Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:31 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं बेड से नीचे मॅट्रेस पर बैठ हुआ था और कविता बेड पर बैठी हुई थी,,,,वो बेड से आगे और नीचे की
तरफ झुकी हुई थी ,,उसके दोनो हाथ अब तक मेरे सर पर पहुँच गये थे और उसने अपने हाथों की उंगलियों
से मेरे सर के बालों को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया था,,,मैं मस्त तो हो गया था लेकिन ये सब एक दम
से हुआ तो मैं थोड़ा परेशान हो गया था,,,,मुझे उसके सॉफ्ट लिप्स का एहसास अपने लिप्स पर हो रहा था लेकिन
फिर भी मैं उसको किस का रेस्पॉन्स नही दे रहा था,,,,लेकिन उसकी उंगलियों ने मेरे सर पर इतने प्यार से अपना
कमाल दिखाना शुरू किया कि मुझे अपनी सुध-बुध खोने मे ज़्यादा टाइम नही लगा,,,,,अब मस्ती मे मैने
भी उसके सॉफ्ट लिप्स को अपने लिप्स मे जकड़कर उसके होंठों से सोमरस को पीना शुरू कर दिया और अब तक मेरे
हाथ भी उसके सर पर चले गये थे और मैने भी उसके बल्लों को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू कर दिया
था,,,,लेकिन मैं इस से आगे नही बढ़ा क्यूकी वो मुझे मना कर देती थी हर बार और आज मैं उसकी मर्ज़ी के
बिना आगे नही बढ़ना चाहता था,,,,

हम लोग करीब 8-10 मिनट ऐसे ही एक दूसरे के बालों को सहलाते हुए एक दूसरे के होंठों को चूमते और
चूस्ते रहे फिर उसने हल्के से मेरे होंठों को अपने होठों से अलग कर दिया और बड़े धीरे से मेरे से
दूर हो गई,,,उसने अपने हाथ भी मेरे सर से उठा लिया और उसके ऐसा करते ही मैं भी उस से दूर हो गया
और अपने हाथों को भी उसके सर से उठा लिया,,,,मेरा दिल तो नही कर रहा था लेकिन उसने खुद को मेरे से दूर
किया था इसका मतलब वो मुझे रुकने को बोल रही थी इसलिए मैं भी रुक गया और उस से दूर हो गया,,,

मैं थोड़ा पीछे हटा तो देखा कि उसकी साँसे बहुत तेज़ी से चल रही थी ,,हार्टबीट भी इतनी तेज थी कि उसके
दिल की धड़कन का एक हल्का सा शौर होने लगा था रूम मे,,वो खुद पर क़ाबू करने की कोशिश कर रही थी
लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा और हम दोनो की नज़रे मिली तो उसने शरमा कर अपने चेहरे को झुका
लिया लेकिन एक ही पल मे अपने चेहरे को दोबारा से उपर किया और मेरी तरफ हंस कर देखने लगी और मुझे देख
कर उसने अपने नज़रे दरवाजे की तरफ करली और कुछ देर बाद वापिस मुझे देखने लगी,,,

मैं उसकी बात समझा नही लेकिन मुझे लगा कहीं ये मुझको दरवाजा बंद करने को तो नही बोल रही इसलिए
मैं उठा और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा,,,मैने दरवाजे के पास जाके पलट कर उसकी तरफ देखा तो उसने
मेरी तरफ एक बार देखा और बेड पर लेट गई और मुझे देख कर शरमाने लगी,,,,मैने उसकी तरफ हंस कर देखा
और दरवाजे को अंदर से कुण्डी लगा दी,,,,शायद वो भी मुझे ऐसा करने को ही बोल रही थी,,,मैने दरवाजे
को कुण्डी लगाई और पलट कर उसकी तरफ चला गया,,,,मैं बेड के पास जाके खड़ा हो गया और उसकी तरफ देखने
लगा,,,वो बेड पर लेटी हुई शरमा कर मुझे देख रही थी,,,मुझे उसका खूबसूरत जिस्म बेड पर लेटा हुआ
ऐसे लग रहा था जैसे उसने खुद को किसी पकवान की तरह थाली मे परोस कर मेरे हवाले कर दिया था


