Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:38 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
क्या नही होता,,,,क्या तुम करण से शादी करके खुश नही हो,,,,क्या ये सब ग़लत हुआ है,,,,

नही सन्नी करण से शादी करवा कर तूने मुझे मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा तोहफा दिया है और तेरी बात मानके
मैने करण से पहला सेक्स करके उसको शादी का सबसे अच्छा तोहफा भी दे दिया है लेकिन जिस चीज़ पर किसी और का हक़ था वो किसी और को मिल गई,,,ये बात खुशी की नही है मेरे लिए,,,,मैने सपना देखा था करण से शादी का जो
तूने पूरा कर दिया हक़ीक़त मे बदल दिया लेकिन साथ ही एक और सपना देखा था मैने जिसको तूने तोड़ दिया

तुम अब ये सब शुरू मत करो प्ल्ज़्ज़ रितिका,,,,,तुम जानती हो जो नही हो सकता कभी नही हो सकता,,,,तुम अब
शादी शुदा हो करण की वाइफ हो,,अब तुमपे करण का हक़ बनता है,,,,,


हक़ तो तुम्हारा भी बनता था ,,और अब भी बनता है,,,,लेकिन तूने मुझे पहले भी ठुकराया और शायद अब भी
ठुकरा रहे हो क्यूकी तुझे शायद मैं खूबसूरत नही लगती ,,अच्छी नही लगती,,,,

ऐसी बात नही है रितिका तुम बहुत खूबसूरत हो लेकिन इस खूबसूरती की वजह से मैं अपने दोस्त को उसकी दोस्ती को
या उसके यकीन को धोखा नही दे सकता,,,

तुम बहुत तेज हो सन्नी,,,,बातें भी खूब बना लेते हो,,,,दोस्ती और यकीन की बात करके तुम मेरे से बचना
चाहते हो,,,,एक औरत की नज़र से तुमको देखु तो तुम पर गुस्सा आता है क्यूकी तुम उसके खूबसूरत जिस्म को
ठुकरा कर बेहूदा दोस्ती की बातें करते हो ,,लेकिन अगर एक दोस्त की नज़र से देखु तो तुम बहुत अच्छा कर रहे
हो जो दोस्ती की वजह से एक कमसिन खूबसूरत और जवान लड़की को ठुकरा रहे हो,,,तुम्हारी यही बात तो अच्छी
लगती है मुझे,,,,,कि तुम यकीन नही तोड़ते किसी का,,,,,यही वजह है कि मैं तुमको लाइक करती हूँ ,इतना
लाइक करती हूँ कि बता नही सकती,,,,

सही कहा ,,मैं करण का यकीन नही तोड़ सकता,,,,वो मेरा दोस्त है,,,,,


जानती हूँ,,लेकिन औरत होने के नाते मुझे तेरे पर गुस्सा आता है,,,,दिल करता है ये नाइफ लेके तेरा खून
कर दूं मैं,,उसने इतना बोला और एक नाइफ उठाकर मेरे गले से लगा दिया,,,बोलो क्या बोलते हो,,क़तल कर दूं
क्या मैं तुम्हारा,,फिर शायद मुझे भी चैन मिले क्यूकी तुमने बार बार मुझे ठुकराया है और हर बार
मेरी बेज़्ज़ती की है,,,,

तुम जो चाहो कर सकती हो रितिका भाभी,,तुम्हारा हक़ बनता है,,,,

उसने नाइफ को मेरे गले पर रखा और खुद आगे की तरफ बढ़ कर मेरे फेस के करीब अपना फेस कर लिया और
अपनी होठों को थोड़ा सा खोलकर मेरे फेस पर हल्की हवा मारने लगी अपने मुँह से ,,उसकी साँसों की गरम
और मदहोश करने वाली खुश्बू से मैं थोड़ा हिल सा गया था,लेकिन फिर भी ना जाने कैसे मैने खुद को
क़ाबू मे किया हुआ था,,और खुद पर क़ाबू करते हुए मैं उस से थोड़ा दूर हट गया,,,

