Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:09 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
माँ आगे बढ़ कर अलका आंटी के गले लग गई ऑर दोनो ने एक दूसरे को हाई हेलो बोला,,,,अलका आंटी जब माँ के गले लग्के बात
कर रही थी तब भी उनका ध्यान मेरी तरफ ही था ,,आज वो कुछ अलग ही मूड मे लग रही थी,,उनकी आँखों मे अजीब चमक
ओर फेस पर एक खुशी थी,,,,माँ के गले से बाहें निकाल कर आंटी मेरी तरफ आई,,,,,

हेलो आंटी जी,,,लेकिन आंटी ने मेरी हाई हेलो का जवाब नही दिया बस सीधा मेरे गले लग गई,,,,,आज आंटी ने नाइटी ही पहनी
हुई थी,,,लेकिन आंटी तो सुबह वापिस आई थी तो नाइटी क्यूँ पहनी हुई थी,,क्या वो रात को वापिस आई थी,,,,मुझे कुछ समझ
नही आ रहा था,,लेकिन आज उनके बर्ताव मुझे कुछ अजीब लग रहा था,,,उन्होने जब मुझे अपनी बाहों मे भरा हुआ था
तब वो मुझे कस्के अपने साथ चिपका रही थी,,,उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये थे लेकिन फिर भी वो थोड़ा
ज़ोर लगा रही थी,,,,,,मैने भी अपने बाहों को आंटी के जिस्म पर कस दिया ओर आंटी को अपने से चिपका लिया लेकिन तभी माँ
ने मुझे पीछे से हंस कर देखा ऑर ऐसा करने से मना किया तो मैने जल्दी से आंटी को अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया ऑर
पीछे हट गया,,,,तभी आंटी ने मुझे हंस कर देखा ऑर वापिस अंदर की तरफ जाने लगी ऑर जाते हुए माँ का हाथ पकड़ कर उनको
भी अपने साथ ले गई,,,,मैं भी पीछे पीछे अंदर की तरफ जाने लगा ऑर मेरी नज़र पड़ी मेरे सामने मटक मटक कर चल
रही 2 भारी भरकम गान्ड पर जो लटके झटके मारते हुए मेरे सामने चल रही थी,,,,क्या बोलू कोन्सि गान्ड ज़्यादा मस्त थी
माँ की या अलका आंटी की,,,,,मेरा बस चलता तो दोनो को नंगी करने अभी गान्ड मे मूसल घुसा देता,,,,लेकिन माँ ने बोला
था कोई जल्दबाजी नही करनी इसलिए मैं क़ाबू कर रहा था खुद पर वर्ना तभी आंटी की गान्ड पर हाथ फेर देता जब
उनके गले लगा हुआ था ,,,,

मैं अंदर गया तो जाके सोफे पर बैठ गये जबकि माँ ऑर आंटी जी सामने वाले सोफे पर बैठ गई,,,,,,

आज कैसे आना हुआ दीदी,,,,,,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,,

कुछ नही अलका मैं तो तेरे पिता जी का मेरा मतलब करण के नाना जी का हाल चाल पूछने आई थी,,,पता चला था शोबा से कि
तुम उनके पास गई हुई हो,,क्या हुआ है उनको,,,

कुछ नही हुआ दीदी बस ओल्ड एज हो गये है तो कुछ ना कुछ प्रोबलम रहती है,,,,मैं गई थी उका हाल चाल पता करने आज सुबह
ही वापिस आई हूँ,,,,,वो करण ने जाना था ना अपने दोस्तो के साथ घूमने,,,,,

मैं साला सोच मे पड़ गया वो किस दोस्त के साथ घूमने गया है,,,,दोस्त तो बस मैं हूँ उसका ,,,,ऑर मुझे ही नही पता वो
कहाँ गया है,,,,,,मैं इतना परेशान था कि आंटी से पूछने ही लगा था कि तभी माँ आने मुझे चुप रहने को बोला,,,,

कहाँ गया है करण अलका,,,,

आपको तो पता होगा दीदी ,,,सन्नी ने बताया होगा,,,,कॉलेज की तरफ से कुछ दोस्त गोआ घूमने जाने वाले थे ,,

हां मुझे बताया था सन्नी ने मैं भूल गई,,,,,माँ ने ऐसा बोला तो मुझे कुछ समझ नही आया ,,कॉन्सा गोआ कोन्से दोस्त
ये सब क्या हो रहा है,,,,,