,,,,ये पकवान ऐसा था कि जिसको एक ही बार मे पूरा निगल जाने को दिल कर रहा था मेरा लेकिन मैं कुछ
जल्दबाज़ी नही करना चाहता था,,,,मैं बस ऐसे ही खड़ा खड़ा उसके जिस्म को देख रहा था उसने भी मुझे
अपने जिस्म की तरफ घूरते हुए देखा और शरमा कर चेहरे को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,और तभी उसने बेड से
अपना हाथ उठा कर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर अपने करीब कर लिया,,,,मैं उसकी इस हरकत से थोड़ा
खुश हो गया था और बड़े आराम से बेड की लास्ट मे उसके पास बैठ गया,,,उसका चेहरे अभी भी दूसरी तरफ था
,,मैने अपने हाथ से उसकी चिन को पकड़ा और उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमा लिया ,,उसकी आँखें बंद थी
लेकिन चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ हल्की शरम भी थी,,,

मैने उसके चेहरे को कुछ देर तक ऐसे ही देखा और फिर हल्के से आगे बढ़ कर उसके लिप्स पर किस करने लगा,,
उसने भी एक ही पल मे मुझे किस का रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया,,मैं बेड पर टाँगें ज़मीन पर
लटकाकर उसके करीब बैठा हुआ उसके जिस्म पर झुक कर उसको किस कर रहा था,,उसका लेफ्ट हाथ मेरे राइट हाथ
मे पकड़ा हुआ मेरी टाँगों के उपर था और उसका राइट हॅंड मेरे सर पर पहुँच गया था,,,,उसने अपने
हाथ से मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया था,,उसी प्यार भरे अंदाज़ से जिस से मुझे एक अजीब सी मस्ती
चढ़ने लगती थी,,,मैने भी अपने हाथ को उसकी कमर पर पेट के पास टी-शर्ट के उपर रख दिया और जैसे ही
मेरा हाथ उसके पेट पर लगा उसकी कमर ने हल्के से झटका मारा और उसकी कमर पेट के साथ-साथ उसका पूरा
जिस्म रुक रुक कर हल्के झटके मारने लगा और उन्ही झटको की वजह से मेरा हाथ उसकी कमर से होता हुआ पेट
पर और पेट से होता हुआ कमर पर थिरकने लगा,,,मैने उसकी कमर और पेट को अपने हाथ से सहलाना शुरू
कर दिया,,,तभी उसका हाथ जो मेरे सर पर था उसने वो हाथ मेरे सर से उठा लिया और अपने हाथ से अपनी
टी-शर्ट को थोड़ा उपर उठा दिया मुझे तो तब पता चला जब एक दम से मेरा हाथ उसकी नंगी कमर पर लगा


,,,,जैसे ही मेरा हाथ उसके नंगे पेट पर लगा मुझे पागलपन के दौरे पढ़ने शुरू हो गये ,,मैं मस्ती
मे पागल होने लगा और मुझे मेरे पागलपन का पता तब चला जब मेरा हाथ उसके पेट से होता हुआ उसके
बूब्स तक पहुँच गया ,,,उसने ब्रा नही पहनी हुई थी और मेरा हाथ उसके एक बूब के उपर था,,,,मुझे खुद
पर भरोसा नही हो रहा था कि इतनी जल्दी कैसे मेरा हाथ उसके बूब्स तक पहुँच गया था,,,लेकिन उसके बूब्स
के मखमली एहसास ने एक ऐसी मस्ती भर दी थी मेरे पूरे जिस्म मे की मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा था
और शायद यही हाल उसका भी था....

