऐसे ही कुछ जबाब देने के बाद उसने फोन पर सामने वाले को खुदा हाफ़िज कहा और फोन बंद करते ही नुशरत की नंगी गान्ड पर एक चपत लगाई और उसको तैयार होने का बोल कर खुद ने भी पलंग से छलान्ग लगा दी और बाथरूम में घुस गया.

आधे घंटे में ही वो दोनो एक-एक बॅग हाथ में पकड़े हुए होटेल के बाहर आए और एक टॅक्सी में बैठ कर लखनऊ की तरफ जाने वाले रोड पर निकल पड़े. 
……………………………………………………………………….

चौथे दिन शाम 7:30 – 8 बजे के करीब एक सफेद रंग की टाटा इंडिगो, मुंबई से बड़ोदा हाइवे पर भागी चली जा रही है…

आओ चलो देखते हैं इसमें कॉन-कॉन हैं…? अरे ये क्या, इसमें तो वो आज़मगढ़ के होटेल वाले कपल हैं, जिनकी मस्त-2 चुदाई का हम उस दिन मज़ा ले चुके हैं, 

अरे ! लेकिन इनके साथ ये दो और लोग कॉन हैं ड्राइवर के अलावा…?

देखते हैं ये कहाँ और क्या करने जा रहे हैं, चलो इनकी बात-चीत का मज़ा लेते हैं, हो सकता है शायद कोई गरमा-गरम सीन देखने को भी मिल जाए..?

वाउ ! आज तो मामला एक दम उल्टा ही नज़र आ रहा है, शकीब तो ड्राइवर के बगल वाली सीट पर आगे बैठा है, और ये दोनो अजनबी पीछे की सीट पर नुसरत को बीच में बिठाकर उसके साथ मज़े कर रहे हैं…!

इनमें से एक उसके होठों को चूस रहा है साथ-2 उसकी चुचियों को भी मसल रहा है, दूसरा उसकी चूत को मसल रहा है और साथ-2 अपने साइड वाली चुचि को मसल रहा है, नुसरत जहाँ भी उनकी हरकतों का भरपूर जबाब देते हुए उन दोनो के लंड मसलती जा रही है.

ड्राइवर ये नज़ारा बॅक मिरर से देखकर गरम हो रहा है और बीच-2 में अपने खड़े हो चुके लंड को अपने पाजामे में अड्जस्ट कर लेता है.

दूसरी तरफ शकीब अपनी सीट पर पीछे मुड़कर उनकी रासलीला का लुफ्त उठा रहा है और उनके साथ बात-चीत भी करता जा रहा है..

शकीब – भाई जान ! आख़िर फाइनल प्लान क्या है.. आज रात का..??

उनमें से एक जो नुसरत के होठों का रस निकाल रहा था, बालों को पकड़ कर उसके सर को पीछे करता है और अपने होठों को उसकी गिरफ़्त से दूर करते हुए उसने शकीब से पुछा- अहमदाबाद हम कितने बजे होंगे..?

शकीब – यही कोई 3 - 3:15 को हम वहाँ पहुँच जाएँगे..

वो – हमारी जानकारी के मुतविक वो ***मंत्री सुबह-2 अपने बंगले के गार्डन में टहलता है, उसी समय हम गेम बजा देंगे ..

उस साले की वजह से हमारे ना जाने कितने प्लान चौपट हुए हैं इस राज्य में, यही नही इसकी वजह से हमारे कितने ही लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ा है. 

लगभग इस राज्य से हमारा अस्तित्व ही ख़तम कर चुका है ये *** मंत्री. अब इसका मरना हमारे लिए बहुत ज़रूरी हो गया है.

इनकी ये बातें सुन कर तो हमारी गान्ड की फटफटी चलने लगी, बाप रे ! तो इसका मतलब ये साले आतंकवादी हैं…! और ये *** मंत्री को मारने जा रहे हैं…! अब क्या करें..?

अभी हमारी फटती बंद भी नही हुई थी, कि तभी हमारी नज़र इस गाड़ी के पीछे-2 करीब 500 मीटर की दूरी पर आ रही एक टाटा सफ़ारी पर पड़ी जिसमें 4 लोग सफ़ारी सूट पहने हुए बैठे थे.

इस समय लगभग 11 बज चुके थे और ये लोग वॅल्सा क्रॉस करके नवसारी पहुँचने वाले थे, सफ़ारी में बैठे बन्दो में से एक ने अपने मोबाइल से किसी को कॉल किया और अपनी स्थिति बताई.

उन दोनो बन्दो की हरकतों से नुसरत इतनी गरम हो चुकी थी कि अब उसकी चूत लगातार लार टपका रही थी, अब उसे जल्दी ही किसी लंड की दरकार थी, 

सो उसने साइड में बैठे उस बंदे जो शायद इनका लीडर था, का पाजामा खोल दिया और अपनी भी पाजामा और पेंटी घुटनों तक करके, उसकी गोद में अपनी चूत को उसके लंड पर रख कर बैठने लगी.

सरसराता हुआ उसका मोटा तगड़ा मूसल जैसा लंड उसकी गीली चूत में जड़ तक समा गया, जैसे ही उसका सुपाडा उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराया, उसके मुँह से सिसकी निकल पड़ी और वो आँखें बंद करके उसके लंड की मालिस करने लगी…

अभी वो ढंग से पूरे लंड का मज़ा अपनी चूत में ले भी नही पाई थी कि दूसरे बंदे ने अपनी मोटी उंगली उसकी कसी हुई गान्ड के छेद में डाल दी…
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