सन्नी बेटा तुम क्यूँ नही गये गोआ,,,करण भी उदास था तेरे बिना जाने पर,,,,तू चला जाता तो उसको अच्छा लगता,,,

मैं कुछ बोलता इस से पहले माँ बोलने लगी,,,,,ये भी जाना तो चाहता था लेकिन कुछ दीनो मे इनके टेस्ट शुरू होने वाले है
तो मैने सोचा इसको नही जाने देती,,,,वैसे भी पहले ये कुछ दिन गाओं रहके आया था तो बहुत छुट्टियाँ हो गई थी इसकी,,,माँ
ने ऐसा बोला तो मुझे हल्का हल्का समझ आने लगा कि ये सब माँ की प्लानिंग होगी,,,,लेकिन करण कहाँ गया ऑर शिखा दीदी
कहाँ है वो तो आज बुटीक पर भी नही आई,,शोबा दीदी ने बताया था मुझे,,,,लगता है शोबा दीदी को भी इसके बारे मे
कुछ नही पता होगा,,,,

चलो कोई बात नही ये नही गया तो क्या हुआ,,,,,वैसे चला जाता सन्नी भी तो करण खुश हो जाता,,,,वो भी बोल रहा था कि
टेस्ट से पहले कुछ मस्ती करने का दिल कर रहा है ,,,इसलिए मैने भी नही रोका उसको,,,,,

अच्छा बोलो दीदी आपके लिए चाइ लेके आउ या कॉफी ,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,

मुझे कुछ नही लेना अलका,,,थन्क्ष्क्ष्क्ष,,,मैं तो सोनिया की मेडिसिन लेने आई थी तो सोचा तेरे से भी मिलके चलती हूँ,,,सो
यहाँ आ गई,,,,

सोनिया को क्या हुआ दीदी,,,,,अलका परेशान होके बोली,,,,,

कुछ नही गर्मी की वजह से बुखार हो गया है,,,सारा दिन स्टडी की टेन्षन मे खाना पीना भी भूल जाती है अब पेट मे
गर्मी हो गई तो बुखार हो गया,,,,उसके लिए ही आई थी मैं बाज़ार,,,,,

हयी राम इतनी प्यारी बच्ची को बुखार हो गया,,,,घर तो सुना सुना हो गया होगा उसके बिना,,,,

हाँ सही बोला अलका ,,जबसे वो बीमार हुई है घर सुना सुना हो गया है,,,,,कल से हम लोग एक रूम मे ही बैठे हुए है
रात भर तो ठीक से सोए भी नही,,,डॉक्टर ने ठंडे पानी की पट्टियाँ करने को बोला है,,,,बस उसी मे लगे हुए थे,,,ये तो अब
मेडिसिन लेनी थी ओर सोनिया भी पहले से बेहतर हो गई थी ,,,उपर से उसकी दोस्त कविता आ गई तो दोनो बैठ कर बातें करने
लगी,,मैं सोचा अच्छा हुआ कविता आ गई मुझे घर से बाहर आने का मोका तो मिला ऑर वैसे भी दिल बहल जाएगा सोनिया का
जब कुछ बातें कर लेगी कविता से,,,,

दीदी आपका अच्छा है ,,कुछ तो दिल बहल जाएगा लेकिन मेरा तो दिल उदास हो गया है,,,,इधर करण चला गया दोस्तो के साथ गोआ
उधर शिखा बोल रही थी कुछ दिन घर नही आएगी,,,,शोबा के साथ बुटीक पर ही रहेगी कोई बड़ा ऑर्डर मिला है उनलोगो
को,,,उसी के लिए कुछ दिन बिज़ी रहने वाली है ऑर शोबा के साथ ही रहेगी,,,,

ये तो अच्छा है ना,,,काम करेगी तो दिल लगा रहेगा उसका,,,,,

उसका दिल तो लग जाएगा लेकिन मेरा क्या होगा दीदी,,,,मैं तो अकेली हूँ घर पे,,,,,मुझे अकेले रहने की आदत नही है,,

अकेले रहने मे क्या डरना पगली,,,,अच्छा अगर ज़्यादा ही डर लगता है तो बोलो मैं आ जाती हूँ तेरे साथ रहने को जब तक
करण नही आ जाता,,,,,,,माँ ने हंस कर बोला,,

