RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तभी सीमा अपने बेड से उठी और हम लोगो के पास आ गयी,,,,मैं जानती हूँ सरिता दीदी
आपने मेरे बच्चों को कभी पराया नही समझा,,,,कभी इनको ये एहसास तक नही होने दिया कि
ये लोग आपकी असली संतान नही है,,,बल्कि आप ने तो इनको ऐसे प्यार किया जैसे इन लोगो ने
आपकी कोख से ही जनम लिया हो कभी आप इनकी सौतेली माँ नही बनी,,,मुझे इस बात की बहुत
खुशी है और मैं चाह कर भी आपके इस अहसान का बदला नही चुका सकती,,,,
मैं तो अगर सारी ज़िंदगी आपकी गुलामी भी करूँ तो ये अहसान नही चुका सकती कि आपने मेरे
बच्चों को अपना बच्चा समझकर प्यार किया,,,इतना बोलकर सीमा ने एक बार प्यार से मेरे और
सोनिया के सर पर हाथ रखा और अपने पति केवल के पास जाके उसके गले लग गयी,,,
वो केवल के गले लग्के रो रही थी और हम लोगो की तरफ देख रही थी तभी मैं और सोनिया
एक बार सीमा से मिलने के लिए आगे बढ़े ही थे कि उसने अपने सर को केवल के शोल्डर से लगा
लिया और फूट फूट कर रोने लगी,,,,उसको रोता देख मैं और सोनिया भी रोने लगे,,हम लोग
जानते थे कि सीमा मजबूर है केवल की वजह से,,,,लेकिन ये कैसी मजबूरी जो एक माँ
अपने बच्चों से नही मिल सकती थी,,हम लोग कब्से अपनी माँ से दूर रह रहे थे लेकिन
अब माँ पास थी तो दूर रहके बेचैनी हो रही थी ,,लेकिन वो माँ अपने पति के हाथों
मजबूर थी,,,इसलिए हम वापिस सरिता के गले लगकर रोने लगे,,,,सरिता ठीक कह रही थी
उसने कभी मुझे और सोनिया को ये अहसास नही होने दिया कि हम उसकी असली संतान नही है
उसने कभी जिकर भी नही किया हम लोगो के सामने कि हम उसकी सौतेली संतान है,,,लेकिन
फिर भी हम दोनो की आँखों मे अपनी असली माँ से मिलने की खुशी और ना मिल पाने का एक
गम और मजबूरी थी जिस को सरिता बखूबी समझ रही थी,,इसलिए वो मुझे और सोनिया को
लेके उस रूम से निकल आई,,,,और सीमा अभी भी केवल के सीने से लग्के रो रही थी वो हम
लोग को बाहर जाते भी नही देख रही थी,,,,
हम लोग वहाँ से बाहर आ गये थे,,,एक रूम के बाहर गीता शोभा और अशोक खड़े हुए थे
जबकि एक रूम के बाहर कविता खड़ी हुई थी,,,,वो लोग हम लोगो की तरफ ही देख रहे
थे,,,,फिर हम लोग मेरे रूम मे आ गये,,,,हम किसी से कोई बात नही करना चाहते थे
मेरे रूम मे आके माँ बेड पर लेट गयी और एक तरफ मुझे लेटने को बोला और एक तरफ सोनिया
को ,,,,हम दोनो माँ की एक-एक तरफ बगल मे जाके लेट गये,,,,सरिता रोती जा रही थी और
सोनिया भी,,मेरी आँखों से भी आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे,,,एक तरफ हम अपनी
माँ से बिछड़ कर आए थे और एक तरफ अपनी माँ के गले लगे हुए थे,,,पता नही चल
रहा था किस माँ का प्यार ज़्यादा है और किस का कम,,,माँ तो माँ होती है,,,भले ही मैने
और सोनिया ने सरिता की कोख से जनम नही लिया था भले ही मैने और सोनिया ने सरिता का
दूध नही पिया था फिर भी उसके प्यार मे ,,,उसके लाड और दुलार मे कोई कमी नही थी
