RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
आज मैं बहुत खुश था क्योंकि मुझे अमित के खिलाफ सबूत मिल गये थे ऑर
अब तो मैने करण की सिस को भी उसकी चंगुल से आज़ाद करवाने का अपना वादा पूरा कर दिया था,,
मैं खुशी खुशी अपने घर चल दिया,,,,,,,,,
मैं वहाँ से थोड़ा आगे ही पहुँचा था कि हल्की बारिश शुरू हो गई लेकिन मैं बहुत खुश था
ऑर बारिस में एंजाय करते हुए बाइक से घर की तरफ जा रहा था,,,मेरा बॅग वॉटरप्रूफ था जिस से
लप्पी का या बुक्स के गीला होने का डर नही था,,,,मैने तो अपना पर्स ऑर मोबाइल भी बॅग मे डाल
दिया था,,,,,,,,,,घर पहुँचा तो तो डोर लॉक था मैं समझ गया कि मां ऑर मामा का खेल शुरू
होगा अंदर ,,,,लेकिन मेरे बेल बजाने के 2 मिनट बाद ही माँ ने दरवाजा खोल दिया,,,
माँ--अरे आज तू भी इतनी जल्दी आ गया,,,,,,,,,
मैं--मैं भी मतलब ,,,,,ऑर कॉन आया है जल्दी माँ,,,,,,
माँ--अरे तेरी बेहन सोनिया भी अभी कुछ देर पहले ही आई है ,,बोल रही थी कि कविता को घर पर कोई काम था इसलिए जल्दी आ गई,,,,,,,
मैं--,तभी मैं सोचु कि 2 मिनट मे दरवाजा कैसे खुल गया,,,सोनिया जो घर पर आ चुकी है,,
माँ--देख कैसे भीग कर आया है बारिश होती है तो एक जगह रुक नही सकता क्या तू,,,,,,,,,,
मैं--माँ रुक गया होता तो बारिश का मज़ा कैसे लेता,,,,,,,,,,
माँ--अच्छा हुए जब तेरी बेहन घर आई तो बारिश नही थी वरना वो भी भीग कर ही आती,,,,,,,चल बैठ यहाँ मैं कॉफी बना देती हूँ,,,,,,,,,,,
मैं--नही माँ मुझे नही पीनी कॉफी ,,,मैं बड़ा खुश था ऑर एक तो करण की सिस वाला वादा पूरा हो गया था ऑर साथ ही
बारिश मे भीग कर जिस्म मे एक मस्ती भर गई थी,,,,मैं जल्दी से अपने रूम मे भाग गया,रूम
मे जाते ही मैने बॅग ज़मीन पेर रखा ऑर देखा कि सोनिया बेड पर लेटी हुई थी,,मुझे भीगा हुआ
देख कर वो हैरान थी,,,,,,उसको नही पता था कि बारिश शुरू हो गई थी,,,,मैने शूस उतारे ऑर
जल्दी से बाहर जाने लगा तभी माँ भी मेरे रूम मे आ गई,,,,,,,,,,,,,
माँ--मुझे पता था तू छत पर जाने की कोशिश करेगा इसलिए मैं यहाँ आ गई,,,,,चुप चाप यहीं बैठ जा वरना ज़्यादा बारिश
मे एंजाय करेगा तो बीमार हो जाएगा,,,,
लेकिन मैने माँ की बात नही सुनी ऑर छत पर भाग गया
माँ--सुन्नयययययी सुउन्न्णी रूको बेटा,,,,,,,,,,,,
माँ पीछे से आवाज़ लगा रही थी लेकिन मैने कोई बात नही सुनी ओर छत पे जाके बारिश का मज़ा लेने लगा,,,,,,मैं बारिश मे छत पे फेस उपर की तरफ करके खड़ा हो गया ऑर बारिश की बूँदों को अपने फेस पर महसूस करने लगा,,तभी मुझे वो पल याद आ गया जब शिखा ने अमित के लंड को मूह मे भरा था ऑर प्यार से चूसा था,,,शिखा भी एक दम से शोभा जैसी थी,,,,,,,गोरी चित्ति,भरा हुआ बदन,,,,मासूम सा चेहरा,,,छोटे छोटे पिंक ऑर सॉफ्ट लिप्स ,,,उसको अमित का लंड चूसना अच्छा नही लग रहा था लेकिन फिर भी वो बड़ी मस्ती मे अमित के लंड को चूस रही थी,,,,इतना सोच कर ही मेरी हालत खराब होने लगी,,,,,,तभी किसी के कदमो की आहट से मैं नींद से जाग गया,,,पीछे मूड कर देखा तो सोनिया छत पर आ गई थी,,,क्योंकि उसको भी बारिश मे भीगना बहुत अच्छा लगता था,,,,,उसको देख कर एक पल तो मैं गुम्सुम हो गया
