RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
सर्दी शुरू हो गई थी,,,अंधेरा जल्दी हो गया था,,,,भाभी को डिन्नर की तैयारी तो नही करनी थी क्यूकी पहले
ही चावल बना चुकी थी लेकिन चावल के साथ दाल बनाना ज़रूरी था,,,,इसलिए भाभी मुझे वहाँ छोड़कर
खुद किचन मे चली गई,,,,और जाते जाते बाहर से मुझे कुण्डी लगा गई,,,,
मैने दरवाजे पर नॉक करके पूछा तो भाभी ने मज़ाक मज़ाक मे बोला,,,,,,,सन्नी तूने मुझे किचन
मे भी आराम से काम नही करने देना है इसलिए तू डिन्नर रेडी होने तक रूम मे ही लॉक रहेगा,,,,
मैं भाभी की बात समझ गया था क्यूकी आज मैं बहुत मोड़ मे था मैने 2 बार भाभी की चुदाई की
थी वो भी इतनी दमदार की भाभी की तौबा तौबा हो गई थी,,,,
भाभी डिन्नर तैयार करने गई जबकि मैं बेड पर लेट गया और मेरी आँख लग गई,,,करीब 40-50 मिनट बाद
भाभी ने आके मुझे उठाया ,,,मैं उठा तो देखा कि डिन्नर भाभी बेड पर लेके आ गई थी,,,
अरे डिन्नर यहाँ क्यूँ लेके आ गई आप भाभी जी,,,,बाहर चलते है ना,,,,,
नही सन्नी,,आज मेरा बहुत मूड है,,,आज हम रूम से बाहर नही जाएँगे ,,,डिन्नर भी यहीं बेड पर
होगा आज तो,,,,इतनी बात भाभी ने शरमाते हुए बोली ,,,,,
अच्छा तो ये बात है,,,फिर तो जल्दी जल्दी डिन्नर ख़तम करना चाहिए,,,,,मैने भी मज़ाक मे बोला,,,
तभी मैने देखा कि भाभी ने रोटी भी बना ली थी जबकि पहले तो भाभी ने चावल ही बनाए थे,,लेकिन
अब रोटी भी बना ली थी,,,,,
अरे भाभी चावल ही काफ़ी थे ये रोटी क्यूँ बनाई अपने,,,,चावल से ही काम चला लेते हम लोग,,,
वो गॅस ऑफ करना भूल गई थी चावल नीचे लग गये थे,,,,ये थोड़े से चावल ही बचे थे इसलिए मैने
5-6 रोटी भी बना ली,,,,क्यूँ तुझे रोटी अच्छी नही लगती क्या दाल के साथ,,,,
नही ऐसी बात नही है मैने तो इसलिए पूछा था क्यूकी चावल बहुत ज़्यादा थे तो रोटी की क्या ज़रूरत,,,ये
तो अब पता चला चावल नीचे लग गये थे (जल गये थे),,,,
फिर हम लोगो ने डिन्नर ख़तम किया और भाभी बर्तन लेके किचन मे जाने लगी,,अब भाभी के दोनो
हाथों मे बर्तन थे और कुछ बर्तन बेड पर भी रह गये इसलिए मैं भाभी के बाहर जाते ही बेडशीट
को अपने जिस्म पर लपट कर बाहर चला गया बर्तन किचन मे रखने,,,,वैसे तो भाभी ने शायद रूम
लॉक कर देना था लेकिन दोनो हाथों मे बर्तन होने की वजह से भाभी रूम को लॉक नही कर सकी,,,और
मैं भाभी के पीछे पीछे चला गया,,,,मैं बर्तन लेके किचन मे गया था तो मैने देखा कि भाभी
किचन मे नही थी,,,,मैं किचन से बर्तन रखके बाहर निकला तो देखा भाभी एक रूम से बाहर निकल
रही थी,,,,लेकिन जैसे ही भाभी की नज़र मेरे पर पड़ी भाभी थोड़ा डर गई थी,,,ये रूम भाभी की सास और
ससुर का था ,,,,,
अरे भाभी आप वहाँ क्या कर रही थी,,,,वो कुउच न्ह्हि मैं तो,,,,,भाभी थोड़ा परेशान हो गई थी,,,