,,आज पता चल रहा था मुझे माँ के असली प्यार का,,,उसके आगोश मे आके मुझे कितनी राहत
मिल रही थी,,,,हम दोनो माँ के आगोश मे आके बड़ी प्यारी नींद सो गये थे और माँ भी हम
दोनो के सर पर हाथ फिराती हुई हम दोनो के माथे को चूमती जा रही थी,,हम दोनो को
चुप करवा रही थी लेकिन खुद रोती जा रही थी,,माँ के आगोश मे हम दोनो बड़ी गहरी नींद
सो गये थे,,,,,,
सुबह जब उठा तो देखा बेड पर मैं अकेला ही था,,,उठकर बाहर गया तो देखा कि सभी
गाड़ियाँ हवेली के अंदर थी और सब लोग गाड़ियों मे समान रख रहे थे,,,मैं भी चलके
बाथरूम मे घुस गया और फ्रेश होके आँगन मे आ गया,,
यहाँ डेड ,,भुआ और सूरज वाली कार तो थी लेकिन केवल की कार नही थी,,,,,तभी सोनिया
मेरे पास आ गयी,,,,,,
वो लोग सुबह जल्दी ही चले गये सन्नी भाई,,,,सोनिया ने इतना बोला और मेरे गले लग गयी,,
तभी गीता भुआ भी हम लोगो के पास आ गयी,,,,,सन्नी बेटा जल्दी नाश्ता कर्लो फिर हम
लोगो को घर के लिए निकलना भी है,,,,सबने नाश्ता कर लिया है एक तुम ही रहते हो बस
भुआ मुझे भूख नही है,,,,मैं तैयार हूँ चलो चलते है यहाँ से,,वैसे भी दम
घुट्टने लगा है मेरा अब यहाँ,,,,,
लेकिन बेटा तूने कुछ खाया पिया नही ,,इतनी दूर तक जाना है कैसे होगा,,,कुछ तो
खा ले मेरे बेटा,,,,,
भुआ प्लज़्ज़्ज़ मत बोलो खाने को,,,,मेरा दिल नही कर रहा,,,,,भुआ ने मेरी आँखों मे देखा
और मेरी हालत समझ गयी और वहाँ से चली गयी,,,,,,
फिर हम लोग रेखा और मनोहर से मिलके वहाँ से चल पड़े,,,,
डॅड अपनी कार मे माँ के साथ,,,भुआ अपनी कार मे शोभा के साथ और मैं सूरज की कार मे
कविता और सोनिया के साथ,,,,,
हम लोग कोई बात नही कर रहे थे,,,हर कोई हल्की नम आँखों से गाँव की सड़को की तरफ
देख रहा था बस,,,,,,
फिर हम लोग रेखा के पुराने घर पर रुके,,,,,डॅड ने कार रेखा के घर से थोड़ी आगे रोकी
थी क्यूकी वो मामा से नही मिलना चाहते थे,,,,,जबकि माँ कार से उतर कर वहाँ आ गयी
थी,,,,फिर मैं भी कार से उतर गया लेकिन कविता और सोनिया नही उतरी कार से,,,
हम लोग चलके रेखा के घर के दरवाजे पर चले गये,,,शोभा और गीता भी आ गयी थी,,
हम लोगो ने दरवाजे पर नॉक किया तो सुरेंदर ने आके दरवाजा खोला और हम लोग घर के
अंदर चले गये,,,,
हम लोगो को देख कर सुरेंदर रोने लगा और रोता हुआ माँ के गले लग गया,,,
मुझे माफ़ करदो सरिता ,,,मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी,,,,,,
अरे तू रो क्यूँ रहा है,,,मैने तो कबका तुझे माफ़ कर दिया,,और हम सब ने भी,,,माँ ने
भुआ और शोभा की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,,
चल अब रोना बंद कर और चल घर चलते है,,,,तेरा समान भी कार मे रखा हुआ है,,
तभी माँ ने देखा विशाल नज़र नही आ रहा था,,,,,
ये विशाल कहाँ है सुरेंदर,,,,,
माँ की बात से सुरेंदर ने नज़रे झुका ली,,,,,वो तो चला गया सरिता,,,,बाहर देश,,मैने