ये ठीक है दीदी,,,,,,,,आप आ जाओ ,,,दिल भी लगा रहेगा ऑर टाइम भी पास हो जाएगा,,,,अलका आंटी ने भी मज़ाक मे बोला,,,,,

नही रे पगली मैं कहाँ आ आसक्ति हूँ,,,,,घर पे इतना काम जो होता है ,,,तेरे घर पे तो काम वाली आती है लेकिन मैने
तो कोई काम वाली भी नही रखी,,अगर रख लेती तो सारा काम वो कर देती ओर मैं सारा दिन बोर होती रहती,,,,अब घर के काम
करती हूँ तो दिल लगा रहता है,,,,,

मैने मन ही मन सोचा माँ तूने काम वाली को इसलिए नही रखा क्यूकी घर मे हर टाइम चुदाई का प्रोग्राम जो चलता रहता
है ,,अगर काम वाली रख लेती तो प्रोग्राम कैसे करती ,,,मामा ऑर विशाल के साथ,,,,,,,,,,,ऑर अब मेरे साथ भी,,,,



मेरे घर भी कहाँ आती है कोई कामवाली ,,एक आती है जो सुबह 9 से 11 तक रहती है,,,,सॉफ सफाई करती है ऑर कपड़े धो जाती है
बाकी किचन का काम तो मैं खुद ही करती हूँ,,,,,वो भी थोड़ा ही काम है बाकी सारा दिन बोर होती हूँ,,,,आप आ जाओ ना
यहाँ रहने दीदी ,,,,,,बस कुछ दिन की बात है जब तक करण नही आ जाता,,,,मेरा टाइम पास हो जाया करेगा,,ऑर सबसे बड़ी
बात की मुझे रात मे अकेले बहुत डर लगता है,,,मैं तो अपने रूम मे भी सोने से डरती हूँ अकेले मे,,,,वो तो बच्चे घर
होते है तो टेन्षन फ्री होके सो जाती हूँ,,,,,,प्ल्ज़्ज़ दीदी आ जाओ ना आप कुछ दिन की बात है,,,,,करण आएगा तो आप चली जाना,,


नही अलका मैं नही आ सकती लेकिन तेरे डर का एलाज़ ज़रूर कर सकती हूँ,,,,,मैं नही तो क्या हुआ ये सन्नी तो है ना,,इसको
अपने घर पे रखले कुछ दिन,,,,फिर तो ठीक है ना,,,,

अब मैं समझ गया सारी बात ,,ये माँ का प्लान था मुझे अलका आंटी के साथ रखने का,,ताकि मैं अलका आंटी को तडपा
तडपा कर मस्ती कर सकूँ,,,,,,लेकिन करण कहाँ गया था,,,,कहीं वो अपनी रितिका के साथ तो नही गया,,,,,

सन्नी को,,,,,,,,,क्या ये रहेगा मेरे घर पे,,,,आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए बोला,,,,ऑर मैने माँ से पहले ही जवाब दे दिया

हां क्यू नही आंटी जी अगर आपको डर लगता है तो मैं यहाँ रहने को तैयार हूँ,,,,अगर मेरी माँ अकेली होती तो करण भी
मेरी माँ आके साथ रुकने को तैयार हो जाता तो फिर मैं क्यू नही,,,,

मेरी बात सुनके अलका आंटी खुश हो गई लेकिन मेरी माँ मेरी बात से ज़्यादा खुश लग रही थी,,,,,

हां तो सन्नी बेटा तुम कॉन्सा करण से कम हो ऑर अलका आंटी को अपनी ही माँ समझो ऑर इनके साथ रहो,,ताकि इनको कोई डर नही
लगे ना ही दिन को ऑर ना ही रात को,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी बेटा मेरे साथ रहने के लिए,,तुम ना होते तो मैं तो अपने ही घर मे डर डर के रहती ,,,,ऑर शिखा को कभी रात को बुटीक पर नही रहने देती,,,,,,

चलो अब तेरी प्रोबलम दूर हो गई अलका ,,अब मैं चलती हूँ,,,,,माँ उठी ओर अलका आंटी को बाइ बोलके जाने लगी मैं भी
साथ मे बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,,,

अच्छा अब मैं चलती हूँ अलका ,,,ऑर जितना जल्दी हो सके सन्नी को भेज देती हूँ तेरे घर,,,,,