क्या हुआ भाभी इतना डर क्यूँ गई,,,मैने कोई चोरी पकड़ ली क्या आपकी,,,,
भाभी ने हँसते हुए बोला,,,,कैसी चोरी,,,मैं तो ये लेने गई थी रूम से,,,भाभी ने अपने हाथ मे पकड़ा
हुआ एक प्लास्टिक का नकली लंड मेरी तरफ करके मुझे दिखाया,,,,,1 से मज़ा नही आया ,,,अब रात को 2 लंड का
मज़ा लूँगी मैं,,,,भाभी ने इतना बोला और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापिस रूम मे ले गई,,
रूम मे जाके हम लोगो की मस्ती फिर से शुरू हो गई,,,मैने अपने जिस्म पर लिपटी हुई बेडशीट उतारकर
फैंक दी और नंगा होके भाभी से लिपट गया,,,,फिर मैने भाभी को चुदाई का मज़ा देना शुरू कर दिया वो
भी 2 लंड से,,,कभी मेरा लंड भाभी की चूत मे होता और नकली लंड भाभी की गान्ड मे और कभी मेरा
लंड भाभी की गान्ड मे होता और नकली लंड भाभी की चूत मे,,,,भाभी भी आज बहुत ज़्यादा मस्ती के
मूड मे थी और वही हाल मेरा था,,,
डिन्नर के बाद एक बार और चुदाई करके हम लोग आराम करने के लिए लेट गये,,,,क्यूकी आज की पूरी रात हम
लोगो की थी,,,,भाभी की आँख लग गई थी शायद,,5-6 अवर्स मे मैने 3 बार भाभी की जमकर चुदाई की थी
पूरा जिस्म हिला कर रख दिया था भाभी का इसलिए शायद वो थोड़ा थक गई थी और आराम करने लगी थी,,भाभी
की आँख लग गई तो मैं भी थोड़ा आराम करने लगा,,,
तभी मुझे हल्की प्यास लगने लगी,,मैने देखा उस रूम मे कोई पानी की बॉटल भी नही थी इसलिए मैं
उठकर किचन मे जाने लगा क्यूकी फ्रिड्ज वहीं पड़ा हुआ था,,,,मैं भाभी के रूम से निकला तो बाहर
बहुत अंधेरा था,,तभी मैने देखा कि कामिनी भाभी की सास के रूम से हल्की लाइट बाहर निकल रही थी
वैसे तो दरवाजा बंद था लेकिन दरवाजे के नीचे से पता चल रहा था रूम की लाइट जल रही थी,,मैने
कोई खास गौर नही किया और किचन की तफर चलने लगा,,,तभी मेरा पैर किसी टेबल या चेयर से टकरा गया और
हल्का शोर भी हुआ,,,मैं भी गिरते गिरते बचा,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी फिर से भाभी की सास के रूम की
तरफ तो उसकी लाइट ऑफ हो गई थी,,,,मुझे कुछ समझ नही आया,,,क्या कोई था उस रूम मे ,,क्यूकी लाइट अपने
आप तो ऑफ नही हो सकती थी,,,,मुझे कुछ ठीक नही लगा इसलिए मैं उस रूम की तरफ जाने लगा,,,अभी मैं
उस रूम की तरफ चलने ही लगा था कि मुझे कामिनी भाभी अपने रूम के दरवाजे के पास खड़ी हुई नज़र
आई,,,वहाँ अंधेरा तो बहुत था लेकिन भाभी के रूम की लाइट जल रही थी और भाभी रूम के दरवाजे के
पास खड़ी हुई थी,,,भाभी मेरी तरफ देख कर हँसने लगी क्यूकी मैं बिल्कुल नंगा था,,मैं भाभी के
रूम से नंगा ही बाहर आ गया था क्यूकी घर पर कोई नही था मेरे और भाभी के अलावा,,