उसने मेरी इस हरकत से मुझे हंस कर बड़े प्यार से देखा,,,,फिर चलके मेरे करीब हो गई,,,मैं अभी उस से
दूर हुआ था कि वो वापिस मेरे पास आ गई थी,,,,,


हक़ तो तुम्हारा भी बनता है सन्नी,,,,मेरी जान लेने का,,,,मैं तो तुम्हारी जान नही ले सकती लेकिन अगर तुम
चाहो तो मेरी जान ले भी सकते हो,,,,उसने मेरा हाथ पकड़ा जिसमे नाइफ पकड़ा हुआ था और उस हाथ को अपने
हाथ मे पकड़ कर अपनी गर्दन पर लगा दिया,,,,बोलो क्या मेरा क़तल कर सकते हो तुम,,तुम्हारे लिए तो ये
आसान काम है,,,,

ये क्या बेहूदा मज़ाक है ,,,,,मैने इतना बोला और अपने हाथ को रितिका के हाथ से छुड़वा लिया और दूर हट गया
तभी करण एक दम से अंदर आ गया,,,,,

ओह्ह माइ गॉड,,,,,सही टाइम पर दूर हो गया रितिका भाभी से वर्ना करण पता नही क्या सोचता,,,मुझे लगा
करण ने कुछ नही देखा लेकिन मैं ग़लत था,,,,,,

उसने किचन मे आते ही बोला,,,,,अरे क्या हो गया भाभी और देवेर मुझे देखकर चुप क्यूँ हो गये,,,

रितिका एक दम से बोल पड़ी,,,,,कुछ नही करण इसको सब्जी काटने मे प्रोबलम हो रही थी मैने बोला मैं सिखा '
देती हूँ तो बोलने लगा रहने दो मैं खुद कर लूँगा,,,,तो मैने भी ज़ोर ज़बरदस्ती नही की,,,,खुद ही काटने
दो पता चल जाएगा,,,,,

तभी करण मेरे पास आ गया और बोला,,,,,अरे तू भी किस काम मे पड़ गया है सन्नी भाई,,रहने दे ये औरत
लोगो का काम है रितिका खुद कर लेगी हम लोग बाहर चलते है,,,,

मुझे भी लगा बाहर जाना ही सही है लेकिन तभी रितिका बोल पड़ी,,,,मैं अकेली कैसे करूँगी इतना काम सन्नी
को रहने दो ना यहाँ,,,मेरी हेल्प के लिए ,,,,तुमको बाहर जाना है तो जाओ करण,,,,

नही करण भाई तुम भी बाहर मत जाओ,,,यही रूको,,,हम लोग यहीं बातें कर लेते है साथ साथ मैं भाभी
की हेल्प भी कर दूँगा,,,,,मैं नही चाहता था कि करण मुझे अकेले को भाभी के साथ छोड़कर बाहर जाए

ठीक है भाई मैं यही रुकता हूँ लेकिन मुझसे कोई काम नही होगा,,मैं बस बातें करके टाइम पास कर
सकता हूँ तुम लोगो का,,

हां हां ठीक है करण भाई ,,,,तू यहीं रह बस ,,कुछ मत कर बातें ही करता रह ,,,बस बाहर नही जाना,

मैने इतना बोला तो रितिका ने मेरी तरफ हंस कर देखा,,,उसको लगा कि मैं उस से डर गया हूँ और शायद मैं
डर भी गया था,,,,बात ये नही कि मैं रितिका से डरता था मैं तो करण के यकीन टूट जाने से डरता था,,
उसके बाद जब तक सब्जी नही कट गई मैं बाहर नही गया और जब हम लोगो का काम ख़तम हो गया तो मैं
करण के साथ बाहर चला गया,,,और फिर हम लोग बाहर बैठकर बातें करने लगे,,,,


मैं और करण बाहर निकलकर सोफे पर बैठने लगे लेकिन तभी करण ने मुझे इशारा किया कि अंदर रूम मे
चलते है,,,मैं उसके साथ उसके रूम मे चला गया,,,