ठीक है दीदी लेकिन जल्दी भेजना ,,मेरे को अकेले मे डर लगता है,,,,

मैं सोचा जब करण कॉलेज जाता है ऑर शिखा बुटीक जाती है तब किसको रखती है घर पे अपना डर दूर करने के
लिए,,,,साली कामिनी कितनी ओवेरक्टिंग कर रही है,,,,,,

मैं घर से बाहर की तरफ जा रहा था तभी मैं वापिस पलट कर देखा तो अलका आंटी ज़रूरत से ज़्यादा ही खुश लग रही
थी,,,,,,


मैने माँ को साथ लिया ओर वहाँ से चल पड़ा,,,,,,,,,,,,

माँ ये सब क्या था,,,,,,,,ऑर करण कहाँ है,,,,,,

करण शिखा के साथ बुटीक पर है ऑर कुछ दिन वहीं रहेगा,, जब तक तेरी भुआ वापिस नही आ जाती,,,,मुझे कल रेखा
का फोन आया था कि गीता ऑर अशोक कुछ दिन वहीं रुकने वाले है कुछ काम है उन लोगो को वहाँ पर,,,,अब जब तक
गीता ऑर अशोक नही आ जाते तब तक शिखा ऑर करण बुटीक पर ऑर तू अलका के साथ घर पर,,,,,जितनी मर्ज़ी मस्ती करना लेकिन
एक दम से नही थोड़ा तडपा तडपा कर,,,,,,वो तैयार है तेरे साथ सोने के लिए बट ज़रा प्यार से सोना तू,,,,जल्दबाज़ी करके नही,,,,

ठीक है माँ समझ गया,,,,,मैं अभी घर जाके कपड़े लेके अलका आंटी के पास आ जाता हूँ,,,,,,,,,,,,

अभी आ जाना लेकिन बोला है तुझे जल्दबाज़ी मत करना,,,,,क्यूकी तरसाने ऑर तडपाने मे जो मज़ा आता है उसकी बात ही अलग होती है

ठीक है माँ,,,,,,समझ गया अब मैं बच्चा नही हूँ जो बार बार बता रही हो,,,,,,

बच्चा तो है तू मेरा तेरे को समझाना तो मेरा फ़र्ज़ है क्यूकी तू कुछ ज़्यादा ही नटखट हो गया है ,,इतना बोलकर माँ ने
मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर हलके से दबा दिया,,,,,

क्या करती हो माँ हम लोग रोड पर जा रहे है कोई देख लेगा,,,,,तभी माँ ने हाथ पीछे कर लिया,,,,,,क्या करूँ बेटा आज बहुत
खुजली हो रही है,,,,,तेरा मामा भी ठीक नई है 1-2 दिन से,,,पता नही क्या हुआ है,,,,अब तू ही कुछ कर सकता है इस खुजली का,,,

ठीक है माँ घर जाके देखता हूँ कि कितनी खुजली हो रही है,,,,,

लेकिन बेटा घर पे तो सोनिया है ऑर साथ मे कविता भी,,,,,तो घर पे मस्ती कैसे होगी,,,,

तो आप ऐसा क्यू नही करती माँ बुटीक पर क्यू नही चली जाती,,,,,वहाँ तो शिखा ऑर करण भी है,,,,,दोनो के साथ मस्ती
कर लेना,,,,,,

हाँ ये ठीक है बेटा,,,,बड़ी अच्छी बात बोली तूने,,,,,अब जल्दी कर मेरे से रहा नही जाता,,,,,मेडिसिन लेते है फिर तू मुझे
बुटीक पर छोड़ देना ऑर खुद घर चला जाना,,,,ऑर सोनिया को बोल देना कि मैं अलका आंटी के घर पर हूँ ऑर जब कविता
ने जाना हुआ तो मुझे फोन कर देना,,,,,

ठीक है माँ,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद हमने मेडिसिन ली ऑर मैने माँ को बुटीक पर छोड़ दिया ऑर खुद घर आ गया,,,,घर
आके मैं बेल बजाई ऑर दरवाजा खुलने की वेट करने लगा,,,,,तभी मेरा ध्यान गया कि शोबा दीदी की अक्तिवा नही थी घर पे,,

कविता ने आके दरवाजा खोला,,,अरे ब्लॅकी तू अकेला आ गया आंटी जी कहाँ है,,,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 02:09 AM

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