उसके छोटे छोटे बूब्स जो छाती से बाहर निकल कर अपनी उमर के हिसाब से कुछ आकार ले चुके थे वो
दोनो बूब्स मेरी मुट्ठी मे भरने लगे थे,,,मैं रुक रुक कर हल्के हल्के से उसके दोनो बूब्स को बारी-2
से दबाने लगा था,,,उसकी छोटी छोटी डुंड़िया जो मस्ती की वजह से थोड़ा हार्ड हो गई थी मैं उन डुंदियो
को अपनी उंगलियों मे पकड़ कर दबा दिया और जब मैने ऐसा किया तो उसने मेरे लिप्स पर हल्के से काट दिया और
मेरे सर को अपने लिप्स पर दबा लिया,,,फिर मैने अपने लिप्स को उसके लिप्स से आज़ाद किया और अपने सर को भी
थोड़ा उपर उठा लिया और उसकी तरफ देखने लगा,,,,उसकी आँखें बंद थी,,,मैने मोका देखा और अपने सर को
उसके पेट की तरफ ले गया और कुछ ही पल मे मेरा सर उसके पेट पर था और मेरे लिप्स उसके पेट पर टच हो
गये थे,,,,जैसे ही मेरे लिप्स उसके पेट पर टच हुए उसने अपने दोनो हाथों से मेरे सर को अपने पेट पर
दबा दिया और तभी उसके मुँह से हल्की अह्ह्ह्ह भी निकल गई,,,,मैं समझ गया कि अब ये शायद पूरी तरह से
मेरे क़ाबू मे आ गई है इसलिए मैने थोड़ी जल्दी करदी और अपने हाथ से उसकी शौर्ट्स को नीचे कर दिया
,,,मुझे लगा था शायद वो मुझे रोक देगी लेकिन उसने ऐसा नही किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैने दोनो
तरफ से उसकी शौर्ट्स को नीचे खिसका दिया,,,उसकी शौर्ट्स नीचे हुई तो मुझे एहसास हुआ कि उसने नीचे पैंटी नही
पहनी हुई थी,,,क्यूकी उसकी शौर्ट्स उसकी कमर से लगभग 3-4 इंच नीचे हो गई थी लेकिन अभी तक मेरा हाथ '
उसकी पेंटी पर टच नही हुआ था,,,,मैने तो उसके पेट पर किस करते हुआ मस्ती मे दोनो हाथ से उसकी शौर्ट्स
को नीचे कर रहा था ,,,उसने मुझे एक बार भी नही रोका था,,,मुझे लगा कि शायद आज मैं इसको चोद
ही लूँगा लेकिन मैं ग़लत था,,,,,,मैने अपने सर को उसके पेट से थोड़ा उपर उठाया कि देखु तो सही कि
उसके फेस पर मस्ती के भाव कैसे नज़र आते है लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा तो वो रो रही थी,,,


मैं एक दम से दंग रह गया कि इसको क्या हुआ,,,ये रोने क्यूँ लगी,,,मुझे लगा शायद से खुशी की आँसू है
इसलिए मैने उपर उठकर अपने दोनो हाथों से उसकी शौर्ट्स को थोड़ा और नीचे किया लेकिन तभी उसने मेरे हाथ
पकड़ लिए और अब उसका रोना भी कुछ ज़्यादा ही अलग हो गया था,,,,ये रोना खुशी का नही था,,,वो उदास हो
गई थी शायद हर्ट भी हो गई थी,,,क्यूकी वो नही चाहती थी कि मैं उसकी शौर्ट्स को नीचे करूँ,,लेकिन मस्ती
मे पागल हो चुका मैं उसकी शौर्ट्स को नीचे करता जा रहा था लेकिन तब उसने मुझे रोका भी तो नही था ,,