तभी भाभी चलके मेरे पास आई,,,,वो नाइटी मे थी,,,भाभी हँसते हुए बोली,,,,क्या हुआ सन्नी कहाँ जा
रहे थे ,,,वो भी नंगे,,,,,
कुछ नही भाभी मुझे प्यास लगी थी इसलिए पानी पीने जा रहा था,,,,,
भाभी शरमाते हुए,,,,पानी तो किचन मे है तो इस रूम मे क्या करने जा रहे थे,,भाभी ने अपनी सास
के रूम की तरफ इशारा करते हुए बोला जिसके अंदर कभी लाइट ऑन थी और अभी ऑफ हो गई थी,,,
कुछ नही भाभी ,,मैं तो जस्ट देखने जा रहा था कि लाइट अपने आप कैसे ऑफ हो गई,,,पहले तो रूम मे
लाइट जल रही थी,,,
वो रूम की लाइट मे कुछ प्रोबलम है सन्नी,,खुद ही ऑन हो जाती है और खुद ही ऑफ,,,,इतना बोलकर भाभी
ने मुझे किचन मे जाने का इशारा किया,,,जाओ तुम किचन मे जाके पानी पी लो मैं देखती हूँ लाइट
का क्या पंगा है,,,,
मैं किचन की तरफ चला गया जबकि भाभी उस रूम मे चली गई,,,,किचन मे लाइट ऑफ थी,,लेकिन मुझे
पता था फ्रिड्ज कहाँ पड़ा हुआ है इसलिए मैने लाइट ऑन नही की बस फ्रिड्ज ओपन किया जिस से फ्रिड्ज की लाइट
से रोशनी हो गई थी किचन मे,,,,मैने पानी की बोटल निकाली और पानी पीने लगा,,,तभी मुझे दरवाजा बंद
होने की आवाज़ सुनाई दी,,मैने बाहर जाके देखा तो भाभी अपनी सास के रूम से निकलकर अपने रूम मे
जा रही थी,,उस रूम की लाइट अब ऑफ हो चुकी थी,,,भाभी भी अपने रूम मे चली गई और मैं वापिस फ्रिड्ज
के पास खड़ा होके पानी पीने लगा,,,,मुझे बहुत तेज प्यास लगी हुई थी,,,,मैने जबसे खाना खाया था तबसे
पानी नही पिया था,,,
मैं नंगा ही फ्रिड्ज के पास खड़ा हुआ था,,फ्रिड्ज का डोर खुला हुआ था और मैं एक हाथ से फ्रिड्ज के डोर
का सहारा लेके एक हाथ से पानी की बॉटल को उपर करके अपने मुँह को भी उपर उठाकर पानी को उपर से अपने
मुँह मे डालके पी रहा था,,मैं बॉटल को मुँह नही लगाना चाहता था और ना ही मैने पानी पीने के लिए
कोई ग्लास लिया था,,,,मैं अभी बॉटल उपर करके मुँह उपर उठाके पानी पी रहा था और जैसे ही मैने अपने
सर को वापिस नीचे किया तो मेरे होश उड़ गये,,,मेरे गले मे पानी अटका हुआ था और फिर भी मेरा गला बहुत
ज़्यादा सूखने लगा था,,,मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गई हो,,मैं
बहुत ज़्यादा डर गया परेशान हो गया,,,,मेरे सामने कविता खड़ी हुई थी,,,,
ऊओह म्मय्यी गूदडद यईी क्काहहानं ससी आ गगयइी,,,,,,मैं डरते हुए अपने मन मे खुद से ये बात
पूछ रहा था,,,,मैं एक दम से इतना ज़्यादा डर गया था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,तभी
कविता ने हंस कर मुझे देखा और मेरे हाथ से वो पानी की बॉटल पकड़ ली और खुद सर को उपर छत की तरफ
करके पानी पीने लगी,,,,मैं एक दम से शांत खड़ा हुआ था और फ्रिड्ज की रोशनी मे कविता को देख रहा
था,,उसने एक ज़ींस का कुर्ता या कोई बनियान टाइप कुछ पहना हुआ था जो बहुत पतले कपड़े का था,,जब वो
