Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 03:12 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
केवल घर के अंदर चला गया,,,,,सोनिया और कविता भी सीमा के साथ अंदर चली गयी मैने
भी कार घर के अंदर करदी और खुद भी एक रूम की तरफ चला गया,,,,

यहाँ 2 ही रूम थे ,,,,एक तो केवल का ही था,,,,दूसरे रूम मे कविता और सोनिया थी मैं
भी उसी रूम मे चला गया,,,,तभी सीमा भी उसी रूम मे आ गयी,,,,

बहुत थक गये होगे तुम लोग,,,मैं अभी चाइ लेके आती हूँ,,,इतना बोलके वो जाने ही लगी तो
सोनिया बोल पड़ी,,,,रहने दीजिए चाइ हम लोग थक गये है और रात भी बहुत हो गयी है,आप
जाके सो जाइए हम लोग भी सो जाते है,,,,

ठीक है बेटा लेकिन तुम लोग एक ही बेड पर कैसे सो सकते हो,,सीमा ने मेरी तरफ देखते
हुए बोला,,,,क्यूकी वो सोच रही थी कि मैं 2 लड़कियों के साथ एक ही बेड पर कैसे सो सकता
हूँ,,,,,

सोनिया और कविता सीमा की बात से शरमा गयी,,,कविता मेरी तरफ ही देख रही थी,,

तभी सोनिया बोल पड़ी,,,,,आप हम लोगो के साथ सो जाइए मामी जी और सन्नी को केवल मामा
के साथ सुला दीजिए,,,,



मेरी तो साली गान्ड ही फट गयी थी केवल का नाम सुनके,,,लेकिन रास्ते भर ड्राइव करके
मैं थक गया था ,,मुझे बस बेड पर लेटना था फिर चाहे किसी के साथ भी क्यूँ ना 
लेटना पड़े,,,,


हां ये ठीक है,,,,,सन्नी तुम जाओ केवल मामा के साथ सो जाओ,,,,सीमा मामी हम लोगो के
साथ सो जाएगी,,,,

मैं भी कुछ नही बोला,,,बस कार से बॅग लेके वॉशरूम मे गया और पयज़ामा टी-शर्ट पहन ली
तभी सीमा मुझे केवल के रूम मे ले गयी और केवल अजीब नज़रो से मुझे देखने लगा,,,

मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया और चुप करके बेड पर लेट गया,,,,इतना थक गया था कि जल्दी 
ही आँख लग गयी थी,,,,

रात बहुत थका हुआ था इसलिए नींद बहुत अच्छी आई,,,,सुबह उठा तो रूम मे अकेला था 
मैं ,,केवल नही था वहाँ,,,उठकर बाथरूम गया और फ्रेश होके साथ वाले रूम मे गया तो
देखा वहाँ पर भी कोई नही था,,,,तभी मुझे उपर छत से कोई आवाज़ सुनाई दी,,कोई
बहुत ज़ोर-ज़ोर से हंस रहा था,,,,मैं भी उपर छत की तरफ चला गया,,


मैं उपर गया तो देखा कि उपर चारपाई पर एक जगह माँ और मामा दूसरी तरफ चाचा और
चाची बैठे हुए थे,,,,और उन लोगो से दूर बैठी हुई थी कविता ,,सीमा और सोनिया
जो बहुत हंस हंस कर बातें कर रही थी,,,,लेकिन बातें बहुत आराम से हो रही थी उनकी
फिर भी वो ज़ोर से हंस रही थी,,, 

मैं उपर गया तो चाची ने मुझे गले लगा लिया,,,,चाचा भी अपनी जगह से उठा और
मुझे गले लगा कर मिला,,,,,


आ गया मेरा बेटा,,,,अरे बेटा माफ़ कर्दे रात मैं और तेरी चाची उठ नही सके गेट
खोलने के लिए,,,,एक तो बूढ़ा शरीर और उपर से दवाई का असर ,,,पता ही नही चला
तुम इतनी देर गेट पर खड़े रहे,,,,