लेकिन अब वो मुझे रोक भी रही थी और बहुत ज़्यादा रोने भी लगी थी,,,जैसे जैसे उसकी शौर्ट्स नीचे उतरती जा रही
थी और रोती जा रही थी,,,,मैने एक दम से अपने हाथ उसकी शॉर्ट से उठा लिए और जल्दी से उठकर खड़ा हो गया
तभी उसने मेरी तरफ रोते हुए देखा और मुझे हाथ जोड़कर पीछे हटने को बोलने लगी,,,,ना मे अपना सर
हिला कर मुझे ऐसा नही कारने को बोलने लगी,,,,,,मैं उसकी इस हरकत से थोड़ा गुस्से मे भी आ गया था और
शायद मैं थोड़ा हर्ट भी हो गया था,,,लेकन उसका उदास और रोता हुआ चेहरा देख कर उसकी आँखों मे आने
वाले आँसू देख कर मुझे उस पर तरस आने लगा,,,,,लेकिन मैं थोड़ा हैरान भी था कि ये खुद तो मुझे
पकड़ कर अपने करीब कर रही थी और जब मैं करीब आ गया तो अब दूर क्यू करने लगी,,मुझे कुछ समझ
नही आया,,,,मैने उसके आँसू पोछने के लिए नीचे झुकने की और उसके आँसू पोछने की कोशिश की लेकिन
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे दूर कर दिया,,,,और जल्दी से उठी और आँसू पोंछ कर अपने कपड़े
ठीक किए और वहाँ से दरवाजे की तरफ गई,,,उसने जाके दरवाजा खोला और खोलकर वापिस पलटकर मुझे देखा,,

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,लेकिन तभी उसने मुझे रोते हुए सौरी बोला और वहाँ से चली गई,,,

मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था,,,ये खुद मुझे करीब कर रही थी और खुद ही अब दूर भाग
गई थी और जाते जाते मुझे सौरी क्यूँ बोलके गई थी,,,,मैं साला पहले कम परेशान था जो इसने और ज़्यादा
परेशान कर दिया था मुझे,,,,लेकिन उसकी रोती हुई उदास शकल जब मेरे सामने आई तो मैं सब भूल गया
और सोचने लगा कि उसकी कोई मजबूरी होगी,,,,लेकिन क्या,,,,,क्या मजबूरी थी उसकी जो उसने एक पल मे मुझे
दूर कर दिया था और रोने लग गई थी,,,,

नेक्स्ट डे जब मैं उठा तो काफ़ी टाइम हो गया था,,,जल्दी जल्दी फ्रेश होके कपड़े पहने ताकि कॉलेज के लिए लेट
नही हो जाउ,,,,तैयार होके नीचे गया तो डाइनिंग टेबल पर सोनिया और मोम नाश्ता कर रही थी,,,डॅड ऑफीस चले
गये थे,,,,,कविता भी नही थी,,,,

मैं भी जाके नाश्ता करने के लिए बैठ गया,,,,तभी सोनिया बोल पड़ी,,,

कितना टाइम हो गया अब तक वापिस नही आई वो,,,सोनिया ने जल्दी जल्दी नाश्ता करते हुए बोला,,,

अरे नही आई तो क्या हुआ तुम सन्नी के साथ चली जाना,,,,मोम ने सोनिया की बात का जवाब दिया,,,,

वैसे कविता इतनी जल्दी जल्दी क्यूँ चली गई,,,,मोम ने सोनिया से पूछा,,,,

कितने बजे गई मोम,,,,मुझे तो पता ही नही कब गई वो मैं तो सो रही थी,,जब उठी तो वो रूम मे न्ही
थी,,,,


बेटी वो तो सुबह 6 बजे ही चली गई थी,,,मैने पूछा कि इतनी जल्दी क्यूँ जा रही हो तो उसने बोला कि चेंज
करने के लिए कपड़े नही है उसके पास और इस से पहले मैं कुछ बोलती वो दरवाजे से बाहर चली गई,,,
मैने सोचा कि उसको बोलती हूँ वो कॉलेज जाने के लिए तुम्हारे कपड़े पहन लेगी लेकिन जब तक मैं बाहर
गई वो अपनी अक्तिवा लेके वहाँ से चली गई थी,,,


मुझे लगा शायद वो मेरी वजह से जल्दी चली गई होगी,,सोनिया के उठने से पहले ही,,,शायद वो मेरे से गुस्सा
हो गई होगी,,,,लेकिन क्यूँ,,,,,मैने क्या किया,,,,,वो भी तो मेरा साथ दे रही थी फिर एक दम से उसको क्या हो
गया जो रोने लगी थी वो,,,,मैं अपनी ही सोच मे डूबा हुआ था तभी मोम बोली,,,,