सर को उपर करके पानी पी रही थी तो पानी की कुछ ड्रॉप्स उसके मुँह से बाहर निकलकर चिन से होते हुए उसके
कुर्ते पर गिरने लगी थी और जहाँ जहाँ भी पानी की ड्रॉप गिर रही थी वहाँ वहाँ से उसका कुर्ता उसके जिस्म से
चिपक रहा था और उसका जिस्म नज़र आ रहा था,,,मैं उसको ऐसे अपने करीब देखकर डर गया,,,तभी मुझे
याद आया कि उसका जिस्म तो पानी गिरने की वजह से नज़र आ रहा है जबकि मैं तो नंगा खड़ा हुआ हूँ इतना
याद आते ही मैने जल्दी से फ्रिड्ज को बंद करने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी,,कविता पानी
पीकर अपने सर को नीचे कर चुकी थी,,अभी फ्रिड्ज का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि उसने दरवाजे को अपने
हाथ से पकड़ लिया और फिर से पूरा खोल दिया और पानी को बॉटल को फ्रिड्ज मे रखने लगी,,,तभी उसका ध्यान
मेरे नंगे जिस्म पर पड़ा और वो हँसने लगी लेकिन मेरी हालत खराब हो गई थी,,,वो मुझे नंगा देखकर
खुश हो रही थी जबकि मुझे उसके सामने नंगा खड़ा होके बहुत शरम आ रही थी ,,,मेरा फेस शरम
से लाल हो गया था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस टाइम कविता लड़का है और मैं लड़की हूँ ,,क्यूकी वो मुझे
देख कर शरमा नही रही थी बल्कि खुश हो रही थी,,,,
तभी उसने बॉटल को फ्रिड्ज मे रखा और फ्रिड्ज का दरवाजा बंद कर दिया,,,किचन मे एक दम से अंधेरा
हो गया और एक दम सन्नाटा भी हो गया,,बस मेरी डरती हुई साँसों की आवाज़ थी और कविता की साँसों की अजीब
आवाज़ थी,,,,तभी वो मेरे पास आ गई,,,मुझे बड़ा झटका लगा,,,,उसने मेरे पास आके मुझे बाहों मे
भर लिया ,,उसकी दोनो बाहें मेरे गले मे थी और तभी उसने अपने होंठों को मेरे कान के करीब किया और
बड़े प्यार से बोली,,,,
जू मुुझहही दीकखन्ना त्ता म्मैईन्न द्दईकखह चुउक्की हूंन,,अब ईट्टन्न्ना मात्त स्शहररम्माऊ
सन्नी,,,,,,उसका इतना सब बोलने का अंदाज़ बहुत मस्ती भरा था जो मुझे भी मस्त कर गया,,उसकी दोनो बाहें
मेरे गले मे थी उसका आधा नंगा जिस्म मेरे पूरे नंगे जिस्म से चिपका हुआ था उसने छोटे छोटे बूब्स
मेरी छाती से दबे हुए थे ,उसके दिल की तेज धड़कन मुझे अपने दिल पर महसूस हो रही थी वैसे मेरा दिल
भी डर के मारे बड़ी तेज़ी से धड़क रहा था लेकिन मस्ती मे दिल की धड़कन डर की धड़कन से कहीं ज़्यादा
तेज हो गई थी,,तभी उसने कुछ ऐसा किया जिस से मैं एक दम दंग रह गया,,,,उसने मेरे सर को अपने हाथों
से पकड़ा और मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया और इतनी जबरदस्त किस की मुझे कि मैं क़ाबू से बाहर
हो गया,,,उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे भरके इतनी मस्ती से चूसना शुरू किया कि मेरे लंड ने अंगड़ाई