कोई बात नही चाचा जी इसमे क्या बड़ी बात है,,,,हम लोग कॉन्सा बाहर रहे,,दूसरे घर
मे चले गये थे,,,,,,अच्छा बाकी सब छोड़ो और ये बताओ आपकी तबीयत अब कैसी है चाचा
जी,,,,,,

देख ले तेरे सामने हूँ,,,,वो तुम शहर वाले क्या बोलते हो,, हां याद आया,,फिट,,बिल्कुल
फिट हूँ बेटा मैं,,,

तभी माँ भी उठके मुझे मिली और चाची जी मेरे लिए नाश्ता लेने नीचे किचन मे चली
गयी


मैं माँ और चाचा से बात कर ही रहा था कि चाची ने मेरा नाश्ता लगा दिया और माँ ने
भी मुझे नाश्ता करने को बोला,,,,

मैं नाश्ता करने के लिए चेयर पर जाके बैठ गया और सामने पड़े टेबल पर से नाश्ता करने
लगा,,,,मैं नाश्ता कर रहा था और मेरा ध्यान गया सोनिया ,,कविता और सीमा की तरफ ,,और
ख़ासकर मैं सीमा को ही देख रहा था,,,तभी फिर से मेरा ध्यान गया सोनिया की तरफ तो 
वो मुझे गुस्से से देख रही थी,,,मैने अपनी नज़रे घुमा ली माँ और बाकी लोगो की तरफ


तभी चाचा बोला,,,,,,,तुझे क्या ज़रूरत थी अपना घर रेखा के नाम करने की,,,तेरा
दिमाग़ खराब हो गया था क्या,,,ये बात चाचा जी माँ को बोल रहे थे,,,

चाचा जी रेखा की शादी हो गयी इसलिए मैने उसको तोहफे मे वो घर दे दिया तो भला क्या
ग़लती करदी मैने,,,माँ ने बड़े प्यार से जवाब दिया,,,,

तभी चाचा थोड़े गुस्से से,,,,भला इतना बड़ा घर उसको देने की क्या ज़रूरत थी कोई और
तोहफा नही दे सकती थी क्या,,,,,

इतने मे माँ भी थोड़े गुस्से मे बोल पड़ी,,,,,वो घर मेरा है और मैं जिसको चाहूं वो घर 
दे सकती हूँ उसके लिए मुझे किसी से पूछने की ज़रूरत नही और ना किसी का डर है 
मुझे,,, माँ इतने गुस्से से बोली कि चाचा ने और चाची ने अपनी नज़रे झुका ली और मामा
खुश हो गया,,,,

माँ थोड़ा ज़ोर से बोली थी इसलिए सोनिया ,,कविता और सीमा का ध्यान भी उन लोगो की तरफ
हो गया और सीमा उठी और सोनिया के साथ कविता को भी लेके नीचे की तरफ चली गयी ,,,
जब वो लोग नीचे जा रही थी तो मेरा ध्यान फिर से सीमा की तरफ गया और तभी सोनिया और
कविता भी मेरी तरफ देखने लगी,,,,इस बार सोनिया के साथ-साथ कविता भी मुझे गुस्से से
देख रही थी,,,


सोनिया का तो ठीक लेकिन कविता मुझे गुस्से से क्यूँ देख रही थी,,,,मुझे कुछ समझ नही 
आया,,,,,

इधर माँ फिर से गुस्से मे बोली,,,चाचा जी अब आप अपने घर का काम करने के लिए भी
किसी और का इंतेज़ाम कर लेना,,,क्यूकी अब ना तो रेखा ने वापिस आना है और ना ही मनोहर
ने,,,,जैसे मैने उनको अपना घर तोहफे मे दे दिया है वैसे ही अशोक ने उनको कुछ पैसे 
दे दिए है जिस से वो लोग अपनी कुछ गाएँ-भेंसे खरीद कर अपना काम शुरू करने वाले
है,,,