'था,,,,,,,,,लेकिन दूसरे ही पल में मैं उसकी तरफ चलने लगा ऑर उसने मुझे उसकी तरफ़ आते देखा तो थोड़ा डर गई लेकिन मैं उसके पास से गुजर कर नीचे चला गया,,,,नीचे जाते टाइम मैं उसकी तरफ पीछे मूड कर देख रहा था,,,,वो बहुत उदास लग रही थी,,,,,लेकिन उसकी उदासी का मेरे पर कोई फ़र्क नही पड़ा,ऑर मैं नीचे चला गया,,,,,,,मैं बाथरूम मे गया ऑर जल्दी से कपड़े उतार कर नंगा हो गया ओर शवर ऑन करके शिखा ऑर सोनिया के नाम की मूठ मारने लगा,,क्योंकि आज दोनो ने मेरा मूड खराब कर दिया था,,,,,,लेकिन ना तो उसके साथ कुछ कर सका ऑर ना ही सोनिया के साथ,, बस अपना हाथ जगन-नाथ करके रह गया मैं,,,,,,,,,,,,,,
बाथरूम से बाहर निकल कर मैने लप्पी ऑन किया ऑर गेम खेलने लगा कुछ देर बाद ही सोनिया भी
नीचे आ गई ,,,उसका बदन भी पूरा भीगा हुआ था मैने एक नज़र उसकी तरफ़ देखा ऑर वापिस लप्पी
की तरफ देखने लगा वो भी सीधा अपने कपड़े लेके बाथरूम मे चली गई,,,,,,बाथरूम से बाहर
निकल कर वो अपने बेड पर बैठ गई ,,वो बेड से नीचे अपनी टाँगे ज़मीन पर रख कर बैठी हुई
था ऑर उसका ध्यान मेरी तरफ था,,,मैने भी लप्पी को ऐसे सेट किया जिस से मुझे उसका बदन तो
नज़र आ रहा था लेकिन चेहरा नही ,,,,,,,,,,वो भी मेरे चेहरे को नही देख सकती थी,,,उसका बेड
मेरे बेड से बस थोड़ा ही दूर था ,उसके पैर ज़मीन पर थे ऑर उसके हाथ बेड की लास्ट मे थे ऑर
वो अपने हाथों से अपने बेड की चादर को कभी पकड़ रही थी ऑर कभी छोड़ रही थी ऑर कभी -2
चादर को ज़ोर से हाथों से दबा रही थी,,,,,मुझे उसका एक हाथ ही नज़र आ रहा था दूसरा नही,
ज़ाहिर सी बात है उसका दूसरा हाथ भी ऐसी ही हरकत कर रहा होगा ,,क्योंकि ऐसी हरकत लड़की तभी
करती है जब वो बेचैन होती है कन्फ्यूज़ होती है,,,,,,,,,,,,,,उसने मुझे आवाज़ दी,,,,सन्नी,,,,,,,,,,
लेकिन मैं कुछ नही बोला,,,,,,,,,,,उसने फिर से बोला सन्नी,,,,,,,,,,,,,,,,,मैने कोई जवाब नही दिया
ओर चुप चाप से गेम खेलता रहा,,,,,,,,,,कुछ ही देर मे वो गुस्से मे उठी ऑर रूम से बाहर चली
गई,,,,,उसके गुस्से का तब पता चला जब उसने दरवाजे को ज़ोर से बंद किया था,,,,,,,,मैं दिल ही दिल
मे खुश भी था उसको तंग करके लेकिन थोड़ा उदास भी था,,,,,,क्योंकि जैसे वो तड़प रही थी
मेरे से बात करने के लिए वैसे ही मैं भी तडप रहा था उस से बात करने के लिए,,,लेकिन पता नही
क्यू मैं बार बार उसको तंग कर रहा था ,,,शायद इसकी वजह थी मेरा ईगो,,,,,,मैं कुछ अकड़
मे था ,,,,,होता भी क्यू नही अगर वो गुस्सा कर सकती थी तो मैं क्यू नही,,,,,,,
मैं गेम खेलते खेलते गेम मे ही खो गया कब शाम हुई पता ही नही चला,,,,,शाम को मुझे
करण का फोन आया,,,,उसने मुझे घर बुलाया ऑर मैं भी बाइक लेके उसके घर की तरफ चल पड़ा
उसके घर पहुँचा तो अलका आंटी ने गेट खोला,,,,,,,,,उन्होने ब्लॅक कलर का पंजाबी सूट पहना हुआ
था जिसका कट कुछ ज़्यादा ही डीप था,,,,,,मैं इतना ज़्यादा खो गया आंटी के सूट के डीप कट की गहराई
मे कि ना तो आंटी को नमस्ते बोला ऑर ना ही आंटी के अंदर बुलाने पर अंदर गया,,,,,,,,,,,,तभी आंटी
ने मेरे शोल्डर से पकड़ कर मुझे हिलाया,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आंटी--क्या हुआ बेटा कहाँ खो गये हो,,,,,,,,
मेरा ध्यान एक दम से आंटी के फेस की तरफ गया तो वो हल्के से मुस्कुरा रही थी ,,,,,,,,,,,
मैं--आह ककुउक्च न्ंहिी अयूयूंट मैईन वऊू,,,,,,,,,
आंटी हंसते हुए,चलो अंदर आओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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