तू ले जाएगा ना इसको अपने साथ सन्नी ,,,माँ ने मेरे से पूछा

मैने और सोनिया ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मैने माँ की तरफ देखा,,,,

हाँ हाँ क्यू नही मोम,,,,मैं ले जाउन्गा इसको कॉलेज ,,,,

नाश्ता करके मैं और सोनिया उठे और घर से बाहर आ गये मैने बाइक स्टार्ट किया और सोनिया डरते हुए मेरे
बाइक पर बैठ गई,,,मैने बोला था उसको मुझसे दूर रहने को लेकिन माँ की वजह से हम दोनो को साथ
जाना पड़ रहा था,,,,वो मेरे साथ बैठ गई और सहारे के लिए उसने बाइक सीट को पकड़ लिया तभी मैने देखा
माँ दरवाजे से बाहर आ गई थी गेट बंद करने के लिए,,,,मैने सोनिया को माँ की तरफ इशारा किया तो उसने
अपना हाथ बाइक सीट से उठाकर मेरे शोल्डर पर रख दिया ,,,,,मैने बाइक आगे बढ़ा दी और पीछे देखा
तो माँ गेट बंद करके अंदर चली गई थी,,,,,सोनिया ने भी पीछे मूड के देखा तो मोम के जाते ही उसने
अपना हाथ मेरे शोल्डर से उठा लिया और वापिस बाइक सीट को पकड़ लिया,,,,,मैं ऐसे ही बाइक चलाता हुआ आगे
बढ़ने लगा थोड़ी दूर जाके ऑटो-रिक्शा स्टॅंड आया तो मैने बाइक स्लो कर दिया ताकि सोनिया को ऑटो मे बिठा
दूं लेकिन जैसे ही मैने बाइक स्लो किया तो मेरा ध्यान मिरर मे गया मैने देखा कि बाइक स्लो होने पर
सोनिया समझ गई थी मैं उसको ऑटो मे बिठाने वाला हूँ इसलिए वो थोड़ा उदास भी हो गई थी,,,मैने उसकी
उदासी को दूर कर दिया और बाइक को वहाँ नही रोका और कॉलेज की तरफ चलने लगा,,,,उसका ध्यान मिरर की
तरफ गया उसने मिरर मे मुझे उसकी तरफ देखते हुए देख लिया फिर उसने हंस कर मुझे देखा जैसे मुझे
थॅंक्स्क्स्क्स बोल रही हो बाइक नही रोकने के लिए और उसको अपने साथ कॉलेज तक लेके जाने के लिए,,,

कुछ टाइम बाद हम लोग कॉलेज पहुँच गये,,,,मैने बाइक स्टॅंड पर लगाया ,,सोनिया उतर कर अपनी क्लास की
तरफ चली गई और मैं अपनी,,,,

एग्ज़ॅम के बाद मैं कॅंटीन मे गया क्यूकी एग्ज़ॅम करते टाइम करण ने मुझे इशारा किया था एग्ज़ॅम के बाद
कॅंटीन मे मिलने के लिए,,,,,मैं कॅंटीन मे जाके बैठ गया और कुछ देर बाद सोनिया वहाँ आ गई,,,

वो मेरे पास आई और बोली,,,,भाई मैं कविता के साथ जा रही हूँ घर,,मैने कॅंटीन के बाहर की तरफ
देखा तो कविता बाहर खड़ी हुई थी वो अंदर नही आई,,,,मैने उसकी तरफ देखा तो उसने उदास चेहरे से
दूर से ही मुझे ही बोल दिया,,,,


ठीक है तुम जाओ कविता के साथ मैं कुछ देर बाद आता हूँ,,,मैने सोनिया को इतना बोला और वो वहाँ से
चली गई साथ मे कविता भी,,,,कविता जाते टाइम भी मुझे उदास चेहरे के साथ बाइ बोलकर गई,,,