माँ ने इतना बोला तो मामा खुश हो गया और साथ मे चाची भी,,,जबकि चाचा गुस्से मे माँ
की तरफ देखने लगा लेकिन बोला कुछ नही,,बस चाची को अपने साथ लेके जल्दी से वहाँ
से चला गया,,,,

उनके जाने के बाद भी मैने देखा कि सुरेंदर मामा के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी
जबकि माँ अभी तक हल्के गुस्से मे थी,,,,,,पता नही माँ को क्या हुआ था मैने आज तक माँ
को इतने गुस्से मे चाचा जी से बात करते नही देखा था,,,,

फिर माँ ने मेरी तरफ देखा और मैं चुप-चाप नाश्ता करने लगा,,,,माँ भी नीचे चली
गयी चाचा और चाची के पीछे,,,,जबकि मामा वहीं बैठा रहा,,,,मैने भी अपना नाश्ता 
ख़तम किया जल्दी से और नीचे आ गया,,,,साथ साथ मामा भी नीचे आ गया,,,,


नीचे आके देखा की माँ नही थी,,,,सुरेंदर तो जल्दी से घर से निकल कर चाचा के घर
की तरफ चला गया और मैने भी बर्तन किचन मे रखे और सोनिया से माँ के बारे मे पूछा
तो उसने बताया कि माँ चाचा के घर गयी है,,,,मैं जाने लगा चाचा के घर तो सोनिया बोली
रूको सन्नी मैं भी साथ चलती हूँ,,,,सोनिया ने सीमा को भी बोला साथ चलने को लेकिन
सीमा थोड़ा गुस्से मे बोली,,,,,,,,

नही सोनिया मुझे नही जाना उस घटिया इंसान के घर मे,,,,,तुम भी मत जाओ सोनिया बेटी,

सोनिया वहीं रुकी रही जबकि मैं माँ की वजह से चाचा के घर की तरफ चल पड़ा,,,एक तो
माँ को आज पहली बार चाचा से गुस्से मे बात करते देखा इस बात की टेन्षन और उपर से
सीमा ने चाचा को घटिया इंसान बोला इस बात की टेन्षन होने लगी मुझे,,,,

मैं चाचा के घर मे जाने लगा तभी चाची गेट पर ही खड़ी हुई थी उन्होने मुझे अंदर
जाने से मना कर दिया,,,,,,

रहने दे सन्नी बेटा अंदर मत जा,,,,उन लोगो का आपस का मसला है उन लोगो को हल करने 
दे क्यूकी काफ़ी टाइम से ये मसला हल नही हुआ है,,,,आज ना हुआ तो कभी नही होना,,

मैं कुछ समझा नही लेकिन फिर भी चाची के रोकने पर मैं घर के बाहर ही रुका रहा
सुरेंदर भी मेरे साथ ही खड़ा हुआ था गेट पर,,,जबकि अंदर से माँ और चाचा के झगड़े
का शोर बाहर तक आ रहा था लेकिन कुछ समझ नही आ रहा था कि बात क्या हो रही है

तभी मैने देखा कि केवल की कार आके रुकी घर के सामने और केवल कार से उतर कर घर
के अंदर चला गया,,चाची ने उसको अंदर जाने से नही रोका,,,केवल अंदर गया और माँ का
हाथ पकड़ कर उनको बाहर की तरफ लेके आ रहा था,,,,


छोड़ो सरिता दीदी ऐसे आदमी के ज़्यादा मुँह नही लगते,,,अब जो हो गया सो हो गया,,गुस्सा
थूक दो,,,,अब तो बात बहुत पुरानी हो गयी है,,,,भूल जाओ दीदी और हम लोगो को भी
भूल जाने दो,,,,वैसे भी उनको अपनी ग़लती की सज़ा मिल ही रही है,,,,इतनी उमर मे
कोई सेवा करने वाला भी नही है उनके पास,,,और भला क्या सज़ा हो सकती है ऐसे आदमी
के लिए,,,