उस से माफी भी माँग ली थी,,,उसको रोकने की भी बड़ी कोशिश की लेकिन वो नही रुका,उसने
मुझे माफ़ तो कर दिया था लेकिन फिर भी वो नही रुका,,,,बोल रहा था कि अब इस सब से
दूर जाना चाहता है वो,,,,मैने बड़ी कोशिश की उसको रोकने की सरिता,,,सुरेंदर रोता
जा रहा था और बोलता जा रहा था,,,,मैने बड़ी कोशिश की उसको रोकने की सरिता ,,,वो नही
रुका,,,,मुझे माफ़ करदो सरिता मुझे माफ़ करदो,,,,
अरे रोना बंद कर अब मैने बोला ना हम लोगो ने तुझे माफ़ कर दिया है चल अब घर
चलते है,,,,,
नही मुझे घर नही जाना सरिता,,,,मुझे घर नही जाना,,,,जब तक कि अशोक मुझे माफ़
नही कर देता,,,,,,
अशोक ने भी तुझे माफ़ कर दिया है सुरेंदर ,,,चल अब घर चल,,,
नही सरिता,,,अशोक ने मुझे माफ़ नही किया मैं जानता हूँ,,,अगर उसने माफ़ कर दिया
होता तो अभी वो घर के बाहर नही खड़ा होता,,,,यहाँ अंदर आके मेरे से बात करता,,
मैं जानता हूँ वो जल्दी मुझे माफ़ नही करेगा,,,और कॉन भला मेरी इतनी बड़ी ग़लती के लिए
मुझे माफ़ कर सकता है,,,,मैने अशोक को उसके परिवार को आप लोगो को बहुत बड़ा धोखा
दिया है,,,,जो कुछ भी मेरे परिवार के साथ हुआ उसकी सज़ा मैने आप लोगो को दी आपके
परिवार को दी,,,अशोक मुझे कभी माफ़ नही करेगा इस सब के लिए,,,,
नही नही सुरेंदर ,,तूने जो किया मैं समझ सकती हूँ ,,,तेरे साथ जो हुआ अच्छा नही हुआ
और तूने जो किया वो भी अच्छा नही किया,,,,लेकिन तू मजबूर था,,तू बदले की आग मे पागल
था तुझे कुछ समझ नही आ रहा था तू क्या कर रहा है,,लेकिन अब तूने अपनी ग़लती मान
ली है तो तू सज़ा का हक़दार नही है,,तू माफी का हक़दार है,.,,,हम सबने तुझे माफ़
कर दिया,,,चल अब ज़िद्द मत कर जल्दी घर चल,,,
नही सरिता प्ल्ज़्ज़ तुम ज़िद मत करो,,,आप लोगो ने मुझे माफ़ कर दिया लेकिन अशोक ने नही
किया,,जिस दिन अशोक मुझे माफ़ कर देगा उस दिन मैं वापिस आ जाउन्गा,,,अभी नही प्ल्ज़्ज़
सरिता ,,,मुझे यहीं रहने दो कुछ दिन जब तक कि अशोक का गुस्सा ठंडा नही होता,,जब
सब कुछ ठीक हो जाएगा मैं वापिस घर आ जाउन्गा,,,,,लेकिन अभी नही,,,,
लेकिन तू यहाँ कैसे रह सकता है,,माँ ने पूछा,,,
मैं रह लूँगा सरिता,,,,यहाँ नही रहूँगा रेखा के घर चला जाउन्गा,,,वहीं कुछ काम
भी कर लूँगा और टाइम भी बिता लूँगा ,,,,और वैसे भी अशोक को भी थोड़ा टाइम चाहिए
मुझे माफ़ करने के लिए और मुझे थोड़ा टाइम चाहिए अशोक के सामने दोबारा जाने के लिए और
कुछ हिम्मत बताने के लिए,,,,
लेकिन सुरेंदर तूमम,,,,,
माँ बोलने ही लगी थी कि मामा ने उसको चुप करवा दिया,,,फिर माँ गीता और शोभा चुप करके
वहाँ से बाहर की तरफ जाने लगे तभी मेरी नज़र पड़ी उस तस्वीर पर जो मैने पहले
भी देखी थी जब रेखा मुझे इस घर मे लेके आई थी मोटर ठीक करवाने के बहाने वो
तस्वीर मुझे कुछ जानी पहचानी लग रही थी,,मैं 3 लोगो को तो पहचान पा रहा था
लेकिन 2 लोगो को नही,,,,
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