लेना शुरू कर दिया था,,उसने मुझे कोई 8-10 सेकेंड तक किस की और फिर मेरे से दूर हो गई और किचन से बाहर
चली गई,,,,मैं कुछ सोच समझ नही सका,,,ये घर पर थी लेकिन भाभी ने तो कहा था कि घर पर कोई न्ही
है तो ये कहाँ से आ गई,,,,
वो तो किचन से बाहर चली गई थी लेकिन मैं यहाँ खड़ा हुआ सोच मे पड़ गया था एक तो मैं बहुत ज़्यादा
डरा हुआ था क्यूकी कविता ने मुझे नंगा देख लिया था उपर से उसने मुझे इतनी जबरदस्त छोटी सी किस करके
मुझे इतना मस्त कर दिया था कि मेरा लंड पूरे जोश मे खड़ा हो गया था वो भी बस 8-10 सेक मे ,,मैं
अब उस से अलग हो गया था लेकिन अभी भी मुझे उसके लिप्स का स्वाद अपने लिप्स पर महसूस हो रहा था,,मैं
अपने लिप्स पर अपनी ज़ुबान घुमा कर उसके लिप्स का बचा-खुचा स्वाद चखने की कोशिश करने लगा था ,,,
फिर मैं खुद पर क़ाबू करके किचन से बाहर गया,,,मैने देखा कि कविता के माँ के रूम की लाइट
जल रही थी और दरवाजा भी पूरा खुला हुआ था,,,,मुझे कविता कहीं नज़र नही आ रही थी शायद वो उसी रूम
मे थी तभी तो उस रूम की लाइट अपने आप ऑन-ऑफ हो रही थी,,,मैं हिम्मत करके उस रूम के पास जाने लगा
और जैसे ही मैं उस रूम के पास पहुँचा तो मैने अंदर देखा तो कविता बेड के पास खड़ी होके मुझे
ही देख रही थी,,,मैं नंगा रूम के बाहर खड़ा हुआ था और वो एक कुर्ते या बनियान पहन कर रूम
के अंदर खड़ी हुई थी,,,उसने कुर्ते के नीचे कुछ नही पहना हुआ था,,,उसकी टाँगें पूरी की पूरी नंगी थी
मैं तो उसको ऐसी हालत मे देखकर मस्त हो गया था और मस्ती मे मेरा लंड भी खड़ा हुआ था,,तभी उसने '
कुछ ऐसा किया कि लंड ने ज़ोर से झटके खाने शुरू कर दिए,,,,उसने मेरी तरफ देखते हुए अपने दोनो हाथ
उपर उठाकर अपने कुर्ते को अपने जिस्म से अलग कर दिया,,,मैं तो साला दंग हो रह गया,,,,उसने कुर्ते को उतारा
और एक तरफ फैंक दिया,,,और नंगी होके मुझे रूम मे अंदर आने का इशारा करने लगी,,,मैं भी उसके
इशारे से पहले किसी कट्पुतली की तरह उसके नंगे जिस्म से खिंचा हुआ उसके रूम की तरफ बढ़ने लगा था ,,
मेरी नज़रे उसके गोरे संगमरमर जैसे बदन पर अटक गई थी,,,,उसने अपने जिस्म से सभी पर्दे उठा दिए थे
और अपने खूबसूरत जिस्म की नुमाइश करते हुए मुझे अपने पास आने को उकसा रही थी लेकिन मैं उसके उकसाने
से पहले से उसके बदन की चमक से चोंधिया कर उसकी तरफ बढ़ने लगा था,,,,,मेरा हाल ऐसा था जैसे तेज
हवा मे किसी कटी पतंग का हाल होता है जो खुद को हवा के भरोसे छोड़ देती है मैने भी खुदको
उसके हवाले छोड़ दिया था ,,मेरा जिस्म उसके जिस्म को देखता हुआ उसके जिस्म की गर्म हवा मे उड़ता हुआ उसके
करीब जाने लगा था,,,,,
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