माँ कुछ बोलने लगी थी लेकिन जैसे ही माँ की नज़र मेरे पर पड़ी माँ चुप ही रही और 
केवल के साथ घर से बाहर आ गयी,,,,

अरे तुम यहाँ क्यूँ आ गये सन्नी बेटा,,,,माँ ने बाहर आते हुए पूछा,,,,,नाश्ता कर लिया था
क्या या बीच मे छोड़कर भाग आया ,,,,

नही नही मा नाश्ता कर लिया था मैने,,,,लेकिन माँ आप चाचा से झगड़ा क्यूँ कर रही
हो ,,,मैने आज तक आपको किसी से झगड़ा करते नही देखा तो चाचा से किस बात पर झगड़ा
हो रहा है आपका,,,,,


कुछ नही बेटा तू टेन्षन मत ले ये हम लोगो की आपस की बात है,,,,चल अब चलते है 
वैसे भी तेरे पापा का फोन आ गया है हम लोगो को बुला रहे है वो,,,,


कहाँ बुला रहे है माँ,,,पापा कहाँ है,,,,

पापा रेखा के शादी वाले घर पर है बेटा और बाकी सब लोग भी वहीं है,,,मैं तो बस 
मामा के साथ तुझे लेने आई थी,,,,


तभी हम लोग वहाँ से चल पड़े,,,,माँ ने चाची को भी साथ चलने को बोला लेकिन चाची
ने मना कर दिया,,,,

चलिए ना चाची जी,,,,आप रेखा की शादी पर भी नही गयी कम से कम अब जाके रेखा को
आशीर्वाद ही दे दीजिए,,,,,,,

चाची ने फिर मना कर दिया,,,,नही बेटी मैं नही जा सकती,,,तुझे तो पता है कि अगर
मैं चली गयी तो तेरे चाचा जी ने गुस्सा हो जाना है,,इतना बोलके चाची घर के अंदर
चली गयी,,,

माँ ने भी ज़्यादा फोर्स नही किया चाची को,,,,,,,फिर हम लोग केवल के घर की तरफ चल 
पड़े,,,,

माँ ने अंदर जाके सबको तैयार होने को बोला और मुझे भी,,,,

मैं फ्रेश होके तैयार हो गया और बाकी सब लोग भी तैयार हो गये,,,,

फिर मैं सोनिया और कविता अपनी कार मे,,केवल और सीमा उनकी कार मे और माँ मामा के साथ 
डॅड की कार मे वहाँ से चल पड़े,,,,,,

मैं कार ड्राइव करते हुए ये सोच रहा था कि माँ का कॉन्सा घर है यहाँ जो उन्होने रेखा
को गिफ्ट कर दिया है,,,,मैने कभी नही सुना माँ के घर के बारे मे,,और चाचा को क्या
परेशानी अगर माँ ने वो घर रेखा को दे दिया,,,और सबसे बड़ी बात इन लोगो का क्या झगड़ा
है जो काफ़ी टाइम से चल रहा है,,,,,और चाची रेखा की शादी मे क्यूँ नही गयी ,,रेखा
तो उन्ही के घर मे काम करती थी फिर भला चाचा चाची उसी की शादी मे क्यूँ नही
गये,,,,

मैं यही सब सोचता हुआ कार ड्राइव कर रहा था और थोड़ी टेन्षन मे था लेकिन तभी मेरी
टेन्षन ज़्यादा हो गयी,,,क्यूकी हम लोग रेखा के घर के सामने से गुजर रहे थे किसी ने
कार नही रोकी वहाँ पर,,,,रेखा का घर तो यहीं है फिर ये लोग कहाँ जा रहे है,,
कहीं ये लोग उसी घर पर तो नही जा रहे जो घर माँ ने रेखा को गिफ्ट किया है,,मैं
यही सब सोच रहा था कि कविता ने सॉंग प्ले कर दिए,,,मेरा ध्यान म्यूज़िक की तरफ हुआ
तो कुछ पल के लिए टेन्षन से पीछा छूट गया मेरा,,,