उन लोगो के जाने के बाद करण वहाँ आ गया,,,वो थोड़ा परेशान लग रहा था,,,वो मेरे पास आके बैठ गया


क्या हुआ भाई इतना परेशान क्यूँ है,,,एग्ज़ॅम अच्छा नही हुआ क्या,,,,मैने मज़ाक मे करण से पूछा,,,

ऐसी बात नही है सन्नी भाई मैं तो रितिका की वजह से परेशान हूँ,,,,,करण ने उदास होके बोला,,

रितिका की वजह से,,,,क्यूँ,,,,,अब तो तेरी शादी होने वाली है उसके साथ फिर उसकी वजह से परेशान क्यूँ,,,अब
वो तुझे अच्छी नही लगती क्या,,,,मैने फिर मज़ाक मे बोला,,,

अरे भाई हर बात पर मज़ाक मत किया करो,,,,पता है जब तूने मुझे बताया था कि मेरी शादी रितिका से
हो जाएगी तो उस से थोड़ी देर पहले मुझे रितिका का मेसेज भी आया था,,,,कि उसके पास कोई गुड न्यूज़ है ,,,लेकिन
तुमने बोला था कि तुमने रितिका से कोई बात नही की इस बारे मे इसलिए तुमसे बात करने के बाद मैने सोचा
कि रितिका को कॉल करके पूछता हूँ कि गुड न्यूज़ क्या है लेकिन उसका फोन ही नही लगा,,,,और अब तक उसका
फोन स्विचऑफ आ रहा है,,,,मैने कई बार ट्राइ किया,,,,

अबे बेटरी लो हो गई होगी,,,,तू इतनी छोटी बात पर परेशान क्यूँ हो रहा है,,,

भाई बेटरी लो होती तो अब तक चार्ज करके उसने फोन कर लेना था लेकिन अब तक उसका फोन बंद
आ रहा है,,,,मुझे बहुत टेन्षन हो रही है,,,


तभी मुझे याद आया कल रात जब मैं अमित के बाप से बात कर रहा था तभी पीछे से पायल भाभी की
आवाज़ भी आ रही थी,,,,

अच्छा तूने पायल भाभी को फोन किया था क्या,,,,मैने करण से पूछा

हाँ भाई किया था उनका फोन भी बंद है तबसे,,,,मैने कई बार ट्राइ किया,,,मुझे बहुत डर लग रहा है
भाई,,कहीं रितिका के बाप ने उसका फोन तो नही छीन लिया उस से,,,,तू कुछ कर सन्नी भाई मुझे डर
लग रहा है,,,

तू टेन्षन मत ले मैं कुछ करता हूँ,,,,तू आराम से घर जा,,,,मैं ख़ान भाई से मिलके आता हूँ,,,

हम लोग कॅंटीन से निकले ,,,करण अपने घर की तरफ चल पड़ा और मैं ख़ान भाई से मिलने,,अभी मैं
रास्ते मे ही था कि मेरा फोन बजने लगा ,,

ये फोन घर से ही था,,,,माँ ने मुझे फोन किया था,,


कहाँ है तू सन्नी बेटा अभी तक घर क्यूँ नही आया,,,,,एग्ज़ॅम तो कबका ख़तम हो गया है,,,

माँ मैं बस घर आने ही वाला था कुछ काम पड़ गया इसलिए लेट हो गया,,,

बाकी कम बाद मे कर लेना पहले मेरा काम कर्दे आके बेटा,,,देख मेरी चूत और गान्ड कितनी बेचैन
हो गई है तेरे लंड के लिए,,,जल्दी आके घुसा दे अपना मूसल मेरी गान्ड मे ,,,

लेकिन माँ अभी तो सोनिया आ गई होगी घर पे,,,अब कुछ कैसे हो सकता है,,,,

नही बेटा वो कविता के घर पर ही रुक गई है तभी तो तुझे फोन किया है,,,वो अब शाम से पहले नही
आने वाली घर,,,,अब तू जल्दी आजा मेरे से और इंतजार नही होता,,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 02:31 PM

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