अबे रूम मे क्यूँ लेके आया,,बाहर ही बैठ जाते और बात कर लेते,,बाहर डरता था क्या बात करने से ,,या बोलू
कि रितिका से डरते हो,,मैने हंसते हुए मज़ाक मे ये बात बोली थी

हां भाई रितिका से डरता हूँ ,,तभी तो 2 दिन से ना मोम के पास गया हूँ ना शिखा के पास,,दोनो कुछ
उदास लग रही थी आज भी,,,

अबे तेरे पास इतनी खूबसूरत बीवी आ गई है फिर भी तुझे शिखा और अलका आंटी की पड़ी है,,,अभी तो कुछ दिन
मस्ती कर रितिका के साथ ,,वैसे भी माँ और तेरी बेहन ने कहाँ जाना है,,,अभी नया फूल खिला है बाग मे
पहले उसकी खुश्बू लेले फिर वापिस चला जाना माँ और शिखा के पास,,,


भाई नये फूल की खुुशबू ले चुका हूँ,,बोलू तो सील खोल चुका हूँ रितिका की ,,,2 रातों मे खूब
चुदाई करली है उसकी ,,,,अब उसको भी दर्द होने लगा है आज ही बोल रही थी कुछ दिन दूर रहने को ,,,बोली
पेन हो रहा है 2-3 आराम करने दो,,,और वैसे भी मेरा दिल माँ और शिखा के साथ मस्ती को भी कर रहा है,


अरे वाह क्या बात है,,सील खोल दी तूने भाभी की,,,ये तो अच्छी बात है,,,,जंग जीत गया तू सील खोलकर,,और
दर्द भी दिया ,,,वाह भाई वाह,,,चल कोई ना अब 2 दिन दूर ही रहना ,,सील खुलने के बाद जब नयी नयी चुदाई
होती है तो सूजन आ जाती है इसलिए दर्द होता होगा भाभी को,,,तू कुछ दिन दूर ही रहना उन से और माँ के
साथ मस्ती कर लेना,,और हां शिखा के साथ भी,,

लेकिन कैसे भाई ,,,रितिका घर पे होती है,,दिल तो करता है उसको सब कुछ बता दूं लेकिन डर भी लगता है,,

आबे पागल हो गया है क्या,,,,अभी नयी नयी शादी हुई है अभी से कुछ मत बताना और जब टाइम आएगा तो अपनेआप
पता चल जाएगा उसको,,,वैसे तू कोई जल्दबाज़ी मत करना,,,और रही बात माँ और शिखा के साथ मस्ती करने की
तो वो तू अब भी कर सकता है बुटीक पर जाके,,,

बुटीक पर,,,किसके बुटीक पर भाई,,,,करण हैरान होके बोला,,,

अरे भुआ के बुटीक पर,,,माँ अलका आंटी और शिखा को लेके वहीं गई है मस्ती करने के लिए,,,बोल रही थी
शिखा और अलका आंटी बहुत तरस रही है मस्ती के लिए,,,अब अगर तुझे भी जाना है तो जा उनके पास

करण खुश हो गया,,,,लेकिन भाई रितिका से क्या बोलूँगा,,,,

इसमे क्या प्रोबलम है,,,,उसको बोल देना तू मेरा साथ किसी ज़रूरी काम से जा रहा है ,,,,

ठीक है भाई,,,,चल तू भी साथ चलना मेरे मस्ती करेंगे सब लोग मिलकर वैसे भी काफ़ी दिन हो गये है
साथ मिलकर मस्ती नही की हम लोगो ने ,,


ठीक है,,,लंच करते है फिर चलते है,,,,

फिर हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे,,,कुछ देर बाद रितिका भाभी ने आवाज़ लगाई कि लंच तैयार
हो गया है,,,मैं और करण बाहर चले गये उसके रूम से लंच करने के लिए,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 02:38 PM

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