म्यूज़िक सुनते हुए और ड्राइव करता हुवे मैने देखा कि हम लोग काफ़ी दूर आ गये थे,,हम
लोगो को चाचा के घर से चले करीब 2 अवर्स हो गये थे,,,तभी मैने देखा कि डॅड
की कार रुक गयी और मामा और माँ कार मे से उतर गये ,,मैने सोचा ये यहाँ क्यूँ रुक गये 
इतनी ही देर मे मेरा ध्यान गया एक हवेली की तरफ जो खूब सज्जी-धजी हुई थी,,मैने
भी कार रोक दी और कार से उतर गया,,,माँ मामा केवल और सीमा चलते हुए हवेली के अंदर 
चले गये ,,कविता और सोनिया भी कार से उतर कर उनके पीछे चली गयी लेकिन मैं वहीं 
कार के पास रुका हुआ था और हवेली को देख कर थोड़ा हैरान था,,,ये हवेली किसकी है
जिसके अंदर सब लोग जा रहे है,,,,तभी माँ की आवाज़ आई,,,,रुक क्यूँ गये बेटा चलो अंदर
चलते है,,,,

मैं फिर भी वहीं रुका रहा,,इतने मे माँ करीब आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने 
साथ लेके चलने लगी,,,,वहाँ पर कुछ गाँव के लोग थे जो माँ को सर झुका झुका कर
प्रणाम करते हुए मालकिन मालकिन बोल रहे थे,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था ये
सब क्या हो रहा है,,,,मैं माँ का हाथ पकड़ कर माँ के साथ चल रहा था,,,जैसे ही
हम लोग हवेली के अंदर गये मैं तो देख कर दंग रह गया,,,वो हवेली हम लोगो के घर से
बहुत ज़्यादा बड़ी थी,,और हवेली के बीचो बीच काफ़ी लोग बैठे हुए थे उन लोगो मे
रेखा और मनोहर भी थे,,,रेखा शादी के जोड़े मे थी और साथ ही मनोहर बैठा हुआ था
और उन्ही लोगो के पास मेरे डॅड भुआ विशाल और शोभा भी बैठे हुए थे,,,केवल सीमा 
सोनिया और कविता भी उन लोगो के पास चले गये,,,,,,कविता और सोनिया सब लोगो से मिलने लगी
वो दोनो बहुत खुश थी,,,सीमा भी उनके साथ ही थी,,,,जबकि केवल डॅड और विशाल के पास
जाके बैठ गया था,,

मैं अभी भी माँ का हाथ पकड़ कर उनके साथ चल रहा था,,,,और साथ साथ हवेली को
हर तरफ से देख रहा था,,,,तभी मैने माँ से पूछ लिया,,,,

माँ ये हवेली किसकी है,,,,,माँ ने मेरी तरफ देखा तो समझ गयी कि मैं कुछ परेशान 
हूँ ,,,,बेटा ये मेरी हवेली है और अब मैने इसको रेखा को शादी मे गिफ्ट कर दिया है,,

आपकी हवेली,,,,लेकिन अपने कभी बताया नही इसके बारे मे,,,,,,

तभी माँ बोली,,बेटा मैं जानती हूँ तू थोड़ा परेशान है लेकिन अभी मुझसे कुछ मत 
पूछना ,,,,अभी शादी के घर मे है हम लोग ,,,तुम बस एंजाय करो मैं बाद मे तुझे
सब बता दूँगी,,,,लेकिन प्लज़्ज़्ज़ तू अभी कुछ मत पूछ मेरे से,,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 03